पुनासी परियोजना : पेयजल संकट से जूझते बाबाधाम के लोग

Submitted by Editorial Team on Thu, 05/16/2019 - 10:53
Source
हिंदुस्तान, देवघर 16 मई 2019

देवघर जिले की अतिमहत्वाकांक्षी पुनासी जलाशय परियोजना चार दशक के बाद भी अधूरी है। न तो खेत तक पानी पहुंच सका है और न ही पेयजल उपलब्ध हो पा रहा है। 38 वर्षों में 26 करोड़ 9 लाख की प्राक्कलित राशि 797.72 करोड़ रुपए तक पहुंच गयी। उसमें से लगभग 300 करोड़ रुपए खर्च भी हो चुके हैं। लंबी लड़ाई के बाद अब परियोजना पूरी होने के आसार बढ़े हैं। पुनासी जलाशय परियोजना का काम देवघर जिले के देवघर प्रखंड अंतर्गत पुनासी गांव में चल रहा है। अजय नदी पर जलाशय का निर्माण कराया जा रहा है। इसके लिए 16 गांवों की जमीन का अधिग्रहण किया गया है।

1982 में मिली स्वीकृति :

पुनासी जलाशय परियोजना की प्रशासनिक स्वीकृति तत्कालीन बिहार सरकार की ओर से प्रदान की गयी थी। उस वक्त इसकी प्राक्कलित राशि 26.9 करोड़ रुपए थी। हालांकि भू-अधिग्रहण का कार्य 16 वर्षों तक चलते रहने की वजह से 1998 में इसका मुख्य कार्य शुरू किया जा सका। उस समय तक परियोजना की प्राक्कलति राशि 185.82 करोड़ रु. तक पहुंच गयी।

भूमि-अधिग्रहण व वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मिलने वाले अनापत्ति प्रमाण-पत्र में विलंब होने के कारण इसकी समय सीमा बढ़ती गयी। जितना विलंब होता गया, उतनी प्राक्कलित राशि में उत्तरोत्तर वृद्धि होती गयी। वर्तमान समय में इसकी लागत राशि लगभग 800 करोड़ रुपए पहुंच चुकी है। इसके बढ़ने की मूल वजह मुआवजा राशि ही बनी। परियोजना को पूर्ण कराने के लिए लड़ी जा रही लड़ाई के बाद 35 साल में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से 296.62 एकड़ भू-खंड का अनापत्ति प्रमाण-पत्र दिया गया। स्पील-वे निर्माण में वन भूमि बाधा बन रही थी।

भीषण जल संकट से राहत मिल सकेगी

पुनासी जलाशय योजना से देवघर के अलावा जिले के मोहनपुर, सारवां और सोनारायठाढ़ी प्रखण्ड सहित सीमावर्ती दुमका जिले के दुमका व सरैयाहाट के लोग लाभान्वित होंगे। इस परियोजना के पूर्ण हो जाने से भीषण जल संकट से जूझ रहे देवघरवासियों को राहत मिलेगी। इतना ही नहीं जिले के देवीपुर में प्रस्तावित एम्स में हर दिन 20 लाख लीटर जलापूर्ति भी पुनासी से किए जाने का प्रस्ताव है।

पुनासी जलाशय परियोजना पूर्ण हो जाने से देवघर व दुमका जिले की लगभग 60 हजार एकड़ जमीन सिंचित हो सकेगी। लगभग 38 हजार एकड़ भू-खण्ड में खरीफ और 22 हजार एकड़ में रबी की फसल की उपज हो सकेगी।