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पंचायतनामा डॉट कॉम
झारखंड की छह पंचायत निकाय को भारत सरकार से पुरस्कार मिला है। पुरस्कार पाने वाली पंचायत निकायों में जिला परिषद धनबाद, पंचायत समिति मधुपुर एवं निरसा और ग्राम पंचायत बड़ा अंबोना, पलारकुट एवं गोनैया शामिल है। ग्राम पंचायत बड़ा अंबोना एवं पलारकुट धनबाद जिले के निरसा प्रखंड के अंतर्गत आती है। गौनेया ग्राम पंचायत देवघर जिले के मधुपुर प्रखंड में है। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस 24 अप्रैल के अवसर पर नयी दिल्ली में इन सभी को पुरस्कृत किया जाएगा। यह पुरस्कार समय सीमा के अंतर्गत व्यवस्थित तरीके से कामकाज संचालन के एवज में दिया गया है। पंचायतों को यह पुरस्कार केंद्रीय सरकार के पंचायती राज मंत्रालय से मिला है। पुरस्कार के तौर पर जिला परिषद को 40 लाख, पंचायत समिति को 20-20 लाख और ग्राम पंचायत को 12 लाख रुपये नकद दिये जायेंगे। इस पैसे को संबंधित पंचायतें अपनी-अपनी पंचायत के अनुरूप योजना बनाकर खर्चकर सकेंगी। ऐसे में आप भी कुछ अलग कर पुरस्कार हासिल कर सकते हैं। जानिए कैसे मिला इन पंचायतों को पुरस्कार।
धनबाद जिले की निरसा पंचायत समिति की प्रमुख बालिका मुर्मू महिला होने के साथ-साथ आदिवासी भी हैं। इस नाते प्रारंभ में इन्हें काम करने में परेशानी हुई। लेकिन, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। काम के प्रति लगन एवं सर्मपण बनाये रखा। धीरे-धीरे काम को समझा। फिर उसे व्यवस्थित किया। 2012 के दिसंबर महीने में पायस योजना के तहत केंद्र सरकार ने पंचायतों से आवेदन मांगा। चूंकि प्रखंड प्रमुख अखबार रोज पढ़ती हैं। इसलिए उनकी नजर पुरस्कार के लिए आवेदन वाले विज्ञापन पर गयी। इसके साथ साथियों से सलाह-मशविरा के बाद उन्होंने राज्य सरकार के पास आवेदन कर दिया। आवेदन जमा करने के बाद राज्य सरकार से एक टीम आयी और वस्तु स्थिति का जायजा लिया। इसके बाद केंद्र सरकार की टीम आयी। दोनों टीमों ने पंचायत समिति के कामकाज संचालन की व्यवस्था को देखा। बकौल प्रमुख 13 वें वित्त आयोग की राशि खर्च करने में उन्होंने तेजी दिखायी है। इस राशि का सदुपयोग हुआ है। इससे राज्य एवं केंद्रीय टीम काफी प्रभावित हुई। इसके अलावा हरेक महीने पंचायत समिति की बैठक, रिकार्ड का संधारण आदि से भी टीम काफी खुश नजर आयी। खासकर बैठकों में लिये गये निर्णयों के आलोक में हो रहे काम से सदस्य काफी प्रभावित हुए। निरसा प्रखंड प्रमुख श्रीमती मुर्मू कहती हैं कि पुरस्कार में सभी 68 पंचायत समिति सदस्यों का योगदान है। यह सम्मान सभी का है।
जिला परिषद, पंचायत समिति एवं ग्राम पंचायत की तरह ही ग्रामसभा के लिए भी स्थायी समितियों का प्रावधान कानून में है। लेकिन, बहुत कम ही जगहों पर यह अस्तित्व में है। ऐसे ही अपवाद में शामिल है निरसा की पलारपुर ग्राम पंचायत। यहां के मुखिया विश्वत रूप मंडल ने ग्राम पंचायत की स्थायी समितियों के साथ-साथ ग्रामसभा की भी स्थायी समितियों का गठन किया है। इन समितियों का न केवल गठन किया गया है, बल्कि हर महीने इसकी बैठक भी होती है। इन समितियों में महिलाओं को भी उचित स्थान दिया गया है। स्थायी समितियों के गठन में वार्ड सदस्यों की सहायता ली गयी है। इतना ही नहीं पंचायत के लगभग सभी अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों को इंदिरा आवास मुहैया करा दिया गया है। श्री मंडल ने बताया कि 13 वें वित्त आयोग से मिली रकम का प्रयोग विकास के कामों में किया गया। इसके अलावा नाली, चबूतरा, पंचायत भवन व गार्ड वाल, सोलर लाइट आदि की भी व्यवस्था समुचित रूप से की गयी। मनरेगा के तहत 18 काम उनकी पंचायत में हुआ है। इसके अलावा डीवीसी एसआइपी विभाग के सहयोग से भी पंचायत में काम कराया गया। बेरोजगारों को नाबार्ड से रोजगार प्रशिक्षण के अलावा एमपीएल के सहयोग से 170 युवतियों को नर्स व 32 युवाओं को आइटीआइ ट्रेनिंग दिलाने का भी वादा किया। जल समस्या के समाधान के लिए पंचायत में 58 चापानल लगाये गये हैं। जरूरतमंदों को विधवा, सामाजिक नि:शक्त पेंशन भी दिलायी गयी है। इसी काम के आधार पर पायस योजना के तहत पंचायत का चुनाव पुरस्कार के लिए किया गया है।
बड़ा अंबोना ग्राम पंचायत का पंचायत भवन पूरे प्रखंड में चर्चा का विषय है। यह अन्य मुखियों के लिए अनुकरणीय भी है। हो भी क्यों नहीं इस भवन ने पंचायत सचिवालय का सपना जो सच कर दिखाया है। आज ग्राम पंचायत के लोगों का अधिकतम काम इसी भवन से होता है। यहां पर हर दिन पंचायत सेवक एवं रोजगार सेवक बैठते हैं। पंचायत के मुखिया झंटू गोप बताते हैं कि पायस योजना के तहत राज्य एवं केंद्र की टीम ने पंचायत का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान मनरेगा और 13 वें वित्त आयोग की राशि से किये गये कार्यों की जांच की। लेकिन, टीम को सबसे अधिक प्रभावित यहां के पंचायत सचिवालय ने किया। पंचायत सचिवालय भवन की दीवारों पर योजनाओं के नियम एवं शर्तों की जानकारी लिखी गयी है। इससे लोगों को काफी मदद मिलती है। मुखिया श्री गोप बताते हैं कि पारदर्शिता रखने से ही विकास संभव है। इससे ग्रामीणों को आसानी से जानकारी तो मिलती ही है। साथ ही वे सरकारी कामों में भी रुचि दिखाते हैं। इस पंचातय के सचिवालय भवन में इलाहाबाद बैंक के सहयोग से मिनी बैंक का संचालन होता है। यहां पर ग्रामीण रकम जमा करते और निकालते हैं। टीम के सदस्यों को इस काम ने भी प्रभावित किया। टीम के सदस्यों ने पंचायत में हुए कामों का भी बारीकी से निरीक्षण किया। मुखिया श्री गोप बताते हैं कि सम्मानित किये जाने की सूचना से ही वे काफी उत्साहित हैं। पुरस्कार में पंसस व वार्ड सदस्यों की भी भागीदारी है। पंचायत के लोगों ने भी उन्हें काम में भरपूर सहयोग दिया है। ग्रामीणों के सहयोग से आगे भी वे ऐसे काम करते रहेंगे। ताकि इससे पंचायत व प्रखंड का नाम और रोशन हो सके।
मधुपुर पंचायत समिति (प्रखंड) के अंतर्गत आने वाली गोनैया ग्राम पंचायत में कुल नौ गांव हैं। सभी गांव में सिंचाई, शिक्षा, सड़क, पेयजल आदि की पर्याप्त सुविधा है। इस पंचायत के लोग रोजगार की तलाश में पंचायत को छोड़ बाहर कहीं नहीं जाते हैं। मनरेगा के तहत गोनैया पंचायत में 85 सिंचाई कूप का निर्माण कराया गया है। इसके अलावा छह तालाब, सात मिट्टी मोरम पथ पंचायत के विभिन्न गांव में बनाये गये हैं। मनरेगा में 946 लोग पंजीकृत हैं। ये लोग इस योजना में काम कर अपना और परिवार का भरण-पोषण भी कर रहे हैं। ग्राम पंचायत की 301 योजनाओं में 242 पूर्ण हो चुकी है। अन्य योजनाएं पूर्ण होने के कगार पर हैं।
गोनैया ग्राम पंचायत के विकास कायरें में स्थानीय लोगों की भागीदारी होती है। मुखिया सीता देवी की अध्यक्षता में हरेक महीने बैठक होती है। इसका आयोजन ग्राम पंचायत कार्यालय में होता है। इसमें वार्ड सदस्य एवं पंचायत समिति सदस्य शामिल होते हैं।
ग्राम पंचायत क्षेत्र में मनरेगा से क्रांतिकारी बदलाव आया है। इस योजना से बनाये गये सिंचाई कूप, तालाब, चेक डैम ने यहां के लोगों को सीधे तौर पर रोजगार देने का काम किया है। सैकड़ों एकड़ असिंचित भूमि अब हरियाली में बदल गयी है। जामा व गोनैया के बीच जोरिया पर तीन लाख 40 हजार रुपये की लागत से गार्डवाल का निर्माण कराया गया है। इससे 35 एकड़ परती जमीन में यहां के किसान रबी, खरीफ एवं दलहन की खेती हर साल करते हैं। पंचायत के लोगों के लिए खेती ही जीवकोपार्जन का मुख्य साधन बना हुआ है। इसके साथ ही शिक्षा के प्रति पंचायत के लोग काफी जागरूक है। हर गांव में स्कूल है। छह आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। यहां के ग्रामीण अपने बच्चों को शिक्षा हासिल करने के लिए प्रतिदिन स्कूल भेजते हैं। इतना ही नहीं इस गांव के बुर्जुगों को वृद्धावस्था पेंशन, गरीबों को बीपीएल कार्ड, विधवा पेंशन सहित अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे तौर पर मिल रहा है। हालांकि पंचायत में सुविधाओं की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। सरकारी स्वास्थ्य केंद्र के अभाव में ग्रामीण झोलाछाप चिकित्सकों के भरोसे रहते हैं। सरकारी सुविधा 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हालांकि जागरूकता से लोग अब मधुपुर रेफरल अस्पताल जाकर इलाज कराते हैं। प्राइवेट स्वास्थ्य सुविधाएं महंगी होने के कारण लोगों को परेशानी होती है। ग्राम पंचायत के बारे में मुखिया सीता देवी ने बताया कि यहां के ग्रामीण बहुत ही मेहनती और ईमानदार हैं। सरकार से मिलने वाली सभी योजनाओं का लाभ इस पंचायत को मिला है। यही कारण है कि इस पंचायत को झारखंड में सशक्त ग्राम पंचायत होने का गौरव हासिल हुआ।
एक लाख पांच हजार की आबादी वाली मधुपुर पंचायत समिति के अंतर्गत कुल 21 ग्राम पंचायत हैं। पिछले दो साल में इन पंचायतों में काफी बदलाव आया है। इन जगहों पर अब जनता की समस्याओं को लेकर विचार-विर्मश होता है। योजनाएं बनाने के साथ ही उसका कार्यान्वयन भी किया जा रहा है। मधुपुर पंचायत समिति ने समस्याओं के समाधान में सूचना तकनीक के इस्तेमाल की शुरुआत जोरदार ढंग से की है। सभी ग्राम पंचायतें इंटरनेट से जुड़ी हैं। ग्राम पंचायत के भवन में प्रज्ञा केंद्र संचालित है। इसके साथ ही शिक्षा को लेकर यह प्रखंड क्षेत्र काफी सजग है। क्षेत्र में कुल 245 विद्यालय हैं। इनमें मध्य विद्यालय 70, उच्च विद्यालय 10, प्राथमिक विद्यालय 175 हैं। 2011 में पंचायत समिति के गठन के बाद विकास में जनभागीदारी बढ़ी है। फिलहाल मनरेगा एवं 13 वें वित्त आयोग की राशि पंचायत समिति को मिलती है। मधुपुर पंचायत समिति ने इन पैसों का सदुपयोग किया है। 13 वें वित्त आयोग की राशि से 14 योजानाएं पूर्ण कर ली गयी है। मनरेगा से 162 नये तालाब का निर्माण कराया गया। इसके अलावा 109 मिट्टी मोरम पथ, 1,177 सिंचाई कूप, 598 इंदिरा आवास, 67 तालाब का जीर्णोद्धार कराया गया है। 80 शौचालय, मुर्गी एवं बकरी शेड भी बनाये गये हैं। इन योजनाओं के कार्यान्वयन से बदलावा की बयार बही है। कृषि के लिए सिंचाई सुविधाओं के साथ-साथ आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल बढ़ा है। क्षेत्र के दो हजार किसानों ने श्रीविधि से खेती कर उत्पादन बढ़ाया है।
बकौल प्रखंड प्रमुख सुबल प्रसाद सिंह का मानना है कि विकास की रूपरेखा तय करने के लिए गांव से प्रखंड स्तर तक समिति का गठन कर नियमित संचालन किया जाना बेहद जरूरी है। इस प्रणाली को अपना कर कोई भी प्रखंड विकसित हो सकता है।
13वें वित्त आयोग की राशि खर्च करने पर मिला पुरस्कार
धनबाद जिले की निरसा पंचायत समिति की प्रमुख बालिका मुर्मू महिला होने के साथ-साथ आदिवासी भी हैं। इस नाते प्रारंभ में इन्हें काम करने में परेशानी हुई। लेकिन, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। काम के प्रति लगन एवं सर्मपण बनाये रखा। धीरे-धीरे काम को समझा। फिर उसे व्यवस्थित किया। 2012 के दिसंबर महीने में पायस योजना के तहत केंद्र सरकार ने पंचायतों से आवेदन मांगा। चूंकि प्रखंड प्रमुख अखबार रोज पढ़ती हैं। इसलिए उनकी नजर पुरस्कार के लिए आवेदन वाले विज्ञापन पर गयी। इसके साथ साथियों से सलाह-मशविरा के बाद उन्होंने राज्य सरकार के पास आवेदन कर दिया। आवेदन जमा करने के बाद राज्य सरकार से एक टीम आयी और वस्तु स्थिति का जायजा लिया। इसके बाद केंद्र सरकार की टीम आयी। दोनों टीमों ने पंचायत समिति के कामकाज संचालन की व्यवस्था को देखा। बकौल प्रमुख 13 वें वित्त आयोग की राशि खर्च करने में उन्होंने तेजी दिखायी है। इस राशि का सदुपयोग हुआ है। इससे राज्य एवं केंद्रीय टीम काफी प्रभावित हुई। इसके अलावा हरेक महीने पंचायत समिति की बैठक, रिकार्ड का संधारण आदि से भी टीम काफी खुश नजर आयी। खासकर बैठकों में लिये गये निर्णयों के आलोक में हो रहे काम से सदस्य काफी प्रभावित हुए। निरसा प्रखंड प्रमुख श्रीमती मुर्मू कहती हैं कि पुरस्कार में सभी 68 पंचायत समिति सदस्यों का योगदान है। यह सम्मान सभी का है।
पलारपुर ने किया ग्राम सभा की स्थायी समितियों का गठन
जिला परिषद, पंचायत समिति एवं ग्राम पंचायत की तरह ही ग्रामसभा के लिए भी स्थायी समितियों का प्रावधान कानून में है। लेकिन, बहुत कम ही जगहों पर यह अस्तित्व में है। ऐसे ही अपवाद में शामिल है निरसा की पलारपुर ग्राम पंचायत। यहां के मुखिया विश्वत रूप मंडल ने ग्राम पंचायत की स्थायी समितियों के साथ-साथ ग्रामसभा की भी स्थायी समितियों का गठन किया है। इन समितियों का न केवल गठन किया गया है, बल्कि हर महीने इसकी बैठक भी होती है। इन समितियों में महिलाओं को भी उचित स्थान दिया गया है। स्थायी समितियों के गठन में वार्ड सदस्यों की सहायता ली गयी है। इतना ही नहीं पंचायत के लगभग सभी अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों को इंदिरा आवास मुहैया करा दिया गया है। श्री मंडल ने बताया कि 13 वें वित्त आयोग से मिली रकम का प्रयोग विकास के कामों में किया गया। इसके अलावा नाली, चबूतरा, पंचायत भवन व गार्ड वाल, सोलर लाइट आदि की भी व्यवस्था समुचित रूप से की गयी। मनरेगा के तहत 18 काम उनकी पंचायत में हुआ है। इसके अलावा डीवीसी एसआइपी विभाग के सहयोग से भी पंचायत में काम कराया गया। बेरोजगारों को नाबार्ड से रोजगार प्रशिक्षण के अलावा एमपीएल के सहयोग से 170 युवतियों को नर्स व 32 युवाओं को आइटीआइ ट्रेनिंग दिलाने का भी वादा किया। जल समस्या के समाधान के लिए पंचायत में 58 चापानल लगाये गये हैं। जरूरतमंदों को विधवा, सामाजिक नि:शक्त पेंशन भी दिलायी गयी है। इसी काम के आधार पर पायस योजना के तहत पंचायत का चुनाव पुरस्कार के लिए किया गया है।
बड़ा आंबोना ग्राम पंचायत में पंचायत सचिवालय का सपना साकार हुआ
बड़ा अंबोना ग्राम पंचायत का पंचायत भवन पूरे प्रखंड में चर्चा का विषय है। यह अन्य मुखियों के लिए अनुकरणीय भी है। हो भी क्यों नहीं इस भवन ने पंचायत सचिवालय का सपना जो सच कर दिखाया है। आज ग्राम पंचायत के लोगों का अधिकतम काम इसी भवन से होता है। यहां पर हर दिन पंचायत सेवक एवं रोजगार सेवक बैठते हैं। पंचायत के मुखिया झंटू गोप बताते हैं कि पायस योजना के तहत राज्य एवं केंद्र की टीम ने पंचायत का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान मनरेगा और 13 वें वित्त आयोग की राशि से किये गये कार्यों की जांच की। लेकिन, टीम को सबसे अधिक प्रभावित यहां के पंचायत सचिवालय ने किया। पंचायत सचिवालय भवन की दीवारों पर योजनाओं के नियम एवं शर्तों की जानकारी लिखी गयी है। इससे लोगों को काफी मदद मिलती है। मुखिया श्री गोप बताते हैं कि पारदर्शिता रखने से ही विकास संभव है। इससे ग्रामीणों को आसानी से जानकारी तो मिलती ही है। साथ ही वे सरकारी कामों में भी रुचि दिखाते हैं। इस पंचातय के सचिवालय भवन में इलाहाबाद बैंक के सहयोग से मिनी बैंक का संचालन होता है। यहां पर ग्रामीण रकम जमा करते और निकालते हैं। टीम के सदस्यों को इस काम ने भी प्रभावित किया। टीम के सदस्यों ने पंचायत में हुए कामों का भी बारीकी से निरीक्षण किया। मुखिया श्री गोप बताते हैं कि सम्मानित किये जाने की सूचना से ही वे काफी उत्साहित हैं। पुरस्कार में पंसस व वार्ड सदस्यों की भी भागीदारी है। पंचायत के लोगों ने भी उन्हें काम में भरपूर सहयोग दिया है। ग्रामीणों के सहयोग से आगे भी वे ऐसे काम करते रहेंगे। ताकि इससे पंचायत व प्रखंड का नाम और रोशन हो सके।
गोनैया है सशक्त ग्राम पंचायत
मधुपुर पंचायत समिति (प्रखंड) के अंतर्गत आने वाली गोनैया ग्राम पंचायत में कुल नौ गांव हैं। सभी गांव में सिंचाई, शिक्षा, सड़क, पेयजल आदि की पर्याप्त सुविधा है। इस पंचायत के लोग रोजगार की तलाश में पंचायत को छोड़ बाहर कहीं नहीं जाते हैं। मनरेगा के तहत गोनैया पंचायत में 85 सिंचाई कूप का निर्माण कराया गया है। इसके अलावा छह तालाब, सात मिट्टी मोरम पथ पंचायत के विभिन्न गांव में बनाये गये हैं। मनरेगा में 946 लोग पंजीकृत हैं। ये लोग इस योजना में काम कर अपना और परिवार का भरण-पोषण भी कर रहे हैं। ग्राम पंचायत की 301 योजनाओं में 242 पूर्ण हो चुकी है। अन्य योजनाएं पूर्ण होने के कगार पर हैं।
मासिक बैठक कर तय होती है विकास की योजना
गोनैया ग्राम पंचायत के विकास कायरें में स्थानीय लोगों की भागीदारी होती है। मुखिया सीता देवी की अध्यक्षता में हरेक महीने बैठक होती है। इसका आयोजन ग्राम पंचायत कार्यालय में होता है। इसमें वार्ड सदस्य एवं पंचायत समिति सदस्य शामिल होते हैं।
मनरेगा से आया है क्रांतिकारी बदलाव
ग्राम पंचायत क्षेत्र में मनरेगा से क्रांतिकारी बदलाव आया है। इस योजना से बनाये गये सिंचाई कूप, तालाब, चेक डैम ने यहां के लोगों को सीधे तौर पर रोजगार देने का काम किया है। सैकड़ों एकड़ असिंचित भूमि अब हरियाली में बदल गयी है। जामा व गोनैया के बीच जोरिया पर तीन लाख 40 हजार रुपये की लागत से गार्डवाल का निर्माण कराया गया है। इससे 35 एकड़ परती जमीन में यहां के किसान रबी, खरीफ एवं दलहन की खेती हर साल करते हैं। पंचायत के लोगों के लिए खेती ही जीवकोपार्जन का मुख्य साधन बना हुआ है। इसके साथ ही शिक्षा के प्रति पंचायत के लोग काफी जागरूक है। हर गांव में स्कूल है। छह आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। यहां के ग्रामीण अपने बच्चों को शिक्षा हासिल करने के लिए प्रतिदिन स्कूल भेजते हैं। इतना ही नहीं इस गांव के बुर्जुगों को वृद्धावस्था पेंशन, गरीबों को बीपीएल कार्ड, विधवा पेंशन सहित अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे तौर पर मिल रहा है। हालांकि पंचायत में सुविधाओं की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। सरकारी स्वास्थ्य केंद्र के अभाव में ग्रामीण झोलाछाप चिकित्सकों के भरोसे रहते हैं। सरकारी सुविधा 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हालांकि जागरूकता से लोग अब मधुपुर रेफरल अस्पताल जाकर इलाज कराते हैं। प्राइवेट स्वास्थ्य सुविधाएं महंगी होने के कारण लोगों को परेशानी होती है। ग्राम पंचायत के बारे में मुखिया सीता देवी ने बताया कि यहां के ग्रामीण बहुत ही मेहनती और ईमानदार हैं। सरकार से मिलने वाली सभी योजनाओं का लाभ इस पंचायत को मिला है। यही कारण है कि इस पंचायत को झारखंड में सशक्त ग्राम पंचायत होने का गौरव हासिल हुआ।
इंटरनेट से जुड़ी है मधुपुर की हर पंचायत
एक लाख पांच हजार की आबादी वाली मधुपुर पंचायत समिति के अंतर्गत कुल 21 ग्राम पंचायत हैं। पिछले दो साल में इन पंचायतों में काफी बदलाव आया है। इन जगहों पर अब जनता की समस्याओं को लेकर विचार-विर्मश होता है। योजनाएं बनाने के साथ ही उसका कार्यान्वयन भी किया जा रहा है। मधुपुर पंचायत समिति ने समस्याओं के समाधान में सूचना तकनीक के इस्तेमाल की शुरुआत जोरदार ढंग से की है। सभी ग्राम पंचायतें इंटरनेट से जुड़ी हैं। ग्राम पंचायत के भवन में प्रज्ञा केंद्र संचालित है। इसके साथ ही शिक्षा को लेकर यह प्रखंड क्षेत्र काफी सजग है। क्षेत्र में कुल 245 विद्यालय हैं। इनमें मध्य विद्यालय 70, उच्च विद्यालय 10, प्राथमिक विद्यालय 175 हैं। 2011 में पंचायत समिति के गठन के बाद विकास में जनभागीदारी बढ़ी है। फिलहाल मनरेगा एवं 13 वें वित्त आयोग की राशि पंचायत समिति को मिलती है। मधुपुर पंचायत समिति ने इन पैसों का सदुपयोग किया है। 13 वें वित्त आयोग की राशि से 14 योजानाएं पूर्ण कर ली गयी है। मनरेगा से 162 नये तालाब का निर्माण कराया गया। इसके अलावा 109 मिट्टी मोरम पथ, 1,177 सिंचाई कूप, 598 इंदिरा आवास, 67 तालाब का जीर्णोद्धार कराया गया है। 80 शौचालय, मुर्गी एवं बकरी शेड भी बनाये गये हैं। इन योजनाओं के कार्यान्वयन से बदलावा की बयार बही है। कृषि के लिए सिंचाई सुविधाओं के साथ-साथ आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल बढ़ा है। क्षेत्र के दो हजार किसानों ने श्रीविधि से खेती कर उत्पादन बढ़ाया है।
बकौल प्रखंड प्रमुख सुबल प्रसाद सिंह का मानना है कि विकास की रूपरेखा तय करने के लिए गांव से प्रखंड स्तर तक समिति का गठन कर नियमित संचालन किया जाना बेहद जरूरी है। इस प्रणाली को अपना कर कोई भी प्रखंड विकसित हो सकता है।