फायदेमंद शौचालय

Submitted by Hindi on Thu, 12/01/2011 - 11:00
Source
मेघ पाईन अभियान

बिहार में बांस का बना शौचालयबिहार में बांस का बना शौचालयबाढ़ के समय बाढ़ प्रभावित लोग जिनका आश्रय स्थल बांध, छोटी-सी जगह में ऊँची जमीन, रेलवे स्टेशन, विद्यालय भवन, पंचायत भवन, राष्ट्रीय उच्च मार्ग होता है। जिनमें गर्भवती महिलाएँ, छोटे बच्चे, नवजात शिशु की मां, बीमार लोग, बूढ़े लोग किशोरियां होती हैं। इन लोगों को चार महीने में स्वच्छता सुविधाओं का घोर अभाव होता है। ऐसी स्थिति में बाढ़ प्रभावित खासकर पुरुष वर्ग शौच करने के विभिन्न तरीकों को अपनाते हैं। वृक्ष पर चढ़कर, नाव पर बैठकर, जहाँ खाई है या ढालनुमा जगह है वहां ये शौच करते हैं। कुछ लोग केले के तीन चार थम्ब (तना) को जोड़कर पानी में उसे रखकर फिर उस पर बैठकर शौच करते हैं तो कुछ घर के छतों पर से, बाँस का क्षैतिज सहारा देकर उसके ऊपर चचरी (बाँस की समतल बनी बैठने की जगह) बनाकर पानी में ही शौच करते हैं।

पानी में खड़े होकर भी लोग मल-मूत्र को निस्तारित करते हैं। महिलाएं, किशोरियां भी अपनी सुविधानुसार उपरोक्त शौच प्रक्रिया को अपनाती हैं। शौचालय बाढ़ के दौरान डुब कर बेकार हो जाते है जिससे जल दूषित होता है तथा उसे पीने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ होती हैं। बाढ़ के बाद सामान्य समय में कुछ लोगों द्वारा कच्ची गांधी शौचालय का उपयोग किया जाता है जो दो से तीन फीट मिट्टी को खोदकर बनाया जाता हैं। पक्की गांधी शौचालय का उपयोग भी किया जाता है, जो मिट्टी के अन्दर ईंट से बना टैंक होता है एवं उसी टैंक के ऊपर शीट रहता है। कुछ लोगों के द्वारा बांस एवं प्लास्टिक से निर्मित सेप्टिक वाले शौचालय का भी उपयोग किया जाता है।

आबादी की अधिक संख्या खुले में शौच करती हैं। बच्चे, महिलाएं, किशोरियां अपने आवास के आस-पास या नजदीक के सड़क किनारे शौच करते हैं। महिलाएं एवं किशोरियां सूर्योदय से पहले एवं सूर्यास्त के बाद शौच करती हैं, क्योंकि इस समय प्राकृतिक रूप से पर्दा होता है। कुछ लोग खेतों में लगी फसल के बीच शौच करते हैं तो कुछ लोग आस-पास के बगीचों, बांस की झाड़ी में करते हैं। घर से दूर तालाब या नदी का किनारा भी इनका शौच करने का स्थान होता है। बांध के अन्दर एवं बांध के किनारे बसे लोगों के पास जगह कम होती है जिस कारण आवास स्थल के आस-पास के सीमित क्षेत्र में ही शौच करते हैं।

पूरा स्टोरी पढ़ने के लिए अटैचमेंट देखें

इस खबर के स्रोत का लिंक:
मेघ पाईन अभियान