रासायनिक खाद और सेंद्रिय खाद : तुलनात्मक अध्ययन

Submitted by Hindi on Thu, 06/23/2011 - 12:05

क्र..

सेंद्रिय खाद के फायदे 

रासायनिक खाद से नुक्सान  

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सेंद्रिय खाद कृषि भूमि एवं फसलों का संतुलित भोजन है |

जबकि रासायनिक खाद जहरीले रसायन है |

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नत्र स्फुरव और पलाश के साथ साथ अन्य अत्यावश्यक 13 प्रकार के सूक्ष्म द्रव्य सेंद्रिय खाद से प्राप्त होते है |

रासायनिक खाद नत्र स्फुरद पलाश तक सिमित है और अन्य अत्यावश्यक सूक्ष्म 13 तत्वों की पूर्ती के लिए कंपनियों से अलग से खनिज द्रव्य खरीदने पड़ते है |

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सेंद्रिय खाद दिनों दिन भूमि की उर्वरकता को बढ़ता है| अगली पीढ़ी के लिए भूमि सुरक्षित होती है|  

रासायनिक खाद से धीरे-धीरे भूमि बंजर होने लगती है| जिससे भावी संतान की रोजी-रोटी मारी जाती है

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सेंद्रिय खाद से भूमि को उर्वरा बनाने वाले जीवाणुओं की संख्या बढती है, उनके क्रिया कलापों से जमीन की जुताई होती है| जिससे हवा पानी प्रकाश के भूमि में प्रवेश होने से प्रदुषणकारी तत्व मिट  जाते है | भूमि के तापक्रम आद्रता में संतुलन बना रहता है| कृषि भूमि मुलायम-भुरभुरी बनती है|  

जबकि रासायनिक खाद कृषि मित्र जीवाणुओं की हत्या करते है| भूमि को कठिन कड़ी बनाते है| उसमे क्षार या अम्ल दोष बढ़ता है |

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सेंद्रिय खाद से कम बारिश हुई तो भी आर्द्रता बनी रहती है| अधिक बारिश हुई तो अतिरिक्त पानी की निकासी करने में सहायक होता है |

रासायनिक खाद डालने पर कम बारिश हुई तो फसल सूख जाती है और अधिक बारिश हुई तो पानी में घुलकर वह बह जाती है| रासायनिक खाद पर उगाई गई फसल को पानी की अधिक मात्र लगती है |  

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सेंद्रिय खाद से भूमि चलनी जैसी सछिद्र बनकर मिटटी छोटे छोटे कणों में बांध जाती है जिससे हवा से उड़ जाने का या पानी में बह जाने को रोकती है |

यह गुण रासायनिक खाद में नहीं है |  

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सेंद्रिय खाद लगातार तीन फसलों के लिए काम आती है|  

रासायनिक खाद केवल एक फसल तक सिमित रहती है

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सेंद्रिय खाद हम अपने ही गाँव में अपने ही खेत पर खेती की वस्तुओं से और अपने पशुओं के गोबर गोमूत्र से बना सकते है

रासायनिक खाद बाहर से आने से हम परावलम्बी बनते है| पैसा किसान के घर से बाहर चले जाने से गाँव गरीब और किसान बेकार बनते है |

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लगातार सेंद्रिय खाद इस्तेमाल करने पर फसलों में बीमारियाँ कम आती है और बीमारियाँ वनोषधियों से हटाई जा सकती है |

जबकि रासायनिक खाद बिमारियों को बढाता है और खर्चीली रासायनिक दवाओं के कारण किसान की कमर टूट जाती है

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सेंद्रिय खाद बनाने से सफाई होकर गाँव-शहर स्वच्छ सुन्दर दिखते है| साथ-साथ बिमारियों पर अंकुश लगता है|  

रासायनिक खाद से उप्तन्न बिमारियों को हटाने के लिए जहरीली रासायनिक दवाएं खरीदनी पड़ती है जिससे भूमि - हवा-जल-अनाज प्रदूषित होकर तरह-तरह की बीमारियाँ बढ़ जाती है

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सेंद्रिय खाद से उत्पन्न अनाज, साग, सब्जी, फल आदि मधुर, पुष्टिकर, काफी समय तक ताजगी भरे रहते है | उनका संग्रह अकाल में काम आता है |  

रासायनिक खाद के उत्पादन बेस्वाद, रोगोत्पादक और तुरंत सड़ने लगते है | इससे अकाल की भीषणता बढती है |  

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सेंद्रिय खाद गोबर-खरपतवार से बनती है, किसान को हर दिन, हर साल निरंतर यह सब अपने ही खेत और पशु से प्राप्त होता है| यह अखूट निरंतर बहने वाला झरना है|   

रासायनिक खाद जिन खनिजों से प्राप्त की जाती है उन खनिजों के जल्द ही समाप्त होने का इशारा वैज्ञानिकों ने कर दिया है | मतलब रासायनिक खाद खनिज समाप्ति के बाद स्वयं समाप्त हो जायेंगे

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पर्यावरण के साथ सेंद्रिय खाद का सामंजस्य है|

रासायनिक खाद पर्यावरण का संतुलन बिगाड़ते है| रासायनिक खाद कारखाने भी प्रदुषण बढाते है |   

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देहात का आम आदमीमहिला-पुरुष, बच्चे-बूढ़े-अनपढ़ कोई भी सेंद्रिय खाद बना सकते है| इतना सरल है |

रासायनिक खाद बनाने के लिए करोड़ों रुपये की पूँजी, बड़े-बड़े भारी-भरकम संयंत्रों की जरुरत होती हैतज्ञ लोग चाहिए| यह बड़ा जटिल मामला है |  

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सेंद्रिय खाद की ढुलाई अपने ही बैल और बेलगाडी द्वारा किसान आसानी से कर सकते है|

रासायनिक खाद की ढुलाई के लिए जहाजरानी, रेल आदि इस्तेमाल होते है| भारत में यातायात के पर्याप्त साधन नहीं है| उन पर अतिरिक्त बोझा ढुलाई का पड़ता है| इन साधनों का इस्तेमाल करने से हवा में प्रदुषण बढ़ता है| पेट्रोल-डीजल भारत में आयात किया जाता है| इससे परकीय चलन कर्जा उठाकर लेना होता है | ब्याज तो चढ़ता ही है, जनहित विरोधी शर्तें विश्व बैंक एवं अन्य वित्तीय संस्थाओं की हम पर लाद दी जाती है |

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सेंद्रिय खाद हमें स्वावलंबी बनाता है|

रासायनिक खाद से व्यापारी-उद्योगपति, साहूकार, सरकार आदि पर निर्भरता बढती है| रासायनिक खाद सस्ता दिखाने के लिए इसके उत्पादक कारखानों को 13 हजार करोड़ (.........) रुपये कि सब्सिडी सरकार  दे रही है| यानी भारत के हर नागरिक को हर साल 130 रुपये (..................) का बोझ टेक्स के रूप में भरना पड़ता है|

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भारत में 8 करोड़ लोगों को काम स्वरोजगार के तहत सेंद्रिय खाद निर्माण से मिलेगा| इससे गाँव की बेकारी-अर्ध बेकारी की समस्या हल होगी|

रासायनिक खादों के कारण यह ग्रामीण उद्योग समाप्त हुवा है |

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गाँव की और से काम के लिए शहर में हो रहा पलायन थमेगा और नई नारकीय झुग्गी झोंपड़ियाँ नहीं बनेगी | शहर में बसे देहात के निवासी अपने गाँव लौटने लगेंगे| बदसूरत बनते जा रहे शहरों की सुरक्षा, स्थिति सुधरेगी| इसलिए कम्पोस्ट खाद हमारे लिए मांगल्य लाने वाला मांगल्य दूत है|

जबकि रासायनिक खाद सर्वविनाश्कारी है, सब तरह से बर्बाद करने वाली और म्रत्यु की और ले जाने वाला कुमार्ग है|