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नवोदय टाइम्स, 14 जनवरी, 2018
यूरोपीय भले ही रिसाइक्लिंग लायक चीजों तथा गलने वाले कचरे को अलग-अलग जमा करने की आदत पर गर्व महसूस करते हों परन्तु इस मामले में ताइवान के लोगों से आगे कोई नहीं है।
टोनी लू तथा उनके पड़ोसी रात को साढ़े 9 बजे कूड़ा उठाने वाली गाड़ी के आने के वक्त कचरे के थैले उठाकर गली के मोड़ पर पहुँच जाते हैं। व्यर्थ कागज तथा कार्डबोर्ड उठाने वाले ट्रक का रंग पीला है जबकि व्यर्थ भोजन को ले जाने वाले ट्रक का रंग हरा है। वहाँ अलग-अलग तरह का कूड़ा जमा करने के लिये अलग-अलग रंग के प्लास्टिक थैलों का इस्तेमाल किया जाता है और सभी जानते हैं कि कौन से रंग का कूड़ा का थैला किस ट्रक में डालना है।कूड़ा डालने वाले लोगों के हाथ धुलवाने के लिये कई लोग बतौर स्वयंसेवक भी कार्य करते हैं। जहाँ ट्रक कूड़ा जमा करने के लिये रुकते हैं, उसके निकट वे कूड़ा ट्रकों में डालने आये लोगों के हाथ धुलवाने की सेवा करते हैं। यहाँ कूड़े से भरे थैलों को सड़क किनारे या घर के बाहर यूँ ही नहीं फेंका जाता है क्योंकि ऐसा करने पर गर्मी के मौसम में वहाँ स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। 2 करोड़ 30 लाख की आबादी वाली इस देश के निवासी कोई 30 वर्ष से अलग-अलग तरह के कूड़े को अलग थैलों में जमा कर रहे हैं। अवर्गीकृत अथवा बचे-खुचे कूड़े को नीले थैलों में डाला जाता है। नीले थैलों के लिये निवासियों से पैसे लिये जाते हैं ताकि वे इस तरह का कूड़ा कम-से-कम पैदा करने को प्रेरित हों। अन्य वर्गीकृत कूड़े में प्लास्टिक, कागज, धातु, काँच, रसोई का सूखा कचरा तथा बचा हुआ भोजन शामिल है। कूड़े के रूप में जमा होने वाले बचे भोजन को शूकरों के आहार के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है परन्तु अब ऐसा कम हो रहा है।
पुरानी चीजों का सदुपयोग
ताइवान में उद्योगों पर भी जिम्मेदारी डाली गई है। नये उत्पाद बनाने अथवा आयात करने वाली प्रत्येक कम्पनी को रिसाइक्लिंग फंड में योगदान देना होता है जिससे व्यर्थ पदार्थों से नई चीजें तैयार करने वाली कम्पनियों की सहायता की जाती है। उदाहरण के लिये कुछ ताइवानी कम्पनियाँ पुराने कम्प्यूटर स्क्रीनों में इस्तेमाल होने वाले स्पेशल ग्लास से लैम्प तथा कलात्मक चीजें बनाती हैं। हालाँकि, ताइवान वालों का मानना है कि अभी भी वे रिसाइक्लिंग का पूरी क्षमता से इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं जिसके लिये हर क्षेत्र में प्रयास किये जा रहे हैं। एक ताइवानी कम्पनी सिंगटैक्स देश की कॉफी शॉप्स में कॉफी के इस्तेमाल के बाद बचे कचरे से तेल निकाल रही है। इस तेल से शैम्पू बनाया जाता है। इसके अलावा पुरानी प्लास्टिक बोतलों तथा अन्य चीजों को मिलाकर कपड़े भी बनाये जा रहे हैं। अन्य कम्पनियाँ भी प्रयोग में पीछे नहीं हैं। कुछ कपड़ों के लिये ऐसे रंग तैयार कर रही हैं जिनमें पानी की जगह कार्बन डाइऑक्साइड इस्तेमाल होती है।
खास बात है कि ताइवानी नागरिक रिसाइक्लिंग को लेकर खूब जागरूक हैं और अच्छे से जानते हैं कि अलग-अलग तरह के कचरे को किस तरह से अलग ही रखना है। इसकी शुरुआत प्री-स्कूल से ही हो जाती है जहाँ नन्हें बच्चों को अलग तरह के कचरे को अलग-अलग जमा करने के बारे में सिखाया जाने लगता है। इस तरह से बचपन से ही ताइवान के बच्चे स्वच्छता के प्रति जागरूक रहते हैं तथा उनकी हर सम्भव कोशिश रहती है कि वे कम-से-कम कूड़ा पैदा करें।
कूड़ा फैलाने वालों को दंडित करने के लिये जुर्माने का भी प्रावधान है परन्तु इससे भी ज्यादा लोगों पर सामाजिक दबाव काम करता है। यही वजह है कि ताइवान के शहरों में सड़कों पर ज्यादा कूड़ेदान दिखाई नहीं देने के बावजूद भी कोई सड़क पर कुछ भी फेंकता कभी दिखाई नहीं देता है।