रणनीति दृष्टिकोण में बदलाव

Submitted by admin on Wed, 10/16/2013 - 12:51
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पानी का अर्थशास्त्र (रेवासागर अध्ययन रिपोर्ट)
उक्त अवधारणा के क्रियान्वयन में सबसे बड़ी बाधा थी समाज की मानसिक सोच। पानी बचाने के काम को अभी तक सामुदायिक कार्यों की श्रेणी में रखा गया था जिसके कारण कौन करेगा-किसको लाभ होगा जैसे प्रश्न अनुत्तरित थे या उनका कोई स्पष्ट जबाव रणनीतिकारों के पास नहीं था। सामुदायिक कार्यों में समुदाय इस बात का भी इंतजार करता है कि पहले पहल कौन करे, इसके अलावा पिछले अनुभवों के आधार पर सामुदायिक कार्यों में व्यक्तिगत जबावदारी का अभाव भी महसूस किया जा रहा था।

इन अनुभवों को दृष्टिगत रखते हुए रेवासागर भागीरथ कृषक अभियान के क्रियान्वयन के लिए ऐसी रणनीति बनाई गई कि लोग पानी बचाने के काम को व्यक्तिगत काम माने और व्यक्तिगत जवाबदारी समझे इसके लिए बहुत जरूरी था कि इस काम में व्यक्तिगत लाभ स्पष्ट दिखाई पड़े।

वहीं दूसरी ओर बड़े किसानों द्वारा अधिक मात्रा में जल का दोहन किया जाता रहा है तो पानी बचाने में उनकी ज्यादा जबावदारी भी होनी चाहिए इसके लिए योजना को अमलीजामा पहनाने के पहले जरूरी था लोगों के दृष्टिकोण में बदलाव इसके लिए इस अभियान को कुछ इस तरह प्रस्तुत किया।

दृष्टिकोण में बदलाव के लिए किए गए इन प्रयासों से लोगों की मानसिक स्थिति में बदलाव स्पष्ट परिलक्षित होने लगे और अंततः लोगों ने यह स्वीकार कर लिया कि पानी का संचय व व्यवस्था शासकीय या सामाजिक ज़िम्मेदारी नहीं बल्कि व्यक्तिगत जवाबदारी है। (जिले में लगभग 78 करोड़ की लागत से बने 1600 निजी तालाबों से यह बदलाव साबित होता है।)