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नैनीताल समाचार, 31 जुलाई 2011
बंजर भूमि में बहार बिखेर कर सोर घाटी पिथौरागढ़ को हरा भरा बनाने के संकल्प के साथ पिछले 28 सालों से निरंतर पर्यावरण संरक्षण अभियान में जुटे हुए हैं ललित मोहन कापड़ी। विज्ञान स्नातक 45 वर्षीय इस शख्स ने आज से 28 साल पहले जो मुहिम शुरू की थी वह अब रंग लाने लगी है। एकला चलो से शुरू हुआ उनका अभियान अब जन अभियान में तब्दील हो रहा है। नगर के विभिन्न आयु वर्ग व विचारधारा के लोग अब उनके द्वारा शुरू वृक्षारोपण अभियान से जुड़ने लगे हैं। फंड, पब्लिसिटी व सेमिनार से दूर बिना किसी पुरस्कार या प्रशंसा की अपेक्षा लिए यह व्यक्ति निरंतर सोर घाटी को हरा-भरा करने के प्रयासों में जुटा हुआ है।
यह उनकी जीवट व जिजीविषा का ही परिणाम है कि वह अब तक नगर के विभिन्न हिस्सों में देवदार, बाँज, सुरई, शिलिंग, उतीस सहित कई प्रजातियों के 15 हजार से ऊपर पौधे रोपित कर चुके हैं। हरी भरी सोर घाटी के उनके अभियान में नगर के लोगों की बढ़ती हिस्सेदारी बताती है कि कितने पवित्र संकल्प के साथ वह अपने इस अभियान में जुटे हुए हैं। विभिन्न पर्वों व अवसरों के साथ ही हर रविवार को वह नगर के विभिन्न हिस्सों में वृक्षों के रोपण के लिए आ जुटते हैं। अब तो वन विभाग भी उनके इस काम में सहयोग प्रदान करने लगा है। सन् 1984-85 से शुरू हुआ वृक्षारोपण अभियान आज भी उसी जोशोखरोश के साथ जारी है, जैसा शुरूआती दौर में था। आनन्द होटल के सामने की बंजर भूमि, बजेटी वरदानी देवी मंदिर स्थल, ध्वज मंदिर परिसर हो या फिर इको टास्क फोर्स के साथ मिलकर कासनी की बंजर भूमि में वृक्षों का रोपण, यह अभियान हर साल पूरी स्फूर्ति के साथ जारी है। आर्मी पब्लिक स्कूल कैम्पस, पीडब्ल्यू डी गेस्ट हाउस का तिराहा, टकाना तिराहा, एफसीआई गोदाम रोड, मोस्टामानू मंदिर, पशुपति नाथ मंदिर, गैस गोदाम मंदिर, पीडब्ल्यूडी की बंजर भूमि, हाइडिल गेट, उल्का देवी मंदिर व सांसद निधि के सहयोग से कामाख्या देवी मंदिर, जीआईसी स्कूल, पपदेव के पास की बंजर भूमि, भाटकोट में डीएम निवास के पास की जगह यानी शहर का कोई ऐसा खाली या बंजर हिस्सा नहीं, जहाँ उनकी टीम ने वृक्षारोपण न किया हो। कापड़ी इसे स्वतःस्फूर्त अभियान बताते हैं। वह कहते हैं कि यही वजह है कि लोग इससे जुड़ते जा रहे हैं। बचपन से ही मुझे पेड़-पौधों से लगाव था। पर्यावरण के प्रति मेरी संवेदना ही मुझे इस तरह के कार्यक्रम को करने के लिए प्रेरित करती है। आज हम जिन भी जगहों में वृक्षारोपण कर रहे हैं, वहाँ लोगों के मिले-जुले प्रयासों से ही यह अभियान सफल व लोकप्रिय हो रहा है।
यज्ञ समिति के अध्यक्ष व समाजसेवी भुवन पांडेय, जो इस अभियान में निरंतर सहयोगी हैं, का कहना है कि नगर जिस तरह से विकसित हो रहा है, उसे देखते हुए इस तरह के अभियान की सख्त जरूरत है। अब इस घाटी को हरा-भरा बनाने में एक नहीं कई हाथ जुट रहे हैं। जहाँ हर वर्ष पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण बचाने की कोरी बयानबाजी की जाती रही है, वहाँ यह पहल वाकई प्रशंसा के योग्य तो है ही।
यह उनकी जीवट व जिजीविषा का ही परिणाम है कि वह अब तक नगर के विभिन्न हिस्सों में देवदार, बाँज, सुरई, शिलिंग, उतीस सहित कई प्रजातियों के 15 हजार से ऊपर पौधे रोपित कर चुके हैं। हरी भरी सोर घाटी के उनके अभियान में नगर के लोगों की बढ़ती हिस्सेदारी बताती है कि कितने पवित्र संकल्प के साथ वह अपने इस अभियान में जुटे हुए हैं। विभिन्न पर्वों व अवसरों के साथ ही हर रविवार को वह नगर के विभिन्न हिस्सों में वृक्षों के रोपण के लिए आ जुटते हैं। अब तो वन विभाग भी उनके इस काम में सहयोग प्रदान करने लगा है। सन् 1984-85 से शुरू हुआ वृक्षारोपण अभियान आज भी उसी जोशोखरोश के साथ जारी है, जैसा शुरूआती दौर में था। आनन्द होटल के सामने की बंजर भूमि, बजेटी वरदानी देवी मंदिर स्थल, ध्वज मंदिर परिसर हो या फिर इको टास्क फोर्स के साथ मिलकर कासनी की बंजर भूमि में वृक्षों का रोपण, यह अभियान हर साल पूरी स्फूर्ति के साथ जारी है। आर्मी पब्लिक स्कूल कैम्पस, पीडब्ल्यू डी गेस्ट हाउस का तिराहा, टकाना तिराहा, एफसीआई गोदाम रोड, मोस्टामानू मंदिर, पशुपति नाथ मंदिर, गैस गोदाम मंदिर, पीडब्ल्यूडी की बंजर भूमि, हाइडिल गेट, उल्का देवी मंदिर व सांसद निधि के सहयोग से कामाख्या देवी मंदिर, जीआईसी स्कूल, पपदेव के पास की बंजर भूमि, भाटकोट में डीएम निवास के पास की जगह यानी शहर का कोई ऐसा खाली या बंजर हिस्सा नहीं, जहाँ उनकी टीम ने वृक्षारोपण न किया हो। कापड़ी इसे स्वतःस्फूर्त अभियान बताते हैं। वह कहते हैं कि यही वजह है कि लोग इससे जुड़ते जा रहे हैं। बचपन से ही मुझे पेड़-पौधों से लगाव था। पर्यावरण के प्रति मेरी संवेदना ही मुझे इस तरह के कार्यक्रम को करने के लिए प्रेरित करती है। आज हम जिन भी जगहों में वृक्षारोपण कर रहे हैं, वहाँ लोगों के मिले-जुले प्रयासों से ही यह अभियान सफल व लोकप्रिय हो रहा है।
यज्ञ समिति के अध्यक्ष व समाजसेवी भुवन पांडेय, जो इस अभियान में निरंतर सहयोगी हैं, का कहना है कि नगर जिस तरह से विकसित हो रहा है, उसे देखते हुए इस तरह के अभियान की सख्त जरूरत है। अब इस घाटी को हरा-भरा बनाने में एक नहीं कई हाथ जुट रहे हैं। जहाँ हर वर्ष पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण बचाने की कोरी बयानबाजी की जाती रही है, वहाँ यह पहल वाकई प्रशंसा के योग्य तो है ही।