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नवोदय टाइम्स, 28 मई, 2016
आजकल अच्छे से डिजाइन किये रूफटॉप स्पेस (छत) किसी भी आवासीय इमारत में रहने वालों के लिये कुछ अच्छा वक्त गुजारने के लिये उत्तम साबित हो रहे हैं। इसके साथ ही यह डिवैल्परों के लिये भी आय बढ़ाने का अच्छा साधन हो सकते हैं।
इन दिनों आर्कीटैक्ट केवल जमीन पर ही नहीं, आवासीय परियोजनाओं की बहुमंजिला इमारतों के रूफटॉप पर भी कई तरह की ऐसी सुविधाओं का इन्तजाम करने लगे हैं जो पहले केवल जमीन पर ही उपलब्ध होती थीं। निवासी भी इमारतों के ऊपर से दिखने वाले शानदार नजारों के बीच इन सुविधाओं का लाभ उठाना पसन्द करते हैं।
यही वजह है कि आजकल छत पर स्विमिंग पूल तथा बगीचों का इन्तजाम किया जा रहा है। हालांकि रूफटॉप डिजाइनिंग की सबसे बड़ी चुनौती है कि रूफटॉप स्पेस को पूरी इमारत की डिजाइन के साथ मेल खाना चाहिए। तभी यह एक सच्चा सामुदायिक स्थल बन सकता है।
सुरक्षा के नजरिए से भी ध्यान रखना आवश्यक है। किसी भी तरह का डिजाइन करने से पहले छत का सर्वे आवश्यक है ताकि वहाँ किसी भी तरह की समस्या का पहले ही पता लगाया जा सके। इन समस्याओं में लीकेज या छत के किसी हिस्से में दरार या टूट-फूट शामिल हो सकती है। ऐसी किसी समस्या का पता लगने के बाद सबसे पहले वहाँ पर मरम्मत करनी चाहिए। साथी ही वहाँ किसी भी तरह के नए निर्माण से पहले उसकी संरचनात्मक मजबूती का विश्लेषण भी आवश्यक है।
छत पर उपलब्ध करवाई जा सकने वाली सुविधाओं में रूफटॉप गार्डन, स्वीमिंग पूल, इन्फीनिटी पूल, हैल्थ क्लब्स आदि हैं। सुरक्षा की दृष्टि से ऐसी किसी भी डिजाइनिंग में विशेष ध्यान रखना चाहिए। छत पर मजबूत रेलिंग, पैरापिट वॉल्स, डैकोरेटिव ग्लास रेलिंग और जहाँ भी जरूरी हो फैंसिंग प्रदान की जानी चाहिए। वहाँ फर्श में लगी टाइल्स भी फिसलन रोधी होनी चाहिए। बच्चों के खेलने के लिये बने हिस्से में रबेराइज्ड टाइल्स का प्रयोग किया जा सकता है। छत से किसी तरह की लीकेज रोकने के लिये अच्छी तरह से वाटरप्रूफिंग भी आवश्यक है।
आरसीसी डिजाइन इस तरह का हो कि वह छत पर प्रदान की जा रही अतिरिक्त सुविधाओं का बोझ उठा सके। लिफ्ट को भी टॉप फ्लोर तक जाने के लिये डिजाइन किया जाना चाहिए। ओवरहैड टैंक, लिफ्ट मशीन रूम आदि स्थानों पर होने वाले देखरेख कार्यों को भी छत पर प्रदान की गई सुविधाओं में खलल नहीं डालना चाहिए। वहाँ पर उन सुविधाओं का इस्तेमाल करने वाले निवासियों की निजता का भी ध्यान रखना होगा। छत पर इन्फीलिटी पूल उपलब्ध करवाते समय निचले स्तर वाली स्लैब को इस तरह से बनाना चाहिए कि वह पूल की दीवार से कुछ ज्यादा बाहर की ओर निकली हो ताकि सुरक्षा को कोई खतरा न हो।
रूफटॉप डिजाइनिंग के साथ-साथ इमारतों को पर्यावरण हितैषी बनाने पर भी जो दिया जाना चाहिए। ग्रीन बिल्डिंग डिजाइन वाली इमारतों में ऊर्जा की काफी बचत होती है। वहाँ बिजली के अलावा पानी भी कम लगता है। इससे मानव स्वास्थ्य तथा पर्यावरण पर होने वाले बुरे असर बहुत कम हो जाते हैं।
1. बिजली की खपत तो कम होती है, कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन भी कम हो जाता है। जल संरक्षण में भी योगदान पड़ता है।
2. इलाके की जैव विविधता तथा पारिस्थितिकी संरक्षण के अलावा प्राकृतिक साधनों के संरक्षण में ऐसी इमारतें बेहद कारगर हैं।
3. इनकी ‘आप्रेटिंग कॉस्ट’ भी काफी कम होती है।
4. ग्रीन बिल्डिंग का डिजाइन ऐसा होता है कि कुदरती रोशनी अधिक-से-अधिक मिले तथा हवा की निकासी भी अच्छे से हो।
5. इनमें इस तरह का मैटीरियल इस्तेमाल होता है जो पर्यावरण हितैषी हो जैसे कि लकड़ी के पैनल और प्लांक, लैड फ्री पेंट, साऊंड प्रूफ ग्लास विंडोज।
6. ईमारतों में जहाँ भी सम्भव हो भीतर और बाहर पेड़-पौधे लगाने की कोशिश करनी चाहिए।
किसी भी इमारत के निर्माण में पर्यावरण हितैषी सामग्री का उपयोग हमें कई तरह से लाभ पहुँचाता है। चूँकि यह सामग्री रीसाइकिल्ड होती है, इससे औद्योगिक कचरा कम-से-कम पैदा होता है। यह हमारे कुदरती साधनों की सुरक्षा में भी मदद करती है।
ऐसी सामग्री में रसायनों का न होना इमारत के भीतर हवा की गुणवत्ता को बढ़ा देता है। इस तरह की सामग्री कीटाणुओं और बीमारी फैलाने वाले जीवाणुओं की प्रतिरोधक भी होती है। इससे इमारत के भीतर हवा स्वास्थ्यवर्धक बनी रहती है। चूँकि इस सामग्री पर कई तरह के कीटाणुओं, कीटों आदि का असर नहीं होता इसलिये इनकी अपनी मरम्मत भी कम-से-कम करनी पड़ती है जिससे लम्बे समय के दौरान धन की बचत भी काफी हो जाती है। जिस भी ग्रीन बिल्डिंग की छत पर पेड़-पौधे लगाए गए हों वे इलाके की हवा को साफ करने में भी मदद करते हैं और इमारत के भीतर की हवा तथा वहाँ रहने वालों का स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है।
इन दिनों आर्कीटैक्ट केवल जमीन पर ही नहीं, आवासीय परियोजनाओं की बहुमंजिला इमारतों के रूफटॉप पर भी कई तरह की ऐसी सुविधाओं का इन्तजाम करने लगे हैं जो पहले केवल जमीन पर ही उपलब्ध होती थीं। निवासी भी इमारतों के ऊपर से दिखने वाले शानदार नजारों के बीच इन सुविधाओं का लाभ उठाना पसन्द करते हैं।
यही वजह है कि आजकल छत पर स्विमिंग पूल तथा बगीचों का इन्तजाम किया जा रहा है। हालांकि रूफटॉप डिजाइनिंग की सबसे बड़ी चुनौती है कि रूफटॉप स्पेस को पूरी इमारत की डिजाइन के साथ मेल खाना चाहिए। तभी यह एक सच्चा सामुदायिक स्थल बन सकता है।
सुरक्षा के नजरिए से भी ध्यान रखना आवश्यक है। किसी भी तरह का डिजाइन करने से पहले छत का सर्वे आवश्यक है ताकि वहाँ किसी भी तरह की समस्या का पहले ही पता लगाया जा सके। इन समस्याओं में लीकेज या छत के किसी हिस्से में दरार या टूट-फूट शामिल हो सकती है। ऐसी किसी समस्या का पता लगने के बाद सबसे पहले वहाँ पर मरम्मत करनी चाहिए। साथी ही वहाँ किसी भी तरह के नए निर्माण से पहले उसकी संरचनात्मक मजबूती का विश्लेषण भी आवश्यक है।
सुविधाएँ
छत पर उपलब्ध करवाई जा सकने वाली सुविधाओं में रूफटॉप गार्डन, स्वीमिंग पूल, इन्फीनिटी पूल, हैल्थ क्लब्स आदि हैं। सुरक्षा की दृष्टि से ऐसी किसी भी डिजाइनिंग में विशेष ध्यान रखना चाहिए। छत पर मजबूत रेलिंग, पैरापिट वॉल्स, डैकोरेटिव ग्लास रेलिंग और जहाँ भी जरूरी हो फैंसिंग प्रदान की जानी चाहिए। वहाँ फर्श में लगी टाइल्स भी फिसलन रोधी होनी चाहिए। बच्चों के खेलने के लिये बने हिस्से में रबेराइज्ड टाइल्स का प्रयोग किया जा सकता है। छत से किसी तरह की लीकेज रोकने के लिये अच्छी तरह से वाटरप्रूफिंग भी आवश्यक है।
ध्यान में रखने वाली बातें
आरसीसी डिजाइन इस तरह का हो कि वह छत पर प्रदान की जा रही अतिरिक्त सुविधाओं का बोझ उठा सके। लिफ्ट को भी टॉप फ्लोर तक जाने के लिये डिजाइन किया जाना चाहिए। ओवरहैड टैंक, लिफ्ट मशीन रूम आदि स्थानों पर होने वाले देखरेख कार्यों को भी छत पर प्रदान की गई सुविधाओं में खलल नहीं डालना चाहिए। वहाँ पर उन सुविधाओं का इस्तेमाल करने वाले निवासियों की निजता का भी ध्यान रखना होगा। छत पर इन्फीलिटी पूल उपलब्ध करवाते समय निचले स्तर वाली स्लैब को इस तरह से बनाना चाहिए कि वह पूल की दीवार से कुछ ज्यादा बाहर की ओर निकली हो ताकि सुरक्षा को कोई खतरा न हो।
ग्रीन बिल्डिंग डिजाइन
रूफटॉप डिजाइनिंग के साथ-साथ इमारतों को पर्यावरण हितैषी बनाने पर भी जो दिया जाना चाहिए। ग्रीन बिल्डिंग डिजाइन वाली इमारतों में ऊर्जा की काफी बचत होती है। वहाँ बिजली के अलावा पानी भी कम लगता है। इससे मानव स्वास्थ्य तथा पर्यावरण पर होने वाले बुरे असर बहुत कम हो जाते हैं।
ग्रीन बिल्डिंग्स के लाभ
1. बिजली की खपत तो कम होती है, कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन भी कम हो जाता है। जल संरक्षण में भी योगदान पड़ता है।
2. इलाके की जैव विविधता तथा पारिस्थितिकी संरक्षण के अलावा प्राकृतिक साधनों के संरक्षण में ऐसी इमारतें बेहद कारगर हैं।
3. इनकी ‘आप्रेटिंग कॉस्ट’ भी काफी कम होती है।
4. ग्रीन बिल्डिंग का डिजाइन ऐसा होता है कि कुदरती रोशनी अधिक-से-अधिक मिले तथा हवा की निकासी भी अच्छे से हो।
5. इनमें इस तरह का मैटीरियल इस्तेमाल होता है जो पर्यावरण हितैषी हो जैसे कि लकड़ी के पैनल और प्लांक, लैड फ्री पेंट, साऊंड प्रूफ ग्लास विंडोज।
6. ईमारतों में जहाँ भी सम्भव हो भीतर और बाहर पेड़-पौधे लगाने की कोशिश करनी चाहिए।
पर्यावरण हितैषी सामग्री का उपयोग
किसी भी इमारत के निर्माण में पर्यावरण हितैषी सामग्री का उपयोग हमें कई तरह से लाभ पहुँचाता है। चूँकि यह सामग्री रीसाइकिल्ड होती है, इससे औद्योगिक कचरा कम-से-कम पैदा होता है। यह हमारे कुदरती साधनों की सुरक्षा में भी मदद करती है।
ऐसी सामग्री में रसायनों का न होना इमारत के भीतर हवा की गुणवत्ता को बढ़ा देता है। इस तरह की सामग्री कीटाणुओं और बीमारी फैलाने वाले जीवाणुओं की प्रतिरोधक भी होती है। इससे इमारत के भीतर हवा स्वास्थ्यवर्धक बनी रहती है। चूँकि इस सामग्री पर कई तरह के कीटाणुओं, कीटों आदि का असर नहीं होता इसलिये इनकी अपनी मरम्मत भी कम-से-कम करनी पड़ती है जिससे लम्बे समय के दौरान धन की बचत भी काफी हो जाती है। जिस भी ग्रीन बिल्डिंग की छत पर पेड़-पौधे लगाए गए हों वे इलाके की हवा को साफ करने में भी मदद करते हैं और इमारत के भीतर की हवा तथा वहाँ रहने वालों का स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है।