पुनर्युवनः
अपरदन (erosion) की दशाओं में परिवर्तन जिससे सरिता और भी प्रबल रूप से अपरदन करना आरंभ कर देती है और इस प्रकार वह स्थलाकृति (topography) में तरुण लक्षणों को विकसित करने में समर्थ हो जाती है।
अन्य स्रोतों से
वह प्रक्रम जिसके द्वारा अपरदन क्रिया (विशेषतः नदी द्वारा) नए सिरे से होने लगती है। ऐसा तभी सम्भव होता जबकि –
(i) समुद्र के तल में गिरावट हो, तथा
(ii) स्थानीय हलचलों के कारण भू-उत्थान हो।
(i) समुद्र के तल में गिरावट हो, तथा
(ii) स्थानीय हलचलों के कारण भू-उत्थान हो।