ऋतु या मौसम परिवर्तन (Change of seasons)

Submitted by Hindi on Sat, 04/23/2011 - 13:52
क्रांतिवृत्तीय तल के साथ पृथ्वी के अक्षीय झुकाव तथा पृथ्वी की वार्षिक गति (अपनी कक्षा मंे सूर्य का परिक्रमण) के कारण भूमध्य रेखा के संदर्भ में सूर्य की स्थितियाँ (उत्तरायण और दक्षिणायन) बदलती रहती हैं जिससे विभिन्न क्षेत्रों में प्राप्त होने वाली सूर्यातप की मात्रा घटती-बढ़ती रहती है जिससे जलवायु दशाओं में अन्तर आता है। इस प्रकार एक वर्ष में कई ऋतुएं होती हैं जो पृथ्वी की वार्षिक गति के साथ बदलती रहती हैं। इसे ऋतु परिवर्तन या मौसम परिवर्तन कहते हैं।

21 मार्च (बसंत विषुव) को सूर्य भूमध्य रेखा पर लम्बवत चमकता है और सम्पूर्ण विश्व में रात-दिन बराबर होते हैं। इस समय उत्तरी गोलार्द्ध में बसंत ऋतु होती है। इसके पश्चात् सूर्य उत्तरायण हो जाता है और 21 जून (ग्रीष्म संक्रांति) को कर्क रेखा पर लम्बवत होता है। इस समय उत्तरी गोलार्द्ध में अधिकतम सूर्यातप मिलता है और ग्रीष्म ऋतु होती है। इसके विपरीत दक्षिणी गोलार्द्ध में अल्पतम सूर्यातप प्राप्त होने के कारण शीत ऋतु होती है। इसके पश्चात् सूर्य की स्थिति पुनः दक्षिण की ओर होने लगती है और 23 सितम्बर (शरद विषुव) को पुनः सूर्य भूमध्य रेखा पर लम्बवत् होता है और सर्वत्र दिन-रात बराबर होते हैं। इस समय उत्तरी गोलार्द्ध में पतझड़ ऋतु होती है। सितम्बर से सूर्य दक्षिणायन होने लगता है और 22 दिसम्बर (शीत संक्रांति) को मकर रेखा पर लम्बवत् होता है। इस समय उत्तरी गोलार्द्ध में अल्पतम सूर्यातप प्राप्त होता है और यहाँ शीत ऋतु होती है जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में अधिकतम सूर्यातप की प्राप्ति के कारण ग्रीष्म ऋतु होती है। इस प्रकार उत्तरी गोलार्द्ध और दक्षिणी गोलार्द्ध में विपरीत ऋतुएं पायी जाती हैं।

अन्य स्रोतों से




वेबस्टर शब्दकोश ( Meaning With Webster's Online Dictionary )
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