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दैनिक भास्कर, दिल्ली संस्करण, 2 अक्टूबर 2014
सीबीएसई के चेयरमैन विनीत जोशी ने कहा कि हमें स्कूलिंग से ही छात्रों को साफ-सफाई के प्रति जागरूक करने की जरूरत है, जिससे वह उत्तम, साफ हाईजेनिक रहन-सहन के मूल्यों का महत्व समझें।केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने स्वच्छ भारत अभियान में हर स्कूल को शामिल होने को कहा है। साथ ही स्कूलों को कक्षाओं, पुस्तकालयों, प्रयोगशालाओं, सभागारों, खेल के मैदानों में सफाई करनी होगी। इसके अलावा स्कूलों को निर्देश है कि वह महात्मा गांधी की चर्चाओं में सफाई और स्वच्छता से संबंधित उनके विचारों से छात्रों को अवगत कराएं। सफाई अभियान 31 अक्टूबर तक चलेगा। इस बीच में स्कूलों को अपने यहां विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन करने को भी कहा है।
स्कूल अपनी स्वच्छता स्टेटस रिपोर्ट स्कूल सैनिटेशन डॉट कॉम पर अपडेट करें। स्कूलों को उनकी सैनिटेशन रेटिंग के मुताबिक सम्मानित किया जाएगा और जो स्कूल ज्यादा ग्रीन रेटिंग के साथ सबसे ज्यादा स्कोर करेगा उसे एक लाख रुपए का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। सीबीएसई के चेयरमैन विनीत जोशी ने कहा कि हमें स्कूलिंग से ही छात्रों को साफ-सफाई के प्रति जागरूक करने की जरूरत है, जिससे वें उत्तम, साफ हाईजेनिक रहन-सहन के मूल्यों का महत्व समझें। सैनिटेशन रेटिंग 31 अक्टूबर के बाद भी जारी रहेगी। यह रेटिंग 15 अगस्त 2015 तक चलेगी। इस दौरान फिल्में दिखाई जाएंगी, मॉडल बनाने, निबंध और पेंटिंग प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। इसके अलावा 2 अक्टूबर से कुछ प्रविष्टियों को एक्सप्रेशन सीरिज में शामिल भी किया जाएगा।
मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने 'स्वच्छ भारत - स्वच्छ विद्यालय' पर बुधवार को एक पुस्तिका का विमोचन किया, जिसमें कई राज्यों में स्कूल परिसरों को साफ-सुथरा रखने के लिए व्यवहार में लाई जा रही अच्छी आदतों का उल्लेख किया गया है। इस पुस्तिका में बच्चों को ऐसे उदाहरणों को अपने स्कूलों में अमल करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। इसमें बताया गया है कि किस तरह से स्कूलों, पेयजल के स्थानों, शौचालय और क्लासरूम तथा परिसरों को साफ-सुथरा रखा जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज स्वच्छ भारत मिशन का शुभारंभ करेंगे और स्वच्छ विद्यालय इसका एक हिस्सा है। इस मौके पर सीबीएसई महात्मा गांधी पर एक विचार श्रृंखला शुरू कर रहा है जिनकी लोकप्रिय उक्ति है 'ईश्वर की पूजा के अलावा साफ-सफाई भी जीवन में बहुत जरूरी है।'
एसके गुप्ता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान से दिल्ली के लोगों पर क्या असर पड़ेगा? क्या वह दिल्ली की सड़कों पर थूकना और सड़क किनारे खड़े होकर शौच करना छोड़ देंगे? क्या वाकई लोग पानी या कोल्डड्रिंक की खाली बोतल, चिप्स का खाली पैकेट, सर्दियों में मूंगफली खाते समय बसों और सड़कों पर छिलके फेंकने बंद कर देंगे?
दिल्ली में रोजाना कितना कूड़ा निकलता है और स्वच्छ भारत अभियान के दौरान इसमें कितनी वृद्धि होगी? इन सब पर डीयू एंथ्रोपोलॉजी के छात्र अध्ययन करेंगे। डीयू में एंथ्रोपोलॉजी के पूर्व विभाग और वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. पीसी जोशी बताते हैं कि इससे पहले भी विभाग दिल्ली के लोगों द्वारा सड़कों पर गंदगी फैलाने और मेट्रो ट्रेन में साफ-सफाई का ध्यान रखने पर अध्ययन कर चुका है। डॉ. जोशी बताते हैं कि इस बार का शोध प्रोजेक्ट इसलिए महत्वपूर्ण होगा कि स्वच्छता अभियान पूरे देश में हो रहा है। इस अभियान के दौरान और बाद में यह देखा जाएगा कि लोगों में सिविक सेंस कितना विकसित हुआ। अक्सर देखने में आता है कि लोग पान खाकर किसी भवन के कोने में पीक मारते हैं, चाहे उस कोने को कितनी भी बार रंगवा पुतवाकर साफ कर लो और कितने ही दिशा-निर्देश कोने में पीक थूकने की मनाही वाले लगा दो, लेकिन जो लोग इसे अपनी आदत में शुमार कर चुके हैं, वह अपने को रोक नहीं पाते।
दिल्ली में कई सड़कें ऐसी हैं, जहां लोग खुले में शौच करते नजर आते हैं। जबकि सरकार और एजेंसियों की ओर से शौचालय बनाए गए हैं, उन्हें वहां जाना चाहिए। नगर निगम की ओर से तो बाकायदा थू-थू कुमार और सू-सू कुमार बने..., इस दिशा में पोस्टर भी जारी किए गए हैं। मानव व्यवहार में स्वच्छता अभियान के अलावा प्रशासनिक वर्ग इसे लेकर कितना सक्रिय है। उस दिशा में भी रिसर्च कराया जाएगा। इसमें देखा जाएगा कि दिल्ली में रोज कितना कूड़ा उठाया जाता है और स्वच्छता अभियान के दौरान प्रतिदिन कितना कूड़ा उठा? दिल्ली को साफ सुथरा रखने मौजूदा कर्मचारियों और ट्रकों की संख्या क्या पर्याप्त है? अगर नहीं तो कितनी। इसमें कितने फीसदी की वृद्धि होनी चाहिए। इसके अलावा दिल्ली में जो लैंडफिल हैं वह भर चुकी हैं। ऐसे में स्वच्छता अभियान के तहत जो कूड़ा उठाया जा रहा है, वह कहां जा रहा है?
स्कूल अपनी स्वच्छता स्टेटस रिपोर्ट स्कूल सैनिटेशन डॉट कॉम पर अपडेट करें। स्कूलों को उनकी सैनिटेशन रेटिंग के मुताबिक सम्मानित किया जाएगा और जो स्कूल ज्यादा ग्रीन रेटिंग के साथ सबसे ज्यादा स्कोर करेगा उसे एक लाख रुपए का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। सीबीएसई के चेयरमैन विनीत जोशी ने कहा कि हमें स्कूलिंग से ही छात्रों को साफ-सफाई के प्रति जागरूक करने की जरूरत है, जिससे वें उत्तम, साफ हाईजेनिक रहन-सहन के मूल्यों का महत्व समझें। सैनिटेशन रेटिंग 31 अक्टूबर के बाद भी जारी रहेगी। यह रेटिंग 15 अगस्त 2015 तक चलेगी। इस दौरान फिल्में दिखाई जाएंगी, मॉडल बनाने, निबंध और पेंटिंग प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। इसके अलावा 2 अक्टूबर से कुछ प्रविष्टियों को एक्सप्रेशन सीरिज में शामिल भी किया जाएगा।
ईरानी ने 'स्वच्छ विद्यालय' अभियान पर पुस्तिका का विमोचन किया
मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने 'स्वच्छ भारत - स्वच्छ विद्यालय' पर बुधवार को एक पुस्तिका का विमोचन किया, जिसमें कई राज्यों में स्कूल परिसरों को साफ-सुथरा रखने के लिए व्यवहार में लाई जा रही अच्छी आदतों का उल्लेख किया गया है। इस पुस्तिका में बच्चों को ऐसे उदाहरणों को अपने स्कूलों में अमल करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। इसमें बताया गया है कि किस तरह से स्कूलों, पेयजल के स्थानों, शौचालय और क्लासरूम तथा परिसरों को साफ-सुथरा रखा जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज स्वच्छ भारत मिशन का शुभारंभ करेंगे और स्वच्छ विद्यालय इसका एक हिस्सा है। इस मौके पर सीबीएसई महात्मा गांधी पर एक विचार श्रृंखला शुरू कर रहा है जिनकी लोकप्रिय उक्ति है 'ईश्वर की पूजा के अलावा साफ-सफाई भी जीवन में बहुत जरूरी है।'
स्वच्छता अभियान पर शोध करेंगे डीयू के छात्र
एसके गुप्ता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान से दिल्ली के लोगों पर क्या असर पड़ेगा? क्या वह दिल्ली की सड़कों पर थूकना और सड़क किनारे खड़े होकर शौच करना छोड़ देंगे? क्या वाकई लोग पानी या कोल्डड्रिंक की खाली बोतल, चिप्स का खाली पैकेट, सर्दियों में मूंगफली खाते समय बसों और सड़कों पर छिलके फेंकने बंद कर देंगे?
दिल्ली में रोजाना कितना कूड़ा निकलता है और स्वच्छ भारत अभियान के दौरान इसमें कितनी वृद्धि होगी? इन सब पर डीयू एंथ्रोपोलॉजी के छात्र अध्ययन करेंगे। डीयू में एंथ्रोपोलॉजी के पूर्व विभाग और वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. पीसी जोशी बताते हैं कि इससे पहले भी विभाग दिल्ली के लोगों द्वारा सड़कों पर गंदगी फैलाने और मेट्रो ट्रेन में साफ-सफाई का ध्यान रखने पर अध्ययन कर चुका है। डॉ. जोशी बताते हैं कि इस बार का शोध प्रोजेक्ट इसलिए महत्वपूर्ण होगा कि स्वच्छता अभियान पूरे देश में हो रहा है। इस अभियान के दौरान और बाद में यह देखा जाएगा कि लोगों में सिविक सेंस कितना विकसित हुआ। अक्सर देखने में आता है कि लोग पान खाकर किसी भवन के कोने में पीक मारते हैं, चाहे उस कोने को कितनी भी बार रंगवा पुतवाकर साफ कर लो और कितने ही दिशा-निर्देश कोने में पीक थूकने की मनाही वाले लगा दो, लेकिन जो लोग इसे अपनी आदत में शुमार कर चुके हैं, वह अपने को रोक नहीं पाते।
दिल्ली में कई सड़कें ऐसी हैं, जहां लोग खुले में शौच करते नजर आते हैं। जबकि सरकार और एजेंसियों की ओर से शौचालय बनाए गए हैं, उन्हें वहां जाना चाहिए। नगर निगम की ओर से तो बाकायदा थू-थू कुमार और सू-सू कुमार बने..., इस दिशा में पोस्टर भी जारी किए गए हैं। मानव व्यवहार में स्वच्छता अभियान के अलावा प्रशासनिक वर्ग इसे लेकर कितना सक्रिय है। उस दिशा में भी रिसर्च कराया जाएगा। इसमें देखा जाएगा कि दिल्ली में रोज कितना कूड़ा उठाया जाता है और स्वच्छता अभियान के दौरान प्रतिदिन कितना कूड़ा उठा? दिल्ली को साफ सुथरा रखने मौजूदा कर्मचारियों और ट्रकों की संख्या क्या पर्याप्त है? अगर नहीं तो कितनी। इसमें कितने फीसदी की वृद्धि होनी चाहिए। इसके अलावा दिल्ली में जो लैंडफिल हैं वह भर चुकी हैं। ऐसे में स्वच्छता अभियान के तहत जो कूड़ा उठाया जा रहा है, वह कहां जा रहा है?