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डेली न्यूज एक्टिविस्ट, 11 अक्टूबर 2014
कैंसर से बचाव के लिए प्राकृतिक जीवन यापन होना चाहिए और स्वच्छता अपरिहार्य है। निश्चित ही शौचालय के प्रयोग से समाज में स्वच्छता को बढ़ावा मिलता है और महिलाओं के स्वास्थ्य पर यह दूरगामी असर डालेगा।भारत में महिलाओं में होने वाले कैंसरों में गर्भाशय का कैंसर प्रमुख है। कैंसर विशेषज्ञों का मानना है कि स्कूलों में शौचालय के प्रयोग से इस पर दूरगामी असर होगा क्योंकि स्वच्छता की वजह से लड़कियों को आगे जा कर गर्भाशय का कैंसर होने की आशंका कम होगी।
दिल्ली के धर्मशिला कैंसर अस्पताल के कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर राजीव कुमार बताते हैं कि टाटा मेमोरियल द्वारा किए गए एक अध्ययन में देखा गया है कि जिन स्थानों पर स्वच्छता का अर्थात साफ पानी और शौचालय का अच्छा प्रबंध था वहां महिलाओं में गर्भाशय के कैंसर की संभावना अन्य जगहों के मुकाबले कम पाई गई। गर्भाशय के कैंसर का जेनाइटल हाईजीन (जननांगों की स्वच्छता) से सीधा जुड़ाव है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंद्रह अगस्त को अपने भाषण में खुले में शौच के चलन को बंद करने और सभी स्कूलों में बालिकाओं के लिए शौचालय बनाए जाने पर विशेष जोर दिया था।
इस बारे में डॉक्टर राजीव का कहना कि स्कूलों में शौचालय के उपयोग से लड़कियों पर मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभाव पड़ेगा। यदि उन्हें स्कूल में शौचालय के इस्तेमाल की आदत होगी तो बड़े होने पर भी वे शौचालय के महत्व को समझेंगी और उसका प्रयोग करेंगी जो कहीं न कहीं उनके जेनाइटल हाईजीन के लिए महत्वपूर्ण होगा और उनमें गर्भाशय के कैंसर की आशंका कम होगी।
दूरगामी तौर पर शौचालय के उपयोग को बढ़ावा देना हर तरह से महिलाओं के लिए स्वास्थ्यप्रद होगा। महिलाओं में पाए जाने वाले कैंसर के अन्य प्रमुख प्रकार स्तन कैंसर के बारे में कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर निरंजन नायक ने कहा कि उत्तर भारत में महिलाओं में पाया जाने वाला यह सबसे आम कैंसर है। गर्भाशय का कैंसर उत्तर की अपेक्षा दक्षिण भारत में अधिक पाया जाता है। महिलाओं को स्तन कैंसर से बचाव के लिए वह मासिक स्तन स्वपरीक्षण करने की सलाह देते हुए कहते हैं कि जिन महिलाओं ने गर्भधारण नहीं किया होता है या जिन्होंने कभी स्तनपान नहीं कराया होता है उनमें स्तन के कैंसर की संभावना ज्यादा होती है।
30 की उम्र के बाद की महिलाओं को मासिक धर्म के बाद 7वें दिन से 10वें दिन के बीच स्तन स्वपरीक्षण करना चाहिए और यदि कोई गांठ महसूस हो तो चिकित्सक से मिलकर जांच कराना बेहतर है। वहीं जिन महिलाओं की माहवारी की उम्र बीत जाती है उन्हें महीने के किसी भी एक दिन को ऐसे परीक्षण के लिए नियत कर लेना चाहिए।
किसी भी तरह के कैंसर से बचाव के लिए उन्होंने स्वच्छता पर विशेष बल दिया और अपने खानपान को बेहतर करने का सुझाव दिया। कैंसर से बचाव के लिए प्राकृतिक जीवन यापन होना चाहिए और स्वच्छता अपरिहार्य है। निश्चित ही शौचालय के प्रयोग से समाज में स्वच्छता को बढ़ावा मिलता है और महिलाओं के स्वास्थ्य पर यह दूरगामी असर डालेगा।
दिल्ली के धर्मशिला कैंसर अस्पताल के कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर राजीव कुमार बताते हैं कि टाटा मेमोरियल द्वारा किए गए एक अध्ययन में देखा गया है कि जिन स्थानों पर स्वच्छता का अर्थात साफ पानी और शौचालय का अच्छा प्रबंध था वहां महिलाओं में गर्भाशय के कैंसर की संभावना अन्य जगहों के मुकाबले कम पाई गई। गर्भाशय के कैंसर का जेनाइटल हाईजीन (जननांगों की स्वच्छता) से सीधा जुड़ाव है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंद्रह अगस्त को अपने भाषण में खुले में शौच के चलन को बंद करने और सभी स्कूलों में बालिकाओं के लिए शौचालय बनाए जाने पर विशेष जोर दिया था।
इस बारे में डॉक्टर राजीव का कहना कि स्कूलों में शौचालय के उपयोग से लड़कियों पर मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभाव पड़ेगा। यदि उन्हें स्कूल में शौचालय के इस्तेमाल की आदत होगी तो बड़े होने पर भी वे शौचालय के महत्व को समझेंगी और उसका प्रयोग करेंगी जो कहीं न कहीं उनके जेनाइटल हाईजीन के लिए महत्वपूर्ण होगा और उनमें गर्भाशय के कैंसर की आशंका कम होगी।
दूरगामी तौर पर शौचालय के उपयोग को बढ़ावा देना हर तरह से महिलाओं के लिए स्वास्थ्यप्रद होगा। महिलाओं में पाए जाने वाले कैंसर के अन्य प्रमुख प्रकार स्तन कैंसर के बारे में कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर निरंजन नायक ने कहा कि उत्तर भारत में महिलाओं में पाया जाने वाला यह सबसे आम कैंसर है। गर्भाशय का कैंसर उत्तर की अपेक्षा दक्षिण भारत में अधिक पाया जाता है। महिलाओं को स्तन कैंसर से बचाव के लिए वह मासिक स्तन स्वपरीक्षण करने की सलाह देते हुए कहते हैं कि जिन महिलाओं ने गर्भधारण नहीं किया होता है या जिन्होंने कभी स्तनपान नहीं कराया होता है उनमें स्तन के कैंसर की संभावना ज्यादा होती है।
30 की उम्र के बाद की महिलाओं को मासिक धर्म के बाद 7वें दिन से 10वें दिन के बीच स्तन स्वपरीक्षण करना चाहिए और यदि कोई गांठ महसूस हो तो चिकित्सक से मिलकर जांच कराना बेहतर है। वहीं जिन महिलाओं की माहवारी की उम्र बीत जाती है उन्हें महीने के किसी भी एक दिन को ऐसे परीक्षण के लिए नियत कर लेना चाहिए।
किसी भी तरह के कैंसर से बचाव के लिए उन्होंने स्वच्छता पर विशेष बल दिया और अपने खानपान को बेहतर करने का सुझाव दिया। कैंसर से बचाव के लिए प्राकृतिक जीवन यापन होना चाहिए और स्वच्छता अपरिहार्य है। निश्चित ही शौचालय के प्रयोग से समाज में स्वच्छता को बढ़ावा मिलता है और महिलाओं के स्वास्थ्य पर यह दूरगामी असर डालेगा।