शाम देर गए

Submitted by admin on Sat, 10/05/2013 - 15:07
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काव्य संचय- (कविता नदी)
शाम देर गए घर लौटना है
काम से
उसे, जंगल में पछिया गई चिड़िया को
और सुनसान के गले में पड़ी हँसुली-सी
ईब को।
कौन लौटता है : वह या ईब
या सिर्फ उसका घर
सरककर पास आ जाता है।

‘एक पतंग अनंत में’ में संकलित, 1983