वहीं से

Submitted by admin on Sat, 10/05/2013 - 15:05
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काव्य संचय- (कविता नदी)
वहीं से लौटना होगा घर
वहीं से फूटेगी ईब
वहीं से होगा एक शुभारंभ।
वहीं से
कारीगर गारे से भरेगा दरारें
वहीं से जलघास टटोलेगी अतल
वहीं से वह करेगी स्वीकार।

‘एक पतंग अनंत में’ में संकलित, 1983