शुभस्त्रवा

Submitted by admin on Sat, 10/05/2013 - 15:00
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काव्य संचय- (कविता नदी)
एक ठो नदी का नाम : शुभस्त्रवा। उल्लेख पुराण में। प्राचीन नदी : पता नहीं किस वन-प्रांतर में बहती है। कैसी वनराजि है, उसके तट पर : कौन-सी निर्झरणियाँ उसमें आकर लीन होती हैं। कहाँ है उसका उद्गम : कितना सूक्ष्म और लगभग अलक्षित। आरंभ में क्षीणतोया। धीरे-धीरे नदी का आकार लेती हुई। जल-भरी, जल वनस्पतियों-भरी, मछलियों-भरी। स्वरपूरित और रूपतरंग से उच्छल। बचपन की नदी : प्राचीनों के यहां युवा नदी। देवताओं से अस्पृश्य नदी। भूगोल से अछूती नदी। सिर्फ शब्द की नदी। शब्दसंचय से बनी नदी। पवित्र और उज्जवल के पास से बहती और लोप होती नदी। शुभस्त्रवा पर अनामिका नदी। देवशिशु की पोथी में थम गई नदी। असंभव, अंतः सलिला लुप्त नदी। शुभस्त्रवा में नदी : हर नदी में नदी। पुराणों में बहकर इन शब्दों तक आती नदी : शुभस्त्रवा।