शहर को प्रदूषण से बचाने की कवायद

Submitted by editorial on Sat, 06/09/2018 - 11:58
Source
अमर उजाला, 10 मई 2018

पर्यावरण एवंं वन मंत्रालय ने 1989 में पर्यावरण संरक्षण कानून 1986 के तहत दून घाटी में पर्यावरण को बचाने के लिये इको सेंसिटिव जोन की अधिसूचना जारी की थी। इस अधिसूचना के तहत दून घाटी में निर्माण, उद्योग, खनन और पर्यावरण पर असर डालने वाली गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिये कानूनी प्रावधान किये थे। इसके तहत इन तमाम गतिविधियों के लिये मंत्रालय की अनुमति की अनिवार्यता की गई है। राजधानी देहरादून को प्रदूषण से बचाने के लिये प्रदेश सरकार दून वैली की अधिसूचना में संशोधन करने की तैयारी मेें है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने प्रमुख सचिव उद्योग मनीषा पंवार की अध्यक्षता में एक सब कमेटी बनाने के निर्देश दिये हैं। सब कमेटी बदली परिस्थितियों के आधार पर अधिसूचना की समीक्षा करेगी और इसकी रिपोर्ट मुख्य सचिव को देगी।

आधिकारिक सूत्रों की मानें तो पिछले दिनों सचिव कमेटी की बैठक में देहरादून में बढ़ते प्रदूषण के मुद्दे पर गहन मंथन हुआ। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव सुबुद्धि ने देहरादून जिले में बढ़ते वायु प्रदूषण की समस्या पर एक प्रस्तुतीकरण दिया था। इसके माध्यम से उन्होंने समिति को बताया था कि देहरादून देश का 31वाँ सर्वाधिक प्रदूषित शहर माना गया है और शहर को प्रदूषण की समस्या से बचाने के लिये जल्द-से-जल्द उपाय करने होंगे। उन्होंने प्रदूषण के कारण और उनसे निपटने के सुझाव भी प्रस्तुत किये।

बताते हैं कि प्रमुख सचिव (खनन) आनन्द वर्द्धन ने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दून वैली के पर्यावरण संरक्षण के सम्बन्ध में जारी अधिसूचना की मौजूदा परिस्थितियों के सन्दर्भ में समीक्षा करने का सुझाव दिया। मुख्य सचिव ने उनके सुझाव पर एक सब कमेटी का गठन किया है। यह सब कमेटी दून वैली की अधिसूचना की समीक्षा करेगी और उसमें वर्तमान हालातों के हिसाब से संशोधन की सिफारिश करेगी।

देहारादून में प्रदूषण कैसे कम हो, पिछले सप्ताह इस विषय पर प्रारम्भिक चर्चा हुई थी। दून वैली अधिसूचना की नहीं, उन सभी अधिसूचनाओं की आज के सन्दर्भ समीक्षा की आवश्यकता है, जिनमें आज की प्रासंगिकता के आधार पर सुधार हो। ये एक सामान्य प्रक्रिया है।-उत्पल कुमार सिंह, मुख्य सचिव

प्रदूषण के बड़े कारण

1. वाहनों की संख्या बढ़कर 8.5 लाख हो गई।
2. निर्माण गतिविधियों का तेजी से विस्तार हो रहा है।
  3. ठोस अवशिष्टों का शहर में खुले स्थानों पर जलाना।
4. मार्गों पर धूल का जमना

समाधान के लिये सुझाव

1. पुराने वाहनों के रजिस्ट्रेशन पर रोक।
2. प्रदूषण करने वाले वाहनों पर शिकंजा कसा जाय।
3. राजधानी में इलेक्ट्रॉनिक वाहनों को बढ़ावा दिया जाय।
4. अवस्थापना निर्माण-कचरा प्रबनधन से जुड़े नियम सख्ती से लागू हों।

दून वैली अधिसूचना

पर्यावरण एवंं वन मंत्रालय ने 1989 में पर्यावरण संरक्षण कानून 1986 के तहत दून घाटी में पर्यावरण को बचाने के लिये इको सेंसिटिव जोन की अधिसूचना जारी की थी। इस अधिसूचना के तहत दून घाटी में निर्माण, उद्योग, खनन और पर्यावरण पर असर डालने वाली गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिये कानूनी प्रावधान किये थे। इसके तहत इन तमाम गतिविधियों के लिये मंत्रालय की अनुमति की अनिवार्यता की गई है। इस कानूनी व्यवस्था के बावजूद देहरादून के पर्यावरण में प्रदूषण की समस्या गम्भीर रूप लेती जा रही है।

दूसरे बड़े शहरों के प्रदूषण की रिपोर्ट भी तलब

मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने सदस्य सचिव प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सुबुद्धि से प्रदेश के सभी बड़े शहरों में बढ़ रहे प्रदूषण के सम्बन्ध में रिपोर्ट माँगी है। सरकार देहरादून के अलावा अन्य शहरों में बढ़ रहे प्रदूषण का हाल भी जानना चाहती है, ताकि इससे निपटने के लिये समग्र रूप में एक ठोस रणनीति बनाई जा सके।