उत्तरप्रदेश के प्रयागराज जिले के कोरांव तहसील के खपटिहा गांव में सैकड़ों वर्ष पुराना और प्राकृतिक नाला को लेकर ग्रामीणों और प्रशासन के बीच विवाद हो गया है। ग्रामीणों और सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने प्रशासन द्वारा नाले को जेसीबी और ट्रेक्टर से पटाने की कार्रवाई का विरोध किया है।लोगों के इस विरोध को देखते हुए प्रशासन को नाला पाटने का काम बंद करना पड़ा। इस 15 किलोमीटर लंबे नाले को लेकर सिंचाई विभाग के अफसर और ग्रामीण इस लिए विरोध कर रहे है क्योंकि इस नाले के बंद होने से दो दर्जन से अधिक गांवो को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
दरअसल,यह नाला खीरी रजवहे से शुरू होकर करीब दो दर्जन गांवों से होते हुए खपटिहा से चार किलोमीटर आगे लपरी नदी में जाकर मिलता है। इस नाले में दो दर्जन गांवों के बारिश का पानी बहता आ रहा है। अगर इस नाले को बंद कर दिया जाता है तो बरसात के दिनों में यहां से पानी के निकलने में दिक्कत होगी। जिसके कारण आसपास के इलाके के लोगों के सामने नई समस्या खड़ी हो सकती है। सिंचाई विभाग बाढ़ खंड के अधीक्षण अभियंता एसके सिंह ने कहा कि प्राकृतिक नाले के स्वरूप में छेड़छाड़ किया जाना नियम विरुद्ध है। ऐसा नहीं होना चाहिए ।
जिला प्रशासन के आदेश के बाद जब नाले को पाटा जाने लगा तो सहायक अभियंता इसके विरोध में ट्रेक्टर के सामने लेट गए।जिसके बाद इस घटना ने तूल पकड़ लिया और जिला प्रशासन के अफसरों ने अपने कदम पीछे कर लिए। वही ग्रामीणों का आरोप है कि नाले के दोनों तरफ की भूमि कुछ लोगाें ने खरीद ली है। और वह चाहते है कि नाले को पाटकर दोनों तरफ की भूमि को मिला लिया जाए। ताकि उनकी जमीनो के दाम बढ़ सके । जबकि यह नाला लंबे समय से वहीं पर बह रहा है।
जिला प्रशासन ने भी इस पर सफाई देते हुए कहा है कि नाले की फिर से खुदाई करा दी गई है। वहां पर 40 वर्ष पुरानी पुलिया है। इस देखते हुए फिर से जांच कराई जा रही है। एक-दो दिनों में रिपोर्ट आ जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। ग्रामीणों और सिचाई विभाग के अधिकारियों के इस विरोध के बाद प्रशासन ने कदम जरूर पीछे हट दिए है लेकिन अभी भी ग्रामीणों में प्रशासन की करवाई पर संशय बना हुआ है