द हंगर प्रोजेक्ट पंचायतीराज में महिलाओं की भूमिका पर सर्व श्रेष्ठ लेखन के लिए 2009 सरोजिनी नायडू पुरस्कार की घोषणा करता है। आपसे निवेदन है कि आपके क्षेत्र के पत्रकार बन्धुओं एवं अन्य मीडिया साथियों को उपरोक्त दी हुई जानकारी के बारे में अवगत करायें।
आज पंचायत की महिला जनप्रतिनिधियों द्वारा शासन के कामकाज में सक्रिय भूमिका निभाने के साथ ही पानी, शराब के व्यसन, शिक्षा, स्वास्थ्य, घेरलू हिंसा, जेण्डर असमानता व अन्याय जैसे उन मुद्दों के प्रति राज्य को संवेदनशील बना रही है। `खामोश क्रांति` को एक आवाज़ की जरूरत है( इन महिलाओं के संघर्षों तथा सफलताओं को घरों, नागरिक समाज समूहों, शहरी अभिजात्य वर्ग, पेशेवरों, शिक्षाविदों तथा नीति निर्माताओं के दिलो-दिमाग तक पहुंचाने के लिए एक व्यवस्थित प्रयास जरूरी है।
द हंगर प्रोजेक्ट इन महिला नेताओं के संघर्ष और सफलता की कहानियों को मीडिया के प्रमुखता से स्थान देने, उसे समर्थन व प्रोत्साहन देने के लिए प्रतिबद्ध है।
2- पंचायती राज में महिलाएं - सभी के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करना
सरोजिनी नायडू पुरस्कार के लिए विषय-आधारित लेखन को वर्ष 2007 में पहली बार घोषित किया गया। तो देश भर के पत्रकारों ने स्वागत किया। `द हंगर प्रोजेक्ट` को उपरोक्त विषय पर 1,300 से भी अधिक लेख प्राप्त हुए। इस समय शिक्षा और स्वास्थ्य देश में सर्वोच्च प्राथमिकताएं हैं और हमारे गांवों के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता। इसीलिए सरोजिनी नायडू पुरस्कार के लिए शिक्षा के विषय को अपना समर्थन जारी रखते हुए, वर्ष 2008 में एक नया विषय भी शुरू किया है: `पंचायती राज में महिलाएं - सभी के लिए स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करना।
बच्चों, वृद्धों तथा महिलाओं के लिए स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करने में महिलाएं एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं और अब वे राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के नियोजन, क्रियान्वयन व निगरानी में एक अहम भूमिका अदा कर रही हैं। यह मिशन गांवों में उपचारात्मक व रोग-निरोधक हस्तक्षेप सुनिश्चित करने का वाहक है। पेयजल, स्वच्छता, प्राथमिक शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल से जुड़ी विभिन्न विकास योजनाओं के माध्यम से इन पंचायत नेताओं ने अपना दायित्व वहन करना शुरू कर दिया है।
पुरस्कार
नकद पुरस्कार : हर श्रेणी के लिए दो लाख रूपये
इस पुरस्कार से हिंदी, अंग्रेजी व अन्य भारतीय भाषाओं में पंचायती राज और महिलाओं` पर उत्कृष्ट लेखन के लिए प्रिंट मीडिया के तीन पत्रकारों को सम्मानित किया जाता है। यह पुरस्कार मीडिया द्वारा महिला नेतृत्व को जनप्रिय बनाने, समाज में संवेदनशीलता बढ़ाने और जनमत बनाने में उसके द्वारा किए जा सकने वाले महत्वपूर्ण योगदान को समर्थन व मान्यता देने के लिए प्रदान किया जाता है। सरोजिनी नायडू पुरस्कार 2009 उक्त विषयों पर पंचायती राज में निर्वाचित महिला नेताओं की भूमिका पर केन्द्रित है।
प्रविष्टि के लिए अंतिम तिथि : 30 जुलाई 2009 प्रतिष्टियां द हंगर प्रोजेक्ट दिल्ली कार्यालय अथवा राज्य कार्यालयों में 15 जुलाई तक अवश्य पहुंच जानी चाहिए। इस तिथि के बाद प्राप्त हुए लेखों पर विचार नहीं किया जाएगा।
पात्रता मानदंड - प्रिंट मीडिया से जुड़े सभी पत्रकार आवेदन कर सकते हैं। क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशित लेखों को प्रोत्साहित किया जाता है। द हंगर प्रोजेक्ट या उसके साथी संगठन के कर्मी पुरस्कार के लिए आवेदन नहीं कर सकते।
प्रविष्टियों के साथ समाचार पत्रों या पत्रिकाओं में प्रकाशित लेखों की प्रतियां संलग्न करना अनिवार्य है। आवेदनों पर आवेदक का नाम, पता, ई-मेल तथा फोन नंबर अवश्य होने चाहिए।
• लेख पुरस्कार के लिए प्रस्तावित दो विषयों पर ही केन्द्रित होने चाहिए : पंचायती राज में महिलाएं - हर बच्चे के लिए शिक्षा को सुलभ बनाना
पंचायती राज में महिलाएं - सभी के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करना
• लेखों के लिए शब्द सीमा निर्धारित नहीं है।
• लेख 15 जुलाई 2008 से 30 जुलाई 2009 की अवधि में प्रकाशित होने चाहिए।
• आवेदनों के साथ कितने भी लेख भेजे जा सकते हैं।
आवेदन उपरोक्त मानदंडों के अनुरूप होने चाहिए, अन्यथा उन्हें अपात्र माना जाएगा। शिबानी शर्मा, स्टेट प्रोग्राम ऑफिसर, द हंगर प्रोजेक्ट, मोबाइल – 9425015292
आज पंचायत की महिला जनप्रतिनिधियों द्वारा शासन के कामकाज में सक्रिय भूमिका निभाने के साथ ही पानी, शराब के व्यसन, शिक्षा, स्वास्थ्य, घेरलू हिंसा, जेण्डर असमानता व अन्याय जैसे उन मुद्दों के प्रति राज्य को संवेदनशील बना रही है। `खामोश क्रांति` को एक आवाज़ की जरूरत है( इन महिलाओं के संघर्षों तथा सफलताओं को घरों, नागरिक समाज समूहों, शहरी अभिजात्य वर्ग, पेशेवरों, शिक्षाविदों तथा नीति निर्माताओं के दिलो-दिमाग तक पहुंचाने के लिए एक व्यवस्थित प्रयास जरूरी है।
द हंगर प्रोजेक्ट इन महिला नेताओं के संघर्ष और सफलता की कहानियों को मीडिया के प्रमुखता से स्थान देने, उसे समर्थन व प्रोत्साहन देने के लिए प्रतिबद्ध है।
सरोजिनी नायडू पुरस्कार 2009
यह पुरस्कार दो विषयों पर केन्द्रित लेखन के लिए है : 1- पंचायती राज में महिलाएं - हर बच्चे के लिए शिक्षा को सुलभ बनाना2- पंचायती राज में महिलाएं - सभी के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करना
सरोजिनी नायडू पुरस्कार के लिए विषय-आधारित लेखन को वर्ष 2007 में पहली बार घोषित किया गया। तो देश भर के पत्रकारों ने स्वागत किया। `द हंगर प्रोजेक्ट` को उपरोक्त विषय पर 1,300 से भी अधिक लेख प्राप्त हुए। इस समय शिक्षा और स्वास्थ्य देश में सर्वोच्च प्राथमिकताएं हैं और हमारे गांवों के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता। इसीलिए सरोजिनी नायडू पुरस्कार के लिए शिक्षा के विषय को अपना समर्थन जारी रखते हुए, वर्ष 2008 में एक नया विषय भी शुरू किया है: `पंचायती राज में महिलाएं - सभी के लिए स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करना।
बच्चों, वृद्धों तथा महिलाओं के लिए स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करने में महिलाएं एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं और अब वे राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के नियोजन, क्रियान्वयन व निगरानी में एक अहम भूमिका अदा कर रही हैं। यह मिशन गांवों में उपचारात्मक व रोग-निरोधक हस्तक्षेप सुनिश्चित करने का वाहक है। पेयजल, स्वच्छता, प्राथमिक शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल से जुड़ी विभिन्न विकास योजनाओं के माध्यम से इन पंचायत नेताओं ने अपना दायित्व वहन करना शुरू कर दिया है।
पुरस्कार
नकद पुरस्कार : हर श्रेणी के लिए दो लाख रूपये
इस पुरस्कार से हिंदी, अंग्रेजी व अन्य भारतीय भाषाओं में पंचायती राज और महिलाओं` पर उत्कृष्ट लेखन के लिए प्रिंट मीडिया के तीन पत्रकारों को सम्मानित किया जाता है। यह पुरस्कार मीडिया द्वारा महिला नेतृत्व को जनप्रिय बनाने, समाज में संवेदनशीलता बढ़ाने और जनमत बनाने में उसके द्वारा किए जा सकने वाले महत्वपूर्ण योगदान को समर्थन व मान्यता देने के लिए प्रदान किया जाता है। सरोजिनी नायडू पुरस्कार 2009 उक्त विषयों पर पंचायती राज में निर्वाचित महिला नेताओं की भूमिका पर केन्द्रित है।
प्रविष्टि के लिए अंतिम तिथि : 30 जुलाई 2009 प्रतिष्टियां द हंगर प्रोजेक्ट दिल्ली कार्यालय अथवा राज्य कार्यालयों में 15 जुलाई तक अवश्य पहुंच जानी चाहिए। इस तिथि के बाद प्राप्त हुए लेखों पर विचार नहीं किया जाएगा।
पात्रता मानदंड - प्रिंट मीडिया से जुड़े सभी पत्रकार आवेदन कर सकते हैं। क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशित लेखों को प्रोत्साहित किया जाता है। द हंगर प्रोजेक्ट या उसके साथी संगठन के कर्मी पुरस्कार के लिए आवेदन नहीं कर सकते।
प्रविष्टियों के साथ समाचार पत्रों या पत्रिकाओं में प्रकाशित लेखों की प्रतियां संलग्न करना अनिवार्य है। आवेदनों पर आवेदक का नाम, पता, ई-मेल तथा फोन नंबर अवश्य होने चाहिए।
• लेख पुरस्कार के लिए प्रस्तावित दो विषयों पर ही केन्द्रित होने चाहिए : पंचायती राज में महिलाएं - हर बच्चे के लिए शिक्षा को सुलभ बनाना
पंचायती राज में महिलाएं - सभी के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करना
• लेखों के लिए शब्द सीमा निर्धारित नहीं है।
• लेख 15 जुलाई 2008 से 30 जुलाई 2009 की अवधि में प्रकाशित होने चाहिए।
• आवेदनों के साथ कितने भी लेख भेजे जा सकते हैं।
आवेदन उपरोक्त मानदंडों के अनुरूप होने चाहिए, अन्यथा उन्हें अपात्र माना जाएगा। शिबानी शर्मा, स्टेट प्रोग्राम ऑफिसर, द हंगर प्रोजेक्ट, मोबाइल – 9425015292