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सतलुज बचाओ जन संघर्ष समिति
सतलुज बचाओ जन संघर्ष समिति, मण्डी जिले के तहसील मुख्यालय करसोग पर एक शांतिपूर्ण रैली का आयोजन किया। मंडी जिले के लुहरी परियोजना की सुरंग प्रभावित क्षेत्र की 10 पंचायतों से बड़ी संख्या में वहां के निवासी करसोग में इकट्ठा हुए और उन्होंने उनके गांवों व परिवारों के नाम परियोजना प्रभावित परिवारों की सूचि में शामिल न किए जाने के विषय में लुहरी जल विद्युत परियोजना के प्रस्तावित मॉडल का पुरजोर विरोध व्यक्त किया। संघर्ष समिति के माध्यम से एसडीएम करसोग विभिन्न मुद्दों और लुहरी जल विद्युत परियोजना के खिलाफ चिंताओं को ऊपर उठाने के लिए भारत के राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रस्तुत की। ज्ञापन की एक प्रति पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की पर्यावरण सलाहकार समिति, जो अपनी बैठक में लुहरी जल विद्युत परियोजना 30 और 31 मार्च, 2012 को पर्यावरण मंजूरी पर विचार करने जा रहा है को भी भेज दिया।
उनकी प्रमुख चिंता का कारण यह है कि विश्व में किसी भी बांध पर बनाई गई सुरंगों में से सबसे लंबी प्रस्तावित सुरंग लुहरी परियोजना में बनाई जा रही है, जो कि 38 किमी लंबी है। इससे पहले बनी रामपुर और नाथपा झाकड़ी परियोजनाओं, जो इस इलाके से लगते हुए क्षेत्रों में बनी हैं, के अनुभवों से स्पष्ट हो चुका है कि ऐसी परियोजनाओं के लिए बनाई जा रही सुरंगें स्थानीय लोगों के लिए अभिशाप हैं - इससे उनके भूमिगत पानी के स्रोत, सुरंग निर्माण के दौरान ब्लास्टिंग के कारण घरों में दरारें आना, पीने और सिंचाई के पानी के स्रोतों का सूख जाना, खनन और मलबे के कारण उड़ने वाली धूल से खेती और फलों के उत्पादन में भारी गिरावट और इन पहाड़ों की जड़ें हमेशा के लिए ढीली होने जैसे गंभीर परिणाम होते हैं। लुहरी परियोजना के लिए प्रस्तावित 38 किमी लंबी दोहरी सुरंगों के कारण लगभग 80 गांवों में कम से कम 10,000 की जनसंख्या विस्थापित हो जाएगी, लेकिन इनका नाम एसजेवीएनएल द्वारा प्रकाशित परियोजना प्रभावित परिवारों की सूची में शामिल नहीं है। इसे संघर्ष समिति ने परियोजना प्रभावों को कम करके दिखाने की एसजेवीएनएल की एक चाल बताया, क्योंकि यदि इसके असल प्रभावित परिवारों की सूची को सार्वजनिक रूप से व्यक्त कर दिया गया, तो इस परियोजना को कभी भी स्वीकृति नहीं मिल सकती। संघर्ष समिति के सचिव नेकराम शर्मा ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार से पुनः आग्रह किया कि वे लुहरी परियोजना के इस दोहरी सुरंग वाले प्रारूप को बिल्कुल स्वीकृति न दें। उनकी यह मांग मंडी जि़ले के चुआस्सी बगड़ा क्षेत्र, खन्योल बगड़ा और स्यांज बगड़ा क्षेत्र के लोगों द्वारा अनुमोदित की गई।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें
नेकराम शर्मा – सचिव - सतलुज बचाओ जन संघर्ष समिति -मण्डी
फोन नं. 9805703407, 9817019281
निधि अग्रवाल, हिम धारा- इंन्वारन्मेंट रीसर्च एण्ड एक्शन कलेक्टीव, पालमपुर
फोन नं. 9818241224
उनकी प्रमुख चिंता का कारण यह है कि विश्व में किसी भी बांध पर बनाई गई सुरंगों में से सबसे लंबी प्रस्तावित सुरंग लुहरी परियोजना में बनाई जा रही है, जो कि 38 किमी लंबी है। इससे पहले बनी रामपुर और नाथपा झाकड़ी परियोजनाओं, जो इस इलाके से लगते हुए क्षेत्रों में बनी हैं, के अनुभवों से स्पष्ट हो चुका है कि ऐसी परियोजनाओं के लिए बनाई जा रही सुरंगें स्थानीय लोगों के लिए अभिशाप हैं - इससे उनके भूमिगत पानी के स्रोत, सुरंग निर्माण के दौरान ब्लास्टिंग के कारण घरों में दरारें आना, पीने और सिंचाई के पानी के स्रोतों का सूख जाना, खनन और मलबे के कारण उड़ने वाली धूल से खेती और फलों के उत्पादन में भारी गिरावट और इन पहाड़ों की जड़ें हमेशा के लिए ढीली होने जैसे गंभीर परिणाम होते हैं। लुहरी परियोजना के लिए प्रस्तावित 38 किमी लंबी दोहरी सुरंगों के कारण लगभग 80 गांवों में कम से कम 10,000 की जनसंख्या विस्थापित हो जाएगी, लेकिन इनका नाम एसजेवीएनएल द्वारा प्रकाशित परियोजना प्रभावित परिवारों की सूची में शामिल नहीं है। इसे संघर्ष समिति ने परियोजना प्रभावों को कम करके दिखाने की एसजेवीएनएल की एक चाल बताया, क्योंकि यदि इसके असल प्रभावित परिवारों की सूची को सार्वजनिक रूप से व्यक्त कर दिया गया, तो इस परियोजना को कभी भी स्वीकृति नहीं मिल सकती। संघर्ष समिति के सचिव नेकराम शर्मा ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार से पुनः आग्रह किया कि वे लुहरी परियोजना के इस दोहरी सुरंग वाले प्रारूप को बिल्कुल स्वीकृति न दें। उनकी यह मांग मंडी जि़ले के चुआस्सी बगड़ा क्षेत्र, खन्योल बगड़ा और स्यांज बगड़ा क्षेत्र के लोगों द्वारा अनुमोदित की गई।
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नेकराम शर्मा – सचिव - सतलुज बचाओ जन संघर्ष समिति -मण्डी
फोन नं. 9805703407, 9817019281
निधि अग्रवाल, हिम धारा- इंन्वारन्मेंट रीसर्च एण्ड एक्शन कलेक्टीव, पालमपुर
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