Source
हिमालय नीति अभियान

भूमि अधिग्रहण कानून की आड़ में सरकार ग्राम सभाओं व भूपति तथा उस पर आश्रित समुदाय से अनापति प्रमाण पत्र लेना भी महत्वपूर्ण नहीं मानती और भूमि अधिग्रहण में हर जगह अत्यावश्यक धारा -17.4 का बहुधा प्रयोग किया जा रहा है। कंपनियों के इशारे पर सरकार राजस्व, आदिवासी, वन व पर्यावरण के कानूनों की भी अनदेखी करती जा रही है। इन परिस्थितियों पर विचार करके और सरकार की उद्योगपतियों और कॉर्पोरेट जगत को प्राकृतिक साधनों और मानवश्रम की अंधाधुंध लूट का अधिकार देते जाने के विरोध में सतलुज बचाओ जन संघर्ष समिति व हिमालय नीति अभियान के बैनर तले लोगों ने इस आयोजन को लोक पर्यावरण दिवस घोषित कर सारे हिमाचल प्रदेश के जन संघर्षों व अन्य राज्यों से आये प्रतिनिधियों के उनके क्षेत्रों के संघर्षों के अनुभवों के बारे में जानने और उनसे प्रेरणा प्राप्त करने के उद्देश्य उन्हें मंच प्रदान किया।
लुहरी जल विद्युत परियोजना के लिए हुई 5-6-7 मई की जन सुनवाई के विरोध में मंडी, कुल्लु व शिमला जिला के किसान खड़े हुए। इस दौरान यह फैसला लिया गया कि प्रदेश व्यापी विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन खेगसु-लुहरी में किया जाए। इस लिए अपरिहार्य स्थितियों में खेगसु (लुहरी) कुल्लु हिमाचल प्रदेश में मनाए जाने वाले इस दिवस को लोगों ने ’लोक पर्यावरण दिवस’ का नाम देने का प्रस्ताव किया और इस अवसर पर सामूहिक प्राकृतिक संसाधनों की लूट व पर्यावरण संरक्षण के लिए संघर्ष का संकल्प लेने का निर्णय किया। पिछले वर्ष इस दिवस का आयोजन रिकोंग-पीयो किनौर किया गया था।
कृपया पूरी रिपोर्ट देखने के लिए अटैचमेंट डाउनलोड करें।