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राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान
जलविज्ञान संबंधी जल संतुलन मॉडल अधिक प्रभावी होते हैं यदि उनमें किसी क्षेत्र के भौतिक लक्षणों का परिवलयन भी किया गया हो। जैसे कि मृदा-आर्द्रता आकलन प्रक्रिया जो कि वर्षा-अपवाह की गणना में अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इस प्रकार की गणना में सम्येक राशि की स्थिति (जैसे मासिक या वार्षिक काल) में प्रत्ययात्मक या मासिक मॉडल अधिक उपयोगी होते हैं।
इसलिए इस शोधपत्र में मासिक जल संतुलन के लिए शुष्क क्षेत्र हेतु उपान्तरित GR2M मॉडल का उपयोग किया गया है। यह मॉडल मृदा-आर्द्रता संग्रह के परिमापन के लिए बीजातीत फलन का प्रयोग करता है। मॉडल को 10 साल के आंकडों से (कुल वर्षामान का 0.052%) पाया गया जबकि प्रक्षित मान 13.68 मिमी.। इसी प्रकार प्रागुक्त मासिक मृदा-आर्द्रता संग्रह का मान क्रमशः जुलाई, अगस्त व सितम्बर में 48.29, 51.54 तथा 30.29 मिमी. पाया गया जबकि प्रक्षित मान 48.93, 41.06 व 25.8 मिमी. था। इससे यह पता चलता है कि उपान्तरित मॉडल का उपयोग शुष्क क्षेत्रों में विश्वसनीय रूप से किया जा सकता है।
इस रिसर्च पेपर को पूरा पढ़ने के लिए अटैचमेंट देखें
इसलिए इस शोधपत्र में मासिक जल संतुलन के लिए शुष्क क्षेत्र हेतु उपान्तरित GR2M मॉडल का उपयोग किया गया है। यह मॉडल मृदा-आर्द्रता संग्रह के परिमापन के लिए बीजातीत फलन का प्रयोग करता है। मॉडल को 10 साल के आंकडों से (कुल वर्षामान का 0.052%) पाया गया जबकि प्रक्षित मान 13.68 मिमी.। इसी प्रकार प्रागुक्त मासिक मृदा-आर्द्रता संग्रह का मान क्रमशः जुलाई, अगस्त व सितम्बर में 48.29, 51.54 तथा 30.29 मिमी. पाया गया जबकि प्रक्षित मान 48.93, 41.06 व 25.8 मिमी. था। इससे यह पता चलता है कि उपान्तरित मॉडल का उपयोग शुष्क क्षेत्रों में विश्वसनीय रूप से किया जा सकता है।
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