शुष्क क्षेत्र के लिए एक मात्रिक जल संतुलन निदर्शन

Submitted by Hindi on Tue, 01/03/2012 - 17:50
Source
राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान
जलविज्ञान संबंधी जल संतुलन मॉडल अधिक प्रभावी होते हैं यदि उनमें किसी क्षेत्र के भौतिक लक्षणों का परिवलयन भी किया गया हो। जैसे कि मृदा-आर्द्रता आकलन प्रक्रिया जो कि वर्षा-अपवाह की गणना में अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इस प्रकार की गणना में सम्येक राशि की स्थिति (जैसे मासिक या वार्षिक काल) में प्रत्ययात्मक या मासिक मॉडल अधिक उपयोगी होते हैं।

इसलिए इस शोधपत्र में मासिक जल संतुलन के लिए शुष्क क्षेत्र हेतु उपान्तरित GR2M मॉडल का उपयोग किया गया है। यह मॉडल मृदा-आर्द्रता संग्रह के परिमापन के लिए बीजातीत फलन का प्रयोग करता है। मॉडल को 10 साल के आंकडों से (कुल वर्षामान का 0.052%) पाया गया जबकि प्रक्षित मान 13.68 मिमी.। इसी प्रकार प्रागुक्त मासिक मृदा-आर्द्रता संग्रह का मान क्रमशः जुलाई, अगस्त व सितम्बर में 48.29, 51.54 तथा 30.29 मिमी. पाया गया जबकि प्रक्षित मान 48.93, 41.06 व 25.8 मिमी. था। इससे यह पता चलता है कि उपान्तरित मॉडल का उपयोग शुष्क क्षेत्रों में विश्वसनीय रूप से किया जा सकता है।

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