स्वैट मॉडल के शोध कार्यों में प्रयोग पर एक तुलनात्मक समीक्षा (Review of application of Soil and Water Assessment Tool (SWAT) in research)

Submitted by Hindi on Mon, 09/05/2016 - 14:20
Source
भारतीय वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान पत्रिका, 01 जून, 2012

सारांशः


कृषि एवं अन्य शोध कार्यों में मृदा एवं जल मूल्यांकन टूल (SWAT) का प्रयोग लगभग तीस वर्षों से अधिक समय से विभिन्न देशों में हो रहा है। मृदा एवं जल मूल्यांकन टूल बहुविषयीय जल विभाजक मॉडलिंग टूल के रूप में अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार कर लिया गया है। तथा इसकी प्रमाणिकता विभिन्न स्वैट संगोष्ठियों सौ से ज्यादा मृदा एवं जल मूल्यांकन टूल से संबंधित लेख एवं दर्जनों प्रख्यात पत्रों में प्रकाशित लेखों से सिद्ध होती है। यह मॉडल अमरीका पर्यावरण संरक्षक शाखा द्वारा स्वीकार किया जा चुका है। तथा अमरीका की कई संघीय एवं राजकीय शाखाओं द्वारा इस्तेमाल भी किया जा रहा है। SWAT मॉडल पर 250 से ज्यादा प्रख्यात लेख प्रकाशित हो चुके हैं, जोकि मृदा एवं जल मूल्यांकन टूल के उपयोग के बारे में विवरण देते हैं। हमारे देश में भी पिछले कुछ वर्षों से स्वैट मॉडल का उपयोग प्रारम्भ हुआ है। तथा इसके द्वारा विभिन्न जल विभाजक क्षेत्रों की मॉडलिंग के सफल प्रयास किये गये हैं। इस लेख में उनके बारे में भी चर्चा की गई है। इस प्रपत्र में कुछ तकनीकी लेखों जिनमें SWAT का प्रयोग भारत में किया गया है। उनके संबंधित क्षेत्रों तथा निष्कर्षों के अनुसार वर्गीकरण कर उन पर संक्षिप्त में चर्चा की गई है। इसके अलावा इस प्रपत्र में धारा प्रवाह अंशशोधन, जलवायु परिवर्तन का जलविज्ञान पर प्रभाव का आकलन और अति संवेदनशीलता विश्लेषण एवं अंशशोधन विधि, प्रस्तुत मॉडल की खूबी एवं खामियाँ तथा स्वैट मॉडल से संबंधित अपेक्षित अनुसंधानों की अनुशंसा की गई है।

Abstract


The Soil and Water Assessment Tool (SWAT) is a model developed from continuous modeling efforts of nearly 30 years in agricultural and other areas. This tool has gained international acceptance as a robust interdisciplinary watershed modeling tool. It is evidenced by international SWAT conferences, hundreds of SWAT related papers presented at numerous other scientific meetings, and dozens of articles published in peer reviewed journals. The model has also been adopted as part of the U.S. Environmental Protection Agency (USEPA) and is being used by many U.S. federal and state agencies, including the USDA within the Conservation Effects Assessment Project (CEAP). Currently about 250 peer reviewed published articles have been identified that report SWAT applications, reviews of SWAT components, or other researches in this article. Some of the technical articles in which use of SWAT in India and other countries is discussed in detail. According to their related fields and results. Many of these peer reviewed articles are summarized here according to relevant application categories such as stream flow calibration and related hydrologic analyses, climate change impacts on hydrology, pollutant load assessments, comparisons with other models, and sensitivity analysis and calibration techniques. Strengths and weaknesses of the SWAT model are presented, and recommended research needs are also discussed.

प्रस्तावना


स्वैट मॉडल अमरीका कृषि अनुसंधान विभाग द्वारा विकसित किया गया है। यह प्रतिदिन के जलीय-चक्र के भू-चरण का अनुकरण करने योग्य है। मॉडल के नित्यक्रम में जल विभाजक से अवसाद के विक्षेद तथा उसके निकास के प्रबंधन का अनुकरण कार्य प्रणाली के संबंध में संकलित भी किया जा सकता है। इस मॉडल की मुख्य विशेषता यह है कि अन्य परम्परागत वैचारिक अनुकरण मॉडल्स की तरह इसमें बहुत अधिक अंश शोधन की आवश्यकता नहीं है। तथा यह अमापित जल विभाजकों में भी प्रयोग किया जा सकता है। यह मॉडल मौजूदा तथा पूर्वानुमानित पानी के इस्तेमाल तथा पानी के अभाव में आकलन के लिये भी इस्तेमाल किया जा सकता है यह मॉडल मौजूदा पानी की सम्पूर्ण मात्रा का लेखांकन उपलब्ध कराता है, जिसमें अवक्षेण द्वारा भूमि को पानी की उपलब्धता, सरफेस रनऑफ के रूप में नदी में जाने वाले पानी की प्राकृतिक वनस्पति द्वारा इस्तेमाल तथा वायुमण्डल में वापिस जाने वाला जल, कृषिक उपज, वाष्पीकरण, जड़ द्वारा जल का रिसना सम्मिलित है।

स्वैट के आविष्कार का इतिहास तथा विवरण


स्वैट का विकास अमरीका कृषि अनुसंधान विभाग की निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। स्वैट की प्रारंम्भिक उत्पत्ति पहले से विकसित यू.एस.डी.ए.आर.एस. मॉडल्स कैमिकल्स रनऑफ इरोजन फ्रॉम एग्रीकल्चरल मैनेजमेंट सिस्टम (CREAMS) मॉडल ग्रांउड वाटर इफैक्ट्स ऑन एग्रीकल्चर मैनेजमेंट सिस्टम (GLEAMS) मॉडल तथा एनवायर्नमेन्ट इम्पैक्ट पॉलिसी क्लाइमेट (EPIC) मॉडल द्वारा हुई है। वर्तमान स्वैट मॉडल, सिमुलेटर फॉर वाटर रिर्सोसेज इन रूरल बेसिस (SWRRB) मॉडल की प्रत्यक्ष संतति है। जिसका निर्माण अमरीका के अमापित जलाशयों पर प्रबंधन के प्रभाव का अनुकरण करने के लिये किया गया था। मॉडल की विशेषताओं में अधिकतम रनऑफ रेट तकनीक, संचारण में नुकसान की गणना तथा विभिन्न नये संघटक जोड़े गये हैं जैसे कि ग्राउण्ड वॉटर रिटर्न लो रिजरवॉयर स्टोरेज, एपिक क्रॉप ग्रोथ मॉडल, वैदर जनरेशन तथा सेडीमेंट ट्रांसपोर्ट आदि सम्मिलित हैं। इसके अतिरिक्त SWRRB मृदा मॉडल, पेस्टीसाइड फेट संघटक का निगमीकरण, अधिकतम रनऑफ रेट के आकलन के लिये वैकल्पिक अमरीका मृदा संरक्षण जाँच तकनीक (SCS) तथा अवसाद के समीकरण आदि सम्मिलित हैं। यह रुपांतरण अनेक प्रकार के जल विभाजक एवं जल की गुणवत्ता प्रबंधन में होने वाली परेशानियों के उपाय के लिये मॉडल की क्षमता में विस्तार होता रहा है।

स्वैट का रुपांतरण (एडाप्टेशन)


उल्लेखनीय उदाहरण में विस्तारित स्वैट (ESWAT) मॉडल मृदा एवं जल एकीकृत मॉडल (SWIM) स्वैट-जी तथा स्वैट मॉड सम्मिलित हैं। ई स्वैट मॉडल में कई विशेषतायें प्रारम्भिक स्वैट से संबंधित हैं। जिसमें कि (1) प्रति घण्टा अवक्षेपण का निवेश तथा रन ऑफ तथा भू-क्षरण हानि का आकलन किया जा सकता है। (2) रिवर राउटिंग मॉड्यूल जो कि जल की गुणवत्ता संघटक के अन्तरापृष्ठ से जुड़ा है तथा (3) बहुउद्देश्य अंशशोधन तथा ऑटो अंशशोधन करने की बेहतर प्रणाली तथा CO2 का पत्तियों पर प्रभाव की विस्तृत लेखा प्रणाली सम्मिलित है। स्विम मॉडल का जलीय संघटक मुख्य रूप से स्वैट पर तथा पुष्टिकारक चक्र संघटक मटसलू मॉडल पर आधारित है तथा यह मेसोस्केल (100-100,000 किमी2) पर वाटरशेड की अनुरूपता के लिये रूपांकित किया गया है। हाल ही में इस मॉडल में सुधार करके भूतलीय जल गतिकी के निगमीकरण के लिये मॉडल जंगल प्रबंध की अनुरूपता के लिये परिष्कृत क्षमता आदि विशेषताएँ डाली गई हैं।

स्वैट मॉडल का जलविज्ञानीय अध्ययन में अनुप्रयोग


स्वैट मॉडल का जलविज्ञानीय अध्ययन में अनेक वैज्ञानिकों ने विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग किए तथा पाया कि यह मॉडल जल विभाजक के नियोजन के रनऑफ, अवसाद उत्पादन की अनुरूपता के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है तथा उप जल विभाजक के नियोजन तथा प्रबंधन के लिये भी इस्तेमाल किया जा सकता है। कुछ वैज्ञानिकों द्वारा किये गये अध्ययन का नीचे दी गई सारणी में विस्तार से वर्णन किया गया है।

संवेदनशीलता, अंशशोधन तथा अनिश्चितता विश्लेषण


संवेदनशीलता तथा अंशशोधन स्वैट मॉडल के महत्त्वपूर्ण पहलू है। अंशशोधन के समय स्वैट निवेश मापदण्ड प्राकृतिक नियम पर आधारित है। संवेदनशीलता विश्लेषण तथा अंशशोधन तकनीक साधारणतया हस्तचालित अथवा स्वचालित विधि को उल्लेखित करती है तथा विस्तृत चित्रात्मक तथा सांख्यकीय कार्यविधि द्वारा आकलित किये जा सकते हैं। शिरमोहम्मदी एट ऑल (2006) द्वारा अस्थिरता को परिभाषित किया गया है, अनुमानित फलगणना जिसमें से परिकलित परिमाण को वास्तविक परिमाण से अलग कर दिया जाता है। उन्होंने गहराई से अस्थिरता के स्रोत का वर्णन किया तथा मॉडल की कलनविधि को सूचीबद्ध किया, मॉडल अंशशोधन, प्रमाणीकरण डेटा, निवेश की भिन्नता तथा अस्थिरता के मुख्य स्रोतों को मापित किया। विभिन्न शोधों के द्वारा स्वैट मॉडल की संवेदन अंशशोधन एवं अनिश्चित विश्लेषण पर अनेक कार्य कर स्वैट मॉडल की क्षमता का अलग-अलग जलविज्ञानीय क्षेत्रों में विश्लेषण किया गया है।

एक अध्ययन में केनटुकी में 5.5 किमी2 के जल विभाजक के लिये 15 स्वैट निवेश मापदण्डों का हस्तचालित संवेदनशीलता/अंशशोधन विश्लेषण प्रदर्शित किया गया जोकि संतृप्त हाइड्रोलॉजिक चालकता, एल्फा पर आधारित प्रवाह घटक, निकास क्षेत्र, नहर की लम्बाई, तथा नहर की चौड़ाई आदि सबसे अधिक संवेदनशील मापदण्ड है जो कि धारा प्रवाह को प्रभावित करते हैं।

हस्तचालित अंशशोधन पद्धति में आवश्यक है कि प्रयोगकर्ता मापित तथा कृमिक वैल्यूज की तुलना करे, इसके बाद निपुण निर्णय लेना चाहिए की किस वैरीएबल को समायोजित करना है, कितना समायोजित करना है, अतः जब उचित परिणाम आ जाये उस समय निर्धारित कर देना चाहिए। कॉफे एट ऑल (2004) ने करीब 20 भिन्न सांख्यकीय परीक्षण प्रदर्शित किये जो कि हस्तचालित अंशशोधन विधि के समय स्वैट के धारा प्रवाह आउटपुट के आकलन के लिये इस्तेमाल किये जा सकते हैं।

Sarni-1

स्वैट मॉडल का जलवायु परिवर्तन में अनुप्रयोग


वैश्विक जलवायु परिवर्तन तथा उसका जल आपूर्ति पर प्रभाव शोध का एक बहुत ही व्यापक क्षेत्र है। जलवायु परिवर्तन को स्वैट निवेश जो कि मॉडल द्वारा लिये जाते हैं, कि सहायता से अनुकारित किया जा सकता है ये निवेश प्रमुख जलवायु कारकों के रूप में जाने जाते हैं तथा स्वैट द्वारा जलवायु परिवर्तन के विश्लेषण के लिये उत्तरदायी सिद्ध होते हैं। जैसे वर्षा, ताप, सौर्य, विकिरण, आपेक्षिक आर्द्रता वायु वेग, संभावित वाष्पन उत्सर्जन और वैदर जनरेटर पैरामीटर आदि प्रभावी कारक हैं। स्वैट इन सभी मौलिक कारकों के आधार पर वातावरणीय परिवर्तन के अध्ययन को अनुकारित करने में सक्षम सिद्ध हुआ है। एक निश्चित समय के स्नो कवर में उर्जा व भार के संतुलन का स्वैट द्वारा विश्लेषण किया गया और बताया कि बर्फ के पिघलने की गति तथा उसका वायवीय कवर वातावरणीय तापमान पर निर्भर होता है। लगातार तापमान में हुई कमी या वृद्धि जलवायु परिवर्तन की व्याख्या करनेे में सक्षम है। विश्व के कुछ निश्चित क्षेत्रों में पर्वतीय वर्षा तथा तापमान में ऊँचाई के बढ़ने से आने वाले अंतर का विश्लेषण एक महत्त्वपूर्ण प्रसंग है। इस विषय के अध्ययन में भी स्वैट का सफलतापूर्वक उपयोग हुआ है।

निष्कर्ष


इस प्रपत्र का मुख्य उद्देश्य स्वैट मॉडल की जलविज्ञान तथा जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में उपयोगिता से अवगत कराना है प्रपत्र में दिखाए गए कुछ लेखों के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि यह मॉडल उद्देश्यपरक जलविज्ञान पद्धतियों के विकास तथा पर्यावरणीय अनिश्चिताओं के अनुमाप में उपयोगी सिद्ध हुआ है। स्वैट मॉडल का उपयोग जल विभाजक में जल प्रवाह अवसाद सर्वेक्षण संबंधी बहुत सी समस्याओं के निराकरण में किया गया है। यह मॉडल भविष्य में होने वाले जल विभाजक संबंधी शोध कार्यों को भी प्रकाशित करता है। यद्यपि इस टूल का हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग में अतुलनीय योगदान है फिर भी इसमें कुछ त्रुटियाँ हैं। जैसे कि इस मॉडल की प्रमुख कमी यह है कि यह अनिश्चित पारम्परिक सांख्यिकीय विधियों को परिणाम के रूप में व्यक्त करता है जिसमें कि त्रुटि तथा क्रिया विधि त्रुटि को व्यक्त करने में असमर्थ है। साधारणतः यह मॉडल अमरीकी मृदा तथा लैण्ड यूज डाटाबेस पर आधारित है जिससे कि समूचे विश्व के बारे में परिपूर्ण विश्लेषण तथा पर्यावरण संभावनाओं की भविष्यवाणी करना कुछ कठिन है। प्रपत्र में दर्शाए गए समस्त अवलोकनों तथा भविष्य के शोध कार्यों को ध्यान में रखते हुए हम कह सकते हैं कि स्वैट मॉडल जलविज्ञान तथा जलवायु संबंधी शोध के लिये बहुत ही प्रभावी मॉडल है।

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सम्पर्क


अजीत सिंह छाबड़ा, अनिल कुमार लोहानी एवं संदीप शुक्ला, Ajeet singh Chhabra, Anil Kumar Lohani & Sandeep Shukla
राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, रुड़की, National Institute of Hydrology, Roorkee