आकारिकीय (Morphology) शब्द ग्रीक भाषा के दो मूल शब्दों से मिलकर बना है। जिनका शाब्दिक अर्थ है- आकारों या स्वरूपों के विषय में अध्ययन करना। आकारिकीय शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग जीव-विज्ञान में किया गया था। ‘हेण्डरसन’ ने इसकी परिभाषा देते हुए बताया था कि यह पौधों व जन्तुओं के रूप तथा संरचना का विज्ञान है। बाद में इस शब्द का प्रयोग अन्य विज्ञानों में किया गया। भूगोल विषय में आकारिकीय शब्द का अभिप्राय प्रारम्भ में पृथ्वी के धरातलीय संरचना से लगाया गया। प्रमुख भूगोलवेत्ता ‘डडले स्टाम्प’ ने इसकी व्याख्या करते हुए बताया है कि यह रूप व संरचना का विज्ञान है तथा उस विकास से सम्बन्धित है जो रूप पर प्रभाव डालता है।
आकारिकीय से तात्पर्य तालाब की आकारिकीय से तात्पर्य तालाब की आकारिकीय स्वरूप से है। सर्वेक्षित ग्रामों में तालाब की आकारिकीय स्वरूप कई रूपों में उपलब्ध है, जैसे- आयताकार, वृत्ताकार, वर्गाकार एवं त्रिभुजाकार आकृति में निर्मित तालाब आकारिकीय स्वरूप धरातलीय, स्वरूप व संरचना के अनुसार निर्मित होते हैं। इस आकारिकीय से तालाबों का क्षेत्रफल ज्ञात किया जा सकता है। साथ ही आकारिकीय स्वरूप में तालाबों की मेंड (पार) महत्त्वपूर्ण होती है, जिसमें लम्बाई, चौड़ाई एवं ऊँचाई का अध्ययन करते हैं। अतः आकरिकीय का निर्माण जल संरक्षण के लिये महत्त्वपूर्ण होता है, इसे अभाव में तालाबों में जल संरक्षण करना सम्भव नहीं है। सर्वेक्षित ग्रामीण क्षेत्र में मैदान, नदियाँ, नाला एवं विस्तृत कृषि क्षेत्र के साथ ही तालाब निर्मित होते हैं, जो पूर्णतः स्थायी होते हैं। सर्वेक्षित ग्रामों में तालाबों के आकारिकीय स्वरूप के साथ ही साथ जलग्रहण क्षमता का भी अध्ययन किया गया है, अध्ययन क्षेत्रों में तालाब जल-संग्रहण करने का सर्वसुविधा युक्त स्रोत होते हैं। उपलब्ध पर्यावरण पारिस्थतिकी एवं तालाबों के जलसंग्रहण क्षमता आनुभाविक तौर पर इतना होता है कि वर्षाकाल के बाद शुष्क मौसम में घरेलू उपयोग हेतु जल उपलब्ध हो प्रत्येक ग्रामीण अधिवास में विभिन्न आकार एवं गहराई वाले तालाब जल संग्रहण हेतु बनाए गए थे तथा विभिन्न जलसंग्रहण-क्षमतायुक्त तालाब वर्षभर जलापूर्ति को निश्चित करते हैं। अतः सर्वेक्षित ग्रामों में तालाबों के आकारिकीय स्वरूप निम्न रूपों में पाये गये हैं, जो इस प्रकार है।
अध्ययन क्षेत्रों में चयनित 57 ग्रामीण क्षेत्रों में चयनित 285 तालाबों में आकरिकीय स्वरूप इस प्रकार हैं, जिनकी संख्या विकासखण्डानुसार सारणी 3.1 में प्रस्तुत किया गया है।
उपरोक्त सारणी 3.1 से स्पष्ट है कि सर्वेक्षित जिले में विकासखण्डानुसार चयनित ग्रामों के चयनित तालाबों में आयताकार तालाब 136 (47.71 प्रतिशत), वर्गाकार 77 (27.02 प्रतिशत), वृत्ताकार 60 (21.05 प्रतिशत) एवं त्रिभुजाकार 12 (4.21 प्रतिशत) हैं।
1. आयताकार तालाब: - सर्वेक्षित ग्रामीण क्षेत्रों में चयनित 57 ग्रामों के 285 तालाबों में आयताकार आकृति वाले तालाबों की संख्या 136 (47.71 प्रतिशत) है विकासखण्डानुसार इस आकृति के सर्वाधिक तालाब आरंग, अभनपुर, बिलाईगढ़, धरसीवां, गरियाबंद, कसडोल, मैनपुर, अंतर्गत 42 (14.73 प्रतिशत), भाटापारा अन्तर्गत, 20 (7.02 प्रतिशत) एवं पलारी, राजिम, सिमगा, तिल्दा विकासखण्ड अन्तर्गत 15 (5.26 प्रतिशत) तालाब आयताकार आकृति के हैं। इस आकृति वाले तालाब कन्हार एवं मटासी मृदा में सर्वाधिक हैं एवं कुछ तालाब भाटा मिट्टी वाले क्षेत्रों में भी पाये गये हैं। धरातलीय संरचना में समतल मैदान वाले क्षेत्रों में इसी आकृति के तालाब निर्मित हैं।
2. वर्गाकार तालाब: अध्ययन क्षेत्रों के 285 तालाबों में वर्गाकार स्वरूप वाले तालाबों की संख्या 77 (20.1 प्रतिशत) है। विकासखण्डानुार इस आकृति के सर्वाधिक तालाब आरंग, भाटापारा, मैनपुर अन्तर्गत 36 (12.63 प्रतिशत), अभनपुर, बलौदाबाजार, बिलाईगढ़, गरियाबंद, कसडोल अंतर्गत 27 (9.47 प्रतिशत) एवं छुरा, धरसीवां, पलारी, राजिम, सिमगा, तिल्दा विकासखण्ड अन्तर्गत इनकी संख्या 14 (4.91प्रतिशत) हैं। इस आकृति के तालाब अधिकांशतः कृषि क्षेत्र एवं अधिवास के मध्य निर्मित हैं। मिट्टी की संरचना देखा जाए तो कन्हार, मटासी एवं भाटा मिट्टी में निर्मित हैं।
3. वृत्ताकार तालाब: अध्ययन क्षेत्रों में चयनित 57 ग्रामीण क्षेत्रों में 285 तालाबों में वृत्ताकार आकृति वाले तालाबों की संख्या 60 (21.05 प्रतिशत) पायी गयी है। विकासखण्डानुसार इस आकृति के सर्वाधिक तालाब आरंग, अभनपुर, बलौदाबाजार, बिलाईगढ़, धरसीवां, पलारी, अन्तर्गत 39 (13.68 प्रतिशत), भाटापारा, छुरा, गरियाबंद, कसडोल, राजिम अन्तर्गत 17 (5.96 प्रतिशत) एवं तिल्दा, मैनपुर, देवभोग, विकासखण्ड अन्तर्गत 4 (1.40 प्रतिशत) हैं। वृत्ताकार तालाब भी इसी प्रकार की मिट्टीयों में निर्मित है।
4. त्रिभुजाकार तालाब: अध्ययन क्षेत्र के अन्तर्गत 285 तालाबों में त्रिभुजाकार आकृति में निर्मित तालाबों की संख्या 12 (4.21 प्रतिशत) है। इस आकृति वाले तालाब धरसीवां, गरियाबंद, तिल्दा, विकासखण्ड अन्तर्गत 06 (2.10 प्रतिशत), छुरा विकासखण्ड अन्तर्गत 03 (1.05 प्रतिशत) एवं अभनपुर कसडोल, सिमगा, अन्तर्गत 03 (1.05 प्रतिशत) तालाब हैं। त्रिभुजाकार आकृति वाले तालाब धरातलीय स्वरूप जहाँ पर नदी, नाला एवं अधिवास कृषि भूमि में विभाजित होने के कारण इस आकृति के तालाब निर्मित हैं। अतः अध्ययनरत चयनित तालाबों में अकारकीय स्वरूप के साथ ही साथ चयनित तालाबों में एकल तालाब, युग्म तालाब, तृतीय तालाब एवं चतुर्थक तालाब इत्यादि पाया गया है।
जल स्रोत: सर्वेक्षित रायपुर जिले में 15 विकासखण्डों में जलस्रोत तालाब, कुआँ एवं हैण्डपम्प की संख्या इस प्रकार है, जिसे सारणी 3.2 में प्रस्तुत किया गया है।
सारणी क्रमाक: 3.2 जिले में जलस्रोत |
|||||
क्रमांक |
जिले के विकासखण्ड |
जिले में गाँव की संख्या |
जल स्रोतों की संख्या |
||
तालाब |
कुआँ |
हैण्डपम्प |
|||
1. |
तिल्दा |
156 |
854 |
1730 |
235 |
2. |
धरसीवां |
130 |
681 |
874 |
231 |
3. |
आरंग |
134 |
819 |
- |
- |
4. |
अभनपुर |
135 |
611 |
1210 |
230 |
5. |
बलौदाबाजार |
124 |
712 |
499 |
157 |
6. |
प्लारी |
132 |
901 |
1020 |
172 |
7. |
सिमगा |
143 |
810 |
1510 |
219 |
8. |
कसडोल |
144 |
519 |
415 |
304 |
9. |
बिलाईगढ़ |
216 |
916 |
811 |
309 |
10. |
भाटापारा |
149 |
618 |
1109 |
191 |
11. |
राजिम |
136 |
617 |
2017 |
165 |
12. |
गरियाबंद |
156 |
314 |
1212 |
159 |
13. |
छुरा |
175 |
342 |
1044 |
148 |
14. |
मैनपुर |
100 |
338 |
389 |
184 |
15. |
देवभोग |
169 |
318 |
511 |
130 |
कुल- 15 |
2199 |
9370 |
14351 |
2834 |
|
स्रोत - जल संसाधन विभाग छ.ग. रायपुर |
उपरोक्त सारणी 3.2 से स्पष्ट है कि जिले में कुल ग्रामों की संख्या 2199 एवं जलस्रोत की संख्या में तालाब 9370, कुँओं की संख्या 14351 एवं हैण्डपम्प की संख्या 2834 पायी गयी है, जिसमें सर्वाधिक संख्या कुँओं की एवं न्यूनतम हैण्डपम्प की है।
तालाब: ग्रामीण क्षेत्रों में जल के प्रमुख स्रोत तालाब होता है जिसमें वर्षा के जल को संग्रहण कर मानव अपने विविध कार्यों में उपयोग करते हैं। ये जलस्रोत धरातलीय जलस्रोत होने के कारण सर्वसुविधा युक्त होती है साथ ही आवश्यकता अनुसार जल की प्राप्ति की जाती है। जिले में तालाबों की सर्वाधिक संख्या बिलाईगढ़ विकासखण्ड अन्तर्गत 916 (9.77 प्रतिशत) तथा तालाबों की न्यूनतम संख्या गरियाबंद विकासखण्ड में 314 (3.35%) पाया गया है।
कुआँ - सर्वेक्षित जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में तालाब जलस्रोत के अतिरिक्त जलस्रोत में कुआँ भी है, जो ग्रामीण क्षेत्रों मे कच्चा एवं पक्का दोनों प्रकार के निर्मित होते हैं। ये शासकीय एवं निजी रूप से इनका निर्माण किया जाता है। शासकीय कुँओं की अपेक्षा निजी कुँओं की संख्या सर्वाधिक पायी गई है। इसके निर्माण में बहुत ही कम आर्थिक लागत आते हैं। इसमें भी भूगर्भ जल के अतिरिक्त वर्षा के जल भी संग्रहीत होते हैं जिनका उपयोग लोग मुख्य रूप से घेरलू कार्य में करते हैं। अतः जिले में सर्वाधिक कुँओं की संख्या राजिम विकासखण्ड अन्तर्गत 2017 (14.05 प्रतिशत) एवं न्यूनतम संख्या देवभोग विकासखण्ड अन्तर्गत 511 (3.56 प्रतिशत) पाये गये हैं एवं आरंग विकासखण्ड अन्तर्गत कुँओं की संख्या अप्राप्त है।
हैण्डपम्प: सर्वेक्षित जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में तालाब, कुआँ के अतिरिक्त जलस्रोत अन्तर्गत हैण्डपम्प भी उपलब्ध है। प्रत्येक ग्रामीण क्षेत्रों में आज इनकी संख्या तीन से चार तक पायी गई है। इसका निर्माण मुख्य रूप से शासकीय तौर पर किया जाता है, लेकिन वर्तमान में निजी रूप से इनका निर्माण कराया जा रहा है। ये भूगर्भ जलस्रोत होने के कारण इससे प्राप्त जल शुद्ध एवं स्वच्छ होते हैं, तथा ये हस्तचलित होते हैं, जिनके कारण ये भी सर्वसुविधा युक्त होती हैं। लेकिन इसके निर्माण कार्य में आर्थिक लागत की अधिक आवश्यकता पड़ती है। अतः सर्वेक्षित जिले में हैण्डपम्प की सर्वाधिक संख्या बिलाईगढ़ विकासखण्ड अन्तर्गत 309 (10.90 प्रतिशत) एवं न्यूनतम देवभोग विकासखण्ड अन्तर्गत 103 (3.63 प्रतिशत) पाये गये हैं तथा आरंग विकासखण्ड अन्तर्गत हैण्डपम्प की संख्या अप्राप्त है।
तालाबों का क्षेत्रफल : क्षेत्रफल से तात्पर्य तालाबों की लम्बाई-चौड़ाई की माप है। तालाबों के अध्ययन पश्चात क्षेत्रफल हेक्टेयर में ज्ञात किया गया है। अध्ययन क्षेत्र के चयनित तालाबों में एक हेक्टेयर से कम एवं तीन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल वाले तालाब हैं। तालाबों की संख्या हेक्टेयरानुसार एवं चयनित ग्रामीण क्षेत्रों की संख्या, चयनित तालाबों की संख्या को विकासखण्डानुसार सारणी 3.3 में प्रस्तुत किया गया है।
सारणी 3.3 चयनित तालाबों का क्षेत्रफल |
|||||||||||
क्र. |
विकासखण्ड |
चयनित ग्रामों की संख्या |
चयनित तालाबों की संख्या |
तालाबों का क्षेत्रफल हेक्टेयर में |
|||||||
1 से कम |
% |
1-2 |
% |
2-3 |
% |
3 से अधिक |
% |
||||
1 |
आरंग |
05 |
29 |
07 |
2.45 |
12 |
4.21 |
04 |
1.40 |
06 |
2.10 |
2. |
अभनपुर |
05 |
24 |
06 |
2.10 |
11 |
3.85 |
03 |
1.05 |
04 |
1.40 |
3. |
बलौदाबाजार |
04 |
21 |
10 |
3.50 |
05 |
1.75 |
03 |
1.05 |
03 |
1.05 |
4. |
भाटापारा |
04 |
33 |
17 |
5.96 |
11 |
3.85 |
02 |
0.70 |
03 |
1.05 |
5. |
बिलाईगढ़ |
04 |
24 |
13 |
4.56 |
08 |
2.80 |
02 |
0.70 |
01 |
0.35 |
6. |
छुरा |
04 |
21 |
06 |
2.10 |
08 |
2.80 |
04 |
1.40 |
03 |
1.05 |
7. |
देवभाग |
04 |
18 |
05 |
1.75 |
09 |
3.15 |
03 |
1.05 |
01 |
0.35 |
8. |
धरसीवां |
04 |
20 |
04 |
1.40 |
03 |
1.05 |
06 |
2.10 |
07 |
2.45 |
9. |
गरियाबंद |
04 |
21 |
03 |
1.05 |
09 |
3.15 |
05 |
1.75 |
04 |
1.40 |
10. |
कसडोल |
04 |
17 |
06 |
2.10 |
05 |
1.75 |
04 |
1.40 |
02 |
0.70 |
11. |
मैनपुर |
04 |
20 |
05 |
1.75 |
10 |
3.50 |
04 |
1.40 |
01 |
0.35 |
12. |
पलारी |
04 |
14 |
02 |
0.70 |
06 |
2.10 |
04 |
1.40 |
02 |
0.70 |
13. |
राजिम |
02 |
06 |
- |
- |
- |
- |
04 |
1.40 |
02 |
0.70 |
14. |
सिमगा |
02 |
06 |
02 |
0.70 |
01 |
0.35 |
01 |
0.35 |
02 |
0.70 |
15. |
तिल्दा |
03 |
11 |
03 |
1.05 |
01 |
0.35 |
04 |
1.40 |
03 |
1.05 |
कुल |
57 |
285 |
89 |
31.22 |
99 |
34.73 |
53 |
18.59 |
44 |
15.43 |
|
स्रोत: पटवारी रिकार्ड से प्राप्त आंकड़ा। |
उपरोक्त सारणी 3.3 से स्पष्ट है कि सर्वेक्षित जिले में विकासखण्ड अनुसार चयनित 285 तालाबों में क्षेत्रफल का अध्ययन किया गया , जिनमें एक से कम हेक्टेयर वाले तालाबों की संख्या 89 (31.22 प्रतिशत), एक से दो हेक्टेयर वाले तालाब 99 (34.73 प्रतिशत) दो से तीन हेक्टेयर वाले तालाब 53 (18.59 प्रतिशत), एवं तीन से अधिक हेक्टेयर वाले तालाबों की संख्या 44 (15.43 प्रतिशत) पाये गये, जिनमें सर्वाधिक हेक्टेयर वाले तालाबों का प्रतिशत 34.73 प्रतिशत पाया गया एवं न्यूनतम तीन से अधिक हेक्टेयर वाले तालाबों का प्रतिशत 15.43 प्रतिशत है।
चयनित 285 तालाबों में एक हेक्टेयर वाले तालाबों की संख्या 87 (31.22 प्रतिशत) पायी गयी है। विकासखण्डानुसार इस माप वाले सर्वाधिक तालाब बलौदाबाजार, भाटापारा, बिलाईगढ़ अन्तर्गत 40 (14.03 प्रतिशत), आरंग, अभनपुर, छुरा, देवभोग, कसडौल, मैनपुर, विकासखण्ड में 35 (12.28 प्रतिशत) एवं धरसीवां, गरियाबंद, पलारी, सिमगा, तिल्दा अन्तर्गत 14 (4.91 प्रतिशत) हैं। राजिम विकासखण्ड अन्तर्गत चयनित ग्रामीण क्षेत्रों में चयनित तालाबों में एक भी तालाब एक हेक्टेयर से कम नहीं है। चयनित 285 तालाबों में एक से दो हेक्टेयर वाले तालाबों की संख्या 99 (34.73 प्रतिशत) है। विकासखण्डानुसार इस माप के सर्वाधिक तालाब बलौदाबाजार, बिलाईगढ़, छुरा, देवभोग, गरियाबंद, कसडोल, पलारी अन्तर्गत 50 (17.54 प्रतिशत) आरंग, अभनपुर, भाटापारा, मैनपुर, विकासखण्ड अन्तर्गत 44 (15.43 प्रतिशत) एवं धरसीवां, सिमगा तिल्दा, अन्तर्गत 05 (1.75 प्रतिशत) तालाब पाए गए हैं एवं राजिम विकासखण्ड अन्तर्गत चयनित ग्रामों में इस क्षेत्रफल (माप) के एक भी तालाब नहीं पाया गया। दो से तीन हेक्टेयर के मध्य निर्मित तालाबों की संख्या 53 (18.59 प्रतिशत) विकासखण्डानुसार इस माप वाले सर्वाधिक तालाब कसडोल, मैनपुर, पलारी, राजिम, तिल्दा अन्तर्गत 42 (14.73 प्रतिशत), धरसीवां विकासखण्ड अन्तर्गत 06 (2.10 प्रतिशत) एवं भाटापारा सिमगा, बिलाईगढ़ अन्तर्गत 05 (1.75 प्रतिशत) तालाब पाए गए हैं। तीन से अधिक हेक्टेयर वाले तालाबों की संख्या 44 (15.43 प्रतिशत) हैं। विकासखण्डानुसार इस माप की सर्वाधिक तालाब अभनपुर, बलौदाबाजार, भाटापारा, छुरा, गरियाबंद, तिल्दा अन्तर्गत 20 (7.01 प्रतिशत) आरंग विकासखण्ड अंतर्गत 13 (4.56 प्रतिशत) मैनपुर, पलारी, राजीम, सीमगा विकासखण्ड अन्तर्गत 11 (3.85 प्रतिशत) तालाब हैं। अतः सर्वेक्षित जिले में विकासखण्डानुसार चयनित ग्रामीण क्षेत्रों में चयनित तालाबों में सर्वाधिक तालाब एक से दो हेक्टेयर के मध्य निर्मित तालाबों की संख्या 99 हैं एवं न्यूनतम तीन से अधिक हेक्टेयर वाले तालाबों की संख्या 44 है।
तालाब में मेंड की संख्या: वर्षा के जल को संग्रहित करने के लिये मिट्टी की दीवार बनायी जाती है। इस दीवार को मेड कहते हैं। इन मेडों की संख्या उस सीमा का निर्धारक है, जहाँ तक पानी का संग्रहण किया जा सकता है। जहाँ अपेक्षाकृत धरातलीय ढाल 20 से अधिक होता है वहाँ 3 मेड में भी पानी का संग्रह किया जा सकता है। 20 से कम ढाल वाले स्थानों में चारों तरफ मेडों का निर्माण करना आवश्यक होता है। चयनित तालाबों में मेंड की संख्या अलग-अलग पायी गयी है। किसी तालाब में एक ही मेड तो किसी में मेडों की संख्या चार तक पायी जाती है। मेडों का निर्माण भी धरातलीय स्वरूप के अनुसार किया जाता है।
अध्ययन क्षेत्रों में चयनित तालाबों में निर्मित मेंडों की संख्या चयनित ग्रामों एवं चयनित तालाबों की संख्या विकासखण्डानुसार सारणी 3.4 में प्रस्तुत है।
सारणी 3.4 चयनित तालाबों में मेंड (पार) |
|||||||||||
क्र. |
विकासखण्ड |
चयनित ग्रामों की संख्या |
चयनित तालाबों की संख्या |
चयनित तालाबों में मेडों की संख्या |
|||||||
01 |
% |
02 |
% |
03 |
% |
04 |
% |
||||
1 |
आरंग |
05 |
29 |
- |
- |
- |
- |
19 |
6.66 |
10 |
3.50 |
2. |
अभनपुर |
05 |
24 |
02 |
0.70 |
03 |
1.05 |
07 |
2.45 |
12 |
4.21 |
3. |
बलौदाबाजार |
04 |
21 |
01 |
0.35 |
02 |
0.70 |
04 |
1.40 |
14 |
4.91 |
4. |
भाटापारा |
04 |
33 |
- |
- |
04 |
1.40 |
13 |
4.56 |
16 |
5.61 |
5. |
बिलाईगढ़ |
04 |
24 |
- |
- |
02 |
0.70 |
07 |
2.45 |
15 |
5.26 |
6. |
छुरा |
04 |
21 |
01 |
0.35 |
02 |
0.70 |
06 |
2.10 |
12 |
4.21 |
7. |
देवभोग |
04 |
18 |
- |
- |
02 |
0.70 |
05 |
1.75 |
11 |
3.85 |
8. |
धरसीवां |
04 |
20 |
01 |
0.35 |
04 |
1.40 |
04 |
1.40 |
11 |
3.85 |
9. |
गरियाबंद |
04 |
21 |
01 |
0.35 |
05 |
1.75 |
07 |
2.45 |
08 |
2.80 |
10. |
कसडोल |
04 |
17 |
- |
- |
05 |
1.75 |
03 |
1.05 |
09 |
3.15 |
11. |
मैनपुर |
04 |
20 |
01 |
0.35 |
02 |
0.70 |
06 |
2.10 |
11 |
3.85 |
12. |
पलारी |
04 |
14 |
- |
- |
02 |
0.70 |
05 |
1.75 |
07 |
2.45 |
13. |
राजिम |
02 |
06 |
- |
- |
- |
- |
02 |
0.70 |
04 |
1.40 |
14. |
सिमगा |
02 |
06 |
- |
- |
- |
- |
03 |
1.05 |
03 |
1.05 |
15. |
तिल्दा |
03 |
11 |
- |
- |
01 |
0.35 |
04 |
1.40 |
06 |
2.10 |
कुल |
57 |
285 |
07 |
2.46 |
34 |
11.93 |
95 |
33.13 |
149 |
52.28 |
|
स्रोत: व्यक्तिगत सर्वेक्षण द्वारा प्राप्त आंकड़ा |
उपरोक्त सारणी 3.4 से स्पष्ट है कि अध्ययन क्षेत्रों में चयनित 57 ग्रामीण क्षेत्रों में चयनित 285 तालाबों में एक मेंड द्वारा निर्मित तालाबों की संख्या 07(2.45 प्रतिशत), दो मेंडों वाले तालाब 34 (11.92 प्रतिशत), तीन मेंडों वाले तालाबों की संख्या 95(33.333 प्रतिशत) एवं चार मेंडों द्वारा निर्मित तालाबों की संख्या 149 (52.28 प्रतिशत) पाये गये हैं। जिनमें सर्वाधिक चार मेड वाले तालाब एवं न्यूनतम एक मेंड निर्मित तालाब हैं।
अध्ययन क्षेत्रों के 285 तालाबों में से एक मेंड वाले तालाबों की संख्या 07 (2.45 प्रतिशत) है। विकासखडानुसार इस प्रकार के सर्वाधिक तालाब, अभनपुर, बलौदाबाजार, छुरा, धरसीवां, गरियाबंद, मैनपुर अन्तर्गत 07 (2.45 प्रतिशत) एवं आरंग, भाटापारा, बिलाईगढ़, देवभोग, पलारी, राजिम, सिमगा, तिल्दा, अन्तर्गत एक भी तालाब नहीं पाया गया। अतः अध्ययन क्षेत्रों में एक मेंड वाले तालाबों की संख्या कम है।
चयनित 285 तालाबों में एक से दो मेंड वाले तालाबों की संख्या 34 (11.92 प्रतिशत) पाये गये हैं। विकासखण्डानुसार इस प्रकार के सर्वाधिक तालाब बलौदाबाजार, बिलाईगढ़, छुरा, देवभोग, मैनपुर, पलारी, तिल्दा में 13 (4.56 प्रतिशत), अभनपुर, भाटापारा, धरसीवां में 11 (3.85 प्रतिशत) एवं गरियाबंद, कसडोल, विकासखण्ड में 10 (3.50 प्रतिशत) पाये गये हैं। आरंग, राजिम, सिमगा, विकासखण्ड के चयनित ग्रामों में दो मेंड वाले एक भी तालाब नहीं हैं।
चयनित 285 तालाबों में दो से तीन मेंड वाले तालाबों की संख्या 95 (33.33 प्रतिशत) पाये गये हैं विकासखण्डानुसार इस प्रकार के सर्वाधिक तालाब अभनपुर, बिलाईगढ़, छुरा, गरियाबंद मैनपुर में 33 (11.57 प्रतिशत), आरंग तथा भाटापारा में 32 (11.22 प्रतिशत) एवं बलौदाबाजार देवभोग, धरसीवां, कसडोल, पलारी, राजिम, सिमगा, तिल्दा, विकासखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों में 30 (10.52 प्रतिशत) है।
अध्ययन क्षेत्र के चयनित 285 तालाबों में तीन से चार मेंड वाले तालाबों की संख्या 149 (52.28 प्रतिशत) है। विकासखण्डानुसार इस प्रकार के सर्वाधिक तालाब अभनपुर, बलौदाबाजार, भाटापारा, बिलाईगढ़ छुरा में 69 (24.21 प्रतिशत) आरंग, देवभोग, धरसीवां, पलारी मैनपुर, विकासखण्ड में 52 ( 18.24 प्रतिशत) एवं राजिम, सिमगा में 07 (2.45 प्रतिशत) है। अध्ययन क्षेत्र में चार मेंडों वाले तालाबों की संख्या सर्वाधिक है। साथ ही इस प्रकार के तालाब प्रायः समतल मैदान में निर्मित होने के कारण चारों ओर मेंड का निर्माण किया जाता है।
तालाबों में मेंड (पार) की माप - जल संग्रहण का आनुभाविक ज्ञान तालाबों के मेंड की लंबाई-चौड़ाई एवं ऊँचाई के अलग-अलग प्रतिरूपों में उपलब्ध है। सामान्यतः ढाल के समकोण दिशा में इसका निर्माण किया जाता है। मेंड की लम्बाई एक अवरोध का कार्य करती है, जोकि ढाल की अधिकतम एवं न्यूनतम दूरी को एक दिशा प्रदान करती है।
तालाबों में मेंड की लम्बाई: अध्ययन क्षेत्र में चयनित तालाबों में मेंड की लम्बाई, तालाबों के क्षेत्रफल एवं निर्मित मेंड की संख्यानुसार हैं। जिन तालाबों में मेंड की संख्या एक से दो है वहाँ पर अपेक्षाकृत मेंड की लम्बाई न्यूनतम है, तथा जिन तालाबों में मेंड तीन से चार की संख्या में है वहाँ मेंड की लम्बाई अधिक है। लम्बाई ज्ञात करने के लिये मीटर का उपयोग किया गया है। अतः चयनित तालाबों में मेंड की लम्बाई विकासखण्डानुसार चयनित ग्रामों एवं तालाबों की संख्या सारणी 3.4 में प्रस्तुत हैं।
उपरोक्त सारणी 3.5 से स्पष्ट है कि चयनित 285 तालाबों में मेंड की 300-600 मीटर लम्बाई के मेंड वाले तालाबों की संख्या 70 (24.56 प्रतिशत), 600-900 मीटर लम्बाई के मेंड वाले तालाबों की संख्या 134 (47.02 प्रतिशत) 900-1200 मीटर लम्बाई वाले मेंड की संख्या 61 (21.40 प्रतिशत) एवं 1200 से अधिक मेंड वाले तालाबों की संख्या 20 (7.02 प्रतिशत) पाये गये हैं। जिनमें सर्वाधिक लम्बाई की मेंड वाले तलाबों का प्रतिशत 47.02 प्रतिशत एवं न्यूनतम लम्बाई की मेंड वाले तालाबों का प्रतिशत 7.02 प्रतिशत रहा है।
चयनित 285 तालाबों में 300 से 600 मीटर लम्बाई की मेंड वाले तालाबों की संख्या 70 (24.56 प्रतिशत) है। विकासखण्डानुसार इस माप के सर्वाधिक तालाब आरंग, अभनपुर, बलौदाबाजार, गरियाबंद, कसडोल में 31 (10.87 प्रतिशत), बिलाईगढ़ छुरा, देवभोग, धरसीवां, मैनपुर, पलारी, सिमगा, तिल्दा, विकासखण्ड में 25 (8.77 प्रतिशत) एवं भाटापारा विकासखण्ड में 14 (4.91 प्रतिशत) हैं। 600-900 मी. की मेंड वाले तालाबों की संख्या 134 (47.02 प्रतिशत) है। इस लम्बाई के मेंड वाले सर्वाधिक तालाब अभनपुर, बलौदाबाजार, छुरा, धरसीवां, गरियाबंद, कसडोल, मैनपुर, पलारी, में 73 (25.61 प्रतिशत) भाटापारा, बिलाईगढ़ के अन्तर्गत 46 (16.14 प्रतिशत) एवं देवभोग, राजिम, सिमगा, तिल्दा, विकासखण्ड में 15 (5.26 प्रतिशत) है।
900-1200 मीटर लम्बाई की मेंड वाले तालाबों की संख्या 61 (21.40 प्रतिशत) है। इस लम्बाई की मेंड वाले सर्वाधिक तालाब आरंग, अभनपुर, भाटापारा, बिलाईगढ़, धरसीवां गरियाबंद, कसडोल, राजिम में 32 (11.22 प्रतिशत) छुरा, देवभोग, मैनपुर विकासखण्ड में 23 (8.07 प्रतिशत) एवं बलौदाबाजार, पलारी, सिमगा, तिल्दा विकासखण्ड में 6 (2.10 प्रतिशत) है। 1200 मीटर लम्बाई की मेंड वाले तालाब की संख्या 20 (7.01 प्रतिशत) है इस लम्बाई की मेंड वाले तालाबों की सर्वाधिक संख्या आरंग, अभनपुर, बलौदाबाजार, बिलाईगढ़, छुरा, देवभोग में 14 (4.91 प्रतिशत) भाटापारा, धरसीवां, गरियाबंद, मैनपुर, राजिम, सिमगा में 6 (2.10 प्रतिशत) है। कसडोल पलारी, तिल्दा, विकासखण्ड अन्तर्गत चयनित ग्रामीण क्षेत्रों में चयनित तालाबों में से एक भी तालाबों की मेंड इस लम्बाई में उपल्बध नहीं है।
तलाबों में मेंड की चौड़ाई: धरातलीय ढाल में बहकर आने वाले जल का संग्रहण तालाबों में किया जाता है। भूमि में उपलब्ध ढाल तथा जल के फलस्वरूप उत्पन्न गतिज ऊर्जा को रोकने के लिये मेंडों को मोटा किया जाता है। मेंडों की यही मोटाई इसके ऊर्ध्वाधर तल की चौड़ाई कही जाती है तालाब के मेंडों की मोटाई या धरातलीय फैलाव के अनुसार अलग-अलग होता है। न्यादर्श में प्राप्त मेंडों की चौड़ाई निम्नानुसार है। जिसे सारणी 3.6 में प्रस्तुत किया गया है-
सारणी 3.6 चयनित तालाबों में मेंड की चौड़ाई |
|||||||||
क्र. |
विकासखण्ड |
चयनित ग्रामों की संख्या |
चयनित तालाबों की संख्या |
चयनित तालाबों में मेंड की चौड़ाई (मी.) में |
|||||
1 से कम |
% |
1-2 |
% |
2 से अधिक |
% |
||||
1 |
आरंग |
05 |
29 |
08 |
2.80 |
12 |
4.21 |
09 |
3.15 |
2. |
अभनपुर |
05 |
24 |
04 |
1.40 |
17 |
5.96 |
03 |
1.05 |
3. |
बलौदाबाजार |
04 |
21 |
10 |
3.50 |
06 |
2.10 |
05 |
1.75 |
4. |
भाटापारा |
04 |
33 |
07 |
2.45 |
24 |
8.42 |
02 |
0.70 |
5. |
बिलाईगढ़ |
04 |
24 |
04 |
1.40 |
16 |
5.61 |
04 |
1.40 |
6. |
छुरा |
04 |
21 |
07 |
2.45 |
12 |
4.21 |
02 |
0.70 |
7. |
देवभोग |
04 |
18 |
02 |
0.70 |
10 |
3.50 |
06 |
2.10 |
8. |
धरसीवां |
04 |
20 |
03 |
1.05 |
12 |
4.21 |
05 |
1.75 |
9. |
गरियाबंद |
04 |
21 |
05 |
1.75 |
13 |
4.56 |
03 |
1.05 |
10. |
कसडोल |
04 |
17 |
04 |
1.40 |
10 |
3.50 |
03 |
1.05 |
11. |
मैनपुर |
04 |
20 |
03 |
1.05 |
14 |
4.91 |
03 |
1.05 |
12. |
पलारी |
04 |
14 |
04 |
1.40 |
07 |
2.45 |
03 |
1.05 |
13. |
राजिम |
02 |
06 |
01 |
0.35 |
02 |
0.70 |
03 |
1.05 |
14. |
सिमगा |
02 |
06 |
02 |
0.70 |
02 |
0.70 |
02 |
0.70 |
15. |
तिल्दा |
03 |
11 |
03 |
1.05 |
06 |
2.70 |
02 |
0.70 |
कुल |
57 |
285 |
67 |
23.51 |
163 |
57.19 |
55 |
19.30 |
|
स्रोत: व्यक्तिगत सर्वेक्षण द्वारा प्राप्त आंकड़ा |
उपरोक्त सारणी 3.6 से स्पष्ट है कि चयनित 285 तालाबों में मेंड की 1 से कम मीटर चौड़ाई की मेंड वाले तालाबों की संख्या 67 (23.51 प्रतिशत), 1-2 मीटर चौड़ाई की मेंड वाले तालाबों की संख्या 67 (23.51 प्रतिशत), 1-2 मीटर चौड़ाई की मेंड वाले तालाबों की संख्या 163 (57.19 प्रतिशत) एवं 2 मीटर चौड़ाई से अधिक मेंड वाले तालाबों की संख्या 55 (19.30 प्रतिशत) है। सर्वाधिक तालाबों में मेंड एक मीटर से दो मीटर के मध्य पाये गए हैं एवं न्यूनतम दो मीटर से अधिक चौड़ाई की मेंड वाले तालाब हैं।
1 से कम मीटर चौड़ाई की मेंड वाले तालाबों की संख्या 67 (23.51 प्रतिशत) है। इस माप के मेंड वाले तालाबों की सर्वाधिक संख्या आरंग, बलौदाबाजार, भाटापारा, छुरा, विकासखण्ड अन्तर्गत चयनित ग्रामीण क्षेत्रों में 37 (12.98 प्रतिशत) तालाब अभनपुर, बिलाईगढ़, धरसीवां, गरियाबंद, कसडोल, मैनपुर, पलारी, तिल्दा के ग्रामीण क्षेत्रों में 25 (8.77 प्रतिशत) तालाब एवं देवभोग, राजिम, सिमगा विकासखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों में तालाबों की संख्या 5 (1.75 प्रतिशत) है। एक से दो मीटर के मध्य चौड़ाई की मेंड वाले तालाबों की संख्या 163 (57.19 प्रतिशत) पाये गये हैं। विकासखण्डानुसार इस माप की मेंड वाले तालाबों की सर्वाधिक संख्या आरंग, छुरा, देवभोग, धरसीवां, गरियाबंद, कसडोल, पलारी में 76 (26.66 प्रतिशत), अभनपुर, भाटापारा, बिलाईगढ़, मैनपुर, विकासखण्ड के चयनित ग्रामीण क्षेत्रों में 71 (24.01 प्रतिशत) एवं बलौदाबाजार, राजिम, सिमगा, तिल्दा विकासखण्ड के चयनित ग्रामीण क्षेत्रों में 16 (5.61 प्रतिशत) तालाब है। 2 से अधिक मीटर चौड़ाई के मेंड वाले तालाबों की संख्या 55 (19.29 प्रतिशत) है। इस माप की मेंड वो तालाबों की सर्वाधिक संख्या अभनपुर, बलौदाबाजार, बिलाईगढ़, धरसीवां, गरियाबंद, कसडोल, मैनपुर, पलारी, राजिम में 32 (11.22 प्रतिशत), आरंग, देवभोग, विकासखण्ड अन्तर्गत 15 (5.26 प्रतिशत) एवं भाटापारा, छुरा, सिमगा, तिल्दा विकासखण्ड में 8 (2.80 प्रतिशत) तालाबों में मेंड की चौड़ाई दो से अधिक मीटर तक पायी गयी है।
तलाबों में मेंड की ऊँचाई: मेंडों को ऊँचाई प्रदान करने वाली सामग्री (यथा-मिट्टी, पत्थर, मुरूम) एक अपारगम्य संस्तर तल का निर्माण करती है। यह तल पानी के बाहर की ओर रिसने की प्रक्रिया को नियंत्रित करती है। मेंड की ऊँचाई से तात्पर्य तालाबों की गहराई से है तालाबों में मेंड जितनी ऊँचाई में होती है उतना ही तालाबों में जलस्तर उच्च होती है। चयनित तालाबों में यह पाया गया कि मेंड की ऊँचाई एक समान नहीं है।
अतः चयनित तालाबों में मेंड की ऊँचाई एक से दो मीटर एवं चार मीटर से अधिक पायी गयी, जिसे सारणी 3.7 में प्रस्तुत किया गया है।
सारणी 3.7 चयनित तालाबों में मेंड की ऊँचाई |
|||||||||||
क्र. |
विकासखण्ड |
चयनित ग्रामों की संख्या |
चयनित तालाबों की संख्या |
चयनित तालाबों में मेंड की ऊँचाई मीटर में |
|||||||
1-2 |
% |
2-3 |
% |
3-4 |
% |
4-5 |
% |
||||
1 |
आरंग |
05 |
29 |
02 |
0.70 |
06 |
2.10 |
18 |
6.31 |
03 |
1.05 |
2. |
अभनपुर |
05 |
24 |
02 |
0.70 |
10 |
3.50 |
10 |
3.50 |
02 |
0.70 |
3. |
बलौदाबाजार |
04 |
21 |
02 |
0.70 |
12 |
4.21 |
05 |
1.75 |
02 |
0.70 |
4. |
भाटापारा |
04 |
33 |
09 |
3.15 |
15 |
5.26 |
06 |
2.10 |
03 |
1.05 |
5. |
बिलाईगढ़ |
04 |
24 |
05 |
1.75 |
12 |
4.21 |
05 |
1.75 |
02 |
0.70 |
6. |
छुरा |
04 |
21 |
05 |
1.75 |
09 |
3.15 |
05 |
1.75 |
02 |
0.70 |
7. |
देवभोग |
04 |
18 |
03 |
1.05 |
12 |
4.21 |
02 |
0.70 |
01 |
0.35 |
8. |
धरसीवां |
04 |
20 |
11 |
3.85 |
04 |
1.40 |
03 |
1.05 |
02 |
0.70 |
9. |
गरियाबंद |
04 |
21 |
04 |
1.40 |
08 |
2.80 |
06 |
2.10 |
03 |
1.05 |
10. |
कसडोल |
04 |
17 |
06 |
2.10 |
09 |
3.16 |
01 |
0.35 |
01 |
0.35 |
11. |
मैनपुर |
04 |
20 |
03 |
1.05 |
10 |
3.50 |
04 |
1.40 |
03 |
1.05 |
12. |
पलारी |
04 |
14 |
03 |
1.05 |
07 |
2.45 |
02 |
0.70 |
02 |
0.70 |
13. |
राजिम |
02 |
06 |
- |
- |
03 |
1.05 |
03 |
1.05 |
- |
- |
14. |
सिमगा |
02 |
06 |
02 |
0.70 |
03 |
1.05 |
01 |
0.35 |
- |
- |
15. |
तिल्दा |
03 |
11 |
02 |
0.70 |
06 |
2.10 |
02 |
0.70 |
01 |
0.35 |
कुल |
57 |
285 |
59 |
20.70 |
126 |
44.21 |
73 |
25.61 |
27 |
9.47 |
|
स्रोत: व्यक्तिगत सर्वेक्षण द्वारा प्राप्त आंकड़ा |
उपरोक्त सारणी 3.7 से स्पष्ट है कि 1-2 मीटर ऊँचाई की मेंड वाले तालाबों की संख्या 59 (20.70 प्रतिशत) दो या तीन मीटर ऊँचाई की मेंड वाले तालाबों की संख्या 126 (44.21 प्रतिशत), तीन से चार मीटर ऊँचाई की मेंड वाले तालाबों की संख्या 73 (25.61 प्रतिशत) एवं चार मीटर से अधिक ऊँचाई के मेंड वाले तालाबों की संख्या 27 (9.47 प्रतिशत) है, जिनमें सर्वाधिक दो से तीन मीटर ऊँचाई के मेंड वाले तालाब एवं न्यूनतम चार से अधिक मीटर ऊँचाई के मेंड वाले तालाब हैं।
एक से दो मीटर ऊँचाई के मध्य मेंड वाले तालाबों की संख्या 59 (20.70 प्रतिशत) है। विकासखण्डानुसार इस माप की मेंड वाले तालाबों की सर्वाधिक संख्या भाटापारा, बिलाईगढ़, छुरा, कसडोल अन्तर्गत तालाबों की संख्या 25 (8.77 प्रतिशत) आरंग, अभनपुर, बलौदाबाजार, देवभोग, गरियाबंद, मैनपुर, पलारी, सिमगा, तिल्दा में 33 (8.07 प्रतिशत) एवं धरसीवां विकासखण्ड में इस माप वाले तालाबों की संख्या 11 (3.85 प्रतिशत) है। राजिम विकासखण्ड में इस माप की मेंड वाले तालाबों की संख्या एक भी नहीं है।
चयनित 285 तालाबों में से दो से तीन मीटर ऊँचाई के मध्य मेंड वाले तालाबों की संख्या 126 (44.21 प्रतिशत) है। विकासखण्ड अनुसार इस माप की मेंड वाले तालाबों की सर्वाधिक संख्या अभनपुर, बलौदाबाजार, बिलाईगढ़, छुरा, देवभोग, गरियाबंद, कसडोल, मैनपुर, पलारी में 89 (31.22 प्रतिशत), आरंग, राजिम, धरसीवां, सिमगा, तिल्दा, विकासखण्ड में 22 (7.71 प्रतिशत) एवं भाटापारा विकासखण्ड अन्तर्गत इस माप की मेंड वाले तालाबों की संख्या 15 (5.26 प्रतिशत) है।
तीन से चार मीटर ऊँचाई के मध्य मेंड वाले तालाबों की संख्या 73 (25.61 प्रतिशत) है। विकासखण्ड अनुसार इस माप की मेंड वाले तालाबों की सर्वाधिक संख्या आरंग, अभनपुर में 28 (9.82 प्रतिशत), बलौदाबाजार, भाटापारा, बिलाईगढ़, छुरा, गरियाबंद में 27 (9.47 प्रतिशत), देवभोग, धरसीवां, कसडोल, मैनपुर, पलारी, राजिम, सिमगा एवं तिल्दा में 18 (6.31 प्रतिशत) है।
चार से अधिक मीटर ऊँचाई की मेंड वाले तालाबों की संख्या 27 (9.47 प्रतिशत) है। विकासखण्डानुसार इस माप की मेंड वाले तालाबों की सर्वाधिक संख्या, अभनपुर, बलौदाबाजार, बिलाईगढ़, गरियाबंद, मैनपुर में 15 (5.26 प्रतिशत) आरंग, भाटापारा, गरियाबंद एवं मैनपुर में 12 (4.21 प्रतिशत) है। राजिम, सिमगा, विकासखण्ड में इस माप की मेंड वाले तालाब नहीं हैं।
अतः चयनित तालाबों में सर्वाधिक दो से तीन मीटर की ऊँचाई वाली एवं न्यूनतम चार से अधिक मीटर की ऊँचाई वाली मेंड हैं।
तालाबों की गहराई: तालाबों में गहराई का अर्थ जल-स्तर या जल-ग्रहण क्षमता से है। जिन तालाबों में गहराई अधिक होती है, उन तालाबों में जल-ग्रहण करने की मात्रा अपेक्षाकृत अधिक होती है तथा जिन तालाबों में गहराई कम होती है, उन तालाबों में जल-ग्रहण की क्षमता कम पायी जाती है। फलतः ग्रीष्म ऋतु में अधिकांशतः तालाब सूख जाते हैं। अतः चयनित तालाबों की गहराई सारणी 3.8 में प्रस्तुत किया गया है।
सारणी 3.8 चयनित तालाबों की गहराई |
|||||||||||
क्र. |
विकासखण्ड |
चयनित ग्रामों की संख्या |
चयनित तालाबों की संख्या |
तालाबों में मेंड की गहराई मीटर में |
|||||||
1-2 |
% |
2-3 |
% |
3-4 |
% |
> 4 |
% |
||||
1 |
आरंग |
05 |
29 |
10 |
3.50 |
08 |
2.80 |
07 |
2.45 |
03 |
1.05 |
2. |
अभनपुर |
05 |
24 |
03 |
1.05 |
11 |
3.85 |
08 |
2.80 |
02 |
0.70 |
3. |
बलौदाबाजार |
04 |
21 |
06 |
2.10 |
05 |
1.75 |
07 |
2.10 |
01 |
0.35 |
4. |
बिलाईगढ़ |
04 |
24 |
04 |
1.40 |
14 |
4.91 |
03 |
1.05 |
03 |
1.05 |
5. |
छुरा |
04 |
21 |
02 |
0.70 |
05 |
1.75 |
12 |
4.21 |
02 |
0.70 |
6. |
देवभोग |
04 |
18 |
02 |
0.70 |
06 |
2.10 |
08 |
2.80 |
02 |
0.70 |
7. |
धरसीवां |
04 |
20 |
02 |
0.70 |
06 |
2.10 |
05 |
1.75 |
07 |
2.45 |
8. |
गरियाबंद |
04 |
21 |
01 |
0.35 |
08 |
2.80 |
09 |
3.15 |
03 |
1.05 |
9. |
कसडोल |
04 |
17 |
04 |
1.40 |
11 |
3.85 |
01 |
0.35 |
01 |
0.35 |
10. |
मैनपुर |
04 |
20 |
02 |
0.70 |
11 |
3.85 |
05 |
1.75 |
02 |
0.70 |
11. |
पलारी |
04 |
14 |
01 |
0.35 |
06 |
2.10 |
05 |
1.73 |
02 |
0.70 |
12. |
राजिम |
02 |
06 |
03 |
1.05 |
01 |
0.35 |
01 |
0.35 |
01 |
0.35 |
13. |
सिमगा |
02 |
06 |
01 |
0.35 |
03 |
1.05 |
01 |
0.35 |
02 |
0.70 |
14. |
तिल्दा |
03 |
11 |
04 |
1.40 |
04 |
1.40 |
02 |
0.70 |
01 |
0.35 |
कुल |
57 |
285 |
51 |
17.89 |
119 |
41.75 |
80 |
28.07 |
35 |
12.28 |
|
स्रोत: व्यक्तिगत सर्वेक्षण द्वारा प्राप्त आंकड़ा |
उपरोक्त सारणी 3.8 से स्पष्ट है कि एक से दो मीटर गहराई वाले तालाबों की संख्या 51 (17.89 प्रतिशत), दो से तीन मीटर के मध्य गहराई वाले तालाबों की संख्या 119 (41.75 प्रतिशत), तीन से चार मीटर गहराई वाले तालाब 80 (28.07 प्रतिशत) एवं चार से अधिक मीटर गहराई वाले तालाबों की संख्या 35 (12.28 प्रतिशत) है।
अध्ययन क्षेत्रों के चयनित 285 तालाबों में एक से दो मीटर के मध्य गहराई वाले तालाबों की संख्या 51 (17.89 प्रतिशत) है। विकासखण्डानुसार इस गहराई के सर्वाधिक तालाब आरंग, बलौदाबाजार, भाटापारा में 22 (7.71 प्रतिशत), अभनपुर, बिलाईगढ़, कसडोल, राजिम, तिल्दा विकासखण्ड में 16 (6.31 प्रतिशत) एवं छुरा, देवभोग, धरसीवां, गरियाबंद, मैनपुर, पलारी, सिमगा में 11 (3.85 प्रतिशत) है। दो से तीन मीटर के मध्य गहराई वाले तालाबों की संख्या 119 (41.75 प्रतिशत) है। विकासखण्डानुसार इस गहराई के सर्वाधिक तालाबों की संख्या आरंग, अभनपुर, गरियाबंद, कसडोल मैनपुर में 49 (17.19 प्रतिशत), भाटापारा, बिलाईगढ में 34 (11.92 प्रतिशत) एवं बलौदाबाजार, छुरा, देवभोग, धरसीवां, पलारी में 36 (12.63 प्रतिशत) है।
तीन से चार मीटर गहराई वाले तालाबों की संख्या 80 (28.07 प्रतिशत) है। विकासखण्डानुसार इस गहराई के सर्वाधिक तालाबें की संख्या अभनपुर, देवभोग, गरियाबंद में 37 (12.98 प्रतिशत) आरंग, बलौदाबाजार, भाटापारा, धरसीवां, मैनपुर पलारी में 35 ( 12.28 प्रतिशत) एवं बिलाईगढ़, कसडोल, राजिम, सिमगा, तिल्दा में तालाबों की संख्या 8 (2.80 प्रतिशत) पाये गये हैं। चार मीटर से अधिक गहराई वाले तालाबों की संख्या 35 (12.28 प्रतिशत) है। विकासखण्डानुसार इस गहराई के सर्वाधिक तालाब अभनपुर, भाटापारा, छुरा, देवभोग, कसडोल, मैनपुर पलारी, राजिम, सिमगा तिल्दा में 16 (5.61 प्रतिशत) आरंग, बलौदाबाजार, बिलाईगढ़, गरियाबंद, में 12 (4.21 प्रतिशत) एवं धरसीवां में 7 (2.45 प्रतिशत) है। अतः चयनित 285 तालाबों में सर्वाधिक गहराई वाले तालाब दो से तीन मीटर के मध्य एवं न्यूनतम चार मीटर से अधिक गहराई वाले तालाबों की संख्या है।
जल ग्रहण क्षमता: तालाब में जलग्रहण-क्षमता तालाबों के क्षेत्रफल, गहराई एवं मेंड की ऊँचाई-चौड़ाई के अनुसार होती है। साथ ही धरातलीय स्वरूप एवं जल के प्रवाह मार्ग भी तालाबों में जल ग्रहण की क्षमता को प्रभावित करती है। जलग्रहण क्षमता का आकलन घनमीटर (M3) में प्रदर्शित किया गया है। चयनित तालाबों में जलग्रहण क्षमता विकासखण्ड सारणी 3.9 में प्रस्तुत है।
उपरोक्त सारणी से स्पष्ट है कि अध्ययन क्षेत्रों के चयनित तालाबों में जलग्रहण क्षमता के अन्तर्गत 20,000 से कम घनमीटर जल ग्रहण क्षमता वाले तालाबों की संख्या 69 (24.21 प्रतिशत), 20,000 से 40,000 घनमीटर जल ग्रहण क्षमता वाले तालाबों की संख्या 54 (18.95 प्रतिशत) 40,000-80,000 घनमीटर जलग्रहण क्षमता वाले तालाब 107 (37.54 प्रतिशत) एवं 80,000 घन मीटर से अधिक जलग्रहण क्षमता वाले तालाबों की संख्या 55 (19.30 प्रतिशत) पाये गये हैं, जिनमें सर्वाधिक जल ग्रहण 40,000-80,000 घनमीटर वाले तालाब एवं न्यूनतम 20,000-40,000 घन मीटर जल ग्रहण क्षमता वाले तालाब हैं।
अध्ययन क्षेत्र के चयनित तालाबों में 20,000 घनमीटर से कम जल ग्रहण क्षमता वाले तालाबों की सर्वाधिक संख्या आरंग, बलौदाबाजार, भाटापारा, बिलाईगढ़, छुरा, विकासखण्ड में 40 (14.03 प्रतिशत), अभनपुर, धरसीवां, कसडोल, मैनपुर, पलारी, तिल्दा में 25 (8.77 प्रतिशत) एवं देवभोग, गरियाबंद, सिमगा, राजिम, विकासखण्ड में 04 (1.40 प्रतिशत) है।
चयनित तालाबों में 20,000-40,000 घन मीटर के मध्य जल ग्रहण क्षमता वाले तालाबों की सर्वाधिक संख्या आरंग, अभनपुर, बलौदाबाजार, गरियाबंद, कसडोल, मैनपुर, पलारी विकासखण्ड में 27 (9.47 प्रतिशत) एवं भाटापारा, बिलाईगढ़ देवभोग में 22 (7.72 प्रतिशत) छुरा, धरसीवां, राजिम, सिमगा, तिलदा, विकासखण्ड में 05 (1.75 प्रतिशत) है। 40,000-80,000 घनमीटर में मध्य जलग्रहण क्षमता वाले तालाबों की सर्वाधिक संख्या आरंग, अभनपुर, भाटापारा, छुरा, देवभोग, गरियाबंद, मैनपुर विकासखण्ड में 67 (23.51 प्रतिशत) बलौदाबाजार, धरसीवां, कसडोल, पलारी में 26 (9.12 प्रतिशत) एवं बिलाईगढ़, राजिम, सिमगा, तिल्दा विकासखण्ड में 14 (4.91 प्रतिशत) पाये गये। 80,000 घनमीटर से अधिक जलग्रहण क्षमता वाले तालाबों की सर्वाधिक संख्या बलौदाबाजार, भाटापारा, बिलाईगढ़, छुरा, गरियाबंद, कसडोल, राजिम में 26 (9.12 प्रतिशत), आरंग, अभनपुर, धरसीवां में 20 (7.02 प्रतिशत) एवं देवभोग, मैनपुर, पलारी, सिमगा, तिल्दा में 9 ( 3.16 प्रतिशत) है। अतः वर्तमान में तालाबों में जलग्रहण क्षमता लगातार घटती जा रही है। तालाबों में जल प्रवाह के द्वारा विभिन्न प्रकार के कूड़ा करकट, रेत, मिट्टी से गहराई पटती जा रही है, साथ ही मेंड की ऊँचाई-चौड़ाई एवं तालाबों की गहराई कम होने के कारण जल ग्रहण क्षमता प्रभावित हो रही है।
तालाबों में मेंड निर्माण की सामग्री: अध्ययन क्षेत्रों में चयनित तालाबों में मेंड निर्माण की सामग्री मिट्टी पत्थर एवं मुरूम हैं। चयनित तालाबों में मेंड अधिकांशतः धरातलीय मिट्टियों से ही बनी हुई है। कुछ तालाबों की मेंडें ऐसे भी हैं, जिनमें कम मात्रा में मुरूम एवं पत्थर डालकर बनाई गई हैं। मिट्टी की मेंड की अपेक्षा मुरूम एवं पत्थरों से बनी मेंडे मजबूत होती हैं। साथ ही अपारागम्य संस्तर होने से मेंड तालाब जल को रिसने से रोकती है। मेंड निर्माण की सामग्री को सारणी 3.10 में प्रस्तुत किया गया है।
उपरोक्त सारणी 3.10 से स्पष्ट है कि अध्ययन-क्षेत्रों के चयनित तालाबों में मेंड निर्माण की सामग्री में मुख्यतः मिट्टी द्वारा निर्मित मेंड वाले तालाबों की संख्या 258 (90.45 प्रतिशत), मुरूम मिट्टी द्वारा निर्मित मेंड वाले तालाब 18 (6.3 प्रतिशत) एवं मिट्टी/मुरूम/पत्थर द्वारा निर्मित मेंड वाले तालाबों की संख्या 9 (3.15 प्रतिशत) पाये गये हैं।
अध्ययन क्षेत्रों में चयनित 285 तालाबों में मिट्टी द्वारा निर्मित मेंड वाले तालाबों की संख्या 258 (90.51 प्रतिशत) है। विकासखण्डानुसार मिट्टी मेंड वाले तालाबों की सर्वाधिक संख्या बलौदाबाजार, बिलाईगढ़, छुरा, देवभोग, धरसीवां, गरियाबंद, कसडोल, मैनपुर, अन्तर्गत 150 (52.63 प्रतिशत), आरंग, अभनपुर, भाटापारा, विकासखण्ड अन्तर्गत 76 (26.66 प्रतिशत) एवं पलारी, राजिम, सिमगा, तिल्दा, विकासखण्ड अन्तर्गत 32 (11.22 प्रतिशत) तालाबों में मेंड मिट्टी द्वारा निर्मित पाये गये।
चयनित 285 तालाबों में मुरूम मिट्टी द्वारा निर्मित मेंड वाले तालाबों की संख्या 18 (6.31 प्रतिशत) है। विकासखण्डानुसार मुरूम/मिट्टी मेंड वाले तालाबों की सर्वाधिक संख्या बलौदाबाजार, भाटापारा, आरंग अन्तर्गत 11 (3.85 प्रतिशत), गरियाबंद, मैनपुर, पलारी, तिल्दा विकासखण्ड अन्तर्गत 7 (2.45 प्रतिशत) एवं अभनपुर, बिलाईगढ़, छुरा, देवभोग, धरसीवां, कसडोल, राजिम, सिमगा अन्तर्गत चयनित तालाबों के मेंड मुरूम/मिट्टी द्वारा निर्मित नहीं पाये गये हैं। चयनित तालाबों में पत्थर मुरूम एवं मिट्टी द्वारा निर्मित मेंड वाले तालाबों की संख्या 9 (3.15 प्रतिशत) पाये गये हैं। विकासखण्डानुसार पत्थर मुरूम एवं मिट्टी मेंड वाले तालाबों की सर्वाधिक संख्या भाटापारा, बिलाईगढ़, देवभोग, अन्तर्गत 6 (2.10 प्रतिशत) छुरा, गरियाबंद, पलारी अन्तर्गत चयनित तालाबों में 3 (1.05 प्रतिशत) पाये गये हैं एवं आरंग, अभनपुर, बलौदाबाजार, धरसीवां, कसडोल, मैनपुर, राजिम, सिमगा, तिल्दा, विकासखण्ड अन्तर्गत चयनित किसी भी तालाबों के मेंड पत्थर, मिट्टी एवं मुरूम द्वारा निर्मित नहीं पाये गये। अतः अध्ययन क्षेत्रों के चयनित तालाबों में मेंड अपेक्षाकृत मिट्टी द्वारा निर्मित है। बहुत कम ही तालाब ऐसे हैं जिनकी मेंड मुरूम एवं पत्थर द्वारा निर्मित है। तालाबों की मेंड पूर्णतः तालाब की धरातलीय मिट्टी द्वारा ही बनाई जाती है।
तालाबों में जल मार्ग:- तालाबों में मुख्य रूप से दो मार्ग होते हैं, जिसमें पहला मुखी (Incoming) एवं दूसरा उलट (Outgoing) कहलाता है। तालाबों में जलमुखी मार्ग से प्रवेश करती है तथा जलस्तर उच्च हो जाने की स्थिति में तालाब से जल उलट मार्ग से धरातलीय सतह या कृषि क्षेत्रों में प्रवाहित हो जाते हैं। अतः चयनित तालाबों में पाये गये जल मार्ग वाले तालाबों की संख्या सारणी 3.11 में प्रस्तुत है।
उपरोक्त सारणी 3.11 से स्पष्ट है कि 285 तालाबों में जल मार्ग के अध्ययन से मुखी मार्ग वाले तालाबों की संख्या 265 (92.98 प्रतिशत) एवं उलट मार्ग वाले 241 (84.56 प्रतिशत) है। मुखी मार्ग की अपेक्षा उलट मार्ग वाले तालाबों की संख्या अपेक्षाकृत कम है।
तालाबों में मुखी मार्ग - चयनित तालाबों में मुखी मार्ग (Incoming) वाले तालाबों की संख्या 265 (92.98 प्रतिशत) है। विकासखण्डानुसार मुखी मार्ग वाले तालाबों की सर्वाधिक संख्या आरंग, अभनपुर, बलौदाबाजार, भाटापारा, बिलाईगढ़, छुरा, धरसीवां, मैनपुर अन्तर्गत तालाबों में 183 (64.21 प्रतिशत), देवभोग, कसडोल, पलारी, विकासखण्ड अन्तर्गत 48 (16.84 प्रतिशत) एवं राजिम, सिमगा, तिल्दा विकासखण्ड अन्तर्गत चयनित तालाबों में 34 (11.92 प्रतिशत) है।तालाबों में उलट मार्ग: अध्ययन क्षेत्रों में चयनित तालाबों में उलट मार्ग (Outgoing) वाले तालाबों की संख्या 241 (84.56 प्रतिशत) है। विकासखण्डानुसार उलट मार्ग वाले तालाबों की सर्वाधिक संख्या आरंग, बलौदाबाजार, भाटापारा, बिलाईगढ़, छुरा, धरसीवां, गरियाबंद अन्तर्गत 146 (51.22 प्रतिशत) अभनपुर, देवभोग, कसडोल, मैनपुर, पलारी अन्तर्गत चयनित तालाबों में 73 (25.61 प्रतिशत) एवं राजिम, सिमगा, तिल्दा, विकासखंड अन्तर्गत चयनित तालाबों में 22 (7.71 प्रतिशत) उलट मार्ग वाले तालाब हैं।
तालाबों का अपवाह क्षेत्र - तालाबों के अपवाह क्षेत्र के अन्तर्गत वर्षा द्वारा जल के निवेश (Input) जल के स्थानातंरण, संचयन तथा जल के बहिर्गमन (Output) का अध्ययन किया जाता है। अध्ययन क्षेत्र में जल आपूर्ति का मुख्य स्रोत वर्षा है, अतः यह अध्ययन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।
उपलब्ध धरातलीय सूक्ष्म ढाल के अनुरूप प्रत्येक तालाब का स्वतंत्र अपवाह क्षेेत्र होता है। तालाब में जल संग्रहण की मात्रा अपवाह-क्षेत्र के आकार एवं सूक्ष्म ढाल अनुसार निर्धारित होता है। ग्रामीण अधिवासों की संरचना में दो प्रकार से जल की आपूर्ति होती है।
प्रथम अधिवास से लगे हुए तालाबों में घर की छतों का पानी गलियों से होता हुआ तालाबों में संग्रहित होता है। द्वितीय अधिवासों से दूर के तालाबों में धरातलीय ढाल एवं क्षेत्रीय विस्तार के अनुसार पानी बहकर तालाबों में संग्रहित होता है। उपर्युक्त विधियाँ यहाँ के निवासियों के अनुभाविक ज्ञान के आधार पर कम लागत एवं परिश्रम से तैयार किया गया है। कृषि अर्थव्यवस्था पर आधारित ग्रामीण अधिवासों के आकार में पर्याप्त अंतर मिलता है। इन्हीं आकारों में अंतर तालाबों के अपवाह क्षेत्र में अंतर उत्पन्न करता है। व्यक्तिगत निरीक्षण से प्राप्त तालाबों के अपवाह क्षेत्र का विवरण सारणी क्रमांक 3.12 में स्पष्ट किया गया है।
सारणी 3.12 तालाबों के अपवाह क्षेत्र का क्षेत्रफल (कि.मी. में) |
|||||||||
क्र. |
विकासखण्ड |
चयनित ग्रामों की संख्या |
चयनित तालाबों की संख्या |
अपवाह क्षेत्र का क्षेत्रफल (कि.मी. में) |
|||||
0-1 |
प्रतिशत |
1-2 |
प्रतिशत |
2 से अधिक |
प्रतिशत |
||||
1 |
आरंग |
05 |
29 |
07 |
2.46 |
16 |
5.61 |
06 |
2.10 |
2. |
अभनपुर |
05 |
24 |
05 |
1.75 |
15 |
5.26 |
04 |
1.40 |
3. |
बलौदाबाजार |
04 |
21 |
08 |
2.80 |
10 |
3.50 |
03 |
1.05 |
4. |
भाटापारा |
04 |
33 |
10 |
3.50 |
18 |
6.13 |
05 |
1.75 |
5. |
बिलाईगढ़ |
04 |
24 |
08 |
2.80 |
10 |
3.50 |
06 |
2.10 |
6. |
छुरा |
04 |
21 |
06 |
2.10 |
12 |
4.21 |
03 |
1.05 |
7. |
देवभोग |
04 |
18 |
06 |
2.10 |
10 |
3.50 |
02 |
0.70 |
8. |
धरसीवां |
04 |
20 |
05 |
1.75 |
12 |
4.21 |
03 |
1.05 |
9. |
गरियाबंद |
04 |
21 |
03 |
1.05 |
14 |
4.91 |
04 |
0.70 |
10. |
कसडोल |
04 |
17 |
02 |
0.70 |
12 |
4.21 |
03 |
1.05 |
11. |
मैनपुर |
04 |
20 |
06 |
2.10 |
10 |
3.50 |
04 |
1.40 |
12. |
पलारी |
04 |
14 |
03 |
1.05 |
09 |
3.16 |
02 |
0.70 |
13. |
राजिम |
02 |
06 |
02 |
0.70 |
03 |
1.05 |
01 |
0.35 |
14. |
सिमगा |
02 |
06 |
01 |
0.35 |
03 |
1.05 |
02 |
0.70 |
15. |
तिल्दा |
03 |
11 |
04 |
1.40 |
06 |
2.10 |
01 |
0.35 |
कुल |
57 |
285 |
76 |
26.66 |
160 |
56.14 |
49 |
17.19 |
|
स्रोत: व्यक्तिगत सर्वेक्षण द्वारा प्राप्त आंकड़ा। |
उपरोक्त सारणी 3.12 से स्पष्ट है कि अध्ययन क्षेत्र में चयनित तालाबों का अपवाह मार्ग सर्वाधिक 1-2 किलोमीटर की दूरी वाले तालाबों की संख्या 160 (56.14 प्रतिशत) है, मध्यम 1 से कम किमी. की अपवाह वाले तालाबों की संख्या 76 (26.66 प्रतिशत) एवं न्यूनतम 2 किमी. से अधिक दूरी तक अपवाह मार्ग वाले तालाबों की संख्या 49 (17.19 प्रतिशत) है।
अध्ययन क्षेत्र में 0-1 किमी. तक अपवाह क्षेत्र वाले तालाबों की संख्या 76 (26.66 प्रतिशत) है। इसके अन्तर्गत सर्वाधिक तालाब आरंग, बलौदाबाजार, भाटापारा, बिलाईगढ़, छुरा, देवभोग, मैनपुर विकासखण्ड में 51 (17.89 प्रतिशत), अभनपुर, धरसीवां, गरियाबंद, पलारी, तिल्दा विकासखण्ड अन्तर्गत मध्यम 20 (7.02 प्रतिशत) एवं न्यूनतम कसडोल, राजिम, सिमगा, विकासखण्ड अन्तर्गत 5 (1.75 प्रतिशत) तालाबों का अपवाह पाये गये हैं।
चयनित तालाबों में 1-2 किमी. के मध्य प्रवाह क्षेत्र वाले तलाबों की संख्या भी पाये गये हैं। इसके अन्तर्गत सर्वाधिक तालाब, आरंग, अभनपुर, भाटापारा, छुरा, धरसीवां, गरियाबंद, कसडोल विकासखण्ड में 99 (34.74 प्रतिशत), बलौदाबाजार, बिलाईगढ़, देवभोग, मैनपुर, पलारी, विकासखण्ड अन्तर्गत 55 (19.30 प्रतिशत) एवं न्यूनतम राजिम, सिमगा विकासखण्ड अन्तर्गत 6 (2.10 प्रतिशत) तालाब है।
चयनित तालाबों में 2 किमी. से अधिक अपवाह क्षेत्र वाले तालाबों की संख्या 49 (17.19 प्रतिशत) है। इसके अन्तर्गत सर्वाधिक तालाबों की संख्या बलौदाबाजार, अभनपुर, भाटापारा, धरसीवां, गरियाबंद, कसडोल, मैनपुर विकासखण्ड में 29 (10.17 प्रतिशत), आरंग, बिलाईगढ़ विकासखण्ड अन्तर्गत 12 (4.21 प्रतिशत) एवं न्यूनतम देवभोग, पलारी, राजिम, सिमगा, तिल्दा विकासखण्ड अन्तर्गत 6 (2.80 प्रतिशत) तालाबों में प्रवाह क्षेत्र 2 किमी. से अधिक है।
तालाबों में जलस्रोत: रायपुर जिले में तालाब वर्षा से प्राप्त संग्रहित जल का निस्तारी उपयोग के लिये बनाए गए थे। वर्षा की मात्रा अनिश्चित होती है। सामान्य वर्षा वाले वर्षों में समस्या कम होती है, लेकिन अभाव या कम वर्षा वाले वर्षों में ग्रीष्मकालीन निस्तारी की समस्या होती है। इस समस्या से मुक्ति तभी सम्भव है, जब जल के अन्य स्रोत उपलब्ध हो। शासकीय स्तर के तालाबों में ग्रीष्मकालीन जल आपूर्ति के लिये प्रत्येक ग्राम में कम से कम एक तालाब को नहरों से जोड़ा गया है। अप्रैल माह में आवश्यकता अनुरूप इन तालाबों को नहरों से पानी देकर भर दिया जाता है। बहुतायात अधिवास ऐसे भी होते हैं, जो नहरों से जुड़े हुए नहीं होते। ऐसे तालाबों के लिये इंदिरा गंगा ग्राम जल योजना के तहत तालाबों के पास ट्यूबवेल निर्मित किया गया है तथा ट्यूबवेल में प्राप्त भूमिगत जल से ग्रीष्म कालीन उपयोग के लिये तालाबों को भरा जाता है। प्रस्तुत सारणी 3.13 में उन ग्रामों के जलस्रोतों का विवरण प्रस्तुत किया गया है, जो नहरों, नलकूपों या अन्य साधनों से ग्रीष्मकालीन जल की आपूर्ति करते हैं।
सारणी 3.13 तालाब में जल के स्रोत नहर |
|||||||
क्र. |
विकासखण्ड |
चयनित ग्रामों की संख्या |
चयनित तालाबों की संख्या |
नहर द्वारा प्राप्त जल |
% |
अन्य साधनों से प्राप्त जल |
% |
1. |
आरंग |
05 |
29 |
21 |
7.37 |
08 |
2.80 |
2. |
अभनपुर |
05 |
24 |
15 |
5.63 |
09 |
3.16 |
3. |
बलौदाबाजार |
04 |
21 |
16 |
5.61 |
05 |
1.75 |
4. |
भाटापारा |
04 |
33 |
16 |
5.61 |
17 |
5.96 |
5. |
बिलाईगढ़ |
04 |
24 |
12 |
4.21 |
12 |
4.21 |
6. |
छुरा |
04 |
21 |
13 |
4.56 |
08 |
2.80 |
7. |
देवभोग |
04 |
18 |
10 |
3.51 |
08 |
2.80 |
8. |
धरसीवां |
04 |
20 |
14 |
4.91 |
06 |
2.10 |
9. |
गरियाबंद |
04 |
21 |
13 |
3.51 |
11 |
3.86 |
10. |
कसडोल |
04 |
17 |
05 |
1.75 |
12 |
4.21 |
11. |
मैनपुर |
04 |
20 |
09 |
3.16 |
11 |
3.86 |
12. |
पलारी |
04 |
14 |
07 |
2.46 |
07 |
2.46 |
13. |
राजिम |
02 |
06 |
02 |
0.70 |
04 |
1.40 |
14. |
सिमगा |
02 |
06 |
04 |
1.40 |
02 |
0.70 |
15. |
तिल्दा |
03 |
11 |
05 |
1.75 |
06 |
2.10 |
कुल |
57 |
285 |
159 |
55.7 |
126 |
44.21 |
|
स्रोत: व्यक्तिगत सर्वेक्षण द्वारा प्राप्त आंकड़ा |
उपरोक्त सारणी 3.13 से स्पष्ट है कि सर्वेक्षित जिले के चयनित तालाबों में से नहरों द्वारा तालाबों में जल स्रोत वाले तालाबों की संख्या 159 (55.79 प्रतिशत) एवं अन्य साधनों से तालाबों में जल स्रोत वाले तालाबों की संख्या 126 (84.25 प्रतिशत) पाये गये हैं।
अध्ययन क्षेत्र के चयनित तालाबों में नहर द्वारा जल प्राप्त की जाने वाली तालाबों की संख्या 159 (55.79 प्रतिशत) पाये गए हैं। तालाबों में जलस्तर घटाने की स्थिति में नहर, नाली द्वारा जल समीपवर्ती तालाबों एवं बाँधों के माध्यम से लाया जाता है। अतः अध्ययन क्षेत्र में नहर द्वारा सर्वाधिक जल प्राप्ति वाले तालाबों की संख्या अभनपुर, बलौदाबाजार, भाटापारा, बिलाईगढ़, छुरा, देवभोग, धरसीवां गरियाबंद मैनपुर विकासखण्ड अन्तर्गत कुल तालाबों की संख्या 115 (40.35 प्रतिशत) है। कसडोल, पलारी, राजिम, सिमगा, तिल्दा विकासखण्ड अन्तर्गत 23 (8.07 प्रतिशत) एवं आरंग विकासखण्ड अन्तर्गत 21 (7.37 प्रतिशत) तालाबों में नहर द्वारा जल प्राप्त की जाती है।
अध्ययन क्षेत्र के चयनित तालाबों में अन्य साधनों द्वारा जल प्राप्त करने वाले तालाबों की संख्या 126 (44.21 प्रतिशत) पाये गये हैं। जिन क्षेत्रों में नहर नाली का निर्माण नहीं किया गया है या नहर नाली होेने के बावजूद जल उन तालाबों तक नहीं पहुँच पाता है। इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न होने पर अन्य साधनों से सर्वाधिक जल प्राप्ति वाले तालाबों की संख्या आरंग, अभनपुर, छुरा, देवभोग, धरसीवां, गरियाबंद, मैनपुर, पलारी, तिल्दा विकासखण्ड अन्तर्गत 74 (25.96 प्रतिशत), भाटापारा, बिलाईगढ़, कसडोल विकासखण्ड अन्तर्गत मध्यम 41 (14.38 प्रतिशत) एवं न्यूनतम बलौदाबाजार, राजिम, सिमगा विकासखण्ड अन्तर्गत 11 ( 3.86 प्रतिशत) है।
तालाबों का जलस्तर: तालाबों में जलस्तर का मापन कुल संग्रहित जल की मात्रा के आकलन के लिये आवश्यक है। ज्ञातव्य है कि यहाँ वर्षा का जल ही तालाबों के जल आपूर्ति का एकमात्र साधन है। वर्ष भर में वर्षा के दिन 55 से लेकर 63 दिन तक सिमित है। इस स्थिति में तालाबों के आकार एवं मेंडों की ऊँचाई कुल संग्रहित जल की मात्रा को नियंत्रित करता है। तालाबों में अधिकतम जल स्तर वर्षाऋतु में तथा मध्यम जलस्तर ग्रीष्म ऋतु में एवं न्यूनतम जलस्तर ग्रीष्म ऋतु में पाया गया जिसे क्रमशः सारणियों में प्रस्तुत किया गया है।
उपरोक्त सारणी 3.14 से स्पष्ट है कि सर्वेक्षित जिले के चयनित तालाबों में सर्वाधिक वर्षाऋतु में जलस्तर 2-3 मी. जलस्तर वाले तालाबों की संख्या 148 (51.93 प्रतिशत), 1-2 मीटर जलस्तर वाले तालाब की संख्या 81 (28.42 प्रतिशत) एवं न्यूनतम तीन मीटर से अधिक जलस्तर वाले तालाबों की संख्या 56 (19.65 प्रतिशत) पाये गये हैं।
चयनित तालाबों में एक से दो मीटर के मध्य जलस्तर वाले तालाबों की संख्या 81 (28.42 प्रतिशत) पाये गये हैं। इसके अन्तर्गत सर्वाधिक तालाबों की संख्या अभनपुर, बलौदाबाजार, भाटापारा, बिलाईगढ़, कसडोल, मैनपुर विकासखण्ड में 51 (17.79 प्रतिशत), आरंग छुरा, गरियाबंद, पलारी, सिमगा, तिल्दा विकासखण्ड अन्तर्गत 25 (8.77 प्रतिशत) एवं न्यूनतम देवभोग, धरसीवां एवं राजिम, विकासखण्ड अन्तर्गत 05 (1.75 प्रतिशत) तालाबों में जलस्तर 1-2 मी. में पाये गये हैं।
वर्षाऋतु में 2-3 मीटर के मध्य जलस्तर वाले तालाबों की संख्या 148 (51.93 प्रतिशत) है। इसके अन्तर्गत सर्वाधिक तालाबों की संख्या अभनपुर, बलौदाबाजार, देवभोग, धरसीवां, गरियाबंद, कसडोल, मैनपुर, पलारी विकासखण्ड में 80 (28.07 प्रतिशत) आरंग, भाटापारा, बिलाईगढ़, छुरा विकासखण्ड अन्तर्गत 60 (21.05 प्रतिशत) एवं न्यूनतम, राजिम, सिमगा, तिल्दा, विकासखण्ड अन्तर्गत 08 (2.80 प्रतिशत) तालाबों में जलस्तर 2-3 मीटर के मध्य पाये गये हैं।
अध्ययन क्षेत्र के चयनित तालाबों में तीन मी. से अधिक जलस्तर वाले तालाबों की संख्या 56 (19.58 प्रतिशत) पाये गये, इसके अन्तर्गत सर्वाधिक तालाबों की संख्या अभनपुर, आरंग, धरसीवां, गरियाबंद, देवभोग, विकासखण्ड में 39 (13.68 प्रतिशत) बलौदाबाजार बिलाईगढ़, छुरा, कसडोल, मैनपुर, पलारी, राजिम, सिमगा, तिल्दा विकासखण्ड अन्तर्गत मध्यम 14 (4.91 प्रतिशत) एवं न्यूनतम भाटापारा विकासखण्ड अन्तर्गत 03 (1.05 प्रतिशत) तालाबों में जलस्तर 3 मीटर से अधिक पाये गये हैं।
उपरोक्त सारणी 3.15 से स्पष्ट है कि सर्वेक्षित जिले के अध्ययन क्षेत्रों में चयनित तालाबों में शीत ऋतु में सर्वाधिक 1-2 मी. जलस्तर वाले तालाबों की संख्या 124 (43.51 प्रतिशत), 2-3 मी. जलस्तर वाले 124 (43.51 प्रतिशत) एवं 0-1 मी. से कम जल-स्तर वाले तालाब 27 (9.47 प्रतिशत) है एवं न्यूनतम तीन मी. से अधिक जलस्तर वाले तालाबों की संख्या 10 (3.51 प्रतिशत) पाये गये हैं।
अध्ययन क्षेत्र के चयनित तालाबों में शीत ऋतु में 0-1 मी. से कम जलस्तर वाले तालाबों की संख्या 27 (9.47 प्रतिशत) है। इसके अन्तर्गत सर्वाधिक तालाबों की संख्या आरंग, अभनपुर, बलौदाबाजार एवं तिल्दा विकासखण्ड में 14 (4.91 प्रतिशत) भाटापारा, बिलाईगढ़, छुरा, धरसीवां, कसडोल, मैनपुर, पलारी, सिमगा विकासखण्ड में 12 (4.56 प्रतिशत) तालाब इसी जलस्तर के मध्य है एवं देवभोग, गरियाबंद, राजिम, अन्तर्गत चयनित तालाबों में जलस्तर न्यूनतम हैं।
चयनित तालाबों में 1-2 मीटर के मध्य जलस्तर वाले तालाबों की संख्या 124 (43.51 प्रतिशत) पाये गये हैं। इसके अंतर्गत सर्वाधिक तालाबों की संख्या आरंग, भाटापारा, बिलाईगढ़, मैनपुर विकासखण्ड में 61 (21.40 प्रतिशत) है, अभनपुर, बलौदाबाजार, छुरा, गरियांबद, कसडोल, पलारी विकासखण्ड अन्तर्गत 45 (15.79 प्रतिशत) एवं न्यूनतम देवभोग, धरसीवां, राजिम, सिमगा, तिल्दा विकासखण्ड में 18 (6.31 प्रतिशत) तालाबों में जलस्तर इसी के अन्तर्गत पाये गये हैं।
2-3 मी. जलस्तर वाले तालाबों की संख्या 124 (43.51 प्रतिशत) पाये गये हैं। इसके अन्तर्गत सर्वाधिक तालाबों की संख्या, बलौदाबाजार, भाटापारा, बिलाईगढ़ छुरा, देवभोग, धरसीवां, कसडोल, विकासखण्ड में 40 (14.03 प्रतिशत) एवं न्यूनतम मैनपुर, पलारी, राजिम, सिमगा, तिल्दा विकासखण्ड अन्तर्गत 18 (06.31 प्रतिशत) तालाबों में जलस्तर दो से तीन मीटर पाये गये।
3 मी. से अधिक जलस्तर वाले तालाबों की संख्या 10 (3.51 प्रतिशत) पाये गये हैं। इसे अन्तर्गत छुरा, देवभोग, धरसीवां, गरियाबंद एवं मैनपुर विकासखण्डों में पाये गये हैं तथा आरंग, अभनपुर, बलौदाबाजार, भाटापारा, बिलाईगढ़, कसडोल, पलारी, राजिम, सिमगा एवं तिल्दा विकासखण्ड अन्तर्गत चयनित ग्रामीण क्षेत्रों में 3 मी. से अधिक जलस्तर वाले एक भी तालाब नहीं है।
सारणी 3.16 ग्रीष्म ऋतु में जलस्तर (मीटर में) |
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क्र. |
विकासखण्ड |
चयनित ग्रामों की संख्या |
चयनित तालाबों की संख्या |
ग्रीष्म ऋतु में जलस्तर (मीटर में) |
|||||
0-1 |
% |
1-2 |
% |
2 से अधिक |
% |
||||
1 |
आरंग |
05 |
29 |
23 |
8.07 |
06 |
2.10 |
- |
- |
2. |
अभनपुर |
05 |
24 |
16 |
5.61 |
07 |
2.46 |
01 |
0.35 |
3. |
बलौदाबाजार |
04 |
21 |
10 |
5.51 |
06 |
2.10 |
05 |
1.75 |
4. |
भाटापारा |
04 |
33 |
10 |
8.07 |
07 |
2.46 |
03 |
1.05 |
5. |
बिलाईगढ़ |
04 |
24 |
23 |
4.91 |
04 |
1.40 |
06 |
2.10 |
6. |
छुरा |
04 |
21 |
14 |
3.51 |
09 |
3.16 |
02 |
0.70 |
7. |
देवभोग |
04 |
18 |
10 |
3.51 |
07 |
2.46 |
01 |
0.70 |
8. |
धरसीवां |
04 |
20 |
06 |
2.10 |
09 |
3.16 |
05 |
1.75 |
9. |
गरियाबंद |
04 |
21 |
10 |
3.51 |
11 |
3.86 |
- |
- |
10. |
कसडोल |
04 |
17 |
10 |
3.51 |
07 |
2.46 |
- |
- |
11. |
मैनपुर |
04 |
20 |
09 |
3.16 |
10 |
3.51 |
01 |
0.35 |
12. |
पलारी |
04 |
14 |
89 |
2.86 |
06 |
2.10 |
- |
- |
13. |
राजिम |
02 |
06 |
03 |
1.05 |
02 |
0.70 |
01 |
0.35 |
14. |
सिमगा |
02 |
06 |
02 |
0.70 |
03 |
1.05 |
01 |
0.35 |
15. |
तिल्दा |
03 |
11 |
07 |
2.46 |
03 |
1.05 |
01 |
0.35 |
कुल |
57 |
285 |
161 |
56.49 |
97 |
34.03 |
27 |
9.48 |
|
स्रोत: व्यक्तिगत सर्वेक्षण द्वारा प्राप्त आंकड़ा। |
सारणी 3.16 से स्पष्ट है कि सर्वेक्षित जिले के अध्ययन क्षेत्रों में चयनित तालाबों में ग्रीष्म ऋतु में सर्वाधिक जलस्तर 0-1 मीटर के मध्य तालाबों की संख्या 161 (56.49 प्रतिशत), 1-2 मीटर जलस्तर वाले तालाब 97 (34.03 प्रतिशत) एवं न्यूनतम 2 मीटर से अधिक जलस्तर वाले तालाबों की संख्या 27 (9.48 प्रतिशत) पाये गये हैं। ग्रीष्म ऋतु में 0-1 मीटर जलस्तर वाले तालाबों की संख्या 161 (56.49 प्रतिशत) पाये गये हैं। इसके अन्तर्गत सर्वाधिक तालाबों की संख्या, अभनपुर, बलौदाबाजार, बिलाईगढ़, छुरा, देवभोग, गरियाबंद, कसडोल, मैनपुर, विकासखण्डों में 89 (31.23 प्रतिशत), आरंग, भाटापारा विकासखण्ड अन्तर्गत 46 (16.14 प्रतिशत) एवं न्यूनतम धरसीवां, पलारी, राजिम, सिमगा, तिल्दा विकासखण्ड अन्तर्गत 26 (9.12 प्रतिशत) हैं।
1-2 मीटर जलस्तर वाले तालाबों की संख्या 97 (34.03 प्रतिशत) पाये गये हैं। इसके अन्तर्गत सर्वाधिक तालाब आरंग, अभनपुर, बलौदाबाजार, भाटापारा, बिलाईगढ़, देवभोग, कसडोल, पलारी, राजिम, सिमगा, तिल्दा विकासखण्ड में 58 (20.35 प्रतिशत) एवं न्यूनतम छुरा, धरसीवां, गरियाबंद, मैनपुर विकासखण्ड अन्तर्गत 39 (13.68 प्रतिशत) तालाबों में जलस्तर एक से दो मीटर तक पाये गये हैं।
दो मीटर से अधिक जलस्तर वाले तालाबों की संख्या 27 (9.48 प्रतिशत) है। इसके अन्तर्गत सर्वाधिक तालाब बलौदाबाजार, भाटापारा, बिलाईगढ़, धरसीवां विकासखण्ड में 19 (6.66 प्रतिशत) एवं न्यूनतम अभनपुर, छुरा, देवभोग, मैनपुर, राजिम, सिमगा, तिल्दा विकासखण्ड अन्तर्गत 8 (2.80 प्रतिशत) तालाबों में जलस्तर दो मी. से अधिक पाये गये हैं एवं आरंग, कसडोल, गरियाबंद, पलारी, विकासखण्डों में इस जलस्तर के अन्तर्गत एक भी तालाब नहीं पाये गये।
शोधगंगा (इस पुस्तक के अन्य अध्यायों को पढ़ने के लिये कृपया आलेख के लिंक पर क्लिक करें।) |
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तालाबों का सामाजिक एवं सांस्कृतिक पक्ष (Social and cultural aspects of ponds) |
6 |
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7 |
तालाब जल कीतालाब जल की गुणवत्ता एवं जल-जन्य बीमारियाँ (Pond water quality and water borne diseases) |
8 |
रायपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में तालाबों का भौगोलिक अध्ययन : सारांश |