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छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश में में अवर्षा और सूखे की स्थिति पर प्रारम्भिक रिपोर्ट भेज दी है। रिपोर्ट में प्रदेश में सूखे की स्थिति पर चिन्ता जताते हुए कहा गया है कि अगर आगामी कुछ दिनों में अच्छी बारिश नहीं होती है तो पेयजल व पशु चारे की व्यवस्था तथा रोजगारमूलक कार्य खोलने की आवश्यकता होगी। खेतिहर मजदूरों व किसानों का दूसरे राज्यों में पलायन भी हो सकता है। छत्तीसगढ़ में कम बारिश होने से किसानों के चेहरों पर अकाल की आशंका साफ-साफ देखी जा सकती है। खेतों में लगी धान की फसल झुलस रही है। इसके साथ धान की फसल में ब्लास्ट व झुलसा रोग भी तेजी से फैल रहा है।
27 जिलों वाले छत्तीसगढ़ राज्य के 14 जिलों में कम बारिश के कारण धान की खेती की उम्मीदें जमींदोज हो गई हैं। सूखे खेतों में दरारें हैं। हरी दिखने वाली फसलें सूखकर पीली पड़ गई हैं। इसलिये बारिश की आस में आसमान की ओर टकटकी लगाए किसान अब पूरी तरह नाउम्मीद हो रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के आधे हिस्से में सूखे का साया मँडराने लगा है। रायपुर, महासमुंद, धमतरी, बलौदा बाजार, बालोद, राजनांदगाँव जिलों में खेती चौपट हो गई है। दो बार धान बोने के बावजूद फसल छह अंगुल से ज्यादा नहीं बढ़ पाई है। किसान अब फसल की उम्मीद छोड़ उसे पशुओं के हवाले करने लगे हैं।
जिन इलाकों में पर्याप्त बारिश हुई है, वहाँ रोपा और बियासी का काम पूरा होने की स्थिति में है। खेतों में पानी भरे हैं, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। अब बारिश हुई तो इन इलाकों में भी फसलों को नुकसान हो सकता है। कुछ किसानों के पास पम्प है, लेकिन अब बोर से खेत की सिंचाई करने के लिये पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है। अब उनके खेत भी सूखने लगे हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश में में अवर्षा और सूखे की स्थिति पर प्रारम्भिक रिपोर्ट भेज दी है। रिपोर्ट में प्रदेश में सूखे की स्थिति पर चिन्ता जताते हुए कहा गया है कि अगर आगामी कुछ दिनों में अच्छी बारिश नहीं होती है तो पेयजल व पशु चारे की व्यवस्था तथा रोजगारमूलक कार्य खोलने की आवश्यकता होगी।
खेतिहर मजदूरों व किसानों का दूसरे राज्यों में पलायन भी हो सकता है। राजस्व एवं आपदा प्रबन्धन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक केन्द्रीय गृह मंत्रालय और कृषि मंत्रालय को एक जून से चार सितम्बर तक प्रदेश में हुई बारिश की रिपोर्ट भी भेजी गई है।
प्रदेश में अब तक 973 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है, जो दस वर्षों की औसत वर्षा का 84 प्रतिशत है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि छत्तीसगढ़ में मानसून ब्रेक के चलते अवर्षा की स्थिति है। इससे प्रदेश में बोई गई खरीफ फसलों की पैदावार कम होने का अनुमान है।
ऐसी स्थिति में प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में पेयजल व पशुचारे की समस्या निर्मित हो जाएगी। इसके अलावा ग्रामीण इलाकों से काम के अभाव में खेतिहर मजदूरों का पलायन भी हो सकता है।
दूसरी ओर राज्य सरकार ने सभी जिला कलेक्टरों से अवर्षा और सूखे की स्थिति से निपटने के लिये फसलों का नजरी आकलन कर आनावारी रिपोर्ट माँगी है। कलेक्टरों को भेजे पत्र में कहा गया है कि चालू मानसून के दौरान अल्पवर्षा की स्थिति को देखते हुए प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में खरीफ फसलों की स्थिति खराब होने की सम्भावना है।
खरीफ फसलों के साथ-साथ सिंचाई जलाशयों में जल भराव, भूगर्भीय जल संग्रहण तथा जल स्तर, भूजल, सिंचाई जल व पशु चारे की उपलब्धता आदि पर भी अल्पवर्षा का प्रभाव पड़ने की आशंका है। यदि यह स्थिति आगामी दिनों में भी निरन्तर बनी रही तो सूखे की स्थिति बन सकती है। अल्पवर्षा व सूखे की सम्भावित स्थिति को देखते हुए कलेक्टरों को अपने जिले में कार्ययोजना बनाकर कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा गया है।
प्रदेश की 45 तहसीलों में वर्षा की स्थिति ज्यादा खराब है। इनमें बैकुंठपुर, खड़गवाँ, बस्तर, तोकापाल, मरवाही, कुआंकोंडा, धमतरी, नगरी, मगरलोड, दुर्ग, जशपुर, दुलदुला, फरसाबहार, कांसाबेल, कांकेर, नरहरपुर, भानुप्रतापपुर, कोयलीबेड़ा, दुर्गूकोंदल, कटघोरा, भरतपुर, महासमुंद, पिथौरा, बागबाहरा, आरंग, अभनपुर, खैरागढ़, डोंगरगाँव, चौकी, छुरिया, उसूर, बड़े राजपुर, बिलाईगढ़, पलारी, राजिम, गरियाबन्द, मैनपुर, छुरा, गुंडरदेही, बालोद, गुरूर, डौंडी, भैयाथान व प्रेमनगर शामिल हैं। इन तहसीलों में 70 प्रतिशत से कम बारिश हुई है। इनमें से कुछ तहसीलें तो ऐसी हैं, जहाँ आधी बारिश भी नहीं हुई है।
आपदा प्रबन्धन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नियमानुसार आनावारी रिपोर्ट के आधार पर ही तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किये जाने का प्रावधान है। किसी तहसील की 25 फीसदी गाँवों की आनावारी 37 पैसे से कम होने पर पूरी तहसील को सूखाग्रस्त माना जाएगा। 37 पैसे से कम आनावारी वाले गाँवों के समूह को भी सूखाग्रस्त घोषित किया जा सकता है।
तहसीलों में किसानों से राजस्व व ऋण की वसूली स्थगित कर दी जाएगी। इसके अलावा किसानों को फसल बीमा की राशि मिलेगी और वहाँ रोजगारमूलक कार्य भी खोले जाएँगे। वहीं, केन्द्र सरकार के आपदा प्रबन्धन अधिनियम 2005 के अनुसार 60 प्रतिशत से कम वर्षा वाले क्षेत्रों को भी सूखाग्रस्त घोषित करने का प्रावधान है।
प्रदेश में अवर्षा व सूखे की स्थिति की प्रारम्भिक रिपोर्ट छत्तीसगढ़ सरकार ने केन्द्र सरकार को भेजी है। प्रदेश के सभी जिलों से अल्पवर्षा व सूखे की स्थिति पर रिपोर्ट मँगाई गई है। सभी कलेक्टरों को सूखे की स्थिति से निपटने के लिये कार्ययोजना तैयार करने के साथ ही वर्षा की दैनिक समीक्षा, खरीफ फसलों का नजरी आकलन, सिंचाई, बीज-खाद, नियमित बिजली आपूर्ति, सिंचाई पम्पों के विद्युतीकरण, पशुचारे व रोज़गार आदि की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गए हैं।
केआर पिस्दा, सचिव व आयुक्त, आपदा प्रबन्धन विभाग
27 जिलों वाले छत्तीसगढ़ राज्य के 14 जिलों में कम बारिश के कारण धान की खेती की उम्मीदें जमींदोज हो गई हैं। सूखे खेतों में दरारें हैं। हरी दिखने वाली फसलें सूखकर पीली पड़ गई हैं। इसलिये बारिश की आस में आसमान की ओर टकटकी लगाए किसान अब पूरी तरह नाउम्मीद हो रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के आधे हिस्से में सूखे का साया मँडराने लगा है। रायपुर, महासमुंद, धमतरी, बलौदा बाजार, बालोद, राजनांदगाँव जिलों में खेती चौपट हो गई है। दो बार धान बोने के बावजूद फसल छह अंगुल से ज्यादा नहीं बढ़ पाई है। किसान अब फसल की उम्मीद छोड़ उसे पशुओं के हवाले करने लगे हैं।
जिन इलाकों में पर्याप्त बारिश हुई है, वहाँ रोपा और बियासी का काम पूरा होने की स्थिति में है। खेतों में पानी भरे हैं, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। अब बारिश हुई तो इन इलाकों में भी फसलों को नुकसान हो सकता है। कुछ किसानों के पास पम्प है, लेकिन अब बोर से खेत की सिंचाई करने के लिये पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है। अब उनके खेत भी सूखने लगे हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश में में अवर्षा और सूखे की स्थिति पर प्रारम्भिक रिपोर्ट भेज दी है। रिपोर्ट में प्रदेश में सूखे की स्थिति पर चिन्ता जताते हुए कहा गया है कि अगर आगामी कुछ दिनों में अच्छी बारिश नहीं होती है तो पेयजल व पशु चारे की व्यवस्था तथा रोजगारमूलक कार्य खोलने की आवश्यकता होगी।
खेतिहर मजदूरों व किसानों का दूसरे राज्यों में पलायन भी हो सकता है। राजस्व एवं आपदा प्रबन्धन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक केन्द्रीय गृह मंत्रालय और कृषि मंत्रालय को एक जून से चार सितम्बर तक प्रदेश में हुई बारिश की रिपोर्ट भी भेजी गई है।
प्रदेश में अब तक 973 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है, जो दस वर्षों की औसत वर्षा का 84 प्रतिशत है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि छत्तीसगढ़ में मानसून ब्रेक के चलते अवर्षा की स्थिति है। इससे प्रदेश में बोई गई खरीफ फसलों की पैदावार कम होने का अनुमान है।
ऐसी स्थिति में प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में पेयजल व पशुचारे की समस्या निर्मित हो जाएगी। इसके अलावा ग्रामीण इलाकों से काम के अभाव में खेतिहर मजदूरों का पलायन भी हो सकता है।
दूसरी ओर राज्य सरकार ने सभी जिला कलेक्टरों से अवर्षा और सूखे की स्थिति से निपटने के लिये फसलों का नजरी आकलन कर आनावारी रिपोर्ट माँगी है। कलेक्टरों को भेजे पत्र में कहा गया है कि चालू मानसून के दौरान अल्पवर्षा की स्थिति को देखते हुए प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में खरीफ फसलों की स्थिति खराब होने की सम्भावना है।
खरीफ फसलों के साथ-साथ सिंचाई जलाशयों में जल भराव, भूगर्भीय जल संग्रहण तथा जल स्तर, भूजल, सिंचाई जल व पशु चारे की उपलब्धता आदि पर भी अल्पवर्षा का प्रभाव पड़ने की आशंका है। यदि यह स्थिति आगामी दिनों में भी निरन्तर बनी रही तो सूखे की स्थिति बन सकती है। अल्पवर्षा व सूखे की सम्भावित स्थिति को देखते हुए कलेक्टरों को अपने जिले में कार्ययोजना बनाकर कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा गया है।
45 तहसीलों में स्थिति ज्यादा खराब
प्रदेश की 45 तहसीलों में वर्षा की स्थिति ज्यादा खराब है। इनमें बैकुंठपुर, खड़गवाँ, बस्तर, तोकापाल, मरवाही, कुआंकोंडा, धमतरी, नगरी, मगरलोड, दुर्ग, जशपुर, दुलदुला, फरसाबहार, कांसाबेल, कांकेर, नरहरपुर, भानुप्रतापपुर, कोयलीबेड़ा, दुर्गूकोंदल, कटघोरा, भरतपुर, महासमुंद, पिथौरा, बागबाहरा, आरंग, अभनपुर, खैरागढ़, डोंगरगाँव, चौकी, छुरिया, उसूर, बड़े राजपुर, बिलाईगढ़, पलारी, राजिम, गरियाबन्द, मैनपुर, छुरा, गुंडरदेही, बालोद, गुरूर, डौंडी, भैयाथान व प्रेमनगर शामिल हैं। इन तहसीलों में 70 प्रतिशत से कम बारिश हुई है। इनमें से कुछ तहसीलें तो ऐसी हैं, जहाँ आधी बारिश भी नहीं हुई है।
सरकार की नजर में सूखा
आपदा प्रबन्धन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नियमानुसार आनावारी रिपोर्ट के आधार पर ही तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किये जाने का प्रावधान है। किसी तहसील की 25 फीसदी गाँवों की आनावारी 37 पैसे से कम होने पर पूरी तहसील को सूखाग्रस्त माना जाएगा। 37 पैसे से कम आनावारी वाले गाँवों के समूह को भी सूखाग्रस्त घोषित किया जा सकता है।
तहसीलों में किसानों से राजस्व व ऋण की वसूली स्थगित कर दी जाएगी। इसके अलावा किसानों को फसल बीमा की राशि मिलेगी और वहाँ रोजगारमूलक कार्य भी खोले जाएँगे। वहीं, केन्द्र सरकार के आपदा प्रबन्धन अधिनियम 2005 के अनुसार 60 प्रतिशत से कम वर्षा वाले क्षेत्रों को भी सूखाग्रस्त घोषित करने का प्रावधान है।
प्रदेश में अवर्षा व सूखे की स्थिति की प्रारम्भिक रिपोर्ट छत्तीसगढ़ सरकार ने केन्द्र सरकार को भेजी है। प्रदेश के सभी जिलों से अल्पवर्षा व सूखे की स्थिति पर रिपोर्ट मँगाई गई है। सभी कलेक्टरों को सूखे की स्थिति से निपटने के लिये कार्ययोजना तैयार करने के साथ ही वर्षा की दैनिक समीक्षा, खरीफ फसलों का नजरी आकलन, सिंचाई, बीज-खाद, नियमित बिजली आपूर्ति, सिंचाई पम्पों के विद्युतीकरण, पशुचारे व रोज़गार आदि की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गए हैं।
केआर पिस्दा, सचिव व आयुक्त, आपदा प्रबन्धन विभाग