उज्जैन, शाजापुर. ‘कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो’ कवि दुष्यंत की इन पंक्तियों को ग्राम सतगांव एवं बायड़ा के किसानों ने चरितार्थ कर दिखाया है। उन्होंने आर्थिक मदद के लिए प्रशासन के आगे हाथ फैलाए बिना ही चीलर नदी पर महज 3 दिन में 150 फीट चौड़ा और 20 फीट ऊंचा स्टॉपडेम बना दिया।
इससे अब अगले मानसून तक दोनों गांवों की सैंकड़ों बीघा भूमि पर सिंचाई की जा सकेगी। करीब 2 किमी. तक लबालब भरे पानी का उपयोग किसान गर्मी तक कर सकेंगे। खेतों में हल जोतने वाले किसान इंजीनियर, ठेकेदार और मजदूर की भूमिका में नजर आए और उन्होंने महज 3 दिन में बहती नदी पर कच्च बांध बनाकर पानी रोक लिया।
इससे सैकड़ों हेक्टेयर भूमि पर आलू, प्याज, मिर्च, चना, गेहूं जैसी फसलें लहलहाने का रास्ता साफ हो गया। सतगांव के किसान मनोहर पाटीदार ने बताया कि स्टॉपडेम बनाने की मांग कई बार प्रशासन से की लेकिन सुनवाई नहीं हुई। यह देखकर गांव के जनकसिंह, नरबदेव मालवीय, बद्रीलाल पाटीदार, शिवनारायण पाटीदार, कैलाश पाटीदार, आलोकसिंह पंवार, अंतरसिंह, कंचनसिंह, श्यामसिंह के साथ फैसला किया कि अब अपने बाजुओं से ही इस काम को अंजाम देंगे।
फिर क्या था सभी एकजुट हुए और कूद पड़े नदी में। तीन दिन की मेहनत के बाद बांध बंध गया। इसी दौरान इंद्रदेव भी मेहरबान हुए और मावठे की बारिश हो गई। इससे डेम में 2 से 3 किलोमीटर तक पानी ही पानी दिखाई देने लगा है।
ऐसे बनाया स्टॉपडेम :
कृषक मनोहर के मुताबिक लगातार ३ दिन तक दिन-रात सैकड़ों ट्राली मिट्टी बहती नदी के बीचों-बीच डाली। इससे पानी का बहाव कम हुआ और वह रुकने लगा। यह देखकर फिर और अधिक मिट्टी डाली गई, जिससे डेम की ऊंचाई भी पर्याप्त हो गई। हालांकि डेम फूटे ना इसकी व्यवस्था भी किसानों ने की है, जिससे नदी का अत्यधिक बहाव होने पर पानी आगे जा सके।
हमें खुद ही आगे आना होगा :
किसानों ने अच्छी पहल की है। इससे और भी कई किसान नदी में भरे पानी से सिंचाई कर सकेंगे। मेरा प्रयास रहेगा कि इस मिट्टी के स्टॉपडेम को अब पक्का कर दिया जाए। इसके लिए जिला प्रशासन के समक्ष बात रखूंगा। जन सहयोग का इससे अच्छा उदाहरण और कुछ हो ही नहीं सकता है। - रमेशचंद्र पाटीदार, सरपंच सतगांव
सतगांव और बायड़ा के किसानों ने जो जज्बा दिखाया है, वह सराहनीय है। प्रशासनिक स्तर पर भी इसमें अब जल्द ही पहल की जाएगी। इस स्थान पर पक्का स्टॉपडेम बनाने के प्रयास किए जाएंगे। - दिनेशचंद्र सिंघी, एसडीएम
प्रशासनिक स्तर पर यदि इस तरह के स्टापडेम का निर्माण किया जाता तो उसकी लागत एक से डेढ़ लाख रुपए तक आती वहीं सतगांव व बायड़ा के किसानों ने मात्र 18 हजार में ही स्टापडेम का निर्माण कर दिया। किसानों का यह प्रयास सराहनीय है। शीघ्र ही डेम का निरीक्षण किया जाएगा। उसके पश्चात ही उसकी मजबूती मालूम होगी। - पी.के.जवखेड़कर, सब इंजीनियर, सिंचाई विभाग