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जल जन जोड़ो अभियान
जल-जन-जोड़ो अभियान तथा परमार्थ समाज सेवी संस्थान के तत्वावधान में जल सुरक्षा, नदी पुनर्जीवन हेतु जल सम्मेलन लोकादेश 2014 का आयोजन किया गया। जिसमें अतिथियों का स्वागत एवं उद्घाटन सत्र के साथ प्रारम्भ हुआ। इसके पूर्व में जल पुरूष श्री राजेन्द्र सिंह ने कार्यक्रम के उद्देश्यों को बताते हुए कहा कि 2014 में लोकसभा चुनाव होने हैं जिसमें जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप समस्त जनप्रतिनिधियों द्वारा जल सुरक्षा अधिनियम पारित कराने को अपने मुख्य एजेंडा में शामिल करना होगा। 1 मार्च 2014, लखनऊ। गांव-गांव में परंपरागत जल स्रोत खत्म होते जा रहे हैं। पेयजल का संकट बढ़ने के कारण लोगों में लड़ाईयां हो रही हैं। लोगों को पीने का पानी नहीं मिल रहा है तो खेती के लिए पानी कहां से मिलेगा और लोगों की आजीविका कैसे सुरक्षित रहेगी? अगर लोगों की आजीविका को बचाना और सेहतमंद बनाना है तो जलस्रोतों को बचाना होगा। नदियों को पुनर्जीवित करने में समाज और सरकार का सहयोग जरूरी है ये बात गांधी भवन लखनऊ में जल जन जोड़ो अभियान के तत्वाधान में आयोजित जल सम्मेलन लोकादेश 2014 में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन ने कहीं। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण में महिलाओं एवं बुन्देलखंड जैसे पिछड़े इलाके में तालाबों के पुनरुद्धार पर विशेष जोर दिया जाएगा।
इससे पूर्व गांधी भवन में जल-जन-जोड़ो अभियान तथा परमार्थ समाज सेवी संस्थान के तत्वावधान में जल सुरक्षा, नदी पुनर्जीवन हेतु जल सम्मेलन लोकादेश 2014 का आयोजन किया गया। जिसमें अतिथियों का स्वागत एवं उद्घाटन सत्र के साथ प्रारम्भ हुआ। इसके पूर्व में जल पुरूष श्री राजेन्द्र सिंह ने कार्यक्रम के उद्देश्यों को बताते हुए कहा कि 2014 में लोकसभा चुनाव होने हैं जिसमें जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप समस्त जनप्रतिनिधियों द्वारा जल सुरक्षा अधिनियम पारित कराने को अपने मुख्य एजेंडा में शामिल करना होगा। लोगों के जीवन और आजीविका से जुड़े इस महत्वपूर्ण बिल को राष्ट्रीय मुद्दे के तौर पर उठाया जाएगा। लोकसभा के सभी उम्मीदवारों तथा सभी राजनैतिक दलों से चर्चा कर उनकी प्रतिबद्धता ली जाएगी। इसके लिए 14 मार्च 2014 को एक राष्ट्रीय सर्वदलीय राजनैतिक संवाद कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली में भी किया जाएगा।
जलपुरूष श्री राजेन्द्र सिंह ने बताया कि जलसुरक्षा बिल को बनाने में पूरे तीन साल लग गए। इस बिल को कानून बनवाने के लिए संसद में प्रस्तुत करवाने के लिए जन दबाव बनाया जाएगा। लोकतंत्र में सरकार की यह नैतिक ज़िम्मेदारी है कि वो सबको पानी पिलाए तथा जल अधिकार की चर्चा सभी जगह हो। पानी किसी एक की सम्पत्ति नहीं है यह प्राकृतिक सम्पदा है इसका निजीकरण न होकर इस पर सामुदायिक हकदारी होनी चाहिए।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लखनऊ खण्डपीठ के न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री सुधीर सक्सेना ने कहा कि नदियां नाले में तबदील हो रही हैं। उसका दोषारोपण जनसंख्या वृद्धि को बताया जा रहा है जबकि जल संरक्षण के लिए समस्त जनसंख्या को जोड़ कर उन्हें समझाना होगा। कानूनी रूप से जल संरक्षण करने की न्यायपालिका हरसंभव कोशिश करता है परन्तु उसका क्रियान्वयन नहीं हो पाता। इसलिए हम सभी को एकजुट होकर जल संरक्षण के क्रियान्वयन पर कार्य करना होगा। लोगों में जनचेतना लाना होगा इसमें एनएसएस के वालंटियर बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
मौलाना काल्बे शदिक ने अपने विचार रखते हुए कहा कि पानी लोगों की धार्मिक आस्था से जुड़ी होती थी जो धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है। अब हमें प्रशासन और राजनैतिक पार्टियों के बजाए स्वयं से जागरूक होकर अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा। दुनिया में सिर्फ भारत में ही नदियों की पूजा होती है फिर भी भारत में सर्वाधिक प्रदूषित नदियां ही हैं। नदियां सभी धर्मों को जोड़ने का काम करती हैं। इसलिए जल संरक्षण बिल के मुद्दे पर सभी धर्म गुरूओं को एकजुट होकर अगुवाई करनी चाहिए।
जल जन जोड़ो अभियान द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा कर बनाए गए जल सुरक्षा बिल 2014 को विस्तारपूर्वक प्रस्तुतिकरण डॉ. योगेश बंधु ने किया।
अपर पुलिस महानिदेशक सर्तकता महेन्द्र मोदी ने कहा कि पानी बचाने के लिए सच्चे मन से प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने जल संरक्षण से संबंधित सरल पाठ्यक्रम कालेजों, विश्वविद्यालयों के पाठयक्रमों में शामिल कराने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के लिए समाज के सभी वर्गों को आगे आना होगा।
शकुंतला मिश्रा विकलांग विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. निशीथ राय ने कहा कि जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए इससे संबंधित योजनाओं को प्रभावी ढंग के क्रियान्वयन कराना होगा। जल संरक्षण वर्तमान समय का सबसे महत्वपूर्ण विषय है इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है।
भूगर्भ जल विभाग के वरिष्ठ भूगर्भ विज्ञानी डॉ. आर.एस. सिन्हा ने कहा कि जल संरक्षण में भूगर्भ जल का काफी बड़ा योगदान है। भूगर्भीय जल को बचाए बिना पानी बचाने की कल्पना नहीं की जा सकती। अंबेडकर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के डीन डॉ. डी.पी. सिंह ने कहा कि नदी, तालाब, पोखरों एवं प्राकृतिक जलस्रोतों को बचाने के लिए व्यावहारिक रूप से काम करने की जरूरत है। किताबी ज्ञान की जगह परंपरागत ज्ञान व अभ्यास को महत्व दिया जाना चाहिए।
अंबेडकर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञानी डॉ. वेंकटेश दत्त ने नदियों को बचाने के लिए समग्र दृष्टि से विचार करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि नदियों को नैसर्गिक, अविरल व निर्मल प्रवाह के लिए गंभीरता से सरकारी और सामाजिक कार्यकर्ताओं को मिलकर काम करना होगा। जल सम्मेलन के तकनीकी सत्र को लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो. विभूति राय, एनएसएस के राज्य समन्वयक डॉ. एस.बी.सिंह, एवं लखनऊ विश्वविद्यालय की एनएसएस कार्यक्रम समन्वयक डा. सुषमा मिश्रा ने अपने विचार व्यक्त किए।
इस कार्यक्रम में ‘भारत में नदी पुनर्जीवन’ पुस्तक का विमोचन किया गया। इसी के साथ जल संरक्षण पर उत्कृष्ठ कार्य करने वाले गोरखपुर के विश्व विजय, गाजीपुर के ईश्वरचंन्द और अशोक सिंह, तथा बुन्देलखंड कुन्ती, सुनिता और सीमा देवी को कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन और न्यायमूर्ति ने शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
लोकादेश 2014 सामूहिक संकल्प और भावी कार्यक्रम सत्र की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पाण्डेय ने कहा कि पानी के निजीकरण को रोकना पड़ेगा। निजीकरण के लिए पानी सबसे मुनाफे का कारोबार है। एक दिन ऐसा आएगा कि भूगर्भीय जल पर निजी कम्पनियों का साम्राज्य स्थापित हो जाएगा, इसके लिए अभी से जागरूक होना होगा।
समाजवादी किसान आंदोलन के नेता डॉ. सुनिलम ने कहा कि लोकादेश 2014 को ध्यान में रखते हुए पानी के मुद्दे को प्रमुखता से उठाना होगा। हमें भारत की संसद में प्रकृति से प्रेम करने वाले जन प्रतिनिधियों को भेजना होगा।
एकता परिषद के समन्वयक श्री रमेश शर्मा ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों की लूट के विरूद्ध जन आंदोलन खड़ा करना चाहिए तथा उनके संरक्षण के प्रति सजग रहने की जरूरत है। वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता विजय प्रताप ने कहा कि नदियों का गठजोड़ देश के लिए घातक होगा। विशेष सचिव श्री आर. विक्रम सिंह ने कहा कि जल संसाधनों का संरक्षण आवश्यक है इसके लिए समन्वित प्रयास की जरूरत है।
सामाजिक कार्यकर्ता और चिंतक श्री पंकज कुमार ने कहा कि जल सुरक्षा अधिनियम भारत में जल सुरक्षा की गारंटी प्रदान करेगा जो संविधान की धारा 21 के अनुरूप है।
इस अवसर पर प्रदेश भर से आए विशिष्ट व्यक्यिों में अंशुमाली शर्मा, बिन्ध्यवासिनी कुमार, विजय प्रताप सिंह, रामधीरज, श्याम बिहारी, डॉ. लेनिन रघुवंशी, उत्कर्ष सिन्हा, केसर जी, अनुप कुमार श्रीवास्तव, कमल, मनीष, शिवमंगल, रवि, सतिश, मानवेन्द्र, संतोष, एन.एस.एस. के स्वंयसेवक आदि प्रमुख लोगों ने अपने विचार रखे, तथा संचालन जल जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक डा. संजय सिंह ने किया।
इससे पूर्व गांधी भवन में जल-जन-जोड़ो अभियान तथा परमार्थ समाज सेवी संस्थान के तत्वावधान में जल सुरक्षा, नदी पुनर्जीवन हेतु जल सम्मेलन लोकादेश 2014 का आयोजन किया गया। जिसमें अतिथियों का स्वागत एवं उद्घाटन सत्र के साथ प्रारम्भ हुआ। इसके पूर्व में जल पुरूष श्री राजेन्द्र सिंह ने कार्यक्रम के उद्देश्यों को बताते हुए कहा कि 2014 में लोकसभा चुनाव होने हैं जिसमें जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप समस्त जनप्रतिनिधियों द्वारा जल सुरक्षा अधिनियम पारित कराने को अपने मुख्य एजेंडा में शामिल करना होगा। लोगों के जीवन और आजीविका से जुड़े इस महत्वपूर्ण बिल को राष्ट्रीय मुद्दे के तौर पर उठाया जाएगा। लोकसभा के सभी उम्मीदवारों तथा सभी राजनैतिक दलों से चर्चा कर उनकी प्रतिबद्धता ली जाएगी। इसके लिए 14 मार्च 2014 को एक राष्ट्रीय सर्वदलीय राजनैतिक संवाद कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली में भी किया जाएगा।
जलपुरूष श्री राजेन्द्र सिंह ने बताया कि जलसुरक्षा बिल को बनाने में पूरे तीन साल लग गए। इस बिल को कानून बनवाने के लिए संसद में प्रस्तुत करवाने के लिए जन दबाव बनाया जाएगा। लोकतंत्र में सरकार की यह नैतिक ज़िम्मेदारी है कि वो सबको पानी पिलाए तथा जल अधिकार की चर्चा सभी जगह हो। पानी किसी एक की सम्पत्ति नहीं है यह प्राकृतिक सम्पदा है इसका निजीकरण न होकर इस पर सामुदायिक हकदारी होनी चाहिए।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लखनऊ खण्डपीठ के न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री सुधीर सक्सेना ने कहा कि नदियां नाले में तबदील हो रही हैं। उसका दोषारोपण जनसंख्या वृद्धि को बताया जा रहा है जबकि जल संरक्षण के लिए समस्त जनसंख्या को जोड़ कर उन्हें समझाना होगा। कानूनी रूप से जल संरक्षण करने की न्यायपालिका हरसंभव कोशिश करता है परन्तु उसका क्रियान्वयन नहीं हो पाता। इसलिए हम सभी को एकजुट होकर जल संरक्षण के क्रियान्वयन पर कार्य करना होगा। लोगों में जनचेतना लाना होगा इसमें एनएसएस के वालंटियर बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
मौलाना काल्बे शदिक ने अपने विचार रखते हुए कहा कि पानी लोगों की धार्मिक आस्था से जुड़ी होती थी जो धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है। अब हमें प्रशासन और राजनैतिक पार्टियों के बजाए स्वयं से जागरूक होकर अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा। दुनिया में सिर्फ भारत में ही नदियों की पूजा होती है फिर भी भारत में सर्वाधिक प्रदूषित नदियां ही हैं। नदियां सभी धर्मों को जोड़ने का काम करती हैं। इसलिए जल संरक्षण बिल के मुद्दे पर सभी धर्म गुरूओं को एकजुट होकर अगुवाई करनी चाहिए।
जल जन जोड़ो अभियान द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा कर बनाए गए जल सुरक्षा बिल 2014 को विस्तारपूर्वक प्रस्तुतिकरण डॉ. योगेश बंधु ने किया।
अपर पुलिस महानिदेशक सर्तकता महेन्द्र मोदी ने कहा कि पानी बचाने के लिए सच्चे मन से प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने जल संरक्षण से संबंधित सरल पाठ्यक्रम कालेजों, विश्वविद्यालयों के पाठयक्रमों में शामिल कराने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के लिए समाज के सभी वर्गों को आगे आना होगा।
शकुंतला मिश्रा विकलांग विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. निशीथ राय ने कहा कि जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए इससे संबंधित योजनाओं को प्रभावी ढंग के क्रियान्वयन कराना होगा। जल संरक्षण वर्तमान समय का सबसे महत्वपूर्ण विषय है इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है।
भूगर्भ जल विभाग के वरिष्ठ भूगर्भ विज्ञानी डॉ. आर.एस. सिन्हा ने कहा कि जल संरक्षण में भूगर्भ जल का काफी बड़ा योगदान है। भूगर्भीय जल को बचाए बिना पानी बचाने की कल्पना नहीं की जा सकती। अंबेडकर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के डीन डॉ. डी.पी. सिंह ने कहा कि नदी, तालाब, पोखरों एवं प्राकृतिक जलस्रोतों को बचाने के लिए व्यावहारिक रूप से काम करने की जरूरत है। किताबी ज्ञान की जगह परंपरागत ज्ञान व अभ्यास को महत्व दिया जाना चाहिए।
अंबेडकर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञानी डॉ. वेंकटेश दत्त ने नदियों को बचाने के लिए समग्र दृष्टि से विचार करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि नदियों को नैसर्गिक, अविरल व निर्मल प्रवाह के लिए गंभीरता से सरकारी और सामाजिक कार्यकर्ताओं को मिलकर काम करना होगा। जल सम्मेलन के तकनीकी सत्र को लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो. विभूति राय, एनएसएस के राज्य समन्वयक डॉ. एस.बी.सिंह, एवं लखनऊ विश्वविद्यालय की एनएसएस कार्यक्रम समन्वयक डा. सुषमा मिश्रा ने अपने विचार व्यक्त किए।
इस कार्यक्रम में ‘भारत में नदी पुनर्जीवन’ पुस्तक का विमोचन किया गया। इसी के साथ जल संरक्षण पर उत्कृष्ठ कार्य करने वाले गोरखपुर के विश्व विजय, गाजीपुर के ईश्वरचंन्द और अशोक सिंह, तथा बुन्देलखंड कुन्ती, सुनिता और सीमा देवी को कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन और न्यायमूर्ति ने शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
लोकादेश 2014 सामूहिक संकल्प और भावी कार्यक्रम सत्र की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पाण्डेय ने कहा कि पानी के निजीकरण को रोकना पड़ेगा। निजीकरण के लिए पानी सबसे मुनाफे का कारोबार है। एक दिन ऐसा आएगा कि भूगर्भीय जल पर निजी कम्पनियों का साम्राज्य स्थापित हो जाएगा, इसके लिए अभी से जागरूक होना होगा।
समाजवादी किसान आंदोलन के नेता डॉ. सुनिलम ने कहा कि लोकादेश 2014 को ध्यान में रखते हुए पानी के मुद्दे को प्रमुखता से उठाना होगा। हमें भारत की संसद में प्रकृति से प्रेम करने वाले जन प्रतिनिधियों को भेजना होगा।
एकता परिषद के समन्वयक श्री रमेश शर्मा ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों की लूट के विरूद्ध जन आंदोलन खड़ा करना चाहिए तथा उनके संरक्षण के प्रति सजग रहने की जरूरत है। वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता विजय प्रताप ने कहा कि नदियों का गठजोड़ देश के लिए घातक होगा। विशेष सचिव श्री आर. विक्रम सिंह ने कहा कि जल संसाधनों का संरक्षण आवश्यक है इसके लिए समन्वित प्रयास की जरूरत है।
सामाजिक कार्यकर्ता और चिंतक श्री पंकज कुमार ने कहा कि जल सुरक्षा अधिनियम भारत में जल सुरक्षा की गारंटी प्रदान करेगा जो संविधान की धारा 21 के अनुरूप है।
इस अवसर पर प्रदेश भर से आए विशिष्ट व्यक्यिों में अंशुमाली शर्मा, बिन्ध्यवासिनी कुमार, विजय प्रताप सिंह, रामधीरज, श्याम बिहारी, डॉ. लेनिन रघुवंशी, उत्कर्ष सिन्हा, केसर जी, अनुप कुमार श्रीवास्तव, कमल, मनीष, शिवमंगल, रवि, सतिश, मानवेन्द्र, संतोष, एन.एस.एस. के स्वंयसेवक आदि प्रमुख लोगों ने अपने विचार रखे, तथा संचालन जल जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक डा. संजय सिंह ने किया।