लोकादेश 2014

Submitted by admin on Sat, 03/01/2014 - 15:42
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जल जन जोड़ो अभियान
आज देश में पेयजल और पानी का संकट अति गंभीर होता जा रहा है। पानी की उपलब्धता भविष्य के लिए चुनौती बनती जा रही है। देश में सैकड़ों नदियां अविरल बहती रहती थीं जो भूमिगत जल स्रोतों को स्थयित्व प्रदान करने के साथ-साथ पेयजल, कृषि एवं पानी की अन्य आवश्यकताओं को पूरा करती थी, परन्तु उनका बड़े पैमाने पर हो रहे प्रदुषण, अवैध खनन और आधुनिक विकास करने की होड़ ने जल को नुकसान पहुँचाकर संकट को और बढ़ा दिया है। भारत एक विशाल लोकतांत्रिक देश है, जहां प्रत्येक 5 वर्ष में देश की जनता नई सरकार के गठन करने हेतु अपने स्थापित लोकतांत्रिक मूल्यों व अधिकारों का उपयोग कर, देश की प्रमुख ज़रूरतों को पूरा कराने के लिए लोकादेश देती है। इस साल भी देश में 16वीं लोकादेश-2014 प्राप्त करने के लिए सभी राजनैतिक दल अपने कई मुद्दों पर जनादेश-2014 हासिल करने हेतु जनता के बीच जा रहे हैं। ऐसे में जनता के प्रमुख समस्याओं और उनके मुद्दे गौण हो जाते हैं, जो उनके जीवन जीने के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने और सामाजिक सरोकारों से जुड़ी समस्याओं का समाधान करता नहीं दिखता।

लोकतांत्रित ढाँचे में जनता के पास एक सुनहरा अवसर होता है जो तमाम राजनैतिक दलों व उम्मीदवारों से सीधे अपनी समतास्याओं के समाधान पर हक और अधिकारपूर्ण सवाल उठा सकता है कि लोकादेश देने के पूर्व आम जनता ये आश्वस्त हो सके कि उनके प्रमुख मुद्दों पर उनका नजरिया क्या होगा? वे कैसे उन मुद्दों का समाधान निकालेंगे?

देश की 70 प्रतिशत आबादी गाँवों रहती है, तथा उनकी आजीविका असुरक्षित कृषि पर निर्भर है। यहां मौसम में हो रहे परिवर्तन के फलस्वरुप आए दिन कई प्राकृतिक आपदाओं के कारण सूखे और अकाल को झेलना पड़ता है। जिससे घटते भूजल स्तर के और नीचे चले जाने के कारण अधिकांश जलस्रोत सूख जाते हैं। फलस्वरूप लोगोंं को भयंकर स्वच्छ पेयजल संकट का सामना करना पड़ता है तथा बाध्यकारी दूषित पेयजल का उपयोग करने और अस्वच्छता के कारण देश मे 60 प्रतिशत से ज्यादा जल-जनित बीमारियाँ फैलने लगती हैं। खाद्य असुरक्षा, भुखमरी और कुपोषण तो बढ़ता ही है फलस्वरूप लोगोंं को अपनी आजीविका के लिए दूर-दराज इलाकों में असुरक्षित पलायन के लिए मजबूर होना पड़ता है। जिसका सीधा प्रभाव विशेष कर महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा, कार्य क्षमता व गुणवत्ता एवं आजीविका के संसाधनों को प्रभावित करने के साथ-साथ पर्यावरण को नुकसान पहुँचाता है। इतना ही नहीं इसका असर देश के आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक व बौद्धिक विकास पर भी पड़ता है।

आज देश में पेयजल और पानी का संकट अति गंभीर होता जा रहा है। पानी की उपलब्धता भविष्य के लिए चुनौती बनती जा रही है। देश में सैकड़ों नदियां अविरल बहती रहती थीं जो भूमिगत जल स्रोतों को स्थयित्व प्रदान करने के साथ-साथ पेयजल, कृषि एवं पानी की अन्य आवश्यकताओं को पूरा करती थी, परन्तु उनका बड़े पैमाने पर हो रहे प्रदुषण, अवैध खनन और आधुनिक विकास करने की होड़ ने जल को नुकसान पहुँचाकर संकट को और बढ़ा दिया है। देश, जल संग्रहण, जल-संरक्षण, जल-संचयन एवं जल-पुर्नभरण करने के मामले में पारंपरिक रूप से समृद्ध रहा है, परन्तु प्राचीन काल में बने वर्षा एवं सतही जल-संरक्षण संरचनाओं के उचित देख-भाल के अभाव तथा उस पर होने वाले अतिक्रमण ने संकटग्रस्त परिस्थितियों को और विकराल बना दिया है।

लोगोंं की सीमित किए जा रहे हक और अधिकार ने निजी/सामुदायिक और पारंपरिक जल प्रबंधन में उनकी रूचि को कम किया है। वहीं ‘समन्वित जल प्रबंधन में लोगोंं की भागीदारी‘ बढ़ाने तथा ‘स्थानीय समस्याओं और आवश्यकताओं पर केन्द्रित कार्ययोजना के निर्माण नहीं किए जाने के कारण जल संकट को और गहरा किया है।

भारत में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए जल-पुरूष श्री राजेन्द्र सिंह जी के प्रेरणा से एक राष्ट्रव्यापी ‘जल-जन-जोड़ो अभियान’ के रूप में 1100 से अधिक जन संगठन और हजारों समाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरणविद्, प्रबुद्ध वर्ग, मीडिया कर्मी, विशेषज्ञ, विचारक, महिलाएँ और पुरूष मिल कर कार्य कर रहे है। जिसका प्रमुख उद्देश्य देश के प्रत्येक नागरिकों को वर्षभर की पेयजल सुरक्षा प्रदान करना है। इस अभियान के तहत नदियों, तलाबों, पारंपरिक जल स्रोतों के सुरक्षा, संरक्षा व संवर्धन के विविध सामूहिक प्रयास किए गए है और निरंतर किए जा रहे हैं।

भारतीय संविधान की धारा 21 में देश के समस्त नागरिकों को सम्मानपूर्वक जीवन जीने का हक़ व अधिकार देती है। अतएव सरकार का कर्तव्य है कि देश के हर नागरिकों का मौलिक अधिकार को पुरा करे। कोई व्यक्ति सम्मानपूर्वक जीवन तभी जी सकता है जब मूलभूत आवश्यकताओं जैसे भोजन, पानी, आवास, की उपलब्धता आसानी हो। जिसके लिए तमाम राजनैतिक दल से ये अपेक्षा की जाती है कि लोकादेश-2014 के जन-घोषणा पत्र में उठाए गए मांगों को प्रमुखता से अपने घोषणा पत्र में शामिल करेंगे।

लोकादेश 2014 के लिए जन-घोषणा पत्र एवं प्रमुख माँग


1. देश के समस्त नागरिकों को शुद्ध पेयजल सुनिश्चित कराने के लिए भारतीय संविधान की धारा 21 की मंशानुसार ‘पेयजल सुरक्षा अधिनियम‘ बनाया जाएगा। इस अधिनियम में महिलाओं की पानी प्रथम हकदारी सुनिश्चित किया जाए।
2. देश के समस्त नागरिकों को ‘जल पर सामुदायिक संवैधानिक अधिकार‘ सुनिश्चित करने वाले अधिनियम का शीध्र प्रावधान।
3. प्रत्येक गांव/पंचायत में ‘समन्वित जल प्रबंधन में लोगों की भागीदारी‘ तथा ‘स्थानीय समस्याओं और आवश्यकताओं पर केन्द्रित समुदाय आधारित दीर्घकालीन विस्तृत ‘जल सुरक्षा कार्ययोजना‘ बनाया जाएगा।
4. महिलाओं की पानी पर समझ व ज्ञान अन्य की अपेक्षा ज्यादा होती है। तथा दैनिक रूप से पानी की समस्याओं से वे ही ज्यादा जूझती हैं। इसलिए महिलाओं की पानी पर प्रथम अधिकार स्थापित करने का प्रावधान किया जाएगा। ताकि पानी की व्यवस्था करने में समय की बचत कर उसका उपयोग अन्य कामों में जैसे घरेलू कार्यों, साफ-सफाई, बच्चों की देख-भाल करने तथा आजीविका के संसाधनों में वृद्धि करने जैसे कार्यों में कर सकेंगी। फलस्वरूप पानी और आजीविका का अंतर्संबंध स्थापित होगा और उनकी घरेलू आय में वृद्धि होगी तथा गरीबी दूर हो सकेगी।
5. प्राकृतिक संसाधनों के संवर्धन में महिलाओं ने अग्रणी भूमिका निभाती रही है, परन्तु उनको वो मान्यता नहीं मिल सकी है जिसके वो हकदार हैं। अतः प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, संवर्धन और उपयोग में प्रथम हकदारी की मान्यता प्रदान की जाएगी।
6. जल संरचनाओं को अतिक्रमण, प्रदूषण एवं शोषण से मुक्त कराने के लिए उनका सीमांकन एवं चिन्हीकरण कराकर उसकी रोकथाम करने का प्रावधान किया जाएगा।
7. नदियों, तलाबों, एवं अन्य पारंपरिक जल स्रोतों के संरक्षण के लिए कठोर प्रावधान किए जाएंगे तथा उसमें महिलाओं के अनुभवों का उपयोग करते हुए उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
8. नदियों, तलाबों, एवं अन्य पारंपरिक जल स्रोतों में गन्दे नाले, औद्योगिक कचरे व बेकार जल को नहीं मिलाये जाने का सख्त प्रावधान किए जाएंगे।
9. वर्षा जल और गन्दा जल को अलग-अलग से संग्रहित व संधारित करने का प्रावधान किए जाएंगे।
10. नदियों की भूमि पर किसी भी प्रकार का रेत-पत्थर का उत्खनन करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाए जाएंगे।
11. भारतीय संविधान की धारा 51-जी के अनुसार नदियों, झीलों, तलाबों, जंगलों, जंगली जीवों का संरक्षण व संवर्द्धन सुनिश्चित किया जाएंगे।
12. देश में होने वाली ‘जलवायु परिवर्तन से सुरक्षा’ प्रदान करने वाली नीतियों व कानूनों में बदलाव करने का प्रावधान किए जाएंगे।
13. भारतीय संविधान की धारा 48 के अनुसार सभी राज्य सरकारों को जल सुरक्षा से जुड़े अधिनियमों को कड़ाई से पालन कराने के लिए बाध्य किए जाएंगे तथा अनुपालना नहीं करने पर उन्हे दण्डित करने का प्रावधान किए जाएंगे।
14. भूजल निकालने और उसके पूनर्भरण के लिए समान नीति बनाई जाएगी। व्यवसायिक उपयोग के लिए भूजल निकालने की अनुमति देने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाएगा।
15. भूमिगत जल का विवेकपूर्ण उपयोग करने और सतही जल का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने का प्रावधान किया जाएगा।
16. राष्ट्रीय जल नीति में राज्यों को प्रमुखता से स्थान दिया गया है, परन्तु सहभागिता आधारित सामुदायिक लोकतांत्रिक संस्थान, पंचायती राज को महत्वहीन बना दिया गया है, जिसे शीध्र संशोधन कर राष्ट्रीय और राज्य जल नीति में प्रमुखता से जोड़ा जाएगा।
17. जल नीति में स्थानीय समुदायों, स्थानीय संस्थानों तथा जल संरक्षण पर कार्य करने वाले स्वयं सेवी संगठनों के प्रयासों का मान्यता प्रदान कर, उनके माध्यम से आयोजना बनाने और क्रियान्वायन में सहयोग लिया जाएगा।
18. राष्ट्रीय जल नीति में महिलाओं को ज्यादा महत्व नहीं दिया गया है जबकि महिलाएँ पानी की समस्याओं को ज्यादा नज़दीक से जानती और समझती हैं। योजनाओं के निर्माण में उनकी भागीदारी भी नगन्य है। अतः पानी के ऊपर बनने वाली योजनाओं के निर्माण में 50 प्रतिशत से ज्यादा महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित किया जाएगा।
19. नदियों को पुर्नजीवित करने के लिए हर स्तर पर (भारत सरकार, राज्य सरकार एवं स्थानीय सरकार) साफ-सुथरी और स्पष्ट नीति बनाकर उसका क्रियान्वयन कराए जाएंगे।
20. नदियों को शुद्ध, अविरल व सदानीर बनाने का कार्य तत्काल प्रभाव से लागू किए जाएंगे तथा इसमें बाधा उत्पन्न करने वाले निजी व्यक्तियों, समूहो, निजी उद्यमियो, औद्योगिक समूहों आदि को बिना किसी भेद-भाव के दण्डित किए जाएंगे।
21. आज की सक्रिय राजनीति में ईमानदार, राष्ट्रीयता, सदाचार को सर्वोपरी रखकर प्राकृतिक संसाधनों पर लोकतांत्रिक मालिकी के पक्षधर रहकर, प्रदुषण मुक्त, शोषण मुक्त, अतिक्रमण मुक्त करने और जल संरक्षण के साथ समृद्धशील विकास के काम को कराया जाएगा।

इस जन घोषणा-पत्र में उठाए गए प्रमुख सवालों पर तमाम राजनैतिक पार्टियों, उम्मीदवारों के उनके घोषणा पत्र तैयार करने वाले प्रमुख नेताओं, अध्यक्षों, पदाधिकारियों के साथ संवाद स्थापित कर, उनके पक्ष को समझा और जाना जा सके जिससे इस जन घोषणा-पत्र के कितने सवालों को उनके अपने घोषणा पत्र में शामिल किया जा रहा है इस पर चर्चा करना।

जल-जन-जोड़ो अभियान की इस मुहिम को देश के 16वीं लोकसभा चुनाव के समस्त निर्वाचन क्षेत्रों में जाकर इस जन घोषणा-पत्र की जिन बातों से वो सहमत है वह स्थानीय मतदाताओं से चर्चा कर उन्हें आश्वस्त करें कि चुनाव जीतने के बाद इन मुद्दों पर प्रमुखता से कार्य करेंगे।

लोकादेश पढ़ने के लिए अटैचमेंट देखें।