उर्मिल बांध से भी नहीं सुलझी पेयजल समस्या

Submitted by Hindi on Wed, 02/13/2013 - 12:45
Source
जनसत्ता, 12 फरवरी, 2013
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारों के बीच 1978 में हुए करार के बाद दोनो राज्यों के महोबा व छतरपुर जनपदों की तहसील में उर्मिल बांध का निर्माण शुरू हुआ था। यह 1995 में 33.22 करोड़ की लागत से पूरा हुआ। अनुबंध के अनुसार 40-60 फ़ीसदी जल बंटवारा व बांध के रख-रखाव पर होने वाला खर्च भी इसी मानक से तय किया गया था। लेकिन बांध के निर्माण के बाद से मध्यप्रदेश सरकार ने आज तक एक फूटी कौड़ी उत्तर प्रदेश सरकार को नहीं दी और बांध से पीने का पानी भी जबरन सिंचाई के लिए निकाला जा रहा है। 1995 से विभागीय स्तर पर केवल फाइलें दौड़ाई जा रही हैं। 18 बरस से सवाल जवाब में मुद्दा उलझा है।

उत्तर प्रदेश सरकार की 163 करोड़ की बकाया राशि मध्यप्रदेश सरकार देने में टाल-मटोल कर रही है। मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग के अफसरों की लटकाऊ रवैए के कारण दोनों सरकारों के बीच मतभेद उभर कर आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। हालत यह है कि पेयजल योजनाओं पर संकट मंडरा रहा है।

दोनों राज्यों के बीच समझौते के तहत उर्मिल नदी पर बांध का निर्माण कराया गया और मध्य प्रदेश सरकार को 1995 में अनुबंध के अनुसार 933.27 लाख रुपए उत्तर प्रदेश सरकार के सिंचाई विभाग को देने थे। जिसके लिए मध्यप्रदेश सरकार के आला अफसरों सहित सिंचाई अफसरों की बैठकें हुई, लेकिन भुगतान देने में आनाकानी की गई। दूसरी ओर मध्य प्रदेश सरकार के सिंचाई अफसरों ने उर्मिल बांध के करीब 15 बड़े चेकडेमों का निर्माण करा कर भारी रकम खर्चा कर बांध में आ रहे पानी को रोकने का षडयंत्र भी रचा।

पिछले साल बुंदेलखंड पैकेज से एक नया फाटक भी लगवाया गया। अनुबंध में बांध के फाटकों की चाबी भी उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग को न देकर मध्यप्रदेश के सिंचाई विभाग के अफसरों ने अपने पास रखी है। मांगने के बावजूद भी यह चाबी उत्तर प्रदेश के अफसरों को नहीं दी जा रही है। महोबा की जिलाधिकारी डॉ. काजल के आदेशों के बावजूद कि बांध में सुरक्षित पेयजल को सिंचाई के लिए उपयोग न किया जाए, तब मध्य प्रदेश के सिंचाई अफसरों ने जेसीबी से जनवरी, 2013 में नहर खोदी। इस मामले में दोनों सरकारों और विभागों के बीच कई बार विवाद सामने आ रहे हैं और प्रमुख सचिवों व शासन स्तर पर वार्ता की गई। लेकिन ठोस नतीजा नहीं निकला।

इसके अलावा भी मध्य प्रदेश सरकार महोबा के उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग को मझगवां बांध से सिंचाई का 4.76 लाख, सलारपुर बांध का 2.93 लाख, उर्मिल बांध से सिंचाई का 9.36 लाख मध्यप्रदेश सरकार के सिंचाई विभाग पर बकाया है। भुगतान नहीं करने के बावजूद बांध से पानी नियमों व अनुबंध की अनदेखी कर फाटक खोल कर नहरें चला रहा है। 1995 से बकाया एक भी पैसा नहीं दिया, जिसके विभागीय आंकड़े इस तरह है। 1995 से 2001 तक 99.00 लाख, 2001-02 का 16.70 लाख, 2002-03 का 18.65 लाख, 2003-04 का 15.81 लाख, 2004-05 का 10.48 लाख, 2005-06 का 6.16 लाख, 2006-07 का 1.80 लाख, 2007-08 का 1.84 लाख, 2008-09 का 2.30 लाख, 2010-11 का 3.42 लाख, 2011-12 का 2.74 लाख का बकाया व 2007 तक कुल 168.60 लाख रुपए उर्मिल बांध के रख रखाव पर खर्च हुआ, जिसमें 101.17 लाख रुपए मध्यप्रदेश सरकार के हिस्सा में आए। सिंचाई विभाग मध्यप्रदेश के 1995 से अपने अनुबंध के अनुसार 2001 तक 59.42 लाख, 2001-02 का 10 लाख, 2002-03 का 11.09 लाख, 2003-04 का 9.49 लाख, 2004-05 का 6.29 लाख, 2005-06 का 3.70 लाख और 2006-07 का 1.08 लाख वर्ष वार देय है।

मध्यप्रदेश सरकार उर्मिल बांध निर्माण के मद का उनके हिस्से अब तक 15326.35 करोड़ और रख रखाव के 933.97 लाख रुपए उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग को अदा न करने की जानकारी अधिशासी अभियंता सिंचाई विजय कुमार ने दी। अनुबंध की अनदेखी तो की ही जा रही है, पेयजल की समस्या भी पैदा की जा रही है।