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राष्ट्रीय सहारा (जेन एक्स), 20 अगस्त 2015
जलप्रपात तो आपने देखे होंगे और उन्हें देख रोमांचित भी हुए होंगे। ये हैं ही ऐसी चीज कि उनके सामने से हटने का मन ही नहीं करता है। आइए, आपको विश्व के कुछ खास जलप्रपात के बारे में बताएँ।
क्या आप जानते हैं, जलप्रपात का निर्माण कैसे होता है? पहाड़ों की चट्टानों से गिरने वाली नदी या नालों को जलप्रपात कहा जाता है। यदि गिरने वाले पानी की धारा पतली होती है तो उसे जलप्रपात कहा जाता है और गिरने वाला पानी एक बहुत बड़ी धारा के रूप में काफी ऊँचाई से गिरता है तो महाजलप्रपात कहते हैं। पहाड़ों के ढलान से होकर गुजरने वाली पानी की धाराएँ भी जलप्रपात होती है। विश्व के अनेक पर्वतों पर, विभिन्न प्रकार के गिरते हुए जलप्रपात देखने को मिलते हैं। इनमें से कुछ अपनी ऊँचाइयों के लिये तथा कुछ अपनी चौड़ाई के लिये प्रसिद्ध हैं। कुछ जलप्रपात पानी की अधिक मात्रा के लिये भी प्रसिद्ध है।
जहाँ तक सबसे बड़े जलप्रपात का प्रश्न है, वर्षभर बहने वाले पानी के औसत के आधार पर विश्व का सबसे बड़ा जलप्रपात बॉयॉसा प्रपात है। यह जायरे में स्थित है। इसका अधिकतम प्रवाह 17,000 घनमीटर प्रति सेकेंड है।
इसी प्रकार, विश्व का सबसे चौड़ा जलप्रपात लाओस का खोनेफाल्स है। इसकी चौड़ाई 10.8 किलोमीटर और प्रवाह 42,500 घन मीटर प्रति सेकेंड है।
न्यूयार्क से 25 किलोमीटर दूर उत्तर पश्चिम में स्थित नियाग्रा जलप्रपात विश्वविख्यात है। दो हिस्सों में बँटे इस जलप्रपात का एक हिस्सा अमेरिका में है और दूसरा कनाडा में। अन्तरराष्ट्रीय सीमा रेखा का फैसला भी यही करता है।
विश्व का सबसे ऊँचा जलप्रपात वेनेजुएला में स्थित साल्टो ऐंजिल है। यह केरिनो नदी की सहायक कराओ नदी पर स्थित है। उसकी ऊँचाई 979 मीटर है जिसमें एक सबसे लम्बी धारा की ऊँचाई 807 मीटर है। साल्टो एंजिल प्रपात का नामंकरण अमेरिकी विमान चालक जिम्मी एंजिल्स के नाम पर हुआ था, जिसने इन्हें अपने जहाज के रोजनामचे में नवम्बर 1933 को दर्ज किया गया था। वे प्रपात जिन्हें इंडियंस चेरू नमेरू से जानते थे, उसकी भी सूचना 1910 में एरनेस्टो साल्वेज ला क्रूज ने दी थी।
कैलिफोर्निया का रिबन जलप्रपात एक ही धारा में गिरने वाला सबसे ऊँचा जलप्रपात है। इसकी पतली धारा 1600 फुट की ऊँचाई से नदी में गिरती है। भारत का जर्सोपा जलप्रपात एशिया का सबसे लम्बा जलप्रपात है।
भारत के अधिकांश जलप्रपात दक्षिण भारत में पाये जाते हैं। इनमें से कुछ तो 9-10 मीटर ऊँचे हैं। महाराष्ट्र और कर्नाटक की सीमा पर शरारती नदी पर जोग प्रपात है, जो चार छोटे प्रपातों से मिलकर बना है। इसका जल 250 मीटर भी ऊँचाई से गिरकर बड़ा सुन्दर दृश्य उपस्थित रहता है।
बेलगामी जिले में गोवर नदी पर गोकक प्रपात 54 मीटर ऊँचा और महाबलेश्वर के निकट येत्रा प्रपात 180 मीटर ऊँचा है।
दक्षिण टोंस नदी विन्ध्याचल के पठार को पार करके निकलती है, जो कई प्रपात बनाती है जिनमें मुख्य बिहार प्रपात है जो बाढ़ के समय 180 मीटर चौड़ा और 131 मीटर ऊँचा हो जाता है।
चम्बल नदी में अनेक जल प्रपात मिलते हैं। कोटा के निकट चूलिया प्रपात 18 मीटर ऊँचा है।
नर्मदा के जबलपुर के निकट धुआँधार प्रपात हालाँकि मात्र 9 मीटर ऊँचा है लेकिन बड़ा सुन्दर दृश्य उपस्थित करता है।
शिवाससमुद्रम प्रपात कावेरी नदी पर है जो 100 मीटर की ऊँचाई से जल गिराता है। इसी प्रकार नीलगिरी की पहाड़ियों में पायकाटा प्रपात का भी उल्लेख है। इन दोनों जल प्रपातों का इस्तेमाल जल विद्युत शक्ति के लिये किया जाता है।
क्या आप जानते हैं, जलप्रपात का निर्माण कैसे होता है? पहाड़ों की चट्टानों से गिरने वाली नदी या नालों को जलप्रपात कहा जाता है। यदि गिरने वाले पानी की धारा पतली होती है तो उसे जलप्रपात कहा जाता है और गिरने वाला पानी एक बहुत बड़ी धारा के रूप में काफी ऊँचाई से गिरता है तो महाजलप्रपात कहते हैं। पहाड़ों के ढलान से होकर गुजरने वाली पानी की धाराएँ भी जलप्रपात होती है। विश्व के अनेक पर्वतों पर, विभिन्न प्रकार के गिरते हुए जलप्रपात देखने को मिलते हैं। इनमें से कुछ अपनी ऊँचाइयों के लिये तथा कुछ अपनी चौड़ाई के लिये प्रसिद्ध हैं। कुछ जलप्रपात पानी की अधिक मात्रा के लिये भी प्रसिद्ध है।
जहाँ तक सबसे बड़े जलप्रपात का प्रश्न है, वर्षभर बहने वाले पानी के औसत के आधार पर विश्व का सबसे बड़ा जलप्रपात बॉयॉसा प्रपात है। यह जायरे में स्थित है। इसका अधिकतम प्रवाह 17,000 घनमीटर प्रति सेकेंड है।
इसी प्रकार, विश्व का सबसे चौड़ा जलप्रपात लाओस का खोनेफाल्स है। इसकी चौड़ाई 10.8 किलोमीटर और प्रवाह 42,500 घन मीटर प्रति सेकेंड है।
न्यूयार्क से 25 किलोमीटर दूर उत्तर पश्चिम में स्थित नियाग्रा जलप्रपात विश्वविख्यात है। दो हिस्सों में बँटे इस जलप्रपात का एक हिस्सा अमेरिका में है और दूसरा कनाडा में। अन्तरराष्ट्रीय सीमा रेखा का फैसला भी यही करता है।
विश्व का सबसे ऊँचा जलप्रपात वेनेजुएला में स्थित साल्टो ऐंजिल है। यह केरिनो नदी की सहायक कराओ नदी पर स्थित है। उसकी ऊँचाई 979 मीटर है जिसमें एक सबसे लम्बी धारा की ऊँचाई 807 मीटर है। साल्टो एंजिल प्रपात का नामंकरण अमेरिकी विमान चालक जिम्मी एंजिल्स के नाम पर हुआ था, जिसने इन्हें अपने जहाज के रोजनामचे में नवम्बर 1933 को दर्ज किया गया था। वे प्रपात जिन्हें इंडियंस चेरू नमेरू से जानते थे, उसकी भी सूचना 1910 में एरनेस्टो साल्वेज ला क्रूज ने दी थी।
कैलिफोर्निया का रिबन जलप्रपात एक ही धारा में गिरने वाला सबसे ऊँचा जलप्रपात है। इसकी पतली धारा 1600 फुट की ऊँचाई से नदी में गिरती है। भारत का जर्सोपा जलप्रपात एशिया का सबसे लम्बा जलप्रपात है।
भारत के अधिकांश जलप्रपात दक्षिण भारत में पाये जाते हैं। इनमें से कुछ तो 9-10 मीटर ऊँचे हैं। महाराष्ट्र और कर्नाटक की सीमा पर शरारती नदी पर जोग प्रपात है, जो चार छोटे प्रपातों से मिलकर बना है। इसका जल 250 मीटर भी ऊँचाई से गिरकर बड़ा सुन्दर दृश्य उपस्थित रहता है।
बेलगामी जिले में गोवर नदी पर गोकक प्रपात 54 मीटर ऊँचा और महाबलेश्वर के निकट येत्रा प्रपात 180 मीटर ऊँचा है।
दक्षिण टोंस नदी विन्ध्याचल के पठार को पार करके निकलती है, जो कई प्रपात बनाती है जिनमें मुख्य बिहार प्रपात है जो बाढ़ के समय 180 मीटर चौड़ा और 131 मीटर ऊँचा हो जाता है।
चम्बल नदी में अनेक जल प्रपात मिलते हैं। कोटा के निकट चूलिया प्रपात 18 मीटर ऊँचा है।
नर्मदा के जबलपुर के निकट धुआँधार प्रपात हालाँकि मात्र 9 मीटर ऊँचा है लेकिन बड़ा सुन्दर दृश्य उपस्थित करता है।
शिवाससमुद्रम प्रपात कावेरी नदी पर है जो 100 मीटर की ऊँचाई से जल गिराता है। इसी प्रकार नीलगिरी की पहाड़ियों में पायकाटा प्रपात का भी उल्लेख है। इन दोनों जल प्रपातों का इस्तेमाल जल विद्युत शक्ति के लिये किया जाता है।