वर्षा जल संचयन और प्रबंधन पर "वाटर डाइजेस्ट" दो दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित कर रहा है। यह कार्यक्रम 10 और 11 सितंबर को होगा। जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत नेशनल वाटर मिशन डिपार्टमेंट के कैंपेन "कैच द रेन" को सपोर्ट करने के लिए वाटर डाइजेस्ट की पहल का मकसद प्रतिभागियों के बीच चर्चा, जागरूकता और सूचना साझा करने को बढ़ावा देना है। वाटर डाइजेस्ट ज्ञान के उचित आदान-प्रदान को सुनिश्चित करने के लिए कई प्रशिक्षण कार्यक्रमों की व्यवस्था भी करते हैं जिससे कि सारी जानकारियाँ निरंतर साझा होती रहें।
ट्रेनिंग प्रोग्राम का उद्देश्य
वर्षा जल संचयन का मतलब मानसून के दौरान बरसात के पानी को प्राकृतिक या मानव निर्मित तालाबों में इकट्ठा करना है। इकट्ठा किए हुए पानी का इस्तेमाल दैनिक ज़रूरतों के उपयोग में होता है। हम सभी जानते हैं बारिश बहुत कम समय के लिए होती है उसके बाद में सूखा होता है ऐसे में हम नदियों, तालाबों और भूजल से अपनी जरूरतों को पूरा करते हैं। भूजल के अत्यधिक दोहन के कारण भूजल का स्तर गिरता जा रहा है ऐसे में हमे भूजल रिचार्ज पर ध्यान देने की अत्यधिक आवश्यकता है। दो दिन के ट्रेनिंग प्रोग्राम का मकसद वर्षा जल संचयन की नई तकनीकों और उपायों के बारे में जागरूकता प्रदान करना है।
किन मुद्दों पर बात होगी
इस दो दिवसीय सेमिनार में वर्षा जल संचयन क्या है वर्षा जल संचयन की आवश्यकता क्यों है, वर्षा जल संचयन के प्रकार क्या हैं, कृतिम वर्षा जल संचयन का मतलब क्या है जैसे तमाम मुद्दों पर चर्चा होगी। इस प्रोग्राम को सभी पानी विशेषज्ञ, सरकारी अधिकारी, छात्र, शोधकर्ता, एनजीओ इत्यादि शामिल हो सकते हैं।