नई दिल्ली.जंतर-मंतर पर यमुना में अविरल निर्मल जलधारा के लिए आंदोलनरत साधु संतों व किसानों का समर्थन करने के लिए वृंदावन व हरिद्वार से संत-महंतों का प्रतिनिधिमंडल पहुंचा। सरकार के लिखित वायदे के बावजूद हथनी कुंड बैराज से अभी तक पानी न छोड़े जाने पर साधु-संतों ने गहरा रोष जताया। कालिका पीठ व अखिल भारतीय संत समिति, दिल्ली के अध्यक्ष सुरेंद्र नाथ अवधूत ने कहा कि शुक्रवार को जंतर-मंतर पर होने वाला वृहद संत-समागम सरकार के गुरुवार को दिए उस भरोसे के बाद स्थगित किया था कि सरकार यमुना में पानी छोड़ेगी। लेकिन, सरकार की बात झूठी निकली।
भारत साधु समाज, दिल्ली के महामंत्री व दूधेश्वर मठ के महंत नारायण गिरी ने कहा कि यमुना के साथ हो रहा व्यवहार हमारी संस्कृति को क्षीण करने का एक षडयंत्र है। वृंदावन से आए अखिल भारतीय वैष्णव चतु:संप्रदाय के अध्यक्ष महंत फूलडोल बिहारी दास ने कहा कि यमुना के लिए इस आंदोलन को ब्रज के घर-घर तक पहुंचाएंगे और सरकार को बाध्य करेंगे कि वह यमुना को उसका अस्तित्व दोबारा लौटाए। आंदोलन के संरक्षक जयकृष्ण दास ने कहा कि सरकार अविलंब अपने वायदों को पूरा करे अन्यथा साधु-संत अगला कदम उठाने के लिए विवश होंगे। किसान भी सरकार के रवैए से बहुत आक्रोशित हैं।
किसान नेता भानु प्रताप सिंह ने कहा कि यदि सरकार ने जल्द से जल्द यमुना में पानी नहीं छोड़ा तो एक मई को जंतर-मंतर पर किसानों की महापंचायत बुलाई जाएगी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में यमुना के किनारे के सभी जिलों के किसानों को यहां आने के लिए तैयार होने की खबर भेजी जा चुकी है, बस उन्हें यहां से एक संकेत भर मिलने की देरी है।
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दैनिक भास्कर, 25 अप्रैल 2011