7वाँ भारतीय अन्तरराष्ट्रीय जल शिखर सम्मेलन - 2017 एक सफल आयोजन रहा। कार्यक्रम की विषय-वस्तु प्रासंगिक और जल संबंधी विभिन्न आयामों पर सटीक और केंद्रित होने के कारण विभिन्न हितधारकों की भागीदारी भी कार्यक्रम की सफलता के लिये अहम रही। इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) ने भारत सरकार के जल संसाधन मंत्रालय, नई दिल्ली के सहयोग से इंडिया हैबिटाट सेंटर, नई दिल्ली में 22 अगस्त 2017 को इस शिखर सम्मेलन का आयोजन किया।
7वें भारतीय अन्तरराष्ट्रीय जल सम्मेलन - 2017 का उद्घाटन श्रीमती मीनाक्षी लेखी - सांसद लोकसभा, द्वारा किया गया। उदघाटन सत्र के मौके पर श्रीमती कमलजीत सेहरावत - दक्षिण दिल्ली की महापौर, श्रीमती नीमा भगत- पूर्व दिल्ली की महापौर, श्री अभय कंटक निदेशक - अर्बन प्रैक्टिस क्रिसिल विशिष्ट अतिथि रहे।
कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। सांसद मीनाक्षी लेखी, श्रीमती कमलजीत सेहरावत - दक्षिण दिल्ली की महापौर और श्रीमती नीमा भगत- पूर्व दिल्ली की महापौर ने अपने करकमलों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन किया और यह संदेश दिया जैसे यह दीपक अपनी रोशनी फैला रहा है उसी तरह 'इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स' द्वारा आयोजित कार्यक्रम में आये विशेषज्ञ अपने ज्ञान और विचारों से सभी को अवगत कराकर ज्ञान का एक नया प्रकाश फैलायें और जल प्रबंधन के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिये एक सही सकारात्मक दिशा और ऊर्जा प्रदान करें।
जल-प्रबंधन के शहरी परिप्रेक्ष्य में शामिल पहलू
इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स के इस कार्यक्रम में शामिल हुए विशेषज्ञों ने जल संरक्षण व प्रबंधन प्रणाली पर अपने-अपने विचार रखे जैसे- सभी के लिये जल - शहरी और ग्रामीण विकास, पानी की री-साइकिलिंग व पुनः उपयोग, स्टेट चर्चा फोरम में पानी की उपलब्धता (सफल कहानियाँ)। इस अवसर पर वैकल्पिक जल स्रोतों में उभरती हुई टेक्नोलॉजी तथा उसकी प्रक्रियाएँ, औद्योगिक जल एवं निकासी प्रणाली की दक्षता का अनुकूलन, टिकाऊ शहरी जल प्रबंधन के लिये टेक्नोलॉजी और सॉल्यूशन पर भी गहरी चर्चा हुई। कार्यक्रम के एक सत्र में जल माँग आपूर्ति प्रबंधन और जल लेखा परीक्षा, प्रभावी जल प्रबंधन में जल उपयोगिताओं, जल बचत प्रौद्योगिकी, जैव-उपचार ई-शासन और सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) आदि मुद्दों पर भी विचार विमर्श किया गया। साथ ही ड्रिप इरीगेशन द्वारा कम पानी में फसलों की सिंचाई, शहरी जल प्रबंधन में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की भूमिका, जल के प्राकृतिक संसाधनों को लेकर संवेदनशील होना व उनको सहेजना, ग्रामीण व शहरी जल अपशिष्ट का शोधन व निपटान आदि मुद्दों पर चर्चा की गई।
‘छोटे जल उद्यम पैमानों के लिये व्यावहारिक समाधान’ जिसमें जल माँग प्रबंधन, माइक्रो-उपयोगिता और पीपीपी के मुद्दों को शामिल किया गया हो। पानी और अपशिष्ट जल उपचार के लिये नवोन्मेष तकनीकी - वैकल्पिक जलस्रोतों में उभरते हुए और नवोन्मेष प्रौद्योगिकियों और प्रक्रियाओं को संबोधित किया गया। सम्मेलन में अपशिष्ट जल के पुन: उपयोग पर अधिक जोर दिया गया। तकनीकी सत्र के लिये प्रख्यात वक्ता श्री सौरव दास पटनायक सीईओ स्वच्छ - ए सेरी ग्रुप वेंचर, सुश्री पूनम सेवक - सेफ वाटर नेटवर्क यूएसएआईडी, सुश्री स्मिता मिश्रा - लैड जल एवं स्वच्छता विशेषज्ञ, विश्व बैंक, श्री मनीष गाँधी - उत्तर एवं पूर्वी क्षेत्र के उपाध्यक्ष, आयन एक्सचेंज, श्री सतीश भट्ट - जनरल मैनेजर (महाप्रबंधक) इंडिया प्राइवेट लिमिटेड आदि लोग मौजूद रहे।
कार्यक्रम का उद्देश्य - शिखर सम्मेलन का प्रमुख उद्देश्य शहरी और ग्रामीण सभी के लिये जल संकट की चुनौतियाँ खासकर सबके लिये पानी के सम्बन्ध में जल-प्रबंधन की अच्छी व स्थायी नीतियों में सुधार और सहायता पर रोशनी डालना था। तथा साथ ही भूजल प्रबंधन और संरक्षण, जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन प्रभाव, बाढ़ प्रबंधन, भूजल खनन और गुणवत्ता, भूजल संरक्षण और रिचार्ज, झीलों व वाटरशेड प्रबंधन, वर्षा जल संचयन के बारे में लोगों में जागरुकता फैलाना रहा।
व्यापक प्रबंधन दृष्टिकोण: ग्रामीण क्षेत्रों में निरंतर जल प्रबंधन के लिये, प्रौद्योगिकी और जल के समाधान पर उद्योग विशेषज्ञों, डॉ. उत्तम कुमार सिन्हा - फैलो आईडीएसए, पानी के वरिष्ठ विशेषज्ञों, डाॅ. अजय प्रधान - भारतीय जल एवं पर्यावरण संस्थान के अध्यक्ष, डीएससी और श्री सुरेंद्र मखीजा- वरिष्ठ उपाध्यक्ष, जैन इरिगेशन द्वारा चर्चा की गई।
इस अवसर पर विभिन्न गैर सरकारी संगठनों, कम्पनियों और मीडिया जगत के प्रतिनिधियों ने सक्रिय भागीदारी की और विभिन्न विशेषज्ञों से सवाल जवाब करके कार्यक्रम को सुरुचिपूर्ण बनाने में अपनी भूमिका निभाई।