10 जून 2010 नई दिल्ली। नदियों के देश में पीने के पानी का संकट गहराता जा रहा है। भूजल का स्तर भी लगातार गिर रहा है। गिरते भूजल स्तर को रोकने के लिए तमाम उपाय किए जा रहे हैं। दरअसल जनसंख्या में लगातार वृद्धि बढ़ते शहरीकरण और उद्योगीकरण, कृषि उपज की बढ़ती मांग से, जल की मांग में बेतहाशा इजाफा हुआ है। इससे सतह और भूजल संसाधनों का बेतरह दोहन हो रहा है। नतीजे में भूजल स्तर में लगातार कमी हो रही है। शहरी क्षेत्रों में स्थिति और भी गंभीर है इसलिए न केवल जल संसाधनों के संरक्षण बल्कि विभिन्न प्रतिस्पर्द्धी क्षेत्रों से निरंतर बढ़ती जल की मांग की वजह से प्रभावी कार्यनीतियों और प्रबंधन के द्वारा उन्हें बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है।
वर्षा जल-संचयन के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) ने पाठ्यक्रम शुरू किया है। इसका मुख्य मकसद शिक्षार्थियों को जल संसाधनों को बढ़ाने और उनके उचित उपयोग के लिए संवेदनशील बनाना, जल संचयन तकनीकों को समझने के लिए आवश्यक कौशल और निपुणता प्रदान करना और शिक्षार्थियों को घरेलू और सामुदायिक स्तर पर प्रशिक्षकों और संगठनकर्ताओं की तरह कार्य करने के लिए सक्षम बनाना है ताकि प्रभावी जल प्रबंधन और जल संरक्षण संभव हो सके।
इस सर्टिफिकेट कार्यक्रम में चार क्रेडिट के चार पाठ्यक्रम है इनमें से तीन सैद्धांतिक और एक प्रायोगिक पाठ्यक्रम हैं। इसके तहत जल संचयन का परिचय, जल विज्ञान की मौलिक अवधारणाएं, जल संचयन, संरक्षण व उपयोग और जल संचयन संस्था में प्रायोगिक प्रशिक्षण आते हैं। इस पाठ्यक्रम के लिए दसवीं पास या इग्नू से स्नातक प्रारंभिक कार्यक्रम (बीपीपी) होना जरूरी है। इसकी अवधि न्यूनतम छह महीने और अधिकतम दो साल है। अध्ययन का माध्यम अंग्रेजी और हिंदी है।
इस प्रशिक्षण के बाद रोजगार के मौके भी मिलते हैं। सर्टिफिकेट धारक, जल संचयन परियोजनाओं में कार्य कर रहे विभिन्न सरकारी और गैरसरकारी संगठनों (एनजीओ, शहरी आवास बोर्ड, आदि), निर्माताओं, मृदा संरक्षण विभागों और भूजल बोर्ड में जल संचयन सहायक के रूप में कार्य करने के लिए पूर्णतया सक्षम होंगे।
पूरे कार्यक्रम और कोर्स के बारे में अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:
मुकेश कुमार
सहायक प्रोफेसर एवं कार्यक्रम समन्वयक
कृषि संकाय
जी ब्लॉक, जाकिर हुसैन भवन
नया शैक्षणिक परिसर
इग्नू, मैदान गढ़ीनई दिल्ली -110 068
फोन: +91-11-29533167 / 66
ई - मेल: mkumar@ignou.ac.in
या
डा. संजीव पांडेय
क्षेत्रीय निदेशक दिल्ली-2 एवं कार्यक्रम समन्वयक,
इग्नू रीजनल सेंटर
गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति, राजघाट,
नई दिल्ली - 110 002
फोन: +91-11-23392376 / 77
ई - मेल: ignourcd2@rediffmail.com
पूरे कार्यक्रम और कोर्स के बारे में अंग्रेजी में जानकारी देखने के लिए अंग्रेजी-पत्रक डाउनलोड करें।
वर्षा जल-संचयन के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) ने पाठ्यक्रम शुरू किया है। इसका मुख्य मकसद शिक्षार्थियों को जल संसाधनों को बढ़ाने और उनके उचित उपयोग के लिए संवेदनशील बनाना, जल संचयन तकनीकों को समझने के लिए आवश्यक कौशल और निपुणता प्रदान करना और शिक्षार्थियों को घरेलू और सामुदायिक स्तर पर प्रशिक्षकों और संगठनकर्ताओं की तरह कार्य करने के लिए सक्षम बनाना है ताकि प्रभावी जल प्रबंधन और जल संरक्षण संभव हो सके।
इस सर्टिफिकेट कार्यक्रम में चार क्रेडिट के चार पाठ्यक्रम है इनमें से तीन सैद्धांतिक और एक प्रायोगिक पाठ्यक्रम हैं। इसके तहत जल संचयन का परिचय, जल विज्ञान की मौलिक अवधारणाएं, जल संचयन, संरक्षण व उपयोग और जल संचयन संस्था में प्रायोगिक प्रशिक्षण आते हैं। इस पाठ्यक्रम के लिए दसवीं पास या इग्नू से स्नातक प्रारंभिक कार्यक्रम (बीपीपी) होना जरूरी है। इसकी अवधि न्यूनतम छह महीने और अधिकतम दो साल है। अध्ययन का माध्यम अंग्रेजी और हिंदी है।
इस प्रशिक्षण के बाद रोजगार के मौके भी मिलते हैं। सर्टिफिकेट धारक, जल संचयन परियोजनाओं में कार्य कर रहे विभिन्न सरकारी और गैरसरकारी संगठनों (एनजीओ, शहरी आवास बोर्ड, आदि), निर्माताओं, मृदा संरक्षण विभागों और भूजल बोर्ड में जल संचयन सहायक के रूप में कार्य करने के लिए पूर्णतया सक्षम होंगे।
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