ऊर्जा संरक्षण एवं नवीकरणीय ऊर्जा उपयोग के क्षेत्र में स्वरोजगार की संभावना

Submitted by admin on Sun, 11/22/2009 - 08:29
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डॉ. सीमिन रूबाब

ऊर्जा किसी राष्ट्र की प्रगति, विकास और खुशहाली का प्रतीक होती है। भारत जीवाश्म ईंधन में आत्मनिर्भर नहीं है, इसके अलावा वैश्विक स्तर पर भी जीवाश्म ईंधन तेजी के साथ दुर्लभ होता जा रहा है। ऐसे में उनके सही उपयोग तथा संरक्षण की आवश्यकता है। दरअसल ऊर्जा दक्षता में सुधार एक राष्ट्रीय मिशन है। इसके अतिरिक्त नवीकरणीय ऊर्जा के स्थानीय तौर पर उपलब्ध् स्रोतों का भी अधिकतम उपयोग करना होगा। इसके अलावा भारत जैसे विकासशील और सघन जनसंख्या वाले देश में बेरोजगारी तथा रोजगार की कम उपलब्ध्ता एक सामान्य बात है। ऊर्जा संरक्षण और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग में इंजीनियरी, प्रौद्योगिकी, विज्ञान और मानविकी जैसे लगभग सभी विषयक्षेत्रों में प्रशिक्षित मानव संसाधनों के लिए रोजगार सृजन और सामाजिक उद्यमशीलता की व्यापक क्षमता है। दरअसल देश के सभी भूभागों में मध्यम दर्जे के प्रशिक्षित, स्व-प्रशिक्षित या यहां तक कि अप्रशिक्षित मानव संसाधनों के लिए बहुत से रोजगार के अवसर उपलब्ध् हैं। देश में ऊर्जा संरक्षण तथा नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को प्रोत्साहन देने के लिए कई गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान काम कर रहे हैं। नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिए नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन मंत्रालय ( www.mnre.gov.in ) के अधीन भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी ( आईआरईडीए, www.iredaltd.com ) की स्थापना की गई थी। आईआरईडीए विनिर्माताओं तथा उपयोगकर्ताओं को वित्तीय सहायता प्रदान करती है, वित्तीय सहयोगी के रूप में कार्य करती है, नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों (आरईटी) के तीव्र व्यावसायीकरण में सहायता करती है, ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देती है तथा परामर्शी सेवाएं देती है। आईआरईडीए के अलावा ऐसे बहुत से सार्वजनिक क्षेत्र, सहकारिता तथा निजी क्षेत्र के बैंक हैं जो ऊर्जा संरक्षण और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को प्रोत्साहित करती हैं। उद्यमशीलता अवसर इस क्षेत्र में स्वरोजगारों की एक सांकेतिक सूची निम्नानुसार है :

(i) एक मान्यताप्राप्त ऊर्जा परीक्षक फर्म या व्यक्तिगत परामर्शदाताः ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के अनुरूप सभी अधिसूचित ऊर्जा उपभोक्ताओं, जैसे कि सीमेंट उद्योग, एल्युमीनियम उद्योग, स्टील उद्योग, लुगदी एवं कागज उद्योग, रेलवे आदि के लिए किसी मान्यता प्राप्त ऊर्जा परीक्षक से ऊर्जा परीक्षण कराना तथा ऊर्जा प्रबंधकों को नियुक्त करना अनिवार्य है। ऊर्जा दक्षता ब्यूरो ( www.bee.gov.in ) के तत्वाधान में राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद ( www.aipnpc.org ) द्वारा हर वर्ष ऊर्जा परीक्षकों/ ऊर्जा प्रबंधकों के लिए आयोजित की जाने वाली राष्ट्रीय प्रमाणन परीक्षा के लिए कोई भी स्नातकोत्तर, स्नातक या डिप्लोमा इंजीनियर तथा विज्ञान में स्नातकोत्तर परीक्षा में बैठ सकता है।

परीक्षकों के लिए पेट्रोलियम कन्जर्वेशन रिसर्च एसोसिएशन एक सप्ताह का तैयारी पाठ्यक्रम आयोजित करता है।

(ii) एक ऊर्जा सेवा कम्पनी या ईएससीओज् मुख्यतः बड़े ऊर्जा उपभोगकर्ताओं तथा कम्पनियों के लिए समन्वित ऊर्जा सेवाएं (तकनीकी और वित्तीय) प्रदान करती है। ईएससीओज् का कार्य वहां से शुरू होता है जहां परीक्षक का काम खत्म होता है। सच्चाई यह है कि ऐसी बड़ी संख्या में फर्में हैं जो ऊर्जा परीक्षकों के साथ-साथ ईएससीओज्, दोनों के रूप में पंजीकृत हैं। भारत में ईएससीओ की स्थिति आरंभिक रूप में है। यहां 30 से अधिक ईएससीओज् प्रचालन में हैं लेकिन उनकी सीमित भौगोलिक पहुंच है। वर्तमान में ज्यादातर ईएससीओज भारत के दक्षिणी और पश्चिमी भाग में सक्रिय हैं। ईएससीओज सहायता और सहभागिता के लिए आईआरईडीए तथा पेट्रोलियम कन्जर्वेशन रिसर्च एसोसिएशन (पीसीआरए) से संपर्क कर सकती हैं।

(iii) नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों, जैसे कि सौर, वायु, बायोमास, शहरी/औद्योगिक कचड़े से छोटी, मिनी तथा सूक्ष्म ऊर्जा परियोजनाएं लगाई जा सकती हैं। ऐसी परियोजनाओं के लिए क्षमता से जुड़ी केंद्रीय वित्तीय सहायता उपलब्ध् है। कई भारतीय राज्यों में व्हीलिंग, तृतीय पक्ष बिक्री या ग्रिड को ऊर्जा की बिक्री (बाईबैक व्यवस्था) का भी विकल्प उपलब्ध् है। 11वीं योजना में सौर ऊर्जा संयंत्रों के 50 मैगावाट के ग्रिड का प्रस्ताव है। देश में इसका विकास करने वाला व्यक्ति अधिकतम 5 मेगावाट की क्षमता की परियोजना स्थापित कर सकता है। म्युनिसिपल और शहरी कचड़े से ऊर्जा उत्पादन का प्रस्ताव सार्वजनिक निजी भागीदारी प्रणाली के तहत आमंत्रित किया जाता है। यह योजना नगर निगमों, उद्योगों और निजी उद्यमों के लिए खुली है। पवन ऊर्जा का लक्ष्य XI वीं योजना में 10,500 मैगावाट का है।

(iv) ऊर्जा सतर्कता भवन : यह वास्तुकारों, सिविल, मेकेनिकल और इल्युमीनेशन इंजीनियरों, भवन निर्माताओं तथा डेवलपर्स, टाउनशिप डेवलपमेंट और निर्माण कम्पनियों के लिए लागू है। हाल ही में भवनों संबंधी राष्ट्रीय पर्यावरणीय रेटिंग प्रणाली ने ऊर्जा संरक्षण भवन रोड ईसीबीसी 2007, अन्य भारतीय मानक कोड तथा स्थानीय नियम आदि तैयार किए हैं। इसका उद्देश्य बड़े पैमाने के सौर भवनों के डिजाइन तथा निर्माण को प्रोत्साहन देना है। सौर ऊर्जा प्रणाली से युक्त एक सौर हाउसिंग परिसर कोलकाता में तैयार किया गया है जिसकी अन्य शहरी क्षेत्रों में भी विस्तार की आवश्यकता है। पुणे मे 7000 परिवारों के लिए सौर टाउनशिप विकसित की गई है। इस विलक्षण टाउनशिप में प्रत्येक घर में सौर ऊर्जा प्रणाली लगी है जिसमें सौर वाटर हीटर, सामुदायिक बायोगैस आधरित ऊर्जा उत्पादन संयंत्र, वर्षा जल संचयन आदि की सुविधाएँ लगाई गई हैं। XI वीं योजना में समूचे भारत में 60 सौर शहरों (प्रत्येक राज्य में कम से कम एक) की स्थापना का प्रस्ताव है। अतः डेवलपर्स इस पावन अवसर का खूब लाभ उठा सकते हैं।

(v) ग्राम ऊर्जा सुरक्षा कार्यक्रम का कार्यान्वयन (वीईएसपी) नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियां दूरदराज के ऐसे गांवों के विद्युतीकरण के लिए जो ग्रिड विस्तार कार्यक्रम के दायरे में नहीं आए हैं। यह कार्यक्रम गांवों में कुकिंग, बिजली और अन्य ऊर्जा संसाधनों की जरूरतें पूरी करता है। यह कार्यक्रम जिला ग्रामीण विकास एजेंसियों, गैर-सरकारी संगठनों, उद्यमियों, फ्रेंचाइजिज, सहकारी संस्थाओं आदि द्वारा संचालित किया जा सकता है। वीईएसपी के लिए 90% केंद्रीय वित्तीय सहायता उपलब्ध् है।

(vi) राज्य/जिला स्तरीय ऊर्जा शिक्षा उद्यानों का विकास : अब तक देश में करीब 500 ऊर्जा शिक्षा उद्यान स्थापित किए जा चुके हैं।

(vii) आईआरईडीए से वित्तीय सहायता के जरिए सौर उत्पादों की विपणन तथा सर्विसिंग के लिए जिला स्तरीय आदित्य सौर/अक्षम ऊर्जा दुकानों की स्थापना।

विनिर्माण एसोसिएशनों, प्रतिष्ठित गैर सरकारी संगठनों, निजी उद्यमियों का अक्षम ऊर्जा दुकानें स्थापित करने की अनुमति है।

(viii) दस्तकारी और ग्रामीण उद्योग : खाना पकाने के आधुनिक स्टोव्स की फैब्रीकेशन तथा विपणन (ऊर्जा दक्ष और धूंआ रहित), बायोमास इकाइयों की स्थापना, सामुदायिक बायोगैस संयंत्रों आदि की स्थापना।

(ix) ऊर्जा दक्षता ब्यूरो, ऊर्जा मंत्रालय के ऊर्जा लैबलिंग कन्सलटेंट के रूप में हाल में शुरुआत की गई है। घरेलू उपकरणों जैसे कि एसी तथा फ्लोरीसेंट ट्यूब्स आदि को उनकी दक्षता के अनुसार ऊर्जा स्टार रेटिंग प्रदान की जाती है। पांच सितारों की रेटिंग का अर्थ है अत्यधिक ऊर्जा दक्ष उपकरण।

(x) एथनोल एवं बायोडीजल उद्योग : जैट्रोफा (कर्कस लिन्न), करंज आदि की खेती, जो कि बायो-डीजल प्रोसेसिंग के लिए आवश्यक है। सोरगम, कसावा, मक्का, गन्ने से सेल्युलेसिक एथनॉल, अल्कोहल का उत्पादन तथा कृषि के कचड़े से एथनोल को अलग करना। प्लान्टेशन एवं बायोडीजल उद्योग में निवेश के लिए बायोडीजल/बीज उत्पादन से जुड़े व्यापार योग्य कर छूट प्रमाण-पत्र (टीटीआरसीज) उपलब्ध् हैं।

(xi) आनुवंशिकी इंजीनियर्ड उच्च कैलोरीफिक वैल्यू फ्यूल वुड स्पीसिस की खेती तथा विपणन। ऐसे उत्पाद विषैली गैंसों के उत्सर्जन के बगैर आसानी से जल जाते हैं।

(xii) प्रौद्योगिकी और पर्यावरण में विशेषज्ञता रखने वाले पत्रकार: इस विषय से संबंधित पत्रिकाओं तथा प्रमुख राष्ट्रीय दैनिकों और समाचार चैनलों के एक संवाददाता के रूप में।

ऊर्जा संरक्षण और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में कोई उद्यम शुरू करते हुए जहां संबंधित व्यक्ति को पृथ्वी ग्रह की देखरेख से संतुष्टि मिलती है वहीं अपने जीवनयापन के लिए आय भी प्राप्त होती है।

(लेखक एनआईटी, हजरतबल, श्रीनगर, ज. एवं क.-190006 में भौतिकी के वरिष्ठ प्रवक्ता हैं)