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जागरण.कॉम मथुरा, 28 फरवरी 2013
बरसाना के विरक्त संत रमेश बाबा का यमुना बचाओ अभियान का कारवां एक बार फिर मथुरा से दिल्ली वाली सड़क कल से दिखेगा। लाखों लोगों को पदयात्रा में शामिल कर दिल्ली पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है। वृन्दावन के छंटीकरा के मैदान में पहुंचे किसानों के संगठनों ने यमुना महापंचायत का आयोजन किया।
किसान महापंचायत में गुरुवार को उमड़ी भीड़ को देखकर यमुना रक्षक दल के पदाधिकारियों, पुष्टिमार्ग के संत, भाकियू के पदाधिकारियों ने यमुना मुक्ति आंदोलन को विजयश्री मिलने का भाव जाहिर किया। आंदोलन के प्रणेता संत रमेश बाबा ने कहा कि विजयश्री मिलना निश्चित है। हम जानते हैं कि जीत चुके हैं। विमुख लोग जब तक हार नहीं मानेंगे, तब तक वह चलते रहेंगे। हम कमजोर हैं, लेकिन हमसे अधिक ताकतवर भी कोई नहीं है।
गरुणगोविंद मंदिर के निकट आयोजित महापंचायत में उन्होंने यमुना भक्तों को ललकारा। कहा कि अब यमुना मुक्ति के लिए सभी एकजुट हो जायें। जिस कालिंदी की पूजा भगवान श्रीकृष्ण ने की, वह आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है। ऐसे में ब्रजवासी यमुना भक्तों का नेतृत्व कर पदयात्रा में शामिल हों। यमुना भक्तों का शंखनाद सरकार को झुकने पर मजबूर कर देगा।
संत रमेश बाबा ने आंदोलन को राधारानी पदयात्रा घोषित किया। शांतिपूर्ण तरीके से संकीर्तन करते हुए यमुना भक्त चलेंगे।
महापंचायत में भाकियू (भानु) के अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह ने सरकार को ललकारते हुए कहा कि अगर सरकार समय रहते नहीं चेती तो उसे परिणाम भुगतने को तैयार रहना चाहिए। सरकार के हठधर्मी रवैये के खिलाफ भाकियू के पदाधिकारी ब्रजवासियों के साथ कदम से कदम मिलाकर झुकने को मजबूर कर देंगे।
यमुना रक्षक दल के अध्यक्ष बाबा जयकृष्ण दास ने कहा कि सरकार को झुकाने के लिए दिल्ली कूच करने को देशभर से यमुना भक्त वृंदावन पहुंच चुके हैं, ऐसे में ब्रजवासी भक्त भी एकजुट होकर पदयात्रा में शामिल हों।
पुष्टिमार्गीय बाबा किशोरचंद्र ने कहा कि यमुना को मुक्त करने के लिये पदयात्रा में दिल्ली सरकार से आने का निवेदन है। पंकज बाबा ने कहा कि आंदोलन में किसी भी प्रकार की कमी रही तो मां यमुना के ऋण से मुक्ति मिलना संभव न होगा। भागवत वक्ता संजीवकृष्ण ठाकुरजी ने कहा कि यमुना का अस्तित्व खत्म होता है, तो ब्रजमंडल की पहचान समाप्त होने के कगार पर पहुंच जायेगी।
इस दौरान मंच पर महेश्वरनाथ चतुर्वेदी, हरेश ठैनुआ, कमलकांत उपमन्यु, रमेश सिसौदिया, डॉ. अशोक अग्रवाल, डॉ. लक्ष्मी गौतम, डॉ. मनोजमोहन शास्त्री, रमेश यादव, हरिओम अग्रवाल, शंभूचरण पाठक, सीता अग्रवाल, डॉ. देवेंद्रनाथ चतुर्वेदी, देवेंद्र शर्मा, मृदुल कृष्ण शास्त्री, योगेश द्विवेदी आदि उपस्थित थे।
किसान महापंचायत में गुरुवार को उमड़ी भीड़ को देखकर यमुना रक्षक दल के पदाधिकारियों, पुष्टिमार्ग के संत, भाकियू के पदाधिकारियों ने यमुना मुक्ति आंदोलन को विजयश्री मिलने का भाव जाहिर किया। आंदोलन के प्रणेता संत रमेश बाबा ने कहा कि विजयश्री मिलना निश्चित है। हम जानते हैं कि जीत चुके हैं। विमुख लोग जब तक हार नहीं मानेंगे, तब तक वह चलते रहेंगे। हम कमजोर हैं, लेकिन हमसे अधिक ताकतवर भी कोई नहीं है।
गरुणगोविंद मंदिर के निकट आयोजित महापंचायत में उन्होंने यमुना भक्तों को ललकारा। कहा कि अब यमुना मुक्ति के लिए सभी एकजुट हो जायें। जिस कालिंदी की पूजा भगवान श्रीकृष्ण ने की, वह आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है। ऐसे में ब्रजवासी यमुना भक्तों का नेतृत्व कर पदयात्रा में शामिल हों। यमुना भक्तों का शंखनाद सरकार को झुकने पर मजबूर कर देगा।
संत रमेश बाबा ने आंदोलन को राधारानी पदयात्रा घोषित किया। शांतिपूर्ण तरीके से संकीर्तन करते हुए यमुना भक्त चलेंगे।
महापंचायत में भाकियू (भानु) के अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह ने सरकार को ललकारते हुए कहा कि अगर सरकार समय रहते नहीं चेती तो उसे परिणाम भुगतने को तैयार रहना चाहिए। सरकार के हठधर्मी रवैये के खिलाफ भाकियू के पदाधिकारी ब्रजवासियों के साथ कदम से कदम मिलाकर झुकने को मजबूर कर देंगे।
यमुना रक्षक दल के अध्यक्ष बाबा जयकृष्ण दास ने कहा कि सरकार को झुकाने के लिए दिल्ली कूच करने को देशभर से यमुना भक्त वृंदावन पहुंच चुके हैं, ऐसे में ब्रजवासी भक्त भी एकजुट होकर पदयात्रा में शामिल हों।
पुष्टिमार्गीय बाबा किशोरचंद्र ने कहा कि यमुना को मुक्त करने के लिये पदयात्रा में दिल्ली सरकार से आने का निवेदन है। पंकज बाबा ने कहा कि आंदोलन में किसी भी प्रकार की कमी रही तो मां यमुना के ऋण से मुक्ति मिलना संभव न होगा। भागवत वक्ता संजीवकृष्ण ठाकुरजी ने कहा कि यमुना का अस्तित्व खत्म होता है, तो ब्रजमंडल की पहचान समाप्त होने के कगार पर पहुंच जायेगी।
इस दौरान मंच पर महेश्वरनाथ चतुर्वेदी, हरेश ठैनुआ, कमलकांत उपमन्यु, रमेश सिसौदिया, डॉ. अशोक अग्रवाल, डॉ. लक्ष्मी गौतम, डॉ. मनोजमोहन शास्त्री, रमेश यादव, हरिओम अग्रवाल, शंभूचरण पाठक, सीता अग्रवाल, डॉ. देवेंद्रनाथ चतुर्वेदी, देवेंद्र शर्मा, मृदुल कृष्ण शास्त्री, योगेश द्विवेदी आदि उपस्थित थे।