यॉंत्रिक शक्ति चालित उपकरणों में विभिन्न प्रकार के पम्प आते हैं। पम्पों के प्रचालन में लगने वाले यांत्रिक सिद्धान्तों के आधार पर उनको निम्नलिखित वर्गो में बाटा जाता हैः
1- घूणी पम्प (Rotary pump)
2- ऊर्ध्वाधर टरबाइन पम्प (Vertical turbine pump)
3- निमज्जक पम्प (Submersible pump)
4- नोदक पम्प (Propeller pump)
5- प्रत्यांगामी विस्थापन पम्प (Reciprocating pump)
6- अपकेन्द्री पम्प (Centrifugal pump)
सिंचाई के प्रयोजन के लिए उपर्युक्त प्रकार के पम्पों में से विस्थापन पम्पों तथा अपकेन्द्री पम्पों का प्रयोग व्यापक रूप से किया जाता है।
घूर्णी पम्पः घूर्णी पम्प में घूर्णी गियर (rotating gear) लगे होते हैं जो पानी को अपने दाब से बाहर की ओर फेंकते हैं। इनका उपयोग बड़ी औद्योगिक इकाइयों में तेल, पानी तथा द्रब रसायनों के संचालन के लिए किया जाता है। ऐसे कार्यो के लिए प्रत्यगामी पम्प तथा अपकेन्द्री पम्प ठीक नहीं रहते हैं। इसके मुख्य प्रकार दो बाह्य स्पर गियर, दो सर्पिल गियर, दो हेरिंगबोन गियर, पेंच, वेन, कैम युक्त, तथा पिस्टर, घूर्णी पिस्टन आदि हैं।
ऊर्ध्वाधर टरबाइन पम्प: यह पम्प वहॉं व्यवहार में लाया जाता है, जहॉं पर पानी की सतह अधिक नीचे होती है तथा अपकेन्द्री पम्प के लिए उस सतह से पानी उठाना संभव नहीं होता है।
इसमें शीर्ष की आवश्यकतानुसार कई आंतरनोदक एक पर एक लगाकर रखते हैं जो एक बाउल-समुच्चय के अन्दर फिट रहते हैं। इस पम्प का व्यास कुएँ के व्यास पर निर्भर करता है। इस कारण पूर्ण शीर्ष को प्राप्त करने के लिए कई आंतरनोंदक लगाए जाते हैं। मोटर और पम्प एक इम्पेलर शैफ्ट द्वारा जुडे़ होते हैं तथा मोटर कुएँ के ऊपर लगा होता है। यह पम्प इंजन द्वारा भी चलाया जाता है। इसमें पानी पम्प गृह (pump housing) में बाहरी सिरे से प्रवेश करता है और आंतरनोदक के ब्लेड उसे निस्सरण सिरे की ओर ले जाते हैं। इनका उपयोग स्वच्छ द्रवों को उठाने के लिए किया जाता है।
निमज्जक पम्प: निमज्जक पम्प एक टराबाइन पम्प ही हैं। इसमें केवल इतना अन्तर है कि इसमें मोटर और पम्प एक साथ जुड़े होते हैं। इसमें एक विशेष प्रकार का मोटर पम्प के नीचे लगा होता है और दोनों पानी के नीचे डूबे रहते हैं। इस प्रकार एक लम्बे शैफ्ट की आवश्यकता नहीं रहती। यह पम्प विशेषकर गहरे कुएँ तथा टेढे़ कुएँ के लिए अधिक उपयोगी है। इसकी अभिकल्पना टरबाइन पम्प की तरह ही की जाती है।
नोदक पम्पः नोदक पम्प को अक्षीय प्रवाह पम्प, मिश्रित प्रवाह पम्प, पेंचदार पम्प तथा सर्पिल पम्प भी कहा जाता है। इसे कम गहराई से अधिक पानी निकालने के लिये प्रयोग मे लाते है। यह एकल चरण या बहु चरण प्रकार के होते है। एक चरण नोदक पम्प लगभग 3 मी0 के शीर्ष से पानी उठा सकता है। अतिरिक्त चरणो के जोड़ने से 9 से 12 मी0 शीर्ष से पानी उठाया जा सकता है। इसमें पानी का अधिकतर शीर्ष आंतरनोदक की नोदक क्रिया (propelling action) से बनता है। ऐसे पम्पों का उपयोग जल निकास, वाहित मल तथा बाढ़ के पानी को निकालने तथा इसी प्रकार के अन्य कार्यो के लिए किया जाता है।
प्रत्यांगामी पम्पः इसको विस्थापन पम्प भी कहते हैं। इसके मुख्य भाग सिंलिडर तथा वायुरोधी प्लंजर या पिस्टन है। यह पिस्टन सिंलिडर के भीतर आगे-पीछे चलता है। यह पिस्टन दंड द्वारा पम्प चालन (pump drive) साधन से जुड़ा होता है। प्रत्यांगामी की बारम्बारता या पिस्टन स्ट्रोक की लम्बाई को बदलकर प्रवाह गति को बदल सकते है। इसका प्रयोग 12 से 14 ली0 प्रति मिनट की प्रवाह दर के साथ 28 से 34 मी0 की गहराई से पानी उठा सकते है। प्रत्यांगामी पम्प विभिन्न प्रकार की बनावटो एवं आकारो मे उपलब्ध है। जो कि मानव शक्ति, पशु शक्ति और यांत्रिक शक्ति द्वारा चलाये जा सकते है।
प्रत्यागामी पम्प का प्रयोग भू जल स्रोतों से पानी उठाने के लिये होता है। चूषण शीर्ष को कम करने के लिये पम्प को जल सतह के नजदीक बिठाना चाहिए। सिलिन्डरो की संख्या को शक्ति श्रोत के अनुसार बढ़ा सकते है।
अपकेन्द्रीय पम्पः अपकेन्दीय पम्प लागत की दृष्टि से सस्ता बनावट में आसान और चलाने में सरल होता है यह पम्प लगातार एक समान पानी निकालता है। इस प्रकार के पम्प में द्रब पम्प के कक्ष में न रहकर लगातार मशीन में से बहता है जिसमें गति प्रभावों के कारण दाब परिवर्तन होते रहते हैं।