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अवसर : दाण्डी मार्च वर्षगाँठ
स्थान : गाँधी दर्शन, राजघाट, नई दिल्ली
तिथि : 12 मार्च, 2017
समय : सुबह 10.30-4.00 बजे तक
आयोजक : सेव गंगा मूवमेंट (पुणे) और गाँधी दर्शन एवं स्मृति समिति, नई दिल्ली
यह विमर्श ऐसे समय में हो रहा है, जहाँ एक तरफ कानपुर में गंगाजल में लाल और सफेद रंग के कीडे़ पाये जाने से नई चुनौती पेश हो गई है, तो दूसरी ओर बिहार मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने पटना में एक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन कर गंगा में प्रस्तावित बैराजों के खिलाफ मुहिम का ऐलान कर दिया है। भागलपुर से पटना के बीच बेतहाशा बढ़ती गाद के दुष्परिणाम से बचने के लिये फरक्का बैराज को तोडे़ जाने की माँग वह पहले ही कर चुके हैं।
गंगा-गांधी संयोग
भारत की आजादी के लिये जन-जनार्दन को एकजुट करने और ब्रिटिश सत्ता को जनता की सत्ता की ताकत बताने के लिये महात्मा गाँधी ने कभी दाण्डी मार्च किया था। आने वाले 12 मार्च, को दाण्डी मार्च की वर्षगाँठ है। आयोजकों ने इस मौके को जल सत्याग्रह दिवस के रूप में मनाने का आह्वान किया है।
''गंगा, सभी नदियों और जलसंचरनाओं की प्रतीक है; गिरिराज हिमालय, सभी पर्वतों, जंगलों और वन्यजीवन का और गाँधी, सत्य और अहिंसा की संस्कृति का।'' - प्रेषित विस्तृत आमंत्रण पत्र में गंगा, हिमालय और गाँधी को इन शब्दों में एक साथ जोड़ने की कोशिश करते हुए श्रीमती रमा राउत ने खुले मन के रचनात्मक समालोचना विमर्श की इच्छा जताई है। श्रीमती रमा राउत, भारत सरकार की गंगा पुनरुद्धार विशेषज्ञ सलाहकार समिति की सदस्य होने के साथ-साथ 'सेव गंगा मूवमेंट' की संस्थापक-संयोजक हैं।
विमर्श विचार
हिमालय और गंगा को बचाने के लिये हमें क्या करना चाहिए?
इस प्रश्न का उत्तर देते हुए श्रीमती राउत खुद लिखती हैं कि गंगा को राष्ट्रीय नदी का सम्मान दिलाने और संरक्षण के लिये आवश्यक प्रावधान करने चाहिए। समुचित पर्यावरणीय/पारिस्थितिकीय प्रवाह सुनिश्चित करने के लिये समयबद्ध कदम उठाने चाहिए। नदियों में मिलने वाले प्रदूषण को रोकने के लिये भारत की सभी नदियों के सन्दर्भ में 'ज़ीरो डिस्चार्ज' की नीति लागू करनी चाहिए।
गाँधी जी के ग्राम स्वराज, स्वदेशी, अन्तोदय, सर्वोदय, सत्याग्रह, चरित्र निर्माण के जरिए ग्रामीण भारत को ऐसे आदर्श स्थान के रूप में परिवर्तित करना चाहिए, जो प्राकृतिक शुद्धता और प्रकृति के ममत्व भरे पालने में सादा जीवन उच्च विचार का मार्ग प्रशस्त करे। श्री राउत ने स्वच्छ भारत मिशन में स्वच्छ हवा, स्वच्छ जल और स्वच्छ भोजन के विषय को शामिल करने की माँग की है।
सामयिक सन्दर्भ
गौरतलब है कि यह विमर्श ऐसे समय में हो रहा है, जहाँ एक तरफ कानपुर में गंगाजल में लाल और सफेद रंग के कीडे़ पाये जाने से नई चुनौती पेश हो गई है, तो दूसरी ओर बिहार मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने पटना में एक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन कर गंगा में प्रस्तावित बैराजों के खिलाफ मुहिम का ऐलान कर दिया है। भागलपुर से पटना के बीच बेतहाशा बढ़ती गाद के दुष्परिणाम से बचने के लिये फरक्का बैराज को तोडे़ जाने की माँग वह पहले ही कर चुके हैं।
गंगा को लेकर सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय हरित पंचाट द्वारा की जा रही सख्ती तीसरा मोर्चा है। इन सभी मोर्चों के बीच खबर यह है कि केन्द्र सरकार ने एक अधिसूचना के माध्यम से पूर्व में गठित राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण को विघटित कर दिया है। विशेष सचिव शैलेन्द्र कुमार सिंह द्वारा जारी एक पत्र के अनुसार, विकल्प के तौर पर केन्द्र, राज्य और जिला अर्थात तीन-स्तरीय समितियों की योजना तैयार की गई है। खासतौर पर गंगा स्वच्छता कार्यों की निगरानी करने के लिये इन समितियों के गठन की आवश्यकता महसूस की गई है। ऐसे में यह हिमालय-गंगा जरूरी भी है और छाये सन्नाटे में एक आवाज का होना भी; बशर्ते कोशिश सिर्फ एक औपचारिक आयोजन की होकर न रह जाये।
अधिक जानकारी के लिये सम्पर्क
श्रीमती रमा राउत,
ई मेल : ramaraura@rediffmail.com,
ramarauta29@gmail.com
वेबसाइट: www.savegangamovement.org
मोबाइल : 09765359040, 09930537344