हिण्डन प्रदूषण मुक्ति हेतु दिल्ली में पंचायत

Submitted by RuralWater on Tue, 06/09/2015 - 14:54
तिथि: 11 जून, 2015
समय: 11 बजे से 4 बजे तक
स्थान: इण्डिया हैबिटेट सेंटर (भारत पर्यावास केन्द्र), लोधी रोड, नई दिल्ली
आयोजक: जल-जोड़ो अभियान


उद्देश्य :


1. हिण्डन नदी की प्रदूषण मुक्ति का समाधान खोजना।
2. समाधान हेतु सभी सम्बन्धित वर्गों को एकजुट करना।

मूल विचार :


शासन और औद्योगिक प्रतिनिधियों को शामिल किए बगैर हिण्डन प्रदूषण मुक्ति के समाधान हासिल करना असम्भव है। यह भी सच है कि हिण्डन प्रदूषण के चार बड़े स्रोत हैं - कृषि में प्रयोग होने वाले रसायन, मल, ठोस कचरा और औद्योगिक अवजल। हिण्डन में जल प्रवाह की कमी और प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड व शासन की नाकामी....निर्मलीकरण के मार्ग की दो अन्य बड़ी बाधाएँ हैं। हिण्डन, यमुना में मिलती है और यमुना, गंगा में। अतः यदि गंगा और यमुना को स्वच्छ करना है, तो पहले हिण्डन को स्वच्छ करना होगा। यदि हिण्डन को स्वच्छ करना है, तो काली और कृष्णी को निर्मल किए बगैर यह हो नहीं सकता। मतलब साफ है कि यदि हम चाहते हैं कि गंगा स्वच्छ हो, तो इसके लिये गंगा की सिर्फ मुख्य धारा को स्वच्छ करने से काम चलेगा नहीं; जरूरी है कि गंगा की सभी सहायक धाराओं की निर्मलता सुनिश्चित करने का काम प्राथमिकता पर हो।

जल-जन जोड़ो अभियान के संचालक जल पुरूष श्री राजेन्द्र सिंह जी द्वारा हस्ताक्षरित आमन्त्रण पत्र में कहा गया है कि हिण्डन प्रदूषण के कारण अब लोग कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का शिकार बन रहे हैं। इनके प्राण बचाना, आज राज, समाज और औद्योगिक कम्पनियों के समक्ष स्वयं में एक बड़ी चुनौती है। उद्योगों को उनके दायित्व का एहसास दिलाना जरूरी है। श्री सिंह ने इसके लिये राज्य व केन्द्र की सरकार के अलावा समाज द्वारा मिलकर आन्दोलन शुरू करने की आवश्यकता बताते हुए जल-जन जोड़ो अभियान द्वारा इस दिशा में पहल का संकेत दिया है।

जलपुरुष की पहल पर पूर्व प्रयास


निस्सन्देह, इस दिशा में पहल की आवश्यकता है। गौरतलब है कि हिण्डन यात्राओं के जरिए, वर्ष-2004 में भी श्री राजेन्द्र सिंह जी ने एक कोशिश की थी। उस कोशिश और इस पंचायत में दो भिन्नताएँ हैं:

1. वर्ष-2004 की कोशिश हिण्डन के प्रदूषण, प्रदूषणकर्ताओं तथा प्रदूषण से प्रभावित समाज को समझने तक सीमित होकर रह गई थी। इस बार का उद्देश्य, समाधान जानना और समाधान को ज़मीन पर उतारना भी है।
2. उस बार सिर्फ समाज को जोड़ा गया था। किन्तु इस बार के जुड़ाव में दो नए वर्ग हैं: शासन और उद्योग।

उस कोशिश में स्थानीय स्तर पर देवेन्द्र भगत जैसे व्यापारी, कृष्णपाल सिंह जैसे कई ग्रामीण कार्यकर्ता, कई ग्राम प्रधान, जनहित फाउंडेशन जैसी संस्था, प्रो. एस प्रकाश, प्रो. पी. के. शर्मा व डा बी बी सिंह जैसे विद्वान, कई वकील, पत्रकार तथा पुलिस अधिकारी काफी सक्रिय रहे। बरनावा, बालैनी, सुराणा, पुरा महादेव और मोहननगर - हिण्डन किनारे के इन पाँच स्थानों पर हिण्डन के पाँच तीर्थ हैं। इन सभी तीर्थों की धार्मिक शक्तियों ने भी उस पहल में सक्रिय भूमिका निभाई थी।

गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान, दिल्ली के श्री रमेश शर्मा, मुम्बई की उद्योगपति से सामाजिक कार्यकर्ता बनी बहन श्रीमती अमला रुइया, लोक विज्ञान संस्थान-देहरादून के श्री अनिल गौतम तथा स्मरण करने योग्य राजस्थान विधानसभा के सबसे युवा अध्यक्ष रहे स्व. राजा गोपाल सिंह जी ने भी उस दौर में कम अहम भूमिका नहीं निभाई थी। उस जुड़ाव के जरिए ही हिण्डन जलबिरादरी का जन्म हुआ। श्री विक्रान्त शर्मा और श्री प्रशान्त वत्स जैसे हिण्डन विशेष के काम करने वाले कई कार्यकर्ता भी हिण्डन के लिये किए उस प्रथम संगठित प्रयास के फलस्वरूप ही तैयार हुए।

सभी वर्गों की सहभागिता और सक्रियता जरूरी


गौर करने की बात है कि श्री राजेन्द्र सिंह जी द्वारा भेजे आमन्त्रण पत्र के अनुसार, इस पंचायत में जल संसाधन समूह, हिन्दुस्तान यूनिलीवर फ़ाउंडेशन, उद्योग प्रतिनिधि, जल विशेषज्ञ तथा उत्तर प्रदेश सरकार के मन्त्री एवं मुख्य सचिव की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। जल विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, शोधार्थियों, शिक्षाविदों, जनसंचारकों एवं पानी पर ज़मीनी काम करने वाले प्रयोगधर्मी लोगों को विशेष तौर पर आमन्त्रित किया गया है।

यह सच है कि शासन और औद्योगिक प्रतिनिधियों को शामिल किए बगैर हिण्डन प्रदूषण मुक्ति के समाधान हासिल करना असम्भव है। यह भी सच है कि हिण्डन प्रदूषण के चार बड़े स्रोत हैं - कृषि में प्रयोग होने वाले रसायन, मल, ठोस कचरा और औद्योगिक अवजल। हिण्डन में जल प्रवाह की कमी और प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड व शासन की नाकामी....निर्मलीकरण के मार्ग की दो अन्य बड़ी बाधाएँ हैं। अतः अच्छा होता यदि हिण्डन किनारे स्थित औद्योगिक इकाइयों, प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड की जिला इकाइयों, सम्बन्धित सिंचाई विभाग, जल निगम, कृषि विभाग, जिला पंचायतों तथा किसान संघों के प्रतिनिधियों को भी इस पंचायत में शामिल किया जाता। आखिरकार पंचायत का मतलब ही है कि दोषी, प्रभावित, गवाह तथा न्याय करने और उसे लागू कराने में समर्थ पंच.. सभी शामिल हो।

सुखद है कि हिण्डन को लेेकर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने सख्ती शुरू कर दी है। इस सख्ती ने उत्तर प्रदेश सरकार तथा प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड के कान भी खड़े कर दिए हैं। समाज भी नई जंग और रचना के लिये कसमसाता दिखाई दे रहा है। अतः उम्मीद पुनः जागृत हुई है कि श्री राजेन्द्र सिंह की पहल पर शुरू इस बार का प्रयास समग्र होगा और ज्यादा सार्थक भी। नतीजा चाहे जो आए, दुआ रहेगी कि यह प्रयास संवाद से आगे जाएगा, उद्योग चेतेंगे और हिण्डन निर्मल भी होगी और प्रवाह से भरपूर भी।

यदि आप इस पहल में साझीदार होने के इच्छुक हों, तो आयोजकों से निम्नलिखित ईमेल, पता तथा मोबाइल नम्बरों पर सम्पर्क कर सकते हैं :

जल-जन जोड़ो नेटवर्क ऑफिस : 686 शिवाजी नगर, झाँसी, उ. प्र.,
फोन: 0510 - 2321050
ई मेल - jaljanjodoabhiyan@gmail.com
मोबाइल . 09868200040, 09415114151