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एसएजीवाई
प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर हरेक सांसद को एक गाँव गोद लेने की अपील की है। प्रधानमन्त्री ने गाँवों को महात्मा गाँधी के ग्राम स्वराज की संकल्पना के मद्देनज़र इन्हें स्वच्छ और आत्मनिर्भर बनाने की अपील की है। आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) के तहत् यह भी लक्ष्य रखा गया है कि ग्रामीण जीवन से सभी पहलुओं खासकर शासन से सम्बन्धित निर्णयों में समाज के सभी वर्गों की सहभागिता सुनिश्चित करना। अन्त्योदय के सिद्धान्त के अनुसार-‘गाँव में ‘सबसे निर्धन और कमजोर व्यक्तियों’ को सक्षम बनाना ताकि वे अपना विकास कर सके।’
भारत गाँवों का देश है इसलिए एसएजीवाई का उद्देश्य मात्र अवसंरचना विकास करने के अलावा, गाँव में और उसकी जनता के मन में कतिपय नैतिक भावनाएँ उत्पन्न करना है ताकि वे गाँव अन्य गांँवों के लिए मॉडल बन सके। महिला और पुरुषों के बीच समानता कि पुष्टि करना और महिलाओं के लिए सम्मान सुनिश्चित करना। सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना। श्रम की गरिमा और सामुदायिक सेवा एवं स्वैच्छिक सेवा की भावना मन में बिठाना। विकास और प्रकृति के बीच तालमेल बिठाकर योजनाओ को अंजाम देने की बात जोर देकर कही गई है।
इस योजना की खासियत यह है कि आदर्श ग्राम में जहाँ तक सम्भव हो सके, लोगों की क्षमताओं और उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हुए जनता का साझा विजन तैयार किया जाएगा। इसमें सांसद सदस्य, ग्राम पंचायत, सिविल सोसाइटी और सरकारी तन्त्रों पर्याप्त मदद दी जाएगी। कुछ मोटे काम इस तरह के होंगे : 1. साफ- सफाई और स्वच्छता सम्बन्धी आदतों का विकास, 2. दैनिक व्यायाम और खेलकूद सहित स्वस्थ्यपूर्वक आदतों का विकास, 3. जोखिम से जुड़ी आदतों – मद्यपान, धूम्रपान, नशीले पदार्थों का सेवन इत्यादि में कमी।
सामाजिक विकास के तहत भारत निर्माण के लिए स्वयंसेवियों को जनता की क्षमता का निर्माण और उसका विकास कि प्रक्रिया में इस्तेमाल, ग्रामीण वृद्धों, शहीदों, स्थानीय रोल मॉडल को सम्मानित करना, हिंसा और अपराधमुक्त गाँवों के निर्माण को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों पर जोर देना रहेगा।
गाँवों के आर्थिक विकास के लिए कृषि विविधता, कृषि आधारित जीविका जिसमें पशुधन और बागवानी शामिल होंगे, को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके तहत - 1. जैविक कृषि, 2. मृदा स्वास्थ्य कार्ड, 3. फसलों कि पैदावार बढ़ाने वाले कार्यकर्मों पर जोर रहेगा।
इसके अलावा पर्यावरण के विकास, बुनियादी सुविधाओं और सेवाओं (गरीब बेघरों को घर मुहैया कराना), सुशासन (ई-शासन, सभी के लिए यूआईडी कार्ड, ग्राम सभा से पूर्व महिला ग्राम सभा का आयोजन) पर भी जोर दिए जाएंगे। कुल मिलकर इस योजना से यह उम्मीद की गई है कि एक आदर्श गाँव अपने आसपास के गाँवों के लिए रोल मॉडल होंगे, जिन्हें देखकर उनके भीतर से बदलाव की आवाज़ बुलन्द होनी शुरू हो जाएगी।
सांसद आदर्श ग्राम योजना को पूरा पढ़ने के लिए यहाँ अटैचमेण्ट देखें
भारत गाँवों का देश है इसलिए एसएजीवाई का उद्देश्य मात्र अवसंरचना विकास करने के अलावा, गाँव में और उसकी जनता के मन में कतिपय नैतिक भावनाएँ उत्पन्न करना है ताकि वे गाँव अन्य गांँवों के लिए मॉडल बन सके। महिला और पुरुषों के बीच समानता कि पुष्टि करना और महिलाओं के लिए सम्मान सुनिश्चित करना। सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना। श्रम की गरिमा और सामुदायिक सेवा एवं स्वैच्छिक सेवा की भावना मन में बिठाना। विकास और प्रकृति के बीच तालमेल बिठाकर योजनाओ को अंजाम देने की बात जोर देकर कही गई है।
इस योजना की खासियत यह है कि आदर्श ग्राम में जहाँ तक सम्भव हो सके, लोगों की क्षमताओं और उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हुए जनता का साझा विजन तैयार किया जाएगा। इसमें सांसद सदस्य, ग्राम पंचायत, सिविल सोसाइटी और सरकारी तन्त्रों पर्याप्त मदद दी जाएगी। कुछ मोटे काम इस तरह के होंगे : 1. साफ- सफाई और स्वच्छता सम्बन्धी आदतों का विकास, 2. दैनिक व्यायाम और खेलकूद सहित स्वस्थ्यपूर्वक आदतों का विकास, 3. जोखिम से जुड़ी आदतों – मद्यपान, धूम्रपान, नशीले पदार्थों का सेवन इत्यादि में कमी।
सामाजिक विकास के तहत भारत निर्माण के लिए स्वयंसेवियों को जनता की क्षमता का निर्माण और उसका विकास कि प्रक्रिया में इस्तेमाल, ग्रामीण वृद्धों, शहीदों, स्थानीय रोल मॉडल को सम्मानित करना, हिंसा और अपराधमुक्त गाँवों के निर्माण को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों पर जोर देना रहेगा।
गाँवों के आर्थिक विकास के लिए कृषि विविधता, कृषि आधारित जीविका जिसमें पशुधन और बागवानी शामिल होंगे, को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके तहत - 1. जैविक कृषि, 2. मृदा स्वास्थ्य कार्ड, 3. फसलों कि पैदावार बढ़ाने वाले कार्यकर्मों पर जोर रहेगा।
इसके अलावा पर्यावरण के विकास, बुनियादी सुविधाओं और सेवाओं (गरीब बेघरों को घर मुहैया कराना), सुशासन (ई-शासन, सभी के लिए यूआईडी कार्ड, ग्राम सभा से पूर्व महिला ग्राम सभा का आयोजन) पर भी जोर दिए जाएंगे। कुल मिलकर इस योजना से यह उम्मीद की गई है कि एक आदर्श गाँव अपने आसपास के गाँवों के लिए रोल मॉडल होंगे, जिन्हें देखकर उनके भीतर से बदलाव की आवाज़ बुलन्द होनी शुरू हो जाएगी।
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