आज नदी बिल्कुल उदास थी

Submitted by admin on Fri, 09/06/2013 - 11:43
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काव्य संचय- (कविता नदी)
आज नदी बिलकुल उदास थी,
सोई थी अपने पानी में,
उसके दर्पण पर,
बादल का वस्त्र पड़ा था।
मैंने उसको नहीं जगाया,
दबे पाँव घर वापस आया।