आलस नींद किसानै नासै चोरै नासै खाँसी

Submitted by Hindi on Wed, 03/24/2010 - 16:52
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घाघ और भड्डरी

आलस नींद किसानै नासै चोरै नासै खाँसी।
अँखिया लीबर बेसवै नासै बाबै नासै दासी।।


शब्दार्थ- लीबर- कीचर।

भावार्थ- आलस्य और नींद किसान का, खाँसी चोर का, कीचर लगी मुचमुचाती आँख वेश्या का तथा दासी बाबा (साधु) का नाश करती है।