अनबोडू कोच्चि के युवाओ ने बदली एरनाकूलम के तालाबों की तस्वीर

Submitted by RuralWater on Sun, 06/19/2016 - 11:23

चेन्नई में बाढ़ पीड़ितों की सहायता करने के बाद भी 'अनबोडू कोच्चि' के सदस्यों ने अपने काम को आगे जारी रखने का फैसला किया ताकि उनकी कोशिशों से देश और समाज में कुछ सकारात्मक बदलाव आ सके। इस क्रम में सबसे पहले उन्हें यही ख्याल आया कि कल अगर एरनाकूलम में भी चेन्नई जैसी बरसात हो जाये तो शहर की हालात क्या होगी। जाहिर है हकीकत ने उन्हें डरा दिया। साथ-साथ ही ये मकसद भी दिया कि एरनाकूलम को चेन्नई जैसा नहीं बनने देना है। और फिर अपने तालाब बचाएँ.. भविष्य बनाएँ इस नारे के साथ 'एंटेकूलम एरनाकूलम' मुहिम की शुरुआत हुई, जिसके तहत जिले के सभी तालाबों, झीलों को साफ करने का लक्ष्य रखा गया। केरल का एरनाकूलम जिला अपने चर्चा, बीच, बोट टूर, जैवविविधता और केरल के अन्य जिलों की तरह ही ​हरियाली के लिये जाना जाता है। लेकिन इस साल की शुरुआत से एरनाकूलम अपने उन युवाओं के कारण भी चर्चा में है जो अपनी, पढ़ाई, कैरियर और नौकरी के साथ-साथ अपने शहर के पर्यावरण और परिवेश के लिये भी उतने ही चिन्तित, उतने ही गम्भीर हैं एवं अपनी कोशिशों से उसे बेहतर भी बना रहे हैं।

इनकी इन्हीं कोशिशों का नतीजा है कि जिले के 50 से ज्यादा तालाब अब बिल्कुल साफ हैं उनमें कूड़ा-गन्दगी और प्रदूषित पानी के बजाय स्वच्छ जल नजर आने लगा है। बेशक इसके लिये 'अनबोडू कोच्चि' के युवाओं को शाबाशी देना बनता है, 'अनबोडू कोच्चि' यानी कोच्चि को प्यार करने वाले ये नाम पिछले साल दिसम्बर की शुरुआत में चेन्नई में आये बाढ़ के समय चर्चा में आया था।

चेन्नई में बारिश के बाद जल प्रलय जैसे हालातों ने केरल के कोच्चि के 9 दोस्तों को चेन्नई में फँसे हजारों अनजाने दोस्तों की मदद करने को प्रेरित किया। टीवी पर चेन्नई में मची तबाही देखने के बाद इन 9 दोस्तों ने मदद की अपील के साथ फेसबुक पर अनबोडू कोच्चि' नाम से एक पेज बनाया।

एक दिन में ही इस पेज के 200 से ज्यादा सदस्य बन गए और देखते-देखते लोगों की ओर से खाना, कपड़े, पानी की बोतलें, जरूरी दवाईयाँ और रोजमर्रा की जरूरतों की चीजों की मदद आने लगी। लोगों ने इस अभियान में इस हद तक सहयोग दिया कि जरूरी वस्तुओं के साथ यहाँ से चेन्नई कुल 22 ट्रक भेजे गए। उल्लेखनीय है कि इस पूरे अभियान में एरनाकूलम के जिलाधिकारी श्री राजामणिक्कम का सहयोग बहुत उल्लेखनीय और प्रेरक रहा।

बहरहाल, चेन्नई में बाढ़ पीड़ितों की सहायता करने के बाद भी 'अनबोडू कोच्चि' के सदस्यों ने अपने काम को आगे जारी रखने का फैसला किया ताकि उनकी कोशिशों से देश और समाज में कुछ सकारात्मक बदलाव आ सके। इस क्रम में सबसे पहले उन्हें यही ख्याल आया कि कल अगर एरनाकूलम में भी चेन्नई जैसी बरसात हो जाये तो शहर की हालात क्या होगी।

तालाब की सफाई करते अनबोडू कोच्चि की टीम व ग्रामीणजाहिर है हकीकत ने उन्हें डरा दिया साथ-साथ ही ये मकसद भी दिया कि एरनाकूलम को चेन्नई जैसा नहीं बनने देना है। और फिर अपने तालाब बचाएँ.. भविष्य बनाएँ इस नारे के साथ 'एंटेकूलम एरनाकूलम' मुहिम की शुरुआत हुई, जिसके तहत जिले के सभी तालाबों, झीलों को साफ करने का लक्ष्य रखा गया। हालांकि इस मुहिम या परियोजना की रूपरेखा एरनाकूलम के जिलाधिकारी एम जी राजामणिक्कम ने ही तैयार की और 10 जनवरी 2016 को चिट्टाठुकारा के तालाबों की सफाई के साथ इसकी शुरुआत हो गई।

अनबोडू कोच्चि जिसे टीम एके भी कहा जाता है के सदस्यों ने परियोजना के साथ-साथ आम लोगों को जागरूक करने का काम भी शुरू किया, नुक्कड़-नाटकों, पर्चियों, पोस्टरों, गीतों के माध्यम से लोगों को समझाने-बताने की कोशिश की गई कि कैसे तालाबों, झीलों और जल-निकायों को साफ रखकर चेन्नई जैसे बाढ़ के हालातों से बचा जा सकता है।

तालाबों और झीलों के साफ और अवरोधमुक्त होने पर ज्यादा बारिश होने पर भी पानी इन जलनिकायों में जमा हो जाएगा, शहर की सड़कों, गलियों और घरों में नहीं बहेगा। इस परियोजना के तहत जिले के 50 से ज्यादा तालाबों को साफ करने का लक्ष्य रखा गया और टीम एके के सदस्यों के साथ आसपास के लोगों को जोड़ने की कोशिश की गई ताकि आगे भी आसपास की झीलें या तालाब ​हमेशा साफ रह सकें। वैसे भी सफाई चाहे वो आपके अपने घर की हो, मो​हल्ले या शहर की लगातार आदत का हिस्सा बनने से होती है।

एरनाकूलम के तालाबों की सफाई के लिये डीएम राजामणिक्कम ने काफी सहयोग कियाअनबोडू ​कोच्चि टीम बार-बार तालाबों और झीलों को साफ नहीं करेगी, एक बार साफ हो जाने के बाद आसपास के लोगों को ही उसे हमेशा के लिये साफ रखने की जिम्मेदारी उठानी होगी। एंटेकूलम एरनाकूलम मुहिम की सबसे खास बात यही रही कि टीम एके और जिलाधिकारी को जिले के सभी लोगों का समर्थन मिला खासतौर पर युवाओं का मसलन गर्वनमेंट मॉडल इंजीनियंरिग कॉलेज थ्रिक्कारा के डेढ़ सौ से ज्यादा छात्र अनबोडू कोच्चि के साथ 'एंटेकूलम एरनाकूलम' मुहिम का हिस्सा बने और कुरूमाट्टम, मेथाला, नेल्लीकुझी, पल्लीकारा, रायामंगलम, वट्टाक्काट्टूपडी व वेंगुर के तालाबों की सफाई में सहयोग दिया।

गर्वनमेंट मॉडल इंजीनियंरिग कॉलेज के सोशल इनीशिएटिव समूह एक्सेल 2016 की अध्यक्ष फातिमा नाजरीन ने इस अभियान से जुड़ने को बहुत सन्तोषप्रद अनुभव बताया, कूड़ा-कचरा से भरे तालाबों को अपनी मेहनत के बाद साफ देखना हम सब छात्रों के लिये ऐसा अनुभव था जिसे शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता। अ

नबोडू कोच्चि की सदस्य नीना नायर कहती हैं, ‘आप अगली पीढ़ी के लिये क्या कर सकते हैं? ज्यादातर लोग अपनी अगली पीढ़ी के लिये बेहतर शिक्षा, उनके लिये चल-अचल सम्पत्ति बना देना जरूरी समझते हैं लेकिन ये लोग नहीं सोच पा रहे कि ये सब किसी काम का न​हीं अगर आपके आस-पास का परिवेश रहने लायक ही न रह जाएँ और सबसे जरूरी चीज साफ पानी ही ना रहे। हमारे शहरों के अभी यही हालात हैं नदियों, तालाबों, झीलों में पानी नहीं है और अगर है भी तो वो नालों और सीवरों का प्रदूषित पानी है।’ लेकिन जरा सी बरसात होते ही सारा शहर पानी-पानी होने लगता है।

मलबा निकालते एके टीम एवं जेसीबी मशीनचेन्नई में बारिश से जो हालात बने उससे पहले 26 जुलाई 2005 में मुम्बई में भी ऐसा ही हुआ था। जबकि ये दोनों शहर समुद्र के किनारे हैं यानी पानी की निकासी सीधे समुद्र में होती बावजूद इसके यहाँ बाढ़ आने का मतलब है कि ये हालात हमारे आपके द्वारा निर्मित हैं। अगर शहर के तालाबों, झीलों को साफ रखा गया होता तो अतिरिक्त जल इनमें संग्रहित होता और नालिया, सीवर साफ होते उनमें रुकावट नहीं होती तो अतिरिक्त बहकर समुद्र में चला गया होता, वहाँ बाढ़ नहीं आया होता। लेकिन ज्यादा आश्चर्य की बात ये है कि मुम्बई के बाद भी हम नहीं चेते, चेन्नई का जलप्रलय हमारी उसी लापरवाही, उपेक्षा और आलस का नतीजा था।

अनबोडू कोच्चि के सदस्यों ने चेन्नई में राहत कार्य के बाद समस्या की असली वजह के बारे में सोचा और वहीं से काम शुरू करने को अपना अगला मिशन बनाया यानी जिले के तालाबों, झीलों की सफाई। इसमें बहुत सक्रिय भूमिका एरनाकूलम के जिलाधिकारी राजामणिक्कम की रही। उन्होंने राहत कार्य के बाद भी समूह के सदस्यों की सामाजिक भागीदारी और सक्रियता को सकारात्मक तरीके से समाज के हित में इस्तेमाल करने को सोचा और इसके लिये उन्हें प्रेरित किया। जिला प्रशासन, जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण टीम के साथ मिलकर अपनी इस पहल का निजी और सामुदायिक प्रतिबद्धता के साथ नेतृत्व भी किया।

सफाई के बाद तालाब की स्थितिकाक्कानाड के चिट्टाटुकारा पंचायत के मॉडल तालाब से शुरुआत के बाद उदयमपूर, चोट्टानिकारा, थिरूवनियार और मानीड पंचायत के तालाबों को साफ किया गया जिसमें अनबोडू कोच्चि और एक्सेल 2016 के छात्रों के अलावा स्थानीय गाँव के लोग और बच्चों ने भी श्रमदान किया। अनबोडू ​कोच्चि के सदस्यों ने अभियान से पहले स्थानीय लोगों के बीच तालाबों की सफाई, जल संरक्षण ​जैसे विषयों पर जागरुकता के लिये नुक्कड़ नाटक भी किया था जिसका सकारात्मक असर हुआ।

टीम एके के सदस्यों को भरोसा है कि गाँव के लोग खुद ही अब अपने तालाबों को हमेशा साफ रखेंगे। बहरहाल, एरनाकूलम के इस अभियान ने एक रास्ता दिखाया है और केरल के सभी जिले के लोगों को प्रेरित किया है, तिरुवनन्तपुरम, पल्लाकाड और कोझीकोड जिलों में भी सामुदायिक भागीदारी से तालाबों को साफ करने की योजना बन रही है, ये बहुत अच्छी पहल होगी बल्कि आज पूरे देश के सभी जिलों, सभी पंचायतों में लोगों की भागीदारी से वहाँ के तालाबों, झीलों,नदी-नालों को साफ करने की जरूरत हैं क्योंकि ये हमारे खुद के बचे रहने के लिये जरूरी है।

अनबोडू कोच्चि के कार्यकर्ता विमल वास पेशे से फिल्म वितरक और फारचून हॉलीडे रिजार्ट के निदेशक हैं। मनोरमा सिंह द्वारा विमल वास से हुई बातचीत पर आधारित साक्षात्कार।.

 

अब तक कितने तालाबों की सफाई हो चुकी है? तालाबों में प्रदूषण का स्तर आमतौर पर कैसा है?

फिलहाल 51 से ज्यादा तालाब हमनें साफ किया है, जनवरी में 'एंटेकूलम एरनाकूलम' अभियान की शुरुआत के साथ लक्ष्य ये रखा गया कि अगले दो-तीन महीने के भीतर एरनाकूलम जिले के कुल 82 ग्राम पंचायतों के सभी तालाबों को स्वच्छ कर देना है। ​प्रत्येक रविवार के दिन तय तालाब की सफाई की जाने लगी और एक दिन  में 4 तालाबों की सफाई की गई। अगले दो महीनों में हमारा लक्ष्य कम-से-कम 100 तालाब और साफ करने का है। ज्यादातर तालाब कचरा डम्प करने की जमीन बनते जा रहे हैं। इसके अलावा शैवाल और वीड्स बड़ी समस्या है। शहरों के तालाब का पानी ज्यादा प्रदूषित है। प्रदूषित जल वाले तालाबों को साफ करने के बाद हम लोग पूरा पानी पम्पआउट कर देते हैं। कुछ घंटे खाली छोड़ने के बाद उनमें फिर से साफ पानी भरा जा रहा है।

 

अभियान के लिये फंड कहाँ से जुटाते हैं आप लोग? सदस्यों और कार्यकर्ताओं से वित्तीय सहयोग मिलता है?

यहाँ के जिलाधिकारी खुद इस अभियान से जुड़े हैं और उनके नेतृत्व में ही काम हो रहा है, जेनरेटर, पम्पसेट, लॉरी, खुदाई करने वाली मशीनों और प्रशिक्षित मजदूरों के लिये जिला प्रशासन की ओर से ही फंड का भी आवंटन किया जाता है, एक तालाब को साफ करने के​ लिये पचास हजार से एक लाख तक का बजट जिला प्रशासन की ओर से रखा गया है। जहाँ तक सदस्यों के योगदान की बात है तो ऐसा कोई नियम नहीं है ये सामुदायिक भागीदारी की बात है जो जैसे जितना करना चाहें, हमने सोचा नहीं था चेन्नई के बाढ़ पीड़ितों के लिये हमारे पास 22 ट्रक राहत सामग्री जमा हो जाएगी और अस्पतालों, होटलों, व्यवसायियों, फिल्म कलाकारों सभी का सहयोग मिलेगा। हमारे लिये श्रमदान ज्यादा कीमती है, अनबोडू के सदस्यों और कार्यकर्ताओं की मेहनत साथ रही तो वैसे भी आने वाले दिनों में तस्वीर बहुत बदल जाएगी।

 

अनबोडू कोच्चि से कितने लोग जुड़े हैं?

फेसबुक पर हमारे चार हजार फॉलोवर हैं, वाट्सअप, टेलीग्राम, ट्वीटर पर भी लोग जुड़े है, वर्चुअल की बात छोड़ दें तो हमारे हर अभियान के लिये चाहे वो जिले के किसी भी पंचायत का हो 100 से ज्यादा लोग काम करने को तैयार मिल ही जाते हैं। ये बड़ी बात और बड़ा समर्थन है। दरअसल अनबोडू कोच्चि कोई एनजीओ नहीं है ना इसका कहीं पंजीकरण हुआ है, ये फेसबुक से शुरू हुआ समूह ​है, हमारा कोई लीडर नहीं है हम सब लीडर भी हैं और कार्यकर्ता भी।

  

गन्दगी पटा एरनाकूलम का तालाब

केरल या एरनाकूलम के लोगों से कैसा सहयोग मिला और आप लोगों की क्या उम्मीदें हैं?

लोगों से बहुत ज्यादा सहयोग और समर्थन मिला, जिलाधिकारी एम जी राजामणिक्क्म तो खैर इस मुहिम के सूत्रधार और प्रेरणा है ही। वैसे चेन्नई बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिये कई नामचीन हस्तियाँ खासतौर पर फिल्मी सितारे सामने आये लेकिन तालाब साफ करने के अभियान में उनकी उतनी भागीदारी नहीं रही फिर भी अभिनेता मुथुमनी, इंद्रजीत और पुर्णिमा ने इस अभियान से खुद को जोड़ा और मुथुमनी ने स​क्रिय भागीदारी भी निभाई। इन जैसी लोकप्रिय हस्तियों के जुड़ने से आम लोगों में बेशक जागरुकता आती है और उनकी सक्रिय भागीदारी बढ़ती है। समाज के हर तबके के लोग और केवल युवा ही नहीं हर उम्र के लोगों को इन अभियानों से जुड़ना चाहिए, वैसे भी पर्यावरण से जुड़ा कोई भी काम सबके सहयोग से ही सही दिशा में आगे बढ़ सकता है।

 

अनबोडू कोच्चि की आगे की योजना क्या है?

तालाबों को साफ करने की मुहिम हम जारी रखेंगे, जागरुकता लाने के अभियान भी जारी रहेंगे। तालाबों को साफ करने के बाद वो स्थानीय लोगों की जिम्मेदारी है लेकिन हम उन्हें लेकर सचेत रहेंगे। लोगों को भी सचेत करेंगे ताकि अब वो हमेशा साफ रहें। इसके अलावा हम मुक्ते पोन्ने नाम से एक कार्यक्रम चला रहे हैं। एंटेकूलम एरनाकूलम के साथ उस पर भी हमारा पूरा फोकस रहेगा। इस कार्यक्रम के तहत ​हम गरीब, आर्थिक तौर पर कमजोर तबके से आने वाले बच्चों के लिये निर्माणाधीन भवनों में विभिन्न क्लासेज और प्रशिक्षण चला रहे हैं। पढ़ाई में मदद के साथ बच्चों को फुटबॉल और अन्य खेल सिखाते हैं। उन्हें बाल यौन शोषण जैसे मामलों के लिये जागरूक करते हैं।


 

अनबोडू कोच्चि की प्रेरणा और जनता के अफसर कहे जाने वाले एरनाकूलम के जिलाधिकारी राजामणिक्कम से हुई बातचीत पर आधारित साक्षात्कार।

 

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अनबोडू कोच्चि के तहत पहले चेन्नई के बाढ़ पीड़ितों की मदद और फिर एंटेकूलम एरनाकूलम, कैसे इस तरह की कोशिशों से जुड़े आप?

पिछले साल अनबोडू कोच्चि मेरे सार्वजनिक जीवन की एक महत्त्वपूर्ण घटना रही, जिसे फेसबुक पर मिले 9 लोगों ने एक छोटा सा समूह बनाकर शुरू किया था, उस समय उनका एकमात्र उद्देश्य चेन्नई के बाढ़ पीड़ितों की मदद करना था। लेकिन एक बार समूह बन जाने के बाद ये लोग आगे भी समाज और समुदाय के लिये काम करना चाह रहे थे, चेन्नई बाढ़ पीड़ितों के लिये जब ये लोग आगे बढ़कर काम कर रहे थे तभी मेरा ध्यान उनकी ओर गया और फिर मैं इन लोगों से मिला। इस दौरान हजारों की संख्या में लोग इस मंच से जुड़े और दस दिन तक लगातार चेन्नई के लोगों की मदद करते रहे। राहत सामग्री के साथ 22 ट्रक केवल फेसबुक के मार्फत जुड़े लोगों के सहयोग से भेज पाना सम्भव हो पाया। मैंने खुद चेन्नई में अपने दोस्तों को फोन करके उनसे वहाँ के लोगों की तत्काल जरूरतों केे बारे में मालूम किया और राहत सामग्री एकत्रित कराई फिर भिजवाई। इसके बाद हम सब फिर मिले और ये तय ​किया कि इस मंच से आगे भी हम सबको देश, समाज और समुदाय के लिये काम करते रहना चाहिए। इसी क्रम में हमारा ध्यान इस ओर गया कि कोच्चि में चेन्नई जैसे हालात से निपटने के लिये पहले ही कैसे तैयारी की जा सकती है और इस तरह तालाबों को साफ करने के अभियान की शुरुआत हुई।

 

अभियान के लिये संसाधन और पैसे कहाँ से जुटाया आपने?

मैं काफी पहले से जल संरक्षण और तालाबों को साफ करने की शुरुआत कराना चाहता था लेकिन कैसे शुरू करुँ ये बहुत स्पष्ट नहीं हो रहा था, मैं समझ रहा था कि इस काम में लोगों और संसाधनों के साथ-साथ काफी पैसे भी खर्च होंगे, लेकिन अनबोडू कोच्चि जैसी बड़ी टीम के सदस्यों का साथ मिलने के बाद ये सारे सवाल खुद-ब-खुद हल होते गए। हमने पूरे जिले में 51 से ज्यादा तालाबों की सफाई का लक्ष्य रखा, सदस्यों और लोगों ने खुले दिल से सहयोग किया श्रमदान करके और थोड़ा बहुत आर्थिक भी, इसके अलावा प्रशासन की ओर से भी प्रति तालाब साफ करने के लिये 50 हजार से 1 लाख तक का बजट सुनिश्चित किया गया। तालाबों को साफ करने के लिये वालेंटियर्स के साथ-साथ प्रशिक्षित मजदूर और कई तरह के मशीनों की भी जरूरत थी।

 

अनबोडू कोच्चि के सदस्यों के अलावा आम नागरिकों को कैसे जोड़ा आपने?

मैंने तालाबों की सफाई में खुद भी श्रमदान किया शायद इससे आम लोगों को भी साथ आकर काम करने की प्रेरणा मिली हो। बात केवल तालाबों को साफ करने की ही नहीं थी बल्कि इसे लेकर लोगों को जागरूक करने की भी थी, केवल एक बार सफाई कर देने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा अगर बाद में उस तालाब के आस-पास के लोग सफाई को बरकरार नहीं रख सके, हमने देखा कि तालाबों, नदियों को लोग कचरा फेंकने की जगह समझने लगे हैं जिसके कारण पानी प्रदूषित ​होने लगता है। इसलिये पहले इन्हें लेकर लोगों में संवेदनशीलता पैदा करना जरूरी था, इसलिये हर तालाब की सफाई शुरू करने से पहले आस-पास के लोगों के बीच नुक्कड़ नाटकों के मार्फत जागरुकता लाने का भी काम किया गया। इस तरह हजारों लोग भी इस अभियान से जुड़ते चले गए। तालाबों के अलावा नदियों और चेकडैमों से भी कचरा साफ करने का लक्ष्य रखा गया है साथ ही नदियों, तालाबों के आस-पास के अतिक्रमण को हटाने की भी योजना है।

 

एरनाकूलम जिले में अब काफी फर्क आया है?

ये तो लोग बताएँगे, कोच्चि केरल का महत्त्वपूर्ण शहर है लेकिन मैं केवल कोच्चि नहीं बल्कि पूरे एरनाकूलम जिले के लिये काम कर रहा हूँ बल्कि ग्रामीण इलाकों पर मेरा ज्यादा जोर रहता है। मीडिया भी ग्रामीण से ज्यादा शहरी समस्याओं के बारे में बात करता है और जहाँ तक कोच्चि की बात है तो कचरा प्रबन्धन और जलापूर्ति ये दोनों यहाँ की सबसे बड़ी समस्या है, समुचित कचरा प्रबन्धन और तालाबों की सफाई और उनमें वर्षा जल संग्रहण से इन दोनों समस्याओं को सुलझाया जा सकता है। कोच्चि में दस हजार करोड़ के निवेश से मेट्रो का निर्माण हो रहा है, इसके अलावा जल परिवहन नेटवर्क पर भी 690 करोड़ का निवेश हो रहा है, जाहिर है आने वाले दिनों में यहाँ रोजगार के मौके और पर्यटन बढ़ेगा इसलिये ये और भी जरूरी है कि शहर की सभी बुनियादी चीजों को ठीक किया जाये।  

 

'एंटे कूलम एरनाकूलम' जैसा अभियान इस वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है लेकिन इसके बारे में उतनी चर्चा नहीं हुई?

इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता, मुझे काम करना और शहर की तस्वीर सकारात्मक रूप से बदलना ज्यादा रोचक लगता है। हाँ किसी भी तरह से देश के अन्य राज्यों और वहाँ के जिलों में भी ऐसा ही अभियान शुरू होता है तो उससे अच्छी बात क्या होगी। गौरतलब है कि एरनाकूलम में तालाबों और अन्य जल निकायों की सफाई के बाद वर्षाजल संग्रह अच्छी तरह से किया जा सकता है जिससे सूखे से निपटना आसान हो जाएगा और साल भर जलापूर्ति भी ​की जा सकेगी।

 

एंटे कूलम एरनाकूलम' की पूरी रूपरेखा क्या है?

सफाई के बाद तालाब सुन्दर दिखने लगा है

बड़े तालाबों के अलावा इस अभियान के तहत उपेक्षित तालाबों, चेकडैम, नदी-नालों सभी को साफ करने की योजना है, एरनाकूलम में जितने कुएँ हैं उससे पूरे जिले के लोगों को कभी पानी की कमी नहीं होनी चाहिए क्योंकि केरल में बहुत बारिश ​होती है। लेकिन फिर भी जलापूर्ति यहाँ ​की भी मुख्य समस्या है। हम स्थानीय लोगों और गाँव वालों की मदद से ऐसे ही उपेक्षित तालाबों, चेकडैम और कुओं को पुनर्जीवित करने का भी काम कर रहे हैं।

 

आगे की क्या योजनाएँ हैं?

अनबोडू कोच्चि समाज को बेहतर करने के जज्बे का मंच है, यहाँ के युवा और आम लोग भी इस ओर अपनी भूमिका को लेकर सचेत हुए हैं जो बहुत अच्छी बात है। इस तरह की कोशिश और भी राज्यों के सभी जिले में होने से पूरे देश की तस्वीर बदल सकती है। फिलहाल हम लोग ज्योति प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं जिसके तहत हमने कुछ ऐसे सरकारी स्कूलों का चयन किया है जहाँ बेहतर सुविधाओं की जरूरत थी। इन स्कूलों में हम निजी स्कूलों की तरह सुविधाएँ जुटाने की कोशिश कर रहे हैं साथ ही आर्थिक तौर पर पिछड़े बच्चों को मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी में भी मदद की जा रही है। साथ ही हमने 'पापा योजना' भी शुरू की है जिसका मतलब है सीखो और पढ़ाओ, इस योजना के लिये जनता से सहयोग की माँग की गई है, कमजोर आर्थिक तबके के बच्चों को लोगों की मदद से किताबें, कॉपी, बैग, यूनीफार्म, स्टडी मटीरियल और छाता आदि मुहैया कराया जाएगा ताकि वो आगे के लिये आज बेहतर तरीके से पढ़ सकें।