चेन्नई नम और आर्द्र जलवायु वाला तटवर्ती शहर है जहाँ अक्सर भारी बारिश होती है। इसके बावजूद पीने का पानी यहाँ हमेशा से बड़ी समस्या रही है। यह स्थिति तब है जब शहर से अडयार और कुवम नामक दो नदियाँ गुजरती हैं। साथ ही यहाँ 280 से अधिक झील, तालाब और जलाशय आदि हैं। इसके अलावा प्राकृतिक दलदल भी हुआ करते थे। अडयार नदी से लगा पल्लीकरनाई दलदल 60-70 साल पहले 5,000 हेक्टेयर इलाके में फैला था। यह अब घटकर बमुश्किल 300 हेक्टेयर रह गया है।
कहने का तात्पर्य यह कि ताजे पानी के इतने स्रोत और जल संग्रहण के लिये बड़ी संख्या में जलाशय होने के बावजूद चेन्नई में पीने के पानी की समस्या तो नहीं होनी चाहिए थी लेकिन हकीकत यह है कि वेटलैंड से लेकर नदी, झील और तालाब सबका अतिक्रमण करके इमारतें खड़ी कर दी गई हैं।
इन जगहों पर रिहाइशी और व्यावसायिक इमारतें बना दी गई हैं या इनको सीवेज और डम्पयार्ड के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। पिछले साल नवम्बर में चेन्नई में 1218.6 मिमी या 47.98 इंच बारिश हुई थी जो पिछले सौ साल में कभी नहीं हुई। उसके बाद एक और दो दिसम्बर को 48 इंच बारिश फिर हो गई।
चेन्नई और आसपास के इलाकों में करीब 400 मिमी या 16 इंच बारिश हो गई। नतीजन यहाँ भीषण बाढ़ आई। बाढ़ की सबसे अहम वजह यह थी कि चेंबरमक्कम जलाशय में 86 फीसद पानी भर जाने के बाद वहाँ से जल निकासी कर दी गई। इसके कारण शहर में बाढ़ आ गई। जबकि इस 86 फीसद भराव में 40 फीसद तो केवल गाद था। अगर समय रहते गाद साफ कर दी गई होती तो ऐसी भयंकर बाढ़ नहीं आई होती।
चेन्नई में पेयजल संकट तो फरवरी से ही शुरू होने लगता है लेकिन इस बार नवम्बर दिसम्बर में हुई जबरदस्त बारिश के कारण सामान्य से 300 फीसद अधिक पानी जमा है जो अक्टूबर तक की जरूरतें पूरा करने के लिये पर्याप्त है।
पानी के इस बन्दोबस्त का श्रेय केवल बारिश को नहीं दिया जा सकता है बल्कि खुद जयललिता भी इसकी हकदार हैं। चेन्नई की बाढ़ से भले ही वह सही ढंग से नहीं निपट सकीं लेकिन अपने मुख्यमंत्रित्व काल में जयललिता ने अम्मा कैंटीन के बाद 2013 में शहरी गरीब और पिछड़े वर्ग के लिये अम्मा कुदीनीर नाम से बोतलबन्द पानी मुहैया कराना शुरू किया। योजना की सफलता के बाद अब उसे अम्मा कुदीनीर थिट्टम नाम से और बेहतर बनाकर पेश किया गया है। इसके तहत शहरी गरीब और पिछड़े परिवारों को स्मार्ट कार्ड के जरिए प्रतिदिन 20 लीटर मिनरल वाटर उपलब्ध कराया जाएगा।
वर्ष 2013 में अम्मा कुदीनीर योजना 32 जिलों और नगरीय इलाकों में शुरू की गई थी। साथ ही तिरुवल्लूर के गुम्मीरदीपुंडी में 3 लाख लीटर मिनरल वाटर बनाने का संयंत्र स्थापित किया गया है। मौजूदा एआईडीएमके सरकार पीने के पानी की पूर्व योजना के मद में 7,000 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। उक्त योजना के तहत राज्य में कई जल शोधन संयंत्र लगाए गए हैं। इनमें रिवर्स ऑस्मोसिस यानी आरओ प्रक्रिया से पानी साफ किया जाता है।
जयललिता पिछले कुछ सालों से चेन्नई ही नहीं पूरे तमिलनाडु के पानी की जरूरतों और उसके मुताबिक नीतियों और कार्यवाही को लेकर संवेदनशील रही हैं। अम्मा कुदीनीर के अलावा उनकी कामयाबी केन्द्र से कावेरी प्राधिकरण अवार्ड हासिल करना भी है। पिछले 56 महीने में एआईडीएमके सरकार ने 7,324.34 रुपए की लागत से 41 जल आपूर्ति योजनाओं को क्रियान्वियत किया है जबकि 6,602.78 करोड़ लागत की 69 योजनाओं पर काम चल रहा है।
पीने की पानी की कमी की समस्या से ज्यादा जूझ रही 69 ग्रामीण पंचायतों और 30 शहरी पंचायतों में काम लगभग पूरा कर लिया गया है। दूसरी ओर अम्मा कुदीनीर थिट्टम के तहत शुरुआत में निर्धारित जगहों पर 100 वाटर प्यूरीफिकेशन संयत्र लगाए जाएँगे। जिनकी क्षमता प्रति घंटे 2000 लीटर जल संशोधित करने की होगी, इन संयंत्रों में साफ किए गए पानी की समय-समय पर जाँच होती रहेगी।
जयललिता ने वर्षाजल संग्रह को भी काफी गम्भीरता से लिया है, जिसके तहत बड़ी रिहायशी कॉलोनी, सरकारी भवनों व स्कूल कालेजों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य किया गया है। चेन्नई में पेयजल की समस्या से निपटने के लिये वीरनम जल योजना लागू की गई और वहाँ दो और डीसेलिनेशन प्लांट लगाने की भी घोषणा हुई है।
चेन्नई में करीब 280 जलस्रोत हैं। इसके अलावा 194.94 करोड़ की लागत से चार समेकित पेयजल योजना कुड्डालोर और नागापट्टिनम जैसे जिलों में शुरू की गई हैं। इससे चार लाख से ज्यादा लोगों को फायदा होगा। जाहिर है जयललिता ने पानी, भोजन जैसे जरूरी मसलों पर ज्यादा ध्यान दिया है। कई मोर्चों पर कम अंक होने के बावजूद उन्हें इसका फायदा मिलता दिख रहा है।
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शुक्रवार, अप्रैल 2016