दिल्ली में गंदे अपशिष्ट जल के अनेक नाले सभी स्थानों पर इधर-उधर से निकलकर यमुना पर प्रदूषण का बोझ बढ़ा रहे हैं। फिलहाल प्रदूषण का बोझ बढ़ाने वाले 22 बड़े नाले हैं। ये शहरी नाले प्राकृतिक रूप से बने हैं और वर्षा आदि के जल को ऊपरी इलाकों से निचले इलाकों में बहाकर ले जाते हुए अंत में नदियों से जुड़ते हैं। भारत की नदियां सबसे ज्यादा प्रदूषित हैं और दूसरे विकासशील देशों की तुलना में 10 गुना अधिक रोगजनक प्रदूषक उनमें समाहित हैं।शहर में जल-आपूर्ति की किल्लत है और घरेलू-आपूर्ति दुरूस्त है लेकिन बागबानी की जरूरत पूरी नहीं हो पा रही है। जिसके कारण दिल्ली के सभी सार्वजनिक पार्क, बाग, बगीचे सूखे ही रहते हैं। शहरी संदर्भ में देखें तो जहां तक आपूर्ति की बात है तो गंदे नालों से पानी निकल रहा है लेकिन पार्कों को पानी नहीं मिल रहा है। इसलिए पार्कों के आसपास के गंदे पानी के स्रोतों को साफ करने की एक नई योजना बनाई गई।योजना का उदय2002 में, बसंत विहार नागरिक कल्याण संगठन, एमसीडी और बागवानी विभाग ने नए दृष्टिकोण से अपशिष्ट जल स्रोतों का परिशोधन कर उनके पानी को पुन: पार्कों के लिए इस्तेमाल करने की योजना बनाई। यह कोर ग्रुप ''विज्ञान विजय फाउंडेशन'' से मिला, जो कि राजधानी और इसके आसपास के क्षेत्रों में पर्यावरण, वर्षाजलसंचयन और जैविक खाद आदि पर काम करता है।नागरिकों के प्रयास और आरडब्लूए के द्वारा परियोजना के लिए धन की समस्या उठाई गई। लगभग 1.5 लाख रुपये इकठ्ठा किये गये और पहले चरण में प्रायोगिक संयंत्र बनाने का फैसला किया गया। एक गैरसरकारी संगठन वी.वी.एफ भी कार्यक्रम का खाका तैयार करने में प्रोजेक्ट टीम की सहायता करने को तैयार हुआ। पैरामीटर की जांच और उसे पूरा करने के दौरान, मात्रा और गुणवत्ता दोनों की कुछ खामियों पर विचार किया गया। करीब 10-15 किलोलीटर प्रतिदिन प्रवाह का प्रबंधन किया जाना था, जिसमें 80 प्रतिशत सुधार भी शामिल है, यह 5-6 एकड़ (25000) वर्गमीटर तक के क्षेत्र वाले पार्कों के लिए काफी था। यह सारा पानी प्रक्रिया के लिए और पुन: प्रयोग के लिए था। यदि सारे पानी को ही प्रक्रिया के तहत पुन: इस्तेमाल किया जाता तो 2,00,000 वर्ग मीटर (50 एकड़) तक के लिए पर्याप्त हो सकता है।संयत्र का प्रारंभयह परियोजना टीम के लिए एक चुनौती बनी रही और अधिक पार्कों को सिंचाई के क्रम में लाने के लिए लगातार प्रयासों को बनाए रखा गया। विभिन्न पर्यावरणीय विभाग, एमसीडी, डीडीए और शहरी स्थानीय निकायों के दृढ प्रयास रंग लाए। 2005 में कुछ धन नागरिकों से और कुछ सामग्री की आपूर्ति के रूप में एमसीडी से मदद प्राप्त हुई। यह प्लांट के डिजायन की नई शुरुआत के लिए था। उस समय मौजूदा प्लांट को ट्रीटमेंट के अंतिम चरण के भाग के रूप में रख लिया गया और शुरुआती दौर के लिए नया प्लांट लगाया गया। देवात्स (डिसेन्टरलाइज्ड वेस्ट वाटर ट्रीट सिस्टम) का विचार एनारोबिक प्रक्रिया को लागू करते हुए शुरु किया गया। जिसमें बायोसेटल् और फिल्टर रिएक्टर आदि थे। जिसमें कुछ एनारोबिक, कंकड पत्थर, पौधे - फाइटो ऐमेडिएशन, नारियल के छिलके और लकड़ी का कोयला और फिल्टर के रूप में कंकड पत्थर और बॉल्डर इस्तेमाल किया। 35 किलोलीटर प्रतिदिन क्षमता वाले इस संयंत्र की कुल लागत लगभग 7 लाख रुपये आई। 3 महीनों के कार्य के परिणामस्वरूप बी.ओ.डी में 90 प्रतिशत की गिरावट आई। 1.5 किलोमीटर की दूरी पर बने पार्क में इस परिशोधित पानी को एक टैंक में जमा किया जाता है। दिल्ली में विकेन्द्रीकृत जल उपचार संयंत्र से संतोषजनक परिणाम मिले हैं। क्षेत्र के अन्य पार्कों तक पानी पहुंचाने के लिए और होदियों को भरने के लिए एक पम्प का प्रयोग किया जाता है। बसंत विहार के ब्लॉक ए और ई के 12 एकड़ क्षेत्र के पार्कों में रोजाना 35 किलोलीटर परिशोधित जल पहुंचाया जा रहा है। निष्कर्ष :- 1- दिल्ली में स्थित देवात्स (डिसेन्टरलाइज्ड वेस्ट वाटर ट्रीट सिस्टम) के परिणाम संतोषजनक रहे हैं। इसमें शहर में भी अपशिष्ट जल के गंदे नालों में सुधार और उसे स्थानीय पार्कों की सिंचाई के लिए शुद्ध रूप में उपलब्ध कराने जैसे कार्यों को शुरु किया गया है। 2- सभी शहरों में योजना और प्रशासन की कमीं आने जैसे कारणों से गंदे नाले के स्रोत बने हैं - देवात्स (डिसेन्टरलाइज्ड वेस्ट वाटर ट्रीट सिस्टम) ऊर्जा और संसाधनों की बचत करते हुए प्राकृतिक चक्र को सुरक्षा प्रदान करते हुए भली-भांति काम कर रहा है। इससे जलीय व्यवस्था को भी कोई हानि नहीं होगी और 'इकोलॉजिकल सेनिटेशन' के लिए नए रास्ते खुलेंगे। 3- शहर के पार्कों को सिंचाई के लिए साफ पानी उपलब्ध हो रहा है। प्रशासन की योजना की कमीं के कारण सभी शहरी क्षेत्र गंदे नालों की समस्या का सामना कर रहे हैं। जिन नदियों ने नगरों को जन्म दिया, वे दिन प्रतिदिन गंदी हो रही हैं और उनकी हालत बद से बदतर होती जा रही है।4. बहुत सी संस्थाएं ओर संगठन परिष्कृत पानी को इस्तेमाल करने के लिए वैकल्पिक विकेन्द्रीकृत तकनीकियां अपना रहे हैं। स्थानीय स्तर पर इन टिकाऊ व्यवस्थाओं को इस्तेमाल करने के लिए जागृति और भागीदारी अनिवार्य है।अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें-अजीत शेषाद्रिविज्ञान विजय फाउंडेशन, नई दिल्लीajit.seshadri@vigyanvijay.org www.vigyanvijay.org Recycled Water Applying Natural Treatment for Horticulture from Waste Water循环水采用自然园艺治疗废水L'eau recyclée application de traitement naturel pour l'horticulture à partir de déchets de l'eauRecycling-Wasser-Anwendung natürliche Behandlung für Gartenbau aus Abwasser
अपशिष्ट जल का बागबानी में प्रयोग
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