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गर्मी बढ़ने के बाद से ही दिल्ली में पानी का संकट गहराया हुआ है। लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। ऐसे में पौधों की सिंचाई के लिए बसई दारापुर स्थित ईएसआई अस्पताल ने एफ्ल्यूएंट ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया है। इसके द्वारा अस्पताल में उपयोग किए जा चुके पानी का शोधन कर उससे सिंचाई की जाती है।
500 बेड वाले इस अस्पताल को साफ-सुथरा व सुंदर रखने की दिशा में अस्पताल प्रशासन कई उपाय कर चुका है। यहां मॉड्यूलर ओटी की व्यवस्था के साथ अस्पताल परिसर को हरा भरा रखने की कवायद भी अस्पताल प्रशासन पूरी शिद्दत से कर रहा है।
राजधानी में गहराते जल संकट के बीच इन पौधों की सिंचाई में पानी की कमी को दूर करने के लिए यहां ईटीपी की व्यवस्था की गई है। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ जेएन मोहंती ने कहा कि दिल्ली में अपोलो अस्पताल के अलावा इस प्लांट को लगाने वाला ईएसआई दूसरा अस्पताल है। इसे उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम ने 40 लाख की लागत से बनाया है। इसके निर्माण में लगभग 7 महीने का समय लगा है। प्लांट 20 दिन पहले चालू किया गया है। जिससे पेड़-पौधों की सिंचाई के लिए जरूरत का पानी मिल जाता है। उपयोग किया हुआ पानी बेकार चला जाता था। लेकिन प्लांट लगाने के बाद से इस पानी का दोबारा उपयोग हो जाता है।
500 बेड वाले इस अस्पताल को साफ-सुथरा व सुंदर रखने की दिशा में अस्पताल प्रशासन कई उपाय कर चुका है। यहां मॉड्यूलर ओटी की व्यवस्था के साथ अस्पताल परिसर को हरा भरा रखने की कवायद भी अस्पताल प्रशासन पूरी शिद्दत से कर रहा है।
राजधानी में गहराते जल संकट के बीच इन पौधों की सिंचाई में पानी की कमी को दूर करने के लिए यहां ईटीपी की व्यवस्था की गई है। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ जेएन मोहंती ने कहा कि दिल्ली में अपोलो अस्पताल के अलावा इस प्लांट को लगाने वाला ईएसआई दूसरा अस्पताल है। इसे उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम ने 40 लाख की लागत से बनाया है। इसके निर्माण में लगभग 7 महीने का समय लगा है। प्लांट 20 दिन पहले चालू किया गया है। जिससे पेड़-पौधों की सिंचाई के लिए जरूरत का पानी मिल जाता है। उपयोग किया हुआ पानी बेकार चला जाता था। लेकिन प्लांट लगाने के बाद से इस पानी का दोबारा उपयोग हो जाता है।