बेटी पैदा होने पर गांव में लगाते हैं 111 पौधे

Submitted by Shivendra on Mon, 09/23/2019 - 10:46
Source
पाञ्चजन्य, 8 सितम्बर 2019

करीब 5 हजार से अधिक की आबादी वाले राजस्थान के पिपलांत्री पंचायत जल संरक्षण, वृक्षारोपण, ग्राम स्वच्छता जैसे अनेक क्षेत्रों में अनूठे कार्य कर देश के अन्य गाँवों के लिए बनी मिसाल।

राजस्थान के गाँवों के बारे में कल्पना करने पर जो बात सबसे पहले दिमाग में आती है वह है - रेगिस्तान, न के बराबर हरियाली, पानी का अभाव। लेकिन राजस्थान स्थित राजसमंद जिले का पिपलांत्री गाँव इस सबसे ठीक उलट है। देश के तमाम उन्नतशील और अनूठे गाँवों की श्रेणी में इसको शुमार किया जाता है। पिपलांत्री को आदर्श ग्राम, निर्मल गाँव, पर्यटन ग्राम, जल ग्राम, वृक्ष ग्राम, कन्या ग्राम जैसी विविध उपमाओं के साथ देशभर में ख्याति मिली है। करीब 5 हजार की आबादी वाले इस गाँव के बदलाव की कहानी दरअसल साल 2005 के बाद से शुरू होती है, जब श्याम सुन्दर पालीवाल यहाँ के सरपंच बने। 

मार्बल पत्थर खनन का क्षेत्र होने के चलते यहाँ की पहाड़ियों का अंधाधुंध खनन होता था। इससे न केवल गाँव की प्राकृतिक सुन्दरता नष्ट हो रही थी बल्कि प्रकृति के नाम पर जो कुछ था, उसे तबाह किया जा रहा था। ऐसे में उनसे अपने गाँव की नष्ट होती वन सम्पदा की पीर देखी न गई और इससे मुँह फेर लेने की बजाय श्याम सुन्दर ने पहाड़ियों को हरा-भरा करने का संकल्प लिया। आज 14 साल बाद उसी संकल्प का परिणाम है कि पिपलांत्री की सूरत बदल चुकी है। श्याम सुन्दर ने इलाके के सुदूर गाँवों में बसे खेतीहर, मार्बल खान मजदूरों और ग्रामीणों को साथ लेकर वाटरशैड योजना को सही ढंग से लागू किया, जिससे पहाड़ी नालों के कारण होने वाले उपजाऊ मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद मिली तो पानी के जल स्तर में भी सुधार हुआ। साथ ही वृक्षारोपण का कार्य द्रुत गति से किया। 

बेटी पैदा होने पर गांव में लगाते हैं 111 पौधे।बेटी पैदा होने पर गांव में लगाते हैं 111 पौधे।

वे बताते हैं, कि ग्राम पंचायत स्तर पर जनजागृति के माध्यम से जल संरक्षण, ग्राम स्वच्छता, बालिका शिक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा जैसे मुद्दों के साथ ही हर साल पौधारोपण का क्रम चलता है। ग्रामीण इसमें बढ़-चढ़कर भागीदारी करते हैं। इसी का परिणाम है कि गाँव में अब तक 3 लाख से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं। पिपलांत्री पंचायत को सबसे अनूठा बनाने वाली बात है, यहाँ बेटियों के जन्म पर 111 पौधे और उनके नाम पर 18-20 साल के लिए 21 हजार की एफडी करवाई जाती है। ऐसे ही बेटियों के नाम पर 93 हजार पौधे लगा ‘कन्या उपवन’ तैयार किया गया है। गाँव के किसी व्यक्ति का स्वर्गवास होने पर उसकी स्मृति में 11 पौधे लगाने की भी परम्परा यहाँ वर्षों से चली आ रही है। इसके अलावा पिपलांत्री में रक्षाबन्धन के त्योहार पर गाँव की बेटियाँ अपने भाई के अलावा यहाँ के पेड़ों को भी राखी बाँधती हैं। राखी से एक दिन पूर्व बड़ा आयोजन किया जाता है। पंचायत के इन्ही सब कार्यों को देखते हुए इसे 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से ‘निर्मल पंचायत सम्मान’, 2008 में गणतंत्र दिवस ‘राष्ट्रीय पुरस्कार’ सहित अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।