भोपाल। मध्यप्रदेश के रहने वाले जालम सिंह ने अपने बंजर गांव को हरियाली में तब्दील करके दूसरों के सामने मिसाल पेश की है। पिछले 13 साल से हरियाली की रक्षा की कोशिश में जुटे जालम ने आज सालरी गांव में विकास की नई कहानी लिखी है। एक वक्त था जब सालरी गांव लगातार सूखे की मार झेल रहा था। बारिश नहीं होने की वजह से गांव में जल संकट हो गया और इसका खामियाजा भुगतना पड़ा किसानों और हरे भरे पेड़ों को। तालाब सूख गए, जमीन बंजर होने लगी और जानवर मरने लगे थे। हालत ऐसी हो गई की ग्रामीणों ने गांव छोड़ने का फैसला भी कर लिया।
लगभग 750 की आबादी वाले इस गांव की स्थिति को सुधारने के लिए जालम ने पहल की। इन्होंने सरकार से 81 हेक्टेयर जमीन लीज पर ली और वृक्षारोपण शुरू किया। गांव में लोगों के राजी किया की किसी भी तरह के पेड़ न काटे जाएं। सभी जालम की बात से सहमत हुए और गांव में पेड़ काटना अपराध घोषित कर दिया गया। कुछ साल में ही बदलाव दिखने भी लगा और पूरे गांव में हरियाली हो गई थी जिससे सालरी गांव हजारों पेड़ों से भर गया। सालरी गांव को भविष्य में कभी भी सूखे और किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा का सामना ना करना पड़े इससे निपटना एक बड़ी चुनौती थी।
एक बार फिर सालरी के निवासियों के साथ एक नई पहल की। इन्होंने गांव में जल, मिट्टी संरक्षण और पशुओं के खान पान के लिए नई योजना बनाई। गांव में आपसी सहयोग से 5 तालाब बनाए गए। तालाब में बरसात का पानी इकट्ठा करने के लिए बिल्कुल ही नई और देसी तकनीक की मदद ली गई। खेतों में सिंचाई शुरू की गई। जल्द ही पूरे गांव में पानी की कमी पूरी हो गई। जलस्तर 25 फुट से 300 फुट तक आ गया और खेतों में फसलें दोबारा से लहलहानी लगी है। आज सालरी गांव में अपनाई गई जल प्रबंधन की तकनीक को विदेशों में भी अपनाया जाना लगा है।
शाजापुर जिले का सालरी गांव आज खुशहाल है। यह गांवालों की कोशिशों का नतीजा है कि गांव की तकदीर बदल चुकी है। फसल की पैदावार दोगुनी हो गई है। एक वक्त था जब पूरे गांव में दूध का उत्पादन 2 क्विंटल लीटर था आज वो बढ़कर 10 क्वींटल तक पहुंच गई है। सालरी में विकास की रफ्तार अभी थमी नहीं है। यहां वेदर स्टेशन, जलस्तर मापने के यंत्र लगाए गए हैं, मिट्टी की कटाई रोकने की व्यवस्था की गई है। सालरी में विकास की नई कहानी लिखी जा रही है और यह अपने आस पास के गांवो, शहरों के लिए नहीं बल्कि देश के लिए मिसाल बन चुका है।
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आईबीएन-7, 11 फरवरी 2011