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दैनिक जागरण, 5 जनवरी 2015

महोबा विकास खंड के बीहड़ में यमुना किनारे बसे आसई की पौराणिक नजरिये से खास पहचान रही है। कई जगह जलस्रोतों का अस्तित्व सदियों से है। मौसम कोई भी हो, इनसे सदैव मीठा पानी निकलता रहता है। यह पानी यूँ ही बहकर यमुना में जाता था। 2012-13 में तत्कालीन ग्राम प्रधान रवींद्र दीक्षित ने खंड विकास अधिकारी के साथ मिलकर प्राकृतिक जल के सदुपयोग की योजना बनाई। ग्रामीणों की मदद से ढाई कि.मी. क्षेत्र में छह तालाब खोदे गये। इनमें चार इन जलस्रोतों से सीधे भरते हैं और इनके ओवरफ्लो होने पर बाकी दो तालाब भी भर जाते हैं।
ये तालाब जीवों, पक्षियों व मवेशी की प्यास बुझाने के साथ ही गाँव वालों की पानी की जरूरतों को पूरा करते हैं। रवींद्र इन स्रोतों को वरदान मानते हैं। वह कहते हैं कि ग्राम पंचायत ने ऐसे बंदोबस्त किए हैं कि प्राकृतिक स्रोत से मिलने वाले पानी का पूरा सदुपयोग किया जाए और पानी की एक भी बूँद को बर्बाद नहीं होने दिया जाए। इसके लिये भारत सरकार ने रवींद्र दीक्षित को पंचायतीराज सशक्तीकरण पुरस्कार भी दिया है।