भारत में वन्यजीव शिक्षा का वर्तमान परिदृश्य और संभावनाएं (भाग - I) - डॉ. सोमेश सिंह, डॉ. बी. एम. अरोड़ा
भारत अपनी विशिष्ट, मनोहर और विविध पारिस्थतिकी प्रणाली के कारण वन्यजीवों से भरा-पड़ा है। वन्यजीव के अंतर्गत ऐसा कोई भी प्राणी, जलीय या भू-वनस्पति आती है जो किसी तरह के प्राकृतिक वास के रूप में होती है। भारत दुनिया के बारह मैगा जैव-विविधता संपन्न देशों में से है। देश का वन्यजीव पूर्वोत्तर भारत के सदाबहार वनों से लेकर राजस्थान के ऊसर मरूस्थल तक और हिमालय के हरे-भरे जंगलों से लेकर पश्चिमी घाटों तक फैला हुआ है। देश में स्तनपायी की 350, पक्षियों की 1224, रेंगने वाले जन्तुओं की 408, उभयचरों की 197, मछलियों की 2546,कीटों की 57548 और पौधें की 46286 प्रजातियां हैं जो कि विश्व की जीव-विविधता का 8% है। भारत में कुल भू-क्षेत्र का 23.57% भाग वन क्षेत्र है। देश में 606 संरक्षित क्षेत्र हैं जिनमें 96 राष्ट्रीय उद्यान और 510 वन्यजीव अभयारण्य सम्मिलित हैं। साथ ही इनमें 30 बाघ आरक्षित और 26 हाथी आरक्षित क्षेत्र हैं जो कि देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 4.58% तथा देश के कुल वन क्षेत्र का 22.12% है। इसके अलावा देश में 150 मान्यता प्राप्त बड़े, मझौले और लघु चिड़ियाघर और प्राणी-उद्यान है जिनमें करीब 40,000 प्राणी रखे जाते हैं। वन्यजीव के लिए कई कारणों से खतरा उत्पन्न हो रहा है। इनमें से प्रमुख हैं उनकी शरणस्थली का नष्ट होना, शिकार, दुर्घटनाएं तथा वन्यजीवोंकी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं। देश में वन्यजीवों की स्थिरता के लिए इन सब कारकों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ हल करना बहुत आवश्यक है।
देश में प्रकृति के संरक्षण और वन्यजीव के मूल्यों तथा लाभों के क्षेत्र में जानकारी का सामान्यतः अभाव है। भारत सरकार इस मामले में हमेशा संवेदनशील है तथा उसने देश में वनों और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए समय-समय पर कई कदम भी उठाए हैं। भारत सरकार द्वारा किए जा रहे वित्तीय और अन्य निवेश से स्थानीय समुदायों, बहुपक्षीय सहायता एजेंसिया तथा गैर-सरकारी संगठनों द्वारा पर्यावरणीय व्यवस्था में मौजूदा वन्यजीवों का संरक्षण किया जा रहा है। वन्यजीव पाठ्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य ऐसे वन्यजीव विशेषज्ञ तैयार करना है जो कि वन्यजीवों और उनके आवासों क संरक्षण को विज्ञान-आधारित प्रोत्साहन और उन्नयन पूरे उत्साह के साथ कर सकें। वन्यजीव विज्ञानों में रोजगार के अवसर वन्यजीव विज्ञानों के क्षेत्र में उच्च्तर योग्यता अर्जित करने पर विश्वविद्यालयों, राज्य वन एव पशुपालन विभागों, अनुसंधान संस्थानों, पर्यावरण और वन मंत्रालय तथा गैर-सरकारी संगठनों में वन्यजीव शिक्षण, अनुसंधान, स्वास्थ्य देखभाल, प्रबंधन और संरक्षण के क्षेत्रों में रोजगार की व्यापक संभावनाएं हैं। रोजगार के प्रमुख क्षेत्रों का संक्षेप में ब्यौरा निम्नानुसार है :
1. वन्य जीव जीवविज्ञानी : पशुओं और उनके ठहरने के स्थानों की संख्या का अध्ययन वन्यजीव बायोलॉजी कहलाता है। वन्य जीवों के लिए अपेक्षित जीवन मार्ग तथा प्राकृतिक वातावरण आदि क्षेत्रों का वन्यजीव-विज्ञानी गहराई से अध्ययन करते हैं।
2. वन्यजीव पारिस्थितिकी विज्ञानी : किसी जीव का अस्तित्व उसके आसपास के जीवीय और अजैव अवयवों से प्रभावित होता है। वन्यजीव पारिस्थितिकी विज्ञानी इस बात का अध्ययन करते हैं कि जीवों का उनके पर्यावरण से क्या संबंध् है और किस प्रकार से वे उससे प्रभावित होते हैं।
3. वन्यजीव प्रबंधक : वन्यजीव प्रबंधक वन्यजीवों और उनके आवासों पर वैज्ञानिक और तकनीकी सिद्वान्तों का अनुप्रयोग करते हैं ताकि ऐसी संख्या को विहार और वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए बरकरार रखा जा सके। भारतीय वन सेवा और राज्य वन सेवा के अधिकारियों को विशेष रूप से वन्यजीव प्रबंधन के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
4. वन्यजीव शिक्षक : वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में ज्ञान, जागरुकता और वैज्ञानिक अभिरुचि विकसित करने के लिए स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर कई पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं। वन्यजीव विज्ञान में अपने ज्ञान का विस्तार करने के इच्छुक व्यक्ति कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, वन्यजीव संस्थानों आदि में सहायक प्रोफेसर/प्रवक्ता के रूप में कॅरिअर शुरू कर सकते हैं। ऐसे व्यक्ति संगत क्षेत्र में शोध् कार्य भी कर सकते है और वन्यजीव विज्ञान में योगदान कर सकते हैं।
5. वन्यजीव संरक्षक : वे प्राकृतिक संसाधनों को उन सिद्वान्तों के साथ संरक्षित, सुधार और प्रयोग के लिए कार्य करते हैं जिसस उनके उच्चतम आर्थिक या सामाजिक लाभ सुनिश्चित हो सकें। 6. वन्यजीव फॉरेंसिक विशेषज्ञ : वन्य जीव फॉरेंसिक्स का अनुप्रयोग वन्यजीव बायोलॉजी तथा परिस्थिति विज्ञान के क्षेत्रों में विस्तारित है। इस उद्देश्य के लिए प्रयोग होने वाली विभिन्न तकनीकों में डीएनए आधरित तकनीकें और वन्य जीवों की फॉरेंसिक शव-परीक्षण तकनीकें शामिल हैं। इन तकनीकों का अंतिम उद्देश्य वन्यजीव अपराध् से जुड़े मामलों में पशुओं की मृत्यु के कारण, प्रजाति, आयु और लिंग आदि के संबंध् में वैज्ञानिक प्रमाण प्रस्तुत करना है।
7. वन्यजीव स्वास्थ्य और पशुपालन विशेषज्ञः ये ऐसे पशुचिकित्सक होते हैं जिन्हें वन्यजीवों के स्वास्थ्य के बारे में विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाता है। वे वन्यजीवों के स्वास्थ्य की निगरानी, बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण, वन्यजीवों की बेहोशी, प्रजनन, पोषण और अन्य पारिस्थितिकी प्रबंधन से जुड़े कार्य करते हैं।
8. वन्यजीव वैज्ञानिक : वन्यजीव वैज्ञानिक पारिस्थितिकी, गणना, रूपविज्ञान, व्यवहार और शरीरविज्ञान, वन्यजीवों के रोगों, वन्यजीव बंदी और रोकथाम, पशु आवास, प्रजनन,पुनर्वास, फारेंसिक, संरक्षण और प्रबंधन से जुड़े पहलुओं का अध्ययन करते हैं और नई-नई खोज करते हैं। योग्य कार्मिकों द्वारा किए गए अध्ययनों से पशुओं की उन प्रजातियों की स्थिति का मूल्यांकन और उसमें सुधार के उपाय किए जा सकते हैं जो इस समय लुप्त होने के खतरे में हैं।
9. वन्यजीव शोधकर्ता : वन्यजीव, वानिकी, पशुचिकित्सा पर्यावरण, वनस्पति विज्ञान, प्राणिविज्ञान आदि की पृष्ठभूमि वाले युवा, जिनकी वन्यजीव के क्षेत्र में गहरी रुचि है, अकसर चालू वन्यजीव परियोजनाओं से कनिष्ठ अनुसंधान अध्येता, वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता, रिसर्च एसोसिएट, तकनीकी सहायक आदि के रूप में जुड़ जाते हैं।यूजीसी/सीएसआईआर/अन्य परीक्षाएं उत्तीर्ण करने वाले व्यक्ति भी अपनी रुचि के अनुरूप परियोजनाएं शुरू करके शोधकर्ता को आगे बढ़ा सकते हैं। शोधकर्ताओं को अक्सर डॉक्टरेट/पोस्ट-डॉक्टरेट अध्ययनों के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
10. वन्यजीव फोटोग्राफर/पत्राकार : वन्यजीव चित्रकारी एक रोचक और उत्साहवर्धक क्षेत्र है। वन्यजीव फोटोग्राफर चित्रों और मूवी के रूप में वन्यजीव घटनाओं को रिकार्ड करते हैं। जिन व्यक्तियों की प्रकृति वन्यजीवों, पक्षियों और उनके आवासों स जुड़े कार्यों में रुचि है और वे पूरी सहनशीलता तथा रोचकता के साथ इनके बारे-बारे में विवरण एकत्र करना चाहते हैं, इस व्यवसाय से जुड़ सकते हैं। वे पशुओं, प्राकृतिक आवासों और उनके आसपास के स्थानों के चित्र लेते हैं। यह चुनौतीपूर्ण कार्यअच्छा पारिश्रमिक देने वाला व्यवसाय है। वन्यजीव पत्रकार वन्यजीवों से संबंधित समाचार, लेख, कहानियां, यहां तक कि कथा साहित्य और वैज्ञानिक पुस्तकें लिखते हैं।
11. पर्यावरणीय प्रभाव विश्लेषक : ये विशेषज्ञ प्रस्तावित योजना, नीति, परियोजना या कार्यक्रम के पर्यावरण पर पड़ने वाल प्रभावों का अध्ययन करते हैं तथा विभिन्न प्रकार की वैकल्पिक प्रक्रियाओं का विश्लेषण करते हैं। पर्यावरणीय प्रभाव विश्लेषक नियोजन तथा निर्णय लेने की प्रक्रियाओं का एक महत्वपूर्ण भाग होता है।
12. विषय विशेषज्ञ ;पक्षीविज्ञानी/ सरीसृपविज्ञानी/नर-वानर विज्ञानी आदि : देश के वन्यजीव विभिन्न श्रेणियों से संबंधित हैं। इन प्राणियों में आवास, आकृतिविज्ञान, व्यवहार, फीडिंग, प्रजनन आदि में वैशिष्ट्य है। विभिन्न वर्गों की प्रजातियों के सिलसिले में संबंधित विषयों के विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है। ये व्यक्ति विशिष्ट विषयों पर अच्छा व्यावहारिक और सापेक्ष ज्ञान विकसित करते हैं। पक्षियों पर अध्ययन करने वालों को पक्षीविज्ञानी, सरीसृपों और उभयचरों पर अध्ययन करने वालों को सरीसृपविज्ञानी और जो नर-वानरों के संबंध् में अध्ययन करते हैं उन्हें नर-वानर विज्ञानी कहा जाता है।
13. वन्यजीव सलाहाकार : ये वन्यजीव विशेषज्ञ होते हैं जो केंद्र और राज्य सरकारों विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों और अन्य सरकारी और गैर-सरकारी एजेंसियों को सलाहकार और परामर्शी सेवाएं प्रदान करते हैं। वन्यजीव विज्ञान और पारिस्थितिकी तथा पर्यावरण के कुछेक पहलुओं का संबंध् वानिकी जीवविज्ञान तथा पशुचिकित्सा विज्ञान से है। इन डिग्री पाठ्यक्रमों के अंतर्गत स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट स्तर का अध्ययन कराया जाता है। हालांकि वर्तमान में देश में सक्षम वन्यजीव विशेषज्ञों को प्रशिक्षित करने के लिए विशिष्ट डिग्री पाठ्यक्रम भी संचालित किए जा रहे हैं। वन्यजीव में विशेषज्ञता के लिए ज्यादातर विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए पात्रता हेतु संबद्व व्यक्ति के पास मौलिक विज्ञान विषयों में, जैसे कि स्नातक डिग्री आदि होना आवश्यक है। इसके लिए इच्छुक व्यक्ति वन्यजीव विषयों में स्नातकोत्तर और इसके उपरांत डॉक्टरेट डिग्री हेतु आगे अध्ययन कर सकते हैं। वर्तमान में वन्यजीवों के विभिन्न पहलुओं से जुड़े अन्य डिग्री पाठ्यक्रम जैसे कि स्नातकोत्तर डिप्लोमा, मास्टर डिग्री, दर्शनशास्त्र में मास्टर और दर्शन शास्त्र में डॉक्टरेट आदि पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं। विभिन्न एजेंसियों द्वारा विभिन्न लघु-अवधि प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम या प्रशिक्षण कार्यक्रम भी संचालित किए जा रहे हैं। नीचे दी गई सारणी में भारत में वन्यजीव शिक्षा की वर्तमान स्थिति का समग्र परिदृश्य झलकता है :
सारणी 1.
क. डाक्टरेट डिग्रियां
डिग्री संस्थान/कॉलेज/विश्वविद्यालय/मान्य विश्व- पात्राता अवधि वर्ष
विद्यालय संस्थाएं, साथ में टेलीफोन नं./वेबसाइट/ में/सेमेस्टर/
ई-मेल माह
1 2 3 4
पीएचडी भारतीय वन्यजीव संस्थान, पो.बा.नं. 18, चंद्रबणी, संबद्व क्षेत्र में मास्टर डिग्री. न्यूनतम
वन्यजीव देहरादून-248001, उत्तराखण्ड, वेबसाइट :www.wii.gov.in 3 वर्ष
विज्ञान ई.मेल : wii@wii.gov.in
टेलीफोन : + 91-135-2640111 से 2640115
;सौराष्ट्र विश्वविद्यालय, कलावड रोड, राजकोट-360005, गुजरात से संबद्ध
पीएचडी वन अनुसंधान संस्थान विश्वविद्यालयवत्, पी.ओ.आई.पी. संबद्ध विषय क्षेत्र में मास्टर्स न्यूनतम
वन्यजीव ई., कौलागढ़ रोड, देहरादून-248195 डिग्री/विज्ञान विषय के साथ 3 वर्ष
विज्ञान फोन नं. : 0135-2751826, 2224439 पीजी और वन्यजीव प्रबंधन
वेबसाइट : www.icfre.org. में स्नातकोत्तर डिप्लोमाईमेल
: nautiyaltc@icfre.org
पीएचडी वन्यजीव विज्ञान विभाग, अलीगढ़ मुस्लिम संबद्ध क्षेत्र में मास्टर डिग्री न्यूनतम
वन्यजीव विश्वविद्यालय, अलीगढ़-202002 3 वर्ष
विज्ञान
पीएचडी ए.वी.सी. कॉलेज ;स्वायत्त, मन्नमपंडल-609305, संबद्ध क्षेत्र में मास्टर डिग्री न्यूनतम
वन्यजीव मयिलादुथुरई, नागपटिट्नम जिला, तमिलनाडु, भारत 3 वर्ष
जीव- फोन नं. : 0091-04364-222264, फैक्स नं. : 0091-
विज्ञान 04364-222264, वेबसाइट : www.avccauto.ac.in
ईमेल : avcauto@sancharnet.in
विश्वविद्यालय, पालकल्लईपेरूर तिरुचिरापल्ली-620024,
तमिलनाडु, भारत. वेबसाइट : www.bdu.ac.in
टेलीफोन नं. : ++91431 2407048 ++ 91 431
2407092, फैक्स नं. : ++91 431 2407032,
++91 431 2407045
पीएचडी जैविक विज्ञान विद्यालय, जैवविज्ञान प्रखण्ड जनसह्याद्रि कम से कम 55% अंकों के न्यूनतम
वन्यजीव शंकरघाट-577451, कुवेम्पु विश्वविद्यालय, शिमोगा साथ संबद्व विषय क्षेत्र में 3 वर्ष
प्रबंधन जिला, कर्नाटक, वेबसाइट- kuvempu.ac.in मास्टर डिग्रीई-
मेल : wildlife@kuvempu.ac.in, फोन : +91 ;0
8282 256263, फैक्स : 08282-256262, 256255
ख. पोस्टमास्टर डिग्रियां
एमफिल भारतीय वन्यजीव संस्थान, चंद्रबणी, देहरादून-248001 संबद्व क्षेत्र में मास्टर्स 1 वर्ष
वन्यजीव ;सौराष्ट्र विश्वविद्यालय कलावड रोड, राजकोट-विज्ञान 360005, गुजरात
एम.फिल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़-202002 संबद्व क्षेत्र में मास्टर डिग्री 1 वर्ष
वन्यजीव विज्ञान
एम.फिल एवीसी कॉलेज ;स्वायत्तद्ध, मयिलादुथुरई ;भारतीदासन संबद्व क्षेत्र में मास्टर डिग्री 1 वर्ष
वन्यजीव विश्वविद्यालय, तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु से संबद्ध विज्ञान
एम.फिल कुवेम्पु विश्वविद्यालय, शिमोगा जिला, कर्नाटक कम से कम 55% अंकों के 1 वर्ष
वन्यजीव साथ संबद्व विषय क्षेत्र में प्रबंधन मास्टर्स डिग्री
ग. स्नातकोत्तर डिग्रियां
वन्यजीव भारतीय वन्यजीव संस्थान, चंद्रबणी, देहरादून-248001 कम से कम 55% अंकों के 4 सेमेस्टर विज्ञान ;सौराष्ट्र विश्वविद्यालय, कलावड रोड, राजकोट- साथ वानिकी/कृषि/में 360005, गुजरात से संबद्ध पर्यावरणीय विज्ञान में एमएससी बीएससी या बीवीएससी एंडए.एच अथवा वन्यजीव अनुसंधान की अभिरुचि तथा उपयुक्त जैविकीय पृष्ठभूमिवाले सेवारत विशेषज्ञ एमएससी राष्ट्रीय जैविक विज्ञान केंद्र, जीकेवीके, बेल्लारी रोड, ललित कला और भाषाओं 4 सेमेस्टर वन्यजीव बंगलौर-560065, भारत, फोन : 9180 23666001/02 संबंधी विषयों को छोड़कर एवं 23666018/19, फैक्स : 91 80 23636662 किसी भी क्षेत्र में स्नातक
संरक्षण वेबसाइट : www.ncbs.res.in
डिग्री ;अर्थात बीएससी/
www.wcsindia.org/ ई.मेल mscwildlife@ncbs.res.in, dean@ncbs.res.in/info@wcsindia.org बीवीएससी एवं एएच
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल
रिसर्च विश्वविद्यालयवत, होमी भाभा रोड, मुंबई-400005, भारत से संबद्ध डिग्री संस्थान/कॉलेज/विश्वविद्यालय/मान्य विश्व- पात्रता अवधि वर्ष विद्यालय साथ में टेलीफोन नं./वेबसाइट/ई-मेल में/सेमेस्टर माहवानिकी, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, पो.आ. कोनी, बिलासपुर- रसायन विज्ञान/वनस्पति 2 वर्षवन्यजीव 495009, छत्तीसगढ़ विज्ञान/वानिकी में बीएससीएवं पारि- डिग्रीस्थितिकी
विकास में
एमएससी
वन्यजीव ए.वी.सी. कॉलेज, ;स्वायत्त मन्नामपंडल, प्रमुख/संबद्व स्तर पर जीवन 2 वर्ष
जीव- मयिलादुथुरई ;भारथीदासन विश्वविद्यालय, विज्ञान के साथ कोई भीविज्ञान में तिरुचिरापल्ली-620024, तमिलनाडु से संबद्ध स्नातक योग्यता/बीवीएससीएमएससी
एमएससी कुवेम्पु विश्वविद्यालय, शिमोगा, कर्नाटक जैविक विज्ञानों के साथ 4 सेमेस्टरवन्यजीव बीएससी डिग्री
प्रबंधन
घ. स्नातकोत्तर डिग्री/डिप्लोमा
वन्यजीव भारतीय वन्यजीव संस्थान, चंद्रबणी, देहरादून-248001 स्नातक डिग्री के साथ 9 माहप्रबंध्न में ;सौराष्ट्र विश्वविद्यालय, कलावड रोड, राजकोट- भारतीय वन सेवा/राज्य वनस्नातकोत्तर- 360005, गुजरात से संबद्ध सेवा के सेवारत अधिकारीडिप्लोमा
घ. डिप्लोमा डिग्री
मगरमच्छ केंद्रीय मगरमच्छ प्रजनन एवं प्रबंध् प्रशिक्षण संस्थान सेवारत युवा वन अधिकारी 9 माहप्रजनन ;सीसीबीएमटीआई, हैदराबाद एवं विहार
प्रबंधन में
डिप्लोमा
च. प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम
वन्यजीव भारतीय वन्यजीव संस्थान, चंद्रबणी, देहरादून-248001 रेंज वन अधिकारी या 3 माहप्रबंधन में समकक्ष रैंक के सेवारत प्रमाण- अधिकारी पत्र
पाठ्यक्रम
वन्यजीव अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़-202002 - -
पारि-स्थितिकी एवं प्रबंध् में प्रमाण-पत्र
Source
रोजगार समाचार