इन दिनों भारत के अलग-अलग हिस्से बाढ़ से प्रभावित हैं, एक अनुमान के मुताबिक़ इस साल के मानसून के दौरान 24 अगस्त 2020 तक असम में पांच लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं, वहीं दूसरी और अगस्त के तीसरे हफ्ते तक बिहार में बाढ़ से करीब 16 जिलों में 8 लाख से ज्यादा प्रभावित हुए हैं। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में बाढ़ से 16 जिलों के 1090 गांव बाढ़ की वजह से प्रभावित हैं। मूसलाधार बारिश के बाद बाढ़ और भूस्खलन ने लगातार तीसरे वर्ष केरल को प्रभावित किया है, 6 अगस्त को, इडुक्की जिले में मुन्नार के पास राजमाला में पेटीमुडी बस्ती में हुए भूस्खलन ने 52 लोगों की जान ले ली। 5 अगस्त को, दक्षिण मुंबई के कई इलाके, जिनमें आमतौर पर जल-जमाव नहीं दिखता था, वो घंटों तक बाढ़ में डूबे रहे। दूसरी ओर, तीन घंटे की लगातार बारिश ने हाल ही में गुड़गांव (गुरुग्राम) शहर में कहर बरपाया, शहर के 11 हिस्सों में से सात अंडरपास सहित शहर के विशाल खंड पानी के भीतर समा गए थे। देश के पूर्वी, उत्तर-पूर्वी और उत्तरी भागों में, मानसून अवधि को बड़े पैमाने पर बाढ़ के मौसम के रूप में जाना जाता है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों से, पश्चिमी और दक्षिणी भारत में शहरी और ग्रामीण दोनों जगहों पर भी नियमित रूप से बाढ़ का सामना करना शुरू हो गया है
भारत में जल संघर्ष पर नीति वार्ता के लिए फोरम (वाटर कनफ्लिक्ट फोरम) नियमित अंतराल पर 10 सितंबर से 8 अक्टूबर, 2020 तक वेबिनार की एक श्रृंखला का आयोजन कर रहा है, इस आयोजन के दौरान उन व्यक्तियों से बात करने का मौक़ा मिलेगा जो बाढ़ से जुड़े हुए हैं, जिन्हे बाढ़ का अनुभव है, जिन्होंने बाढ़ से निपटने के लिए बेहतर प्रबंधन की वकालत की है और इसमें ऐसे लोग भी जुड़ सकते हैं जो भारत में बाढ़ के बारे में जानने के लिए इच्छुक हों। यह वेबिनार देश भर में बाढ़ को घेरने वाली बारीकियों को समझने और भारत में विविध परिदृश्यों में बाढ़ के पीछे वैध कारणों को साझा करने की आवश्यकता को समझते हुए, जल संघर्ष मंच नदियों को समझने के इरादे से बाढ़ आधारित अनुभवों और ज्ञान को साझा करने की सुविधा प्रदान करेगा।
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